वेलुपिल्लई प्रभाकरन

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वेलुपिल्लई प्रभाकरन
मृत्यु का/के कारण Killed by gunfire[1]
आरोप Crimes against life and health, terrorism, murder, organized crime and terrorism conspiracy
व्यवसाय Leader of LTTE
जीवनसाथी Mathivathani Erambu
मातापिता Father: Veraswami Thiruwengadam Velupillai
Mother: Velupillai Parvathi Pillai[2]
बच्चे Charles Anthony
Duwaraka
Balachandran

वेलुपिल्लई प्रभाकरन तमिल: வேலுப்பிள்ளை பிரபாகரன்[4] नवंबर 26, 1954 - मई 19, 2009[3][5][4][7][5][9][6][11] लिबरेशन टाइगर्स तमिल ईलम (लिट्टे या तमिल टाइगर्स), आतंकवादी संगठन जिसने श्री लंका के उत्तर और पूर्व प्रांत में एक स्वतंत्र तमिल राज्य बनाने का प्रयास किया, के संस्थापक थे। लगभग 25 साल के लिए, लिट्टे ने एक हिंसक पृथकतावादी अभियान चलने की कोशिश की जिसके के कारण वे 32 देशों द्वारा आतंकवादी संगठन कहलाए.[7][प्रभाकरन इंटरपोल द्वारा आतंकवाद, हत्या, अपराध और आतंकवाद के षड्यंत्र का आयोजन करने के लिए खोजे जा रहे थे।[8][ उसके खिलाफ श्रीलंका और भारत में गिरफ्तारी के वारंट भी थे।

18 मई 2009 को वे श्रीलंका सरकार द्वारा मृत घोषित किए गए, वे उस समय मारे गए जब देश के उत्तरी भाग में श्रीलंकाई सैनिक उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे थे तो वे नज़र बचाकर भागने की कोशिश कर रहे थे।[4][][5][17][9][18][10][ अगले दिन उनका शव श्रीलंकाई मीडिया पर दिखाया गया था[11][22] और एक सप्ताह बाद में तमिल टाइगर के प्रवक्ता सेल्वारासा पथ्मनाथान, ने पुष्टि की कि प्रभाकरन मई 17 को मारे गए।[12][24][13][26] दो हफ्ते बाद डीएनए परीक्षण की पुष्टि हुई कि प्रभाकरन और उसके पुत्र एंथनी चार्ल्स की मौत हो गयी है। [उद्धरण चाहिए]

प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

वेलुपिल्लई प्रभाकरन वेल्वेत्तिथूरै के उत्तरी तट पर 26 नवम्बर 1954 को, थिरुवेंकदम वेलुपिल्लई और वल्लिपुरम पार्वती के यहां पैदा हए थे।[14][][15][] श्रीलंकाई सरकार द्वारा दिखाये गए तमिल लोगों के प्रति भेदभाव को देख, नाराज़ हो कर, वह छात्र संगठन टीआईपी में मानकीकरण बहस के दौरान शामिल हो गए।[16] 32] 1972 में प्रभाकरन ने तमिल न्यू टाइगर्स (TNT)[17][ की स्थापना की, जो अनेक संगठनों के उत्तराधिकारी के रूप में सामने आया, जो देश में औपनिवेशिक राजनीतिक दिशा के खिलाफ जाने वालों का विरोध करता था, इनमें श्री लंकाई तमिलों को सिंहली लोगों से नीचा दिखाया जाता था। Political situation[›][34]

वर्ष 1975 में, तमिल आंदोलन में गंभीर रूप से शामिल होने के बाद वह एक तमिल आतंकवादी समूह द्वारा, एक ह्त्या में शरीक हुए, जाफना के मेयर, अल्फ्रेड दुरैअप्पा की उस समय गोली मार कर ह्त्या कर दी गई जब वे पोंनालाई में एक हिंदू मंदिर में प्रवेश करने वाले थे। यह हत्या वर्ष 1974 में हुए तमिल सम्मेलन के विरोध में था जब तमिल रादिकाल्स ने दुरैअप्पा को,[18][36] तत्कालीन सत्तारूढ़ श्रीलंका फ्रीडम पार्टी का समर्थक कहा था। उन्हें तमिल उग्रवादियों द्वारा जाफना प्रायद्वीप में तमिल राष्ट्रवादी भावनाओं को धोखा देता हुआ देखा गया, उन्हें लंका की बहुमत सरकार के साथ हाथ मिलाते देखा गया था।[19]

तमिल टाइगर्स[संपादित करें]

लिट्टे के संस्थापक[संपादित करें]

5 मई 1976 को, TNT का लिबरेशन टाइगर्स तमिल ईलम (लिट्टे), के नाम से पुनः नामकरण किया गया। आमतौर पर इसे तमिल टाइगर्स के नाम से जाना जाता था।[20][not in citation given]

उसके दर्शन या विचारधारा में धर्म एक प्रमुख कारक नहीं था, लेकिन लिट्टे को बौद्ध विरोधी कहा गया था।[21][42] प्रभाकरन खुद एक व्यपगत मेथोडिस्ट था।[22][43] लिट्टे एक ऐसा संगठन था जिसने किसी भी अपनी वैचारिक दस्तावेजों में किसी भी धर्म का प्रचार, धार्मिक ग्रंथों में से किसी भी सामग्री को तलब नहीं किया, वह केवल श्रीलंका के तमिल राष्ट्रवादी विचारों से संचालित था। वे इस एक दृष्टिकोण और प्रेरणा से एक स्वतंत्र तमिल ईलम की प्राप्ति पर जोर दे रहे थे।

किल्लीनोच्ची में प्रेस सम्मेलन[संपादित करें]

प्रभाकरन की पहली और एकमात्र प्रमुख संवाददाता सम्मेलन किल्लीनोच्ची में अप्रैल 10, 2002 को आयोजित की गई थी।[23][45] कहा जाता है कि 200 से भी अधिक स्थानीय पत्रकारों और विदेशी मीडिया ने इस में भाग लिया और उनको इस घटना से पहले 10 घंटे के सुरक्षा जांच से गुजरना पडा,[23][46] जिसमें एंटोन बालासिंघम को लिट्टे के अध्यक्ष और प्रधान मंत्री के रूप में " चित्रित किया गया था।

लिट्टे की प्रतिबद्धता के बारे में और शांति प्रक्रिया के बारे में अनेक सवाल किए गए जिसका प्रभाकरन और डॉ॰ एंटोन बालासिंघम ने संयुक्त रूप से उत्तर दिया.

एक संवाददाता के पूछे गए सवाल पर प्रभाकरन ने यह भी कहा कि उन्होंने लिट्टे को यह भी निर्देश दिया है कि यदि कभी उनको स्वतंत्र राज्य के लक्ष्य पर समझौता करते हुए उन्होंने देखा तो उन्हें तुंरत मार दिया जाए.[23]

राजीव गांधी हत्याकांड में उनकी भागीदारी पर दोहराए गए सवाल के जवाब में बालासिंघम और प्रभाकरन दोनों ने शांत रूप से जवाब दिया. उन्होंने इसे एक "दुखद घटना" ("ठुन्बियल चम्बवं", तमिल में उद्धृत) उन्होंने प्रेस से कहा कि "10 साल पहले हुई इस घटना के बारे में वे ना पूछें."

साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा कि तमिल ईलम की मांग को छोड़ देने का सही समय अभी नहीं आया है। उन्होंने आगे कहा कि "यहाँ तीन बुनियादी बातें हैं। तमिल मातृभूमि है, तमिल राष्ट्रीयता और आत्मनिर्णय के लिए तमिल अधिकार है। ये तमिल लोगों की बुनियादी मांगें हैं। एक बार ये मांगें स्वीकृत कर ली गयीं या एक राजनीतिक समाधान इन तीन बुनियादी बातों को पहचानकर आगे आ गयीं, तो यदि हमारे लोग संतुष्ट हुए तो हम ईलम की मांग छोड़ देंगें". उन्होंने आगे कहा कि तमिल ईलम न केवल लिट्टे की मांग थी पर तमिल जनता की भी मांग थी।[23]

प्रभाकरन ने शांति प्रक्रिया के प्रति अपनी वचनबद्धता की पुष्टि देते हुए अनेक सवालों के जवाब देते हुए कहा कि "हम शांति प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसलिए हम ने चार महीने लम्बे विराम को बनाए रखा", वे श्री लंका और भारत के लिट्टे निष्कासन पर प्रतिबद्ध थे, हम चाहते हैं कि भारत सरकार लिट्टे पर से प्रतिबन्ध हटायें. हम उचित समय पर इस मुद्दे को उठाएंगे. "

प्रभाकरन ने इस बात पर भी जोर दिया कि केवल प्रतिबद्धता ही नॉर्वे द्वारा की गयी शांति प्रक्रिया की मध्यस्थता के लिए एक आज्ञाकारी समाधान हो सकता है: "हम ने सरकार को बता दिया है, हम ने नोर्वे के निवासियों से भी कहा है कि केवल प्रतिबद्धता ही वर्तमान स्थिति के लिए संभव हो सकती है।[24][25]

दर्शन और विचारधारा[संपादित करें]

"Few dispute he was one of the most effective guerrilla leaders in modern warfare - displaying the tactical prowess of Afghanistan's Ahmad Shah Masoud, the ruthlessness of Osama bin Laden and the conviction of Latin American revolutionary Che Guevara."

प्रभाकरन, ने कभी भी व्यवस्थित दर्शन को व्यक्त नहीं किया, लेकिन अपनी विचारधारा की घोषणा की कि वे 'क्रांतिकारी समाजवाद और एक समतावादी समाज की रचना' करेंगें. वे अपनी जवानी में तमिल राष्ट्रवादी आंदोलन में शामिल हुए और जल्दी ही लिट्टे के एक संस्थापक और एक मजबूत इच्छा शक्ति वाले उग्रवादी नेता के रूप में खुद को स्थापित किया। उनके दुर्लभ इंटरव्यू, उनकी वार्षिक तमिल ईलम नायक दिवस का भाषण और नीतियां और लिट्टे के कार्य-दर्शन और विचारधारा के संकेतक के रूप में लिया जा सकता है। जब हम प्रभाकरन के दर्शन और प्रभाकरन की विचारधारा पर विचार कर रहे हैं तो निम्नलिखित महत्वपूर्ण क्षेत्रों को देख सकते हैं।

श्रीलंका के तमिल राष्ट्रवाद[संपादित करें]

प्रभाकरन की प्रेरणा, स्रोत और दिशा है श्रीलंका के तमिल राष्ट्रवाद. Sri Lankan Tamil Nationalism[›] [52] उनका अंतिम आदर्श है कि तमिल ईलम को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार एक स्वतंत्र देश के रूप में देखना जिसमें लोगों को राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त है।[27][54] यह बात उनके अधिकृत वेब पेज में दिखाई गई है। लिट्टे ने 2003 में शांति वार्ता के दौरान एक अंतरिम स्व प्रशासनिक प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव भी रखा था। पूर्व तमिल छापामार और बाद में बने नेता धर्मलिंगम सिथाद्थान, ने टिप्पणी की कि "उनका तमिल ईलम के प्रति समर्पण की भावना निर्विवाद है, श्रीलंका में वे केवल एक मात्र व्यक्ति हैं जो यह निर्णय ले सकते हैं कि देश में युद्ध होनी चाहिए या शांति."[26]

लिट्टे का सैनिक शासन[संपादित करें]

प्रभाकरन ने स्पष्ट रूप से कहा कि एक सशस्त्र संघर्ष ही असममित युद्घ का समाधान है, जिसमें एक पक्ष श्रीलंका सरकार का है जो सशस्त्र और असममित निहत्थे हैं। उन्होंने यह तर्क भी दिया कि थिलीपन घटना के बाद उन्होंने सेना को ही चुना क्योंकि अहिंसक व्यवहार निष्प्रभावी और अप्रचलित होते हैं। थिलीपन, एक कर्नल रैंक के अधिकारी थे जिन्होनें आईपीकेएफ हत्याओं के खिलाफ 15 सितंबर 1987 से गाँधी जी का अनुकरण किया और आमरण अनशन करने बैठ गए और 26 सितंबर को हजारों तमिलों के सामने मर गए जो वहाँ उनके साथ अनशन करने के लिए आये थे। इससे प्रभाकरन ने यह संकल्प किया कि शांतिपूर्ण विरोध या तो नजरअंदाज कर दिए जाते हैं या कुचल दिए जाते हैं पर इनको कोई नहीं सुनता.[28]

प्रभाकरन ने युक्ति से सेनानियों को भर्ती किया और आत्मघाती हमलावरों की इकाईयों की स्थापना करने लगे, उनके हमलावर किसी कैदी को नहीं लेते थे और वे जो अपने हमलों के लिए कुख्यात थे उन्होंने किसी भी दुश्मन को जीवित नहीं छोड़ा.[26][58] व्यक्तिगत रूप से, इंटरपोल का कहना है कि वे "बहुत ही सतर्क, वेश बदलने और अत्याधुनिक हथियारों और विस्फोटकों को संभालने की क्षमता रखते थे।"[26]

कार्य व्यवहार का ढंग[संपादित करें]

श्रीलंका के सेना कमांडर जनरल सरथ फोंसेका ने आरोप लगाया कि वह 2009 में श्रीलंका के सैन्य विजय के बाद वे श्रीलंका से किसी विदेश में भाग गए।[29][61] मलेशिया के पुलिस बल को सतर्क किया गया और रिपोर्टों के अनुसार उन्हें यह बताया गया कि वह या तो वहाँ आया है या थाईलैंड भाग गए हैं।[30]

मृत्यु[संपादित करें]

जब श्रीलंकाई सेना लिट्टे के क्षेत्र में प्रवेश कर रही थी तो, प्रभाकरन और उसके शीर्ष नेता मुल्लैथिवु भाग गए, जो विद्रोहियों का 'आखिरी गढ़' था। प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार प्रभाकरन राकेट हमले में मारे गए, जब वे एक एम्बुलेंस में संघर्ष क्षेत्र से पलायन करने की कोशिश कर रहे थे, उनका शरीर बुरी तरह जल गया था। लेकिन उसके बाद के समर्थक विद्रोही ने तमिलनेट के द्वारा यह दावा किया कि वे जीवित थे, उनके शरीर को राष्ट्रीय टीवी पर दिखाया गया था। बाद में रिपोर्टों के अनुसार, उनका शरीर मुल्लैथिवु के पास वेल्लामुल्लिवैक्कल के आसपास के नानडिकाथल लैगून के उत्तर में पाया गया था। इसकी पहचान करुना अम्मान द्वारा की गयी थी, उसके पूर्व विश्वासपात्र,[31][65] दया मास्टर और उसके बेटे की आनुवंशिक सामग्री के डीएनए परीक्षण के द्वारा पुष्टि की गयी।[32][67] परिस्थितिजन्य सबूत में यह कहा गया कि उनकी मौत सिर पर भारी चोट लगने से या नजदीक से गोली लगने के कारण हो गयी थी। उन पर यह आरोप भी था कि वे मार डाले गए थे।[33][69] श्रीलंका की सेना ने दावा किया कि उनका शव एक झील में मिला था। श्रीलंका की सेना ने प्रभाकरन के शरीर को एक खाट पर पड़ा, सैनिकों और पत्रकारों से घिरे चित्रों और वीडियो को जारी किया। वह लाश प्रभाकरन की वर्दी में था और उसकी शकल प्रभाकरन की तरह थी और एक बड़ी गोली का निशाना उसके माथे पर था, जो इस बात को सिद्ध करता था कि वे सिर पर बंदूक की गोली लगने से मारे गए थे।

आपराधिक संकेत[संपादित करें]

वेलुपिल्लई प्रभाकरन वर्ष 1991 से आतंकवाद, हत्या, अपराध और आतंकवादी साजिश के आयोजन करने के कारण इंटरपोल के द्वारा और कई अन्य संगठनों द्वारा दूंढा जा रहे थे।[8][71] उस पर[34][73] मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा मई, 1991 में पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की योजना बनाने के कारण मौत का वारंट भी था। वर्ष 2002 में न्यायाधीश अम्बेपितिया ने उनके सेंट्रल बैंक हमले के सिलसिले में एक खुले वारंट को भी जारी किया।[35][75] जज ने उन्हें 51 मामलों में दोषी करार दिया और 200 वर्षों के लिए जेल की सजा दी।

निजी जिंदगी[संपादित करें]

चित्र:Prabhakaran family.jpg
तस्वीर में देख सकते हैं, दायें से वेलुपिल्लई प्रभाकरन, उसकी पत्नी मथिवाथान, बेटी दुवारागा, पुत्र एंथनी चार्ल्स और मद्वादिनी के दो अज्ञात रिश्तेदार. [76]
प्रभाकरन की निजी जिन्दगी के बारे में उनके साक्षात्कारों या मीडिया स्रोतों के द्वारा बहुत कम जानकारी प्राप्त है, पर सब लोग इतना तो जानते हैं कि उनकी शादी मथिवाथानी एराम्बू से 1 अक्टूबर 1984 को हुई थी।[20][77] [not in citation given][78] उनकी एक बेटी (दुवारागा) थी और दो बेटे थे, चार्ल्स एंथोनी और बालाचंद्रन. उनके ठिकाने के बारे में कुछ भी पता नहीं है पर इतना जानते हैं कि वे श्रीलंका में नहीं थे।[20][79] [not in citation given][80] हालांकि, श्रीलंका सेना के सूत्रों का कहना है कि उन्होंने चार्ल्स एंथोनी की लाश बरामद की है।[36][82] एक वरिष्ठ श्रीलंकाई मंत्री ने जानकारी दी कि श्रीलंका की सेना को प्रभाकरन के बेटे बालाचंद्रन 13, पत्नी मथिवाथानी, उनकी बेटी, दुवारागा की लाशें भी मिली थीं।[37][84] हालांकि, सेना के प्रवक्ता उदय नानायाक्कारा ने बताया कि प्रभाकरन के परिवार के बाकी सदस्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि, "हमें न ही उनके शरीर मिले हैं और न ही उनके बारे में कोई जानकारी मिली है।"[38][86] फिर भी, ऐसा सुनने में आया है कि प्रभाकरन का पूरा परिवार मिटा दिया गया है, मधिवाधान्य, दुवारागा और बालाचंद्रन के लाश कथित रूप से जंगली झाडियों में लगभग 600 मीटर की दूरी पर रास्ते में, प्रभाकरन के शव के पास पायीं गयीं। [39]
वेलुपिल्लई प्रभाकरन के माता-पिता, थिरुवेंकदम वेलुपिल्लई और पार्वती, दोनों की उम्र लगभग 70 के आसपास है, वावुनिया शहर के पास विस्थापित मणिक फार्म शिविर में पाए गए थे। श्रीलंकाई सैन्य और सरकार ने सार्वजनिक आश्वासन दिया कि वे, न तो उनसे पूछताछ करेंगे, न तो उनको किसी प्रकार का नु्कसान पहुंचाएंगे या उनको किसी प्रकार की हानि होगी। [40]

चार्ल्स एंथोनी[संपादित करें]

चार्ल्स वेलुपिल्लई प्रभाकरन एंथोनी की पहला संतान थे। मई 2009 में, श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि चार्ल्स 2008-2009 के श्रीलंकाई सेना के उत्तरी आक्रमण के अंतिम चरण में मारे गए। चार्ल्स प्रभाकरन के करीबी दोस्त चार्ल्स लुकास एंथोनी के बाद नामित किए गए थे।

उसके नाम की स्पेलिंग[संपादित करें]

उसके नाम को लैटिन लिपि में लिखने की अनेक विधियां हैं, जो पहली नज़र में अलग दिखाई देती हैं। सबसे श्रेष्ठ विकल्प है लिप्यान्तरण जो राष्ट्रीय पुस्तकालय लिप्यंतरण योजना के अनुसार सिद्ध किया गया था। उस का नाम तमिल में வேலுப்பிள்ளை பிரபாகரன் है जिसको हम विलुप्पिल्लाई पिरपकरा  कह सकते हैं। n जो लोग इस लिप्यंतरण मॉडल से अनजान है, वे इसका ठीक उच्चारण नहीं करते, शिक्षा के बाहर इसका एक और अधिक ध्वन्यात्मक प्रतिपादन (प्रतिलेखन) अक्सर पाया जाता है। नाम का उच्चारण [ʋe ː lʊppɨllaəppɨra ː बहारां है]. यह एक अंग्रेजी वर्तनी में, "पिरापकरण", "पिरापहरण" या "पिराबहरण" है। एक तीसरा विकल्प यह है कि उसके नाम का इतिहास को खोजने पर उसका संस्कृत में मूल होगा उसमें फिर राष्ट्रीय पुस्तकालय लिप्यंतरण नियम को लागू करना होगा। यह सबसे ज्यादा प्रयोग किया गया शब्द देता है जो अक्सर पश्चिमी मीडिया द्वारा उपयोग किया जाता है और वह है "प्रभाकरन".

नोट्स[संपादित करें]

  • ^ Political situation: Sri Lanka’s nation-building program became intimately linked with a Sinhalisation of the state directive.[41] One form of extremism and violence led to the other and by 1970's there were some minority radical Tamil youth who were legitimizing terrorist attacks against the state as a response to alleged state violence.[42]
  • ^ Sri Lankan Tamil Nationalism: Sri Lankan Tamil nationalism is expressed in the political desire by some to form an independent nation state called Tamil Eelam for the minority Sri Lankan Tamil people. Both moderate TULF and TNA and militant groups such as LTTE, EPRLF, PLOTE, EPDP etc have expressed such political goals either in the past or now.[43]

यह भी देखिए[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Tiger leader Prabhakaran killed: Sources-News-Videos-द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया". Timesofindia.indiatimes.com. मूल से 5 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मई 2009.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 दिसंबर 2009.
  3. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; The End Battle नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  4. "LTTE chief Prabhakaran killed: Lanka army sources". Times of India. मई 18, 2009. मूल से 21 मई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 मई 2009.
  5. "Tamil Tigers supreme commander Prabhakaran 'shot dead'". Times Online. मई 18, 2009. मूल से 19 मई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 मई 2009.
  6. Nelson, Dean (मई 18, 2009). "Tamil Tiger leader Velupillai Prabhakaran 'shot dead'". Telegraph. मूल से 21 मई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 मई 2009.
  7. "Liberation Tigers of Tamil Eelam: Proscription as a Terrorist Group". मूल से 1 दिसंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 दिसंबर 2009.
  8. "Wanted: VELUPILLAI, Pirabhakaran". Interpol. 4 अक्टूबर 2006. मूल से 3 सितंबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अक्टूबर 2006. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  9. [18] ^ मार्क ट्रॅन,प्रोफाइल: वेलुपिल्लई प्रभाकरन, Archived 2009-08-25 at the वेबैक मशीन guardian.co.uk, मंडे 18 मई 2009
  10. "Tamil Tiger leader 'killed' by Sri Lanka troops". AFP. 18 मई 2009. मूल से 24 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 मई 2009.
  11. "Sri Lanka Army - Defenders of the Nation". Army.lk. मूल से 23 मई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मई 2009.
  12. "Tamil Tigers confirm leader's death". अल जज़ीरा English. मई 24, 2009. मूल से 25 मई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मई 2009.
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  15. "Profile of Velupillai Prabhakaran". Lankapuwath. 22 अप्रैल 2009. मूल से 29 जून 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 मई 2009.
  16. [32] ^ हेइल्मन्न -राजनायागम 1994: 37
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  19. "Asia Times: Sri Lanka: The Untold Story". Atimes.com. मूल से 3 मई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मई 2009.
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  38. "Prabhakaran's body cremated (Daily Mirror)". मूल से 18 जून 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 दिसंबर 2009.
  39. "Last days of Thiruvenkadam Veluppillai Prabhakaran (Daily Mirror)". मूल से 21 जून 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 दिसंबर 2009.
  40. "Tamil Tiger chief's parents found (बीबीसी न्यूज़)". मूल से 1 जून 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 दिसंबर 2009.
  41. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  42. "How it Came to This – Learning from Sri Lanka's Civil Wars By Professor John Richardson" (PDF). paradisepoisoned.com. मूल से 11 सितंबर 2008 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 30 मार्च 2006.
  43. Sri Lankan Tamil Nationalism: Its Origins and Development in the Nineteenth and Twentieth Centuries, By Professor A. Jeyaratnam Wilson Publisher: University of British Columbia Press (March 2000) (ISBN 1-85065-338-0)

अतिरिक्त पठन[संपादित करें]

  • राजन हूले.(2001) दी अर्रोगांस ऑफ़ पावर, UTHR (जे), कोलंबो.
  • प्रताप, अनीता. ' आइलैंड ऑफ ब्लड : रिपोर्ट्स फ्रॉम श्री लंका, अफगानिस्थान एंड ओथेर साउथ एशियन फ़्लश्पोइन्त्स (2001)।
  • Heilmann-Rajanayagam, Dagmar (1994). The Tamil Tigers: Armed Struggle for Identity. Stuttgart, Germany: Franz Steiner Verlag.

बाहरी संबंध[संपादित करें]

साक्षात्कार और भाषण[संपादित करें]