विकिपीडिया वार्ता:प्रबन्धन अधिकार हेतु निवेदन

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प्रबन्धक के लिए नामांकन : आशीष भटनागर, सिद्धार्थ घई तथा अनुनाद सिंह[संपादित करें]


हिन्दी विकी न केवल सदस्यों की कमी से गुजर रही है बल्कि प्रबंधक एवं प्रशासक पद की अनुपबलब्द्धता से भी गुजर रही है। अतः इस जगह की भरने के लिए यह संख्या बढ़ाना आवश्यक है। हिन्दी विकी पर प्रबंधक पद के मानदण्डों के अनुसार यदि कोई पूर्व प्रबंधक एक माह से अधिक सक्रिय है तथा उनके सम्पादनों की संख्या ५००० से अधिक है तो उन्हें बिना किसी मतदान के प्रबंधक बनाया जा सकता है। मेरी जानकारी में इन नियमों को पूर्ण तीन पूर्व प्रबंधक आशीष जी, सिद्धार्थ जी एवं अनुनाद जी हैं। यदि इन तीनों सदस्यों को इसमें कोई ऐतराज न हो तो इन्हें प्रबंधक अधिकार पुनः दिये जायें।☆★संजीव कुमार (बातें) 23:25, 21 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]


आशीष भटनागर जी और सिद्धार्थ घई जी के नामांकन को स्टीवर्ड ने सफल घोषित किया है। यहाँ देखें - आशीष जी, सिद्धार्थ जी। किन्तु नीचे देख सकते हैं कि इस पर चर्चा जारी है और कुछ सदस्यों को आपत्ति है। -- अनुनाद सिंहवार्ता 05:17, 7 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

समर्थन/विरोध[संपादित करें]

   सुझाव अच्छा है और समर्थन योग्य है । हिन्दी विकी को समृद्धि के सोपान पर ले जाने हेतु यह करना श्रेयस्कर होगा । मैं इस सुझाव का समर्थन करती हूँ ।

Mala chaubey (वार्ता) 05:04, 22 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

आशीष जी - समर्थन - लेकिन यह कोई अर्थ नहीं रखता क्योंकि वह पहले से ही प्रबन्धक हैं।
सिद्धार्थ जी - समर्थन
अनुनाद जी - पूर्ण विरोध - यह हिन्दी विकि के लिए हानिकारक होगा।

--Hunnjazal (वार्ता) 07:13, 22 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

   यह प्रस्ताव अत्यन्त सामयिक एवं हिन्दी विकि के लिए हितकर है। मैं इसका पूर्णतः समर्थन करता हूँ। यह हिन्दी विकि में नवीन प्राण डालने जैसा सिद्ध होगा। आशीष जी और सिद्धार्थ जी को प्रबन्धक बनाए जाने के प्रस्ताव का मैं पूर्ण समर्थन करता हूँ तथा मुझे प्रबन्धक बनाने के प्रस्ताव को भी स्वीकार करता हूँ। -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:18, 26 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

टिप्पणी[संपादित करें]

Hunnjazal जी, मैं यहाँ टिप्पणी नहीं करना चाहता था लेकिन कुछ जानकारी के लिए करनी पड़ रही है। विशेष:Statistics और प्रबंधक सूची दोनों ही जगह केवल 2 प्रबंधक (आप और बिल जी) दिखाई दे रहे हैं। मैंने आशीष जी के व्यक्तिगत अधिकार यहाँ भी देखे तो पता चला कि एक दस दिन पुराने सदस्य के अधिकारों से अधिक कोई अधिकार उनके पास नहीं है। अब या तो ये पृष्ठ गलत सूचना प्रदर्शित कर रहे हैं अथवा मैं गलत पृष्ठ देख रहा हूँ। केवल {{प्रबन्धकगण}} पर यह लिखा हुआ है कि वो प्रबंधक हैं लेकिन यह साँचा तो कोई भी सम्पादित कर सकता है।
☆★संजीव कुमार (बातें) 12:35, 22 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

नमस्ते संजीव जी, आशीष जी व्यस्त रहें हैं इसलिए सम्भव है कि उनका योगदान घटने से उन्हे पदमुक्त कर दिया गया हो, हालांकि मुझे ऐसा कुछ याद तो नहीं है। कुछ अरसा पहले हुए हस्तक्षेप में कुछ ग़ैर-सक्रीय प्रबंधकों को हटाया गया था और हो सकता है वे उनमें से एक थे, हालांकि ऐसा होना भी मेरी स्मृति में नहीं। शायद बिल जी प्रकाश डालें। अगर ऐसा है तो उन्हें फिर बहाल करने के लिये मेरा समर्थन है। --Hunnjazal (वार्ता) 15:55, 22 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
मैं स्वयं अपने लिये मतदान नहीं कर सकता हूं, किन्तु शेष दोनों के लिये मेरा पूर्ण समर्थन है:
सिद्धार्थ जी:   
अनुनाद जी:    - शायद ये मत कई लोगों को सही न लगे, किन्तु उसका कारण भी देना चाहूंगा,। हिन्दी विकि में सक्रिय प्रबंधकॊं एवं सदस्यों की कमी के कारण उन्हें ऐसा लाभ देना चाहिये, एक तो सक्रिय सदस्य का उत्साह वर्धन होगा, दूसरे प्रबंधन कार्य में (कम से कम ५०% क्षमता ही सही) वृद्धि तो होगी। शेष कुछ विवाद उठते हैओं तो उन्हें बाद में पुनर्विचार कर फ़िर देखा जा सकता है, एवं प्रबंधन अधिकार वापस भी लिये जा सकते हैं। अतः इस समय समर्थन देकर हिन्दी विकि की प्रगति में हाथ बटायें। हाँ ये ध्यान अनुनाद जी को भी रखना होगा कि वे भविष्य में इस प्रकार के विवादों से बचे रहें। इसके लिये कई बार कुछ काम हमें सही लगते हुए भी सर्वमत न होने के कारण रोकना पड़ता है - ये ध्यान योग्य है। जोर-जबर्दस्ती से जनतंत्र नहीं चला करते हैं। कुछ समझ से, कुछ तर्क से, तो कुछ ज्ञान से अपना लोहा मनवाया जा सकता है। इनमें से कोई एक ही नाव पार नहीं लगा सकता है.... अतः मेरा फ़िल्हाल समर्थन है। --आशीष भटनागरवार्ता 02:38, 26 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

तीनों सदस्यों आशीष जी, सिद्धार्थ जी व अनुनाद जी के लिए पूर्ण समर्थन है।

आशीष जी:   
अनुनाद जी:   
सिद्धार्थ जी:   

आशीष जी के लिए कुछ कहने की जरूरत नहीं लगती। अनुनाद जी के योगदान पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता, और साथ ही क्रिटिकल मामलों में वे परिपक्व निर्णय लेते हैं (जैसे बिल को ब्लॉक करने का प्रस्ताव रखने पर वे कुछ छूट देने के पक्ष में थे, विवाद के समय भी)। सिद्धार्थ जी भी तकनीकी रूप से कुशल हैं। धन्यवाद। -Hemant wikikoshवार्ता 09:02, 27 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

अनुनाद सिंह को पूर्ण समर्थन :   
आशीष भटनागर को पूर्ण समर्थन :    --डा० जगदीश व्योमवार्ता 06:50, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]


आशीष भटनागर :    समर्थन
अनुनाद सिंह :    समर्थन
सिद्धार्थ घई :    समर्थन

-- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 08:30, 29 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

सिद्धार्थ जी का समर्थन

मुझे यकायक एक वार्तालाप याद आया। जब मैं नया-नया सम्पादन कर रहा था, मैंने कुछ लेख लिखे जिनमें कुछ चित्र कॉपीराईट की परवा किये बिना शामिल किया था। सिद्धार्थ जी ने लेखों के ज्ञानकोषीय होने के कारण प्रशंसा तो की, पर मुझे चित्रों स्तिथि बड़े ही दोस्तों-जैसे अंदाज़ में समझाने का प्रयास किया। इस प्रक्रिया में उन्होंने बिल जी का भी सहारा लिया। मेरे विचार से हमें हमारी विकिपीडिया के लिए ऐसे ही प्रबंधकों की आवश्यकता है जो दूसरे सदस्यों से दोस्ती और सलाह का काम करें, टीम-स्वभाव (team spirit) से काम ल़े न कि अधिकारों का कुछ दूसरी विकियों के प्रबंधकों के तरह प्रयोग करें। इसके अलावा हुन्नजज़ल जी के समर्थन को भी देखते हुए मैं सिद्धार्थ जी का समर्थन अनिर्वार्य समझता हूँ। Hindustanilanguage (वार्ता) 15:47, 30 जुलाई 2013 (UTC).[उत्तर दें]

आगे की कार्रवाई[संपादित करें]

इस विषय पर काफ़ी चर्चा हो चुकी, समर्थन भी जुटा लिये गए हैं,, किन्तु कार्रवाइ कब होगी.....यदि शीघ्र हो सके तो अच्छा है। मुझे तो प्रशासक के अधिकारों की आदत थी, फ़िर वो हट गये, किन्तु अनुरोध पर पुनः प्रबंधक अधिकार आ गये, चलो काम हो गया। लेकिन फ़िर से प्रबंधक अधिकार चले गये... मेरे अपने बनाये, सुरक्शःइत पृष्ठ भी मेरे लिये संपादन पहुंच से दूर हो गये। यहाँ तक कि मेरा अपना सदस्य पृष्ठ भी। अतः अति सक्रिय सदस्यों से निवेदन है कि वांछित कार्रवाई शीघ्र सुलभ कराने का प्रयास करें, व कहीं मेरे समर्थन आदि की आवश्यकता हो, भविष्य में भी तो अवश्य बतायें। संभव हो तो ये बार बार का अधिकार घटत-बढ़त के झंझट से मुक्ति मिले, या कम से कम सुप्तावस्था की अनुमत अवधि ही कुछ अधिक बढ़े... अब तो निष्क्रिय प्रबंधक भी नहीं रहे हैं। --आशीष भटनागरवार्ता 08:10, 29 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

मेरा भी वर्तमान प्रबंधकों से निवेदन है कि निर्विरोध रूप से समर्थन प्राप्त सदस्य सिद्धार्थ जी और आशीष जी को प्रबंधक अधिकार प्रदान कर दिये जायें। हाँ अनुनाद जी पर एक सदस्य (Hunnjazal जी) ने आपत्ति की है जिस पर थोड़ी चर्चा हो सकती है। मुझे इस प्रक्रिया का पता नहीं है कि निवेदन कहाँ और किससे किया जाता है, अन्यथा मैं स्वयं कर देता। चूँकि आशीष जी ने अनुनाद जी के विषय में जो लिखा उसके अनुसार तो Hunnjazal की आपत्ति भी दूर हो जानी चाहिए☆★संजीव कुमार (बातें) 12:34, 29 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
यदि मेरा अनुमान सही है, तो कुछ पूर्व प्रबंधकों पर अवमाननीय सम्पादनों के कारण पतिबंध लग चुका था या कुछ समय से विकि-संसार से संयास ले चुके थे और अभी-अभी लौटे हैं। मैं उनका हार्दिक स्वागत करता हूँ, पर इस तरह से वापसी के साथ ही पद-ग्रहण, ये मैं समझ नहीं पाया हूँ। सम्पादन संख्या ही के आधार पर यदि किसी को प्रबंधक घोषित करना हो, तो मेरा विचार है कि हमें पूर्व स्थिति को नहीं बल्कि वर्तमान की समीक्षा करना चाहिये। Hindustanilanguage (वार्ता) 15:43, 29 जुलाई 2013 (UTC).[उत्तर दें]
एच॰ एल॰ जी, जब तक नये नियम नहीं बनते तब तक पुराने नियमों का पालन आवश्यक है। चूँकि पुराने नियमों के अनुसार यदि कोई सम्पादक कुछ समय के लिए विकी से दूर रहता है तो उसे सेवा निवृत कर दिया जाता है और जब वो वापस आयें तो उनके एक माह के सम्पादनों के आधार पर उन्हें उनके अधिकार वापस दिये जा सकते हैं। चूँकि वो विकी का अच्छा ज्ञान रखते हैं अतः उन्हें परखने की अधिक आवश्यकता नहीं रहती। आशीष जी और सिद्धार्थ जी इसी श्रेणी में हैं। अनुनाद जी का मामला थोड़ा अलग है लेकिन उन्हें मैंने इस श्रेणी में रखा इसका कारण यहाँ लिखकर मैं इस पृष्ठ को लड़ाई का क्षेत्र नहीं बनाना चाहता था। लेकिन अब दो-दो सदस्य वो भी एक प्रबंधक हैं और दूसरे निरिक्षक (दोनों के सम्पादन भी काफी हैं); इस विषय पर आपत्ति कर रहे हैं तो मुझे विस्तार में लिखना पड़ रहा है। हिन्दी विकी पर एक सदस्य:SeanZCampbell ऊर्फ शॉन नें फरवरी में खाता खोला और अन्य स्थापित सदस्यों को तंग करना आरम्भ कर दिया। इस पर अनुनाद जी और हेमन्त जी ने इस सदस्य के कठपुतली होने की जाँच की मांग की। यह मांग 16 मार्च 2013 को की गई। चूँकि किसी स्वतःपरिक्षित सदस्य के विरुध ऐसी माँग करना उचित नहीं होता लेकिन हिन्दी विकी पर इस मामले में जगदीश जी को सजा मिल चुकी थी जबकि वो प्रबंधक थे। अतः एक सामान्य उत्पाती सदस्य के लिए ये माँग अनुचित नहीं थी। इस माँग पर बिल जी, अनुनाद जी और हेमन्त जी के मध्य चर्चा चल ही रही थी कि Hunnjazal जी ने 19 मार्च को एक और मुद्दा उठाया जो इस प्रकार था: "अनुनाद जी को ब्लॉक करा जाए"। इस पर कोई चर्चा नहीं हुई और छः घण्टे बाद अनुनाद जी को ब्लॉक कर दिया गया। उन्हें इस तरह से ब्लॉक किया गया कि वो अपना वार्ता पृष्ठ भी नहीं परिवर्तित कर सकते। 20 मार्च को मेटा विकी पर यह पाया गया कि SeanZCampbell ऊर्फ शॉन, Lovysinghal का कठपूतली खाता है। हिन्दी विकी नियमानुसार (जो जगदीश जी को प्रबंधक पद से हटाने के बाद बनाये गये थे उनके अनुसार) कठपूतली खाता पाये जाने पर सदस्य को हिन्दी विकी से पूर्णतया प्रतिबंधित कर दिया जाता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ; SeanZCampbell ऊर्फ शॉन को तो प्रतिबंधित कर दिया गया लेकिन Lovysinghal जी को केवल तीन माह के लिए ब्लॉक किया गया। इसकी पूर्ण जानकारी के लिए विकिपीडिया:चौपाल/पुरालेख 31 देख सकते हो। शायद वो लेख पढ़कर आपको लगेगा कि मैं जो कर रहा हूँ उसके लिए मुझे मेरी अंतरात्मा कह रही है। (उस समय जगदीश जी को भी प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन बाद में उन्हें इस प्रतिबंध से मुक्त कर दिया गया।)
इस समय तक मैं हिन्दी विकी पर बहुत ही कम सम्पादन करता था। (इस समय मैंने एक "विपीन गौड़" नामक पृष्ठ का सम्पादन किया था जिसे बाद में "साफ प्रचार" कह कर हटा दिया गया। मुझे कोई आपत्ति नहीं थी क्यों कि वो पृष्ठ साफ प्रचार ही था।) मुझे ये लड़ाइयाँ बहुत अच्छी लगी थी और मैं हिन्दी विकी की ओर आकृष्ठ हुआ। अब आप यह कह सकते हो कि इन घटनाओं ने मुझे हिन्दी विकी से जोड़ा। लेकिन यदि ये घटनाएं न होती तो मैं इतना सक्रिय सदस्य शायद न बन पाता। मैं मेरे सम्बंध में कहूँ तो मेरे साथ अभी तक किसी विकी सदस्य का कोई झगड़ा नहीं हुआ। कई बार कुछ आपत्तियाँ हुई हैं लेकिन कोई खास नहीं। आपने देखा ही होगा अप्रैल और मई में आप और मैं किस तरह से दोस्तों की तरह सलाह ले-दे कर काम किया करते थे। मेरा बिल जी से भी अच्छा सम्पर्क रहा है और Hunnjazal जी ज्यादा सम्पर्क नहीं हुआ क्योंकि मेरे सक्रिय दिनों में वो अपने सम्पादन करते हैं और मैं मेरे। हम लगभग इस तरह के सम्पादन करते हैं जो एक दूसरे से विलगीत प्रतीत होते हैं अतः कभी मौका ही नहीं मिला।
आशीष जी और सिद्धार्थ जी के सन्दर्भ में एक बात और भी कहना चाहता हूँ। मैंने पिछले दिनों देखा कि कुछ कोड चलाने के सम्बंध में सिद्धार्थ जी और बिल जी की आपस में वार्ताएं होती थी क्योंकि सिद्धार्थ जी के पास अधिकार नहीं हैं और बिना अधिकारों के वो इनमें सुधार कर नहीं सकते थे। यदि ये अधिकार उनके पास होते तो जो कार्य करने में कम से कम 15 दिन लगे वो पहले ही दिन में सम्पन्न हो जाता। इसी प्रकार आप किसी विकी पर रोलब्रेकर जैसे कुछ अधिकारों का उपयोग कर चुके हो अतः हिन्दी विकी पर बिना उन अधिकारों के आपको कार्य करने में कितनी असुविधा हो रही है? मुझे लगता है इस अवस्था में आदमी अपने आप को अपंग महसूस करने लगता है। आशीष जी ने इस बारे में उपर लिखा भी है। अतः इन दोनों का प्रस्ताव करना मुझे उपयुक्त लगा। मैं स्वयं के लिए अधिकारों की माँग नहीं करता क्योंकि मुझे समय-समय पर बिल जी ने आवश्यकतानुसार अधिकार भी दिये हैं और उत्साहवर्धन भी किया है। साथ में मुझे आपका और माला जी का सहयोग भी मिलता रहा। अब भी यदि आपके पास इस सम्बंध में कोई प्रश्न हो तो पुछ सकते हो। लेकिन अच्छा रहेगा यदि हम ये चर्चा अपने वार्ता पृष्ठों पर कर लें। मैं यहाँ कोई बखेड़ा खड़ा नहीं करना चाहता।☆★संजीव कुमार (बातें) 17:23, 29 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी, यह ठीक घटनाक्रम नहीं है। मैं इतिहास पर कोई भी चर्चा विस्तार से करने को तैयार हूँ - और उत्सुक भी हूँ। ऐसी चीज़ों में मुझे लगता है कि प्रकाश डालकर लम्बी समीक्षा होनी चाहिये और इनके लिए आप मुझे सदैव अनथक पाएँगे। लेकिन मुझे यह भी लगता है कि शायद यह वर्तमान सदस्यगणों के लिये ठीक न हो। क्या आप वास्तव में इस विषय पर पूर्ण चर्चा चाहतें हैं? यदि हाँ, तो मैं ज़रूर भाग लूँगा। अनुनाद जी नीति कृति-विस्तार-अमल के लिये अभी ठीक नहीं हैं। मेरी व ऍचऍल की असहमती तो है ही। मुझे लगता है कि बिल जी भी असहमत ही होंगे। उनसे मुझे हमेशा राजीवमास जी याद आते हैं - वे भी कभी प्रबन्धक थे और हिन्दी विकि में उनका योगदान महान कहा जा सकता है, लेकिन वे हमेशा के लिये प्रतिबन्धित किये गये। यदि समय का क्रम अनुनाद जी के लेखों में और उनके अपने से भिन्न विचारधारा रखने वाले सदस्यों के प्रति सदभावना में सुधार दर्शाता है तो वे फिर प्रबन्धक बन सकते हैं। लेकिन अभी यह सर्वथा ग़लत होगा। सार्वजनिक बात जो इस चर्चा में भागीदार किसी भी व्यक्ति के लिये नहीं कही जा रही बल्कि भूतकाल की चर्चाओं की ओर दृष्टि डालकर कही जा रही है (जिनमें आप शामिल नहीं थे संजीव जी): अभी सभी शीलता से बात कर रहें हैं लेकिन क्योंकि यह मामलें कभी भावुक भी हो जाते हैं इसलिये मैं सभी को याद दिलाना चाहूँगा कि वि:व्यक्तिगतनहीं, वि:कठपुतली, वि:युद्धक्षेत्रनहीं, वि:मंचनहीं सभी लागू हैं इसलिये अपने तर्क शीलता से ही रखें। --Hunnjazal (वार्ता) 01:03, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
सदस्यगण, हुन्जजाल जी के कारनामों के बारे में आप सभी को अच्छी तरह ज्ञात है। उपर हुन्जजाल जी ने जो लिखा है वह अत्यन्त भ्रामक है। वे नीति की बात करते हैं पर उन्होने पिछले कुछ महीनों में अनीति और पक्षपात के जा कार्य किए हैं और हिन्दी विकि पर नीतियों से सम्बन्धित भ्रमजाल खड़ा किया है वह आप सभी को पता है। मैने पहले भी कहा है कि इसे मैं उचित समय पर उठाने वाला हूँ। मैं आप सभी से अनुरोध करूँगा कि हिन्दी विकि पर लेखों का सम्पादन जारी रखते हुए इस चर्चा में भी अपने विचार खुलकर रखें। दूसरों की सीढ़ी से छत पर चढ़ जाने के बाद सीढ़ी को उपर खींचकर दूसरों को ऊपर आने से रोकने की नीति को समझें और इस नीति को ध्वस्त करने की दिशा में कार्य करें। मुझे सबसे बड़ी खुशी हिन्दी विकि पर अधिकाधिक और अत्यन्त उपयोगी लेखों के योगदान से मिलती है। आगे भी मेरी यही कोशिश होगी की मेरा योगदान सर्वाधिक बना रहे।-- अनुनाद सिंहवार्ता 03:42, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
'कारनामें', 'भ्रमजाल', 'दूसरों की सीढ़ी से छत पर चढ़ जाने के बाद सीढ़ी को उपर खींचकर'। आप फिर अपमानजनक और व्यक्तिगत हमलों पर उतर आए हैं। 'अनीति' और 'पक्षपात' के आरोप वाले शब्दों से कोई आपत्ति नहीं क्योंकि वे केवल एक दृष्टिकोण हैं। मैं आपको चेतावनी दे रहा हूँ। अपनी भाषा सौम्य रखें। --Hunnjazal (वार्ता) 03:54, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
  • मैं भूतकाल में नहीं जीता और यह धारणा रखता हूँ कि हर किसी में सुधार की गुंजाइश होती है, मुझ में भी है, इसलिए अगर कोई बीती बातों को छोड़ कर आगे बढ़े तो उसको प्रोत्साहित करना चाहिए। मैं अनुनाद जी के प्रबंधक पद का विरोध उनके द्वारा पूर्व में की गई गतिविधियों को भूलकर कर रहा हूँ। संजीव जी ने अच्छा बिंदु रखा कि "विकी का अच्छा ज्ञान रखते हैं", परन्तु अनुनाद जी, मेरे अनुसार विकि का "अच्छा ज्ञान" नहीं रखते हैं। विकिपीडिया प्रबंधक में निम्नलिखित योग्यताएँ अवश्य होनी चाहिए जो मैं अनुनाद जी में नहीं पाता हूँ:
    1. कॉपीराइट नियमों का ज्ञान — कई ऐसी फ़ाइलें हैं जो अनुनाद जी ने बिना लाईसेंस और स्रोत के विकि पर अपलोड की हैं। इनमें से ज्यादातर साफ़ कॉपीराइट उल्लंघन हैं (पूरी सूची)।
    2. हटाने की नीतियों का ज्ञान — इन्होंने आज तक एक भी लेख विकिपीडिया की पृष्ठ हटाने की निति से हटाने के लिए नामांकित नहीं किया। इसके केवल और केवल दो ही संभव कारण हो सकते हैं: या तो इन्हें विकि के ये नियम पता ही नहीं या ये उनका आदर ही नहीं करते। दोनों में से कोई भी कारण किसी को प्रबंधक ना बनाने के लिए काफ़ी हैं।
    3. समुदाय संपर्क — एक प्रबंधक को समुदाय के साथ परस्पर सम्पर्क बनाए रखना चाहिए, परन्तु मैं अनुनाद जी को समुदाय व्यापी चर्चाओं या 'निर्वाचित लेख नामांकन', 'क्या आप जानते हैं?', 'मुखपृष्ठ समाचार', 'आज का आलेख', आदि में बहुत कम ही पाता हूँ।
    4. सामग्री योगदान — मैं इस बात से पूर्णतया परिचित हूँ कि अनुनाद जी ने कई लेखों द्वारा विकि को अपना योगदान दिया है, परन्तु दुर्भाग्यवश इनमें से ऐसा एक भी लेख नहीं है जिसे एक 'उचित विकि लेख' कहा जा सके। इनका मेरे ज्ञान में एक भी (चाहे छोटा ही सही) लेख नहीं है जिसमें पूर्ण उद्धरण, उचित श्रेणियाँ, चित्र, ज्ञानसंदूक, उचित स्वरूपण, आदि मिल जाएँ।
    5. विन्रम दृष्टिकोण — प्रबंधक को हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि वह सबके प्रति विन्रम दृष्टिकोण बनाए रखे और चर्चाओं में विन्रम स्वभाव के साथ टिप्पणी करे। मैं समान्यतः अनुनाद जी को हर चर्चा में आक्रामक शब्दों का प्रयोग करते देखता हूँ, नवीनतम उदहारण: "'कारनामें', 'भ्रमजाल', 'दूसरों की सीढ़ी से छत पर चढ़ जाने के बाद सीढ़ी को उपर खींचकर'", जो ऊपर हुन्नजाज़ल जी ने ऊपर गिनाए हैं।

अगर किसी सदस्य को मेरे द्वारा ऊपर गिनाए कारण अनुचित लग रहे हैं तो कृपया वह इन्हें तर्कसंगत कारण के साथ गलत साबित करे और अगर वह ऐसा करने में सफ़ल होता है तो मैं अनुनाद जी का समर्थन करने के लिए तैयार हूँ।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 04:43, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

बिल जी, उपर लिखी बातों से आप भूतकाल को कितना भूलकर लिख रहे हैं (इसलिए आपकी कथनी और करनी में कितना भेद है) किसी को भी आसानी से समझ आ सकती है। अब मैं कुछ आपके द्वारा उठाए मुद्दों पर आता हूँ। कृपया विकिपीडिया:प्रबन्धन अधिकार हेतु निवेदन को ध्यान से देखें। क्या आप प्रबन्धक पद के लिए उपर उठाई गई आवश्यकताएँ इसमें पा रहे हैं? मुझे तो नहीं दिखीं। फिर आप अपने तरफ से ये आवश्यकताएँ क्यों लाद रहे हैं? मैं एक वर्ष से देख रहा हूँ कि जब किसी को प्रबन्धक बनाना होता है तो आप इस तरह के प्रश्न दाग देते हैं? क्या यह नीतिसम्मत है? सही बात तो यह है कि प्रबन्धक का पद कोई हौवा नहीं है। यह इतना आसान है कि हिन्दी विकि का कोई भी सदस्य इसे कर सकता है। प्रबन्धन के लिए किसी महाज्ञान की आवश्यकता होती तो इसका स्पष्ट उल्लेख होता। यहाँ कोई भी शायद ही आपसे कम बुद्धिमान हो। आवश्यकता पड़ने पर पन्द्रह मिनट में सही प्रक्रिया का पता लगाया जा सकता है। आपने मेरे लेखों के बारे में लिखा है। यदि संख्या की दृष्टि से देखें तो आप इसके १/१० से भी नीचें होंगे। यदि गुणवत्ता और उपयोगिता की दृष्टि से बात करें तो ये आपके द्वारा बनाए लेखों से १०० गुना गुणवत्ता और उपयोगिता वाले हैं। आपके अधिकांश लेखों की 'उल्लेखनीयता' पर प्रश्नचिह्न लगाया जा सकता है। अब लेखों को मिटाने के बारे में। यह मैं बहुत दिनों से कहता आया हूँ कि आप लेख मिटाने में बहुत दक्ष हैं। लेकिन यह कार्य एक प्रोग्राम द्वारा बेहतर ढंग से किया जा सकता है और एक घण्टे में लाखों लेख मिटाये जा सकते हैं। अब विनम्रता के बारे में। बिल जी आपको याद होगा कि एक बार अपशब्द कहने के लिए आपको माफी मांगनी पड़ि थी। आपकी विनम्रता आपके द्वारा चर्चाओं में दिए गए जबाबों में देखी जा सकती है। मेरी विनम्रता तो उस दृष्टि से कहीं नहीं लगती। फिर आप कैसे प्रबन्धक बन बैठे हैं? क्या आप यह भी भूल गए हैं कि हाल में आपके हटाने के लिए किए गए निवेदन में केवल एक को छोड़कर सभी ने उसका समर्थन किया है? मेरा 'समुदाय सम्पर्क' आपसे अधिक है। जिन चीजों को 'समुदाय सम्पर्क' के लिए आपने गिनाए हैं वे 'समुदाय सम्पर्क' का केवल एक छोटा हिस्सा हैं। मैं दूसरे अधिक प्रभावी तरीकों से समुदाय सम्पर्क में संलग्न रहा हूँ। इसके अलावा यदि मैं हिन्दी विकि पर लेख बनाने में बिताए अपने समय का ५% भी कम कर दूँ तो इन कामों में आपसे दोगुना योगदान कर सकता हूँ। किन्तु मुझे हिन्दी विकि पर लेखों की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाने का कार्य आप द्वारा गिनाए गए कार्यों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण लगता है। कॉपीराइट नियमों का ज्ञान शायद आपको नहीं है। मैने कॉपीराइट से सम्बन्धित एक प्रश्न पूछा था और आप उसका उत्तर आज तक नहीं दे पाए हैं। यह मेरे कथन का प्रमाण है। आपकी सुविधा के लिए प्रश्न फिर से पूछ रहा हूँ : कोई अपने साइट पर भौतिकी के सौ सूत्र लिखकर, पृष्ठ के नीचे 'कॉपीराइट' का टैग लगा दे तो क्या उन सूत्रों को हिन्दी विकि पर लिखना कॉपीराइट का उल्लंघन माना जाएगा? बिल जी, यदि मेरे उपरोक्त लेखन से आपको या किसी और को कोई चोट पहुँची हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ।
अनुनाद जी, मैं बस आपको एक बार यहाँ उत्तर दे रहा हूँ आगे कि चर्चा कृपया वार्ता पृष्ठ पर करें ताकि यहाँ जिस उद्देश्य के लिए यह अनुभाग है उस से हट कर यह कही और ना चला जाए।मैं अभी भी यह कहता हूँ कि मैने आपका विरोध भूतकाल के हर प्रकरण को भुलाकर किया है और अगर आप मेरे द्वारा लिखी आवश्यकताओं को पूरा करते तो मैं सबसे पहला आपका समर्थन करता। आपने यह बिल्कुल सही कहा कि "प्रबन्धक का पद कोई हौवा नहीं है" परन्तु आपने यह एकदम गलत कहा कि "यह इतना आसान है कि हिन्दी विकि का कोई भी सदस्य इसे कर सकता है"। प्रबंधक पद कोई बड़ी बात नहीं है परन्तु जिन टूल्स का प्रबंधक को उपयोग करना पड़ता है उसके लिए सदस्य को विशेष रूप से दक्ष होना चाहिए। आप लेखों की संख्याँ पर ही जोर देते हैं जबकि गुणवत्ता उनकी बहुत ख़राब होती है और यह मैं नहीं कोई भी सदस्य बता सकता है। मेरे " अधिकांश लेखों की 'उल्लेखनीयता' पर प्रश्नचिह्न लगाया जा सकता है", आपको किसने रोका है? आप पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं ऐसा करने के लिए, बल्कि मैं तो आपको प्रोत्साहित करता हूँ कि आप ऐसा करें जिससे आपको पता चल सके कि आखिर क्या विकि की दृष्टि में उल्लेखनीय है और क्या नहीं। "लाखों लेख" मिटाने की बात किसने कही? मैं मुख्यतः वे लेख हटाता हूँ जो अन्य सदस्य हटाने के लिए नामांकित करते है वो भी कारण सहित। मैने यहाँ लेख हटाने की निति के बारे में बात करी थी ना कि कौन कितना लेख हटाने में दक्ष है। कम से कम मैने माफ़ी तो माँगी थी परन्तु आप तो कितनी बार कितने ही सदस्यों के लिए अपशब्द का प्रयोग कर चुके हैं परन्तु आज तक कोई खेद प्रकट नहीं किया। मैं कभी किसी सदस्य के प्रति आक्रमक टिप्पणी नहीं करता और यहाँ आपके आलावा कोई भी सक्रिय सदस्य आपकी इस बात से सहमत नहीं होगा, मुझे इसका पूर्ण विश्वास है। आप फ़िर गलत कह रहे हैं, जो मैने गिनवाया है वह समुदाय सम्पर्क का सबसे अभिन्न और बड़ा हिस्सा है, बल्कि इनके आलावा हिन्दी विकिपीडिया पर कहाँ-कहाँ सार्वजनिक चर्चाएँ होती हैं? व्यक्तिगत वार्ता पृष्ठ सार्वजनिक नहीं होते! आपको किसने मेरे से दोगुना योगदान करने से रोका है? एक प्रबंधक को लेख बनाने से अधिक अन्य कार्यो में समय बिताना पड़ता है इसलिए कई विकि परियोजनाओं में अति सक्रिय संपादक को केवल इसलिए प्रबंधक बनने के लिए विरोध का सामना करना पड़ता है क्योंकि वह केवल लेख बनाने में ही ज्यादा समय बिताता है। लेख बढ़ाने से ज्यादा भी कई महत्वपूर्ण कार्य है, प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण है नहीं तो विकि ठप पड़ जाता है फिजियन हिन्दी विकिपीडिया इसका एक छोटा सा उदहारण है, वहाँ लेख बनाने वाले तो हैं परन्तु प्रबंधक की सक्रीयता के आभाव में वहाँ इतने वर्षों के पश्चात भी मूल सुविधाओं का आभाव है। इस कारण वहाँ पर एक-दुक्का को छोड़ कर कोई सक्रिय रूप से योगदान नहीं देता। अगर आपके अनुसार चला जाए तो हिन्दी विकि भी अपने बन्धु फिजियन हिन्दी विकि की तरह हो जाएगा। कॉपीराइट नियमों में मैने स्नातक की डिग्री की अपेक्षा नहीं करी थी। मैने कहा था कि आपको उनका सामान्य ज्ञान भी नहीं है। आपके द्वारा अपलोड किए गए सारे चित्र 'साफ़ कॉपीराइट उल्लंघन' की श्रेणी में आते हैं। अब आप यह बताएँ कि जब प्रबंधक स्वयं ही कॉपीराइट उल्लंघन करता हो तो वह क्या विकि से कॉपीराइट उल्लंघन हटाएगा? और यह प्रबंधक का ही दायित्व है कि वह अपने विकि पर ऐसा कुछ ना होने दे। आपने अपना प्रश्न अगर मेरे वार्ता पृष्ठ पर पूछा होता तो मैं कब का उत्तर दे चुका होता। आप से अपेक्षा रखूँगा कि आगे की चर्चा वार्ता पृष्ठ पर ही करेंगे। धन्यवाद।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 07:55, 31 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
बिल जी, आप मान रहे हैं कि आपने जो आवश्यकताएँ प्रबन्धक के लिए गिनाई हैं वे आवश्यक नहीं है। इसके बाद इस पर और लिखने का कोई औचिय नहीं है। इसका मतलब तो यह हुआ कि आप प्रबन्धक होकर भी प्रबन्धक के लिए आवश्यक क्या है, यह नहीं जानते। यदि प्रबन्धक के लिए आपके विचार में कुछ भिन्न आवश्यकता लगती है तो इसका उल्लेख उस चर्चा पृष्ट पर क्यों नहीं किया? इतने महत्वपूर्ण प्रश्न को सही जगह पर न उठाकर बार-बार (कम से कम पाँच बार?) 'प्रबन्धक पद के लिए निवेदन' पर सीधे उठाने का क्या औचित्य है? कॉपीराइट से सम्बन्धित प्रश्न सही जगह पर था। आपने उसे पढ़ा भी है लेकिन आपका जवाब नहीं मिला। यदि आप यह प्रश्न अपने वार्ता पृष्ट पर चाहते थे तो इसका संकेत पहले क्यों नहीं दिया? क्या आम सदस्यों को संतुष्ट करना प्रबन्धक का दायित्व नहीं है? जहाँ तक कॉपीराइट का प्रश्न है खुद पूरा विकिपीडिया साइट २४ घण्टे तक कॉपीराइट के विरोध में बन्द था। कोई इसका अर्थ यह भी लगा सकता है कि विकिपीडिया के कर्ताधर्ता और पूरा विकिसमाज कॉपीराइट का परम विरोधी है। लेकिन ऐसा नहीं है। मेरे द्वारा लगाए गए चित्र भी बहुत पहले लगाए गए थे जब कॉपीराइट की नीति का कहीं जिक्र ही नहीं था। यदि इस समय किसी नीति पर खरी नहीं उतरतीं या किसी आवश्यकता का पालन नहीं करतीं तो उन्हें हटाया जा सकता है और हटाया गया है। आपके कुछ लेखों की उल्लेखनीयता पर मैने शुरू-शुरू में प्रश्न लगाया था और उस पर खूब चर्चा हुई थी। लेकिन बाद में मैने सोचा कि मैं केवल उल्लेखनीयता पर चर्चा करता रहूँगा और अच्छे लेख नहीं बनाऊँगा तो हिन्दी विकि की बहुत हानि होगी (हिन्दी विकि 'गलियों', 'सड़कों', 'सीमेंटरीज', 'कोने के मकानों' से भर जाएगी।)। लेख हटाने के बारे में मेरा मत यह है कि आप सैकड़ों लेखों को मिटाने से बचा सकते थे किन्तु आपने ऐसा नहीं किया। इसलिए यह कार्य आपसे अच्छा एक निर्जीव प्रोग्राम कर सकता था। इसके साथ ही मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ और निवेदन करता हूँ कि आप अपने निजी विचारों को विकि नीतियों के समरूप रखने का कष्ट करें। यदि आप कोई निजी विचार लिखते हैं तो कृपया साफ-साफ लिखें कि ये आपके निजी विचार हैं और जरूरी नहीं कि वे विकिनीति के अनुरूप हों। इसके साथ ही आपसे निवेदन है कि कॉपीराइट सम्बन्धी मेरे प्रश्न का आप मेरे वार्ता पृष्ट या चौपाल पर (ताकि सभी को इसका लाभ मिल सके) उत्तर अवश्य देंगे। उपर यदि आपको मेरी कोई बात आपत्तिजनक लगती है तो क्षमाप्रार्थी हूँ।-- अनुनाद सिंहवार्ता 09:19, 31 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
नमस्ते अनुनाद जी, Hunnjazal जी। आप दोनों सदस्यों से मेरा निवेदन है कि एक दूसरे पर फिलहाल कोई टिप्पणी न करें। आप दोनों का आपसी वार्तालाप विवादित रहा है और यह किस हद तक जा सकता है वो भी मैं जानता हूँ। यदि आपमें से किसी को भी इस पर चर्चा करनी है तो कृपया मेरे वार्ता पृष्ठ पर अथवा अपने वार्ता पृष्ठ पर लिखें। यहाँ मैं देख रहा हूँ जो बात मैंने एच॰एल॰ जी के लिए लिखी थी उसे देख कर आप दोनों उत्तेजित हो गये हो जो शायद न ही तो आप दोनों की सदस्यता के लिए ठीक है और न ही हिन्दी विकी के लिए।
इन सब के अलावा जैसा मैंने उपर भी लिखा आशीष जी और सिद्धार्थ जी निर्विवाद हैं उनका चयन तो विलंब रहित होना चाहिए।☆★संजीव कुमार (बातें) 04:52, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी, मैं नाममात्र को भी उत्तेजित नहीं हूँ लेकिन चर्चा को विराम देनें के लिये भी राज़ी हूँ (जारी रखने को भी राज़ी हूँ - जैसा अन्य सदस्य उचित समझें)। आप देखेंगे कि भविष्य के लिये मैने द्वार खुला छोड़ा था। लेकिन वर्तमान के लिये असम्भव लगता है। बिल जी की लेखन-शैली वाली बात मैने भी पहले कही थी - उसमें अभी-भी सुधार की स्पष्ट आवश्यकता है, हालांकि पहले से सुधार भी दिख रहा है जो सराहनीय बात है - सम्भव है कि यह भविष्य में विकिस्तर तक पहुँच जाए, पर अभी वहाँ नहीं है। धन्यवाद! --Hunnjazal (वार्ता) 05:05, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
Hunnjazal जी हम जिस अवस्था में हैं उसमें मुझे लगता है चर्चा आवश्यक है। लेकिन मैं चाहता हूँ कि वह किसी और जगह हो और उसका परिणाम निकालने वाले भी निष्पक्ष सदस्य हों। चूँकि मैंने राजीवमास-बिल-अनिरुद्ध वार्तालाप भी पढ़ा है और मयूर जी के समय के भी अधिकतर वार्तालापों का अध्ययन भी किया है। मैंने सभी बातें तो नहीं पढ़ी लेकिन बहुत कुछ पढ़ा है। मैंने कुछ रूष्ट सदस्यों को ई-मेल भेजकर भी उनकी नारजगी के विषय में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की जैसे राजीवमास जी को मैंने कुछ माह पूर्व ई-मेल भेजा था लेकिन आज तक कोई उत्तर नहीं मिला। मैंने यह पाया है कि मयूर जी ने हिन्दी विकी को जितना दिया शायद ही अन्य कोई सदस्य ने दिया हो और शायद ही इतने कम समय में उतना दे पाये लेकिन वो भी विवादरहित नहीं थे। मानव समाज में विवाद होना एक स्वाभाविक बात है।
अब बात निष्पक्ष की रखें तो निष्पक्ष व्यक्ति अधिकार प्राप्त होना चाहिए अन्यथा निष्पक्ष होने का कोई तात्पर्य नहीं है। इस स्थिति में मुझे बिल जी कुछ निष्पक्ष लगते हैं लेकिन उनका कार्य अनुनाद जी को निष्पक्ष नहीं लगता अतः मेरे पास यह विकल्प निष्पक्ष के रूप में नही है। इन सब बातों को ध्यान में रखकर मैंने पाया कि आशीष जी और सिद्धार्थ जी निष्पक्ष सदस्य की भूमिका बहुत अच्छे से निभा पायेंगे और उनके पास विकी अनुभाव भी मुझ जैसे तुच्छ सदस्यों से बहुत अधिक है। चूँकि उन लोगों का हिन्दी विकी पर अनुभव बिल जी से भी अधिक है और वर्तमान सक्रिय सदस्यों में शायद अनुनाद जी को छोड़कर सबसे अधिक है। अतः इन सब बातों को ध्यान में रखकर मुझे यह लगता है कि इन विरोधरहित दोनों पूर्व प्रबंधकों को पुनः प्रबंधक बनाया जाये जिससे आप दोनों कि वार्ताओं में हस्तक्षेप कर सकें। जहाँ तक बात गलतियों की है वो सबसे होती हैं। यदि मैं इस तरह के आरोप लगाना चाहूँ तो आप और अनुनाद जी दोनों को ही मैं प्रबंधक पदों के लिए ठीक नहीं पाउंगा। उपर जिस तरह से आप दोनों ने जो प्रतिक्रियाएँ दी हैं उनमें भी उतनी सभ्यता नहीं दीखाई देती जितनी आप दोनों वरिष्ठों से आशा की जाती है।
अनुनाद जी आपसे मेरा नम्र निवेदन है कि चर्चा यदि आप के विषय में अथवा आप पर चल रही हो तो उसमें अपनी सहमति और असहमति के अलावा प्रतिक्रिया न दें। चूँकि आदमी गलत है अथवा सही इसका निर्णय वह स्वयं कभी नहीं कर पाता। गलती करने वाले को खुद को पता नहीं होता कि वह गलती कर रहा है। अतः आप जो गलती कर रहे हो वो आपको नहीं दिखाई दे रही। यदि आपसे विशेष रूप से टिप्पणी के लिए अनुरोध किया जाए तो ही अपनी प्रतिक्रिया दें। यदि आप को उस चर्चा में कोई गाली देगा और आप जबाब में सामने वाले को गाली दोगे तो आप दोनों में अन्तर ही क्या रह जायेगा। लेकिन आपको यदि कोई अपशब्द दिखाई दे और वह शब्द वास्तव में अपशब्द है तो अन्य सदस्य भी उसे देख पायेंगे और अन्य सदस्य उस अपशब्द के विषय में कुछ कहेंगे तो लिखने वाले को एहसास होगा कि उसने गलत लिखा था। लेकिन आप ही उसका जबाब दोगे तो आपसी विवाद बढ़ेगा एवं अन्य सदस्यों को दोनों सदस्यों कि गलतियाँ बराबर दिखाई देंगी। यहाँ पिछले अनुभवों को देखते हुए यह भी याद रखो कि बराबरी के आपसी विवाद में उसको अधिक लाभ पहुंचता है जिसके पास अधिकार ज्यादा हैं। (यह बात वास्तविक जीवन में भी सत्य है।)
मेरीअन्तिम दो टिप्पणियों में अपनी भाषा को ठीक नहीं रख पाया हूँ और अनुनाद जी और Hunnjazal पर व्यक्तिगत आक्षेप किये हैं जिसके लिए मैं आप दोनों से क्षमा चाहता हूँ। (काश मैं कल रात को देर से सोया होता, यह विवाद इतना लम्बा नहीं खिंचता।)☆★संजीव कुमार (बातें) 07:19, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव कुमार जी , ध्यान दीजिए कि हुन्जाल फिर से चेतावनिया देने लगे हैं। (अधिकांश सदस्यों को याद होगा कि हुन्जजाल और लवी सिंहल को दसों बार चेतावनी दी जा चुकी है। ) . इसके साथ ही मैं आपकी एवं अन्य सदस्यों की राय से बिलकुल सहमत हूँ कि अधिकांश सदस्यों के मतैक्य को देखते हुए आशीष जी और सिद्धार्थ जी को तुरन्त प्रबन्धक का दायित्व दिया जाय। -- अनुनाद सिंहवार्ता 07:40, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
इसपर यह बात ध्यान देने योग्य है:
  • नीति शक्तिशाली लोगों पर लगाम डालती है। इसलिए नीति आवश्यक है।
  • कोई भी पूर्णत: निष्पक्ष नहीं होता। आप स्वयं नहीं हैं। न मैं हूँ। न अशीष जी हैं। न बिल हैं। यही बात नीति का होना अनिवार्य करती है।
  • चर्चा में निष्पक्षता अनिवार्य नहीं है। लेखों में है। हाँ, चर्चा में मुक्तबोली भी उपलब्ध नहीं है। यानि उसमें नीति-अनुसार कथन होने चाहिए। लेकिन कोई नीति चर्चा में दृष्टिकोण/पक्ष प्रकट करने से नहीं रोकती। हाँ, लेखों में पक्ष लेना वर्जित है।
  • अनुनाद जी अगर कुछ नीतिपरायण लहजे में कहते हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं। निडर मेरे विरुद्ध बोलें। कोई बुरी बात नहीं। लेकिन 'कारनामें' जैसी भाषा - यह नीति-विरुद्ध है। अभी भी इनकी भाषा में गुटनिर्माण और मंच बनाने का प्रयास दिख रहा है। 'अधिकांश सदस्यों को याद होगा' और उस से पहले 'सदस्यगण'। इस तरह की भाषणबाज़ी वर्जित है। इस से विकिसमाज अक्सर दो गुटों में फट जाता है। केवल अपने मत की प्रस्तुति करें। इसपर नीति है और उसका पालन अनिवार्य है। यदि यह न हो तो कल राजीवमास थे, आज अनुनाद हैं और फिर कल कोई अशोक होंगे। हमारा साथ दो दिन का है। यह तो होना ही है कि जल्दी या देर से सभी ने हिन्दी विकि छोड़ देनी है। नीति की नीव छोड़ जाएँगे तो व्यवस्था चलती रहेगी। नहीं तो यह झगड़े कभी न अंत होने वाले हैं।
  • मैं अनुनाद जी के स्थान पर Hindustanilanguage को नामांकित करना चाहूँगा। उन्होने वास्तव में विकि-प्रबन्ध में बहुत श्रम किया है।

शेष फिर --Hunnjazal (वार्ता) 08:15, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

Hunnjazal जी मैं आपकी बातों से सहमत हूँ लेकिन कृपया करके अभी इस लेख में अनुनाद जी को बीच में न लायें। मैंने उन्हें नामांकित किया था लेकिन कल और आज की प्रतिक्रियाओं को लेकर मैं उनके नामांकन को कुछ और दिनों के लिए स्थगित कर रहा हूँ। एच॰एल॰ जी ने वास्तव में सराहनीय कार्य किया है। यहाँ किसी को प्रतिस्थापित करने का विचार मुझे अच्छा नहीं लगा। हाँ उनके लिए आप नामांकन करो मैं अवश्य समर्थन करुँगा, क्योंकि मुझे उनका कार्य बहुत अच्छा लगा। यहाँ जिस नीति के तहत मैंने आशीष जी और सिद्धार्थ जी को नामांकित किया है उसमें एचएल जी ठीक नहीं बैठते। अतः उनका नामांकन नये अनुभाग में किया जा सकता है और मैं उनका प्रबंधक पद के लिए समर्थन करुंगा।☆★संजीव कुमार (बातें) 08:48, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद जी, मैं आपसे हाथ जोड़कर बिंती करना चाहूँगा कि हुन्नजज़ल जी के लिये आप कृपया 'कारनामें' जैसे शब्द ताने के रूप में प्रयोग न करें। Hindustanilanguage (वार्ता) 08:43, 30 जुलाई 2013 (UTC).[उत्तर दें]
एचएल जी के कथन के साथ मैं भी यह और जोड़ना चाहुँगा कि वर्तमान सदस्य वो बातें कभी नहीं देखते कि कल क्या हुआ था। अतः पुरानी बातों को न दोहरायें तो अच्छा है। कोई यह नहीं देखता कि मैं बच्चा था तब कितना अच्छा/बुरा था। आप सब मेरा आज ही देखोगे।☆★संजीव कुमार (बातें) 08:48, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

सभी लोगों से मेरा निवेदन कृपया मिलजुल कर काम करें तभी दूसरों को कुछ दे पायेंगे। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 09:18, 30 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा, मैं आपकी बात से सहमत हूँ। आपने अवश्य देखा होगा की अपनी टिप्पणियों मैं किसी पर हमला नहीं करता। यदि इसके बावजूद कोई ठेस किसी सदस्य कोई पहुँची हो तो मैं क्षमा चाहूँगा। मैं हिन्दी विकिपीडिया के हर सदस्य को दोस्त समझता हूँ और ऐसा ही सम्पादकीय सहयोग का इच्छुक हूँ। Hindustanilanguage (वार्ता) 16:03, 30 जुलाई 2013 (UTC).[उत्तर दें]
  • मैं सिद्धार्थ और आशीष जी का समर्थन करता हूँ क्योंकि मेरे विचारे से इन दोनों के पास टूल्स होने से विकि को सहायता मिलेगी। संजीव जी द्वारा शुरू किए गए नामांकन का सारांश इस प्रकार है:
सदस्य    समर्थन    विरोध तटस्थ समर्थन %
आशीष भटनागर (वार्ता योगदान) 10 0 1 100%
अनुनाद सिंह (वार्ता योगदान) 5 4 1 50%
Siddhartha Ghai (वार्ता योगदान) 10 0 0 100%

अगर सारांश लिखने में मैने कोई गलती करी है तो कृपया शीघ्र बताएँ चूँकि जल्द ही ये परिणाम स्टीवर्ड द्वारा जाँचे जाएँगे।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 05:19, 31 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

मैंने उपरोक्त सारांश में आशीष जी के प्रबंधक नामांकन के लिए समर्थन और अनुनाद जी के नामांकन के लिए विरोध भी जोड़ दिया है, और समर्थन % भी उपयुक्त रूप से बदल दिया है।
मैंने आशीष जी का समर्थन इसलिए किया है क्योंकि मेरे विचार से ये बड़े लम्बे समय से सक्रीय हैं और तब भी सक्रीय रहते हैं जब अन्य प्रबंधक उपलब्ध ना हों। अतः मेरे विचार से इन्हें प्रबंधक बनाने से अन्य प्रबंधकों की असक्रीयता के समय में परेशानियों के शीघ्र निवारण में सहायता मिलेगी।
मैं मानता हूँ कि अनुनाद जी ने हिन्दी विकिपीडिया पर बहुत योगदान दिया है परन्तु मैं विरोध इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि मेरे विचार से (इनके कहे अनुसार ही) इनका ध्यान लेख बनाने और बढ़ाने की ओर है। अतः मुझे ऐसा लगता है कि ये प्रबंधकों के कार्यों से पूरी तरह अवगत नहीं हैं। (कृपया अनुनाद जी इस बात का बुरा ना मानें।) यदि अनुनाद जी मेरी इस बात से असहमत हैं और मेरे से इस बारे में चर्चा करना चाहते हैं तो कृपया मेरे वार्ता पृष्ठ पर करें। धन्यवाद--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 18:44, 31 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]
सिद्धार्थ जी, मेरा जोर नए लेख बनाने पर रहता है इससे यह निषकर्ष कैसे निकलता है मैं प्रबन्धक के कार्यों से अवगत नहीं हूँ। यह निष्कर्ष तो वैसे ही है जैसे किसी को भौतिकी का बोबेल पुरस्कार मिले तो कोई निष्कर्ष निकाल ले कि उसे गणित नहीं आता। किन्तु मैं आपके समर्थन या विरोध पर कुछ टिप्पणी नहीं कर रहा हूँ। कृपया बुरा ना मानें। आपने भी अच्छे-खासे लेख बनाए हैं, आपके अपने ही तर्क से तो आप प्रबन्धक के अयोग्य हैं।-- अनुनाद सिंहवार्ता 04:24, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

एक बार फ़िर आगे चलने की प्रार्थना[संपादित करें]

ईमानदारी से कहूं तो मैंने ऊपर की चर्चा पूरी तरह नहीं पढ़ी है, हाम कुछ अंश अवश्य पढ़े हैं। और पुनः यही निवेदन करना चाहूंगा कि चाहे इस निवेदन को मानें< या just ऊपर के मतदान निष्कर्ष को देखें, इन तथ्यों के साथ साथ हिन्दी विकी में प्रबंधज्कों की नितांत कमी को याद रखते हुए, इस चर्चा को विराम देते हुए, अनुनाद जी को (चाहे ३-६ माह ही सही) [ एक अन्य मौका देना समझते हुए- उन विरोधी लोगों की ओर से] प्रबंधक पद दे कर मामले को खत्म किया जाये। इतनी लंबी चर्चा यदि इतने दिमाग व्यय के साथ क्लिसी लेख पर लगायी जाये तो ..... (कहने की आवश्यकता नहीं कि क्या मिलेगा)। हाम इसे किसी भि प्रकार से मेरी ओर से किसी के लिये पक्षपात न समझा जाये- अपने अपने विचार हैं, गलत या सही कोई नहीं, बस विचारधारा है। हां कई बार देखा गया है कि जो कभी आपस में कट्टर शत्रु रहे वो मित्र भी बन गये हैं। इसके लिये दोनों में से किसी एक या दूसरे या दोनों के ही विचार परिवर्तन हो सकते हैं।

खैर फ़िर भि मामले को निपटाते हुए आगे बढा जाये। --आशीष भटनागरवार्ता 14:05, 31 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

आशीष जी, प्रश्न मित्रता-शत्रुता का है ही नहीं। बिल जी के बिन्दु सभी खरे बैठते हैं। यदि अनुनाद जी मेरे सबसे घनिष्ठ मित्र भी होते (या हो जाएँ), मैं यही कहता की उन्हें प्रबन्धक नहीं होना चाहिए। लेखन शैली, नीति व व्यवस्था में रुचि, अपने से अलग विचारधाराओं के प्रति सम्मान, निष्पक्षता और अंतर्वैयक्तिक लहजा - इन सभी मापो पर कठिनाई है। आप देखें कि ऍच-ऍल जी अनथक रूप से श्रेणियाँ व अन्य साफ़-सफ़ाई में लगे रहते हैं। वास्तव में विकिव्यवस्था में उनका रुझाव कहीं अधिक है। मैं अब अनुनाद जी की हिन्दी विकि योगदान की सराहना करता हूँ। लेकिन वे वास्तव में ही इस पद के लिए ठीक नहीं हैं और हानि करेंगे। कल ही मैं बीजगणित के लेख को देख रहा था जिसमें इन्होने कई वर्षों पूर्व आरम्भिक भाग में एक श्लोक डाल दिया। यह शैली कक्षा में निबन्ध के लिए ठीक लेकिन ज्ञानकोश के लेखों के लिए अनुपयुक्त है। ऐसे कितने ही लेख हैं। हाँ, सच है कि इनकी लेखन-शैली में सुधार हो रहा है, लेकिन अभी अपर्याप्त है। इसमें कोई व्यक्तिगत भावना नहीं। हम सब यहाँ दो दिन के महमान हैं और पाठकों को हमारी आपसी बहसों में कतई दिलचस्पी नहीं। प्रबन्धक कोई आदर का पद नहीं और इसे बिलकुल भी सम्भान्तवर्ग की दृष्टि से न देखा जाए - यह एक कर्मचारी-पद है। मैं यह भी कहूँगा कि हम सभी सक्रीय सदस्यों को 'प्रतिष्ठित', 'आदरणीय', इत्यादि आदरसूचक शब्दों से सख़्त परहेज़ करना चाहिए। कोई विकि पर कैसे लेख बनाता है, श्रेणियाँ - अंतरभाषीय तालमेल - मुद्राधिकार - चित्र - सन्दर्भ - साँचे - लेखविभाग - अनुप्रेषण - नीतिलेख इत्यादि व्यवस्था-कार्यों पर कितना काम करता है - केवल यही बता सकते हैं कि प्रबन्धन के लिए कौन ठीक है। केवल यह सोचें कि कुछ अरसे में हम सब जा रहें हैं। आने वाले सम्पादकों-पाठकों को हम एक व्यक्तित्व-आधारित व्यवस्था धरोहर में दे रहे हैं कि नीति-आधारित? इन कारणों से, आपका तह-ए-दिल से सम्मान करते हुए और नत-मस्तक होकर आपके असीम योगदान को भी स्मरण करते हुए भी मैं अनुनाद जी को लघुकाल के लिए भी प्रबन्धक बनाने के प्रस्ताव के विरोध में हूँ। --Hunnjazal (वार्ता) 17:47, 31 जुलाई 2013 (UTC)[उत्तर दें]

इतनी अच्छी एवं भारी भाषा देखकर लगा कि मैं लखनऊ पहुंच गया हूं, वैसे मैं हूं भी लखनऊ का ही। पहले तो हुंजज़ल जी का अतीव धन्यवाद करते हुए कहूंगा कि इतना ऊपर मुझे न पहुंचाएं, फिर ये- कि यदि ३-६ माह की भी सहमति न बन पाये तो एक और विकल्प है कि ३ माह रुककर देख लिया जाये, शायद ** में, या उनके स्वभाव में, या उन गुण/दोषों में बदलाव आ जाये, जिनके कारण ये विवाद उठ खड़ा हुआ है, या विरोधी दल (दल को गुटबंदी कदापि न समझा जाये मात्र एक समूहवाचक संज्ञा के रूप में लें) के विचार में बदलाव आ जाये। तब इस बिन्दु पर पुनर्विचार कर लिया जा सके। इतने के साथ हम आगे बढ़ें.....हाँ कहने की आवश्यकता न समझते हुए भी फिर कहता हूं, कि मेरा पक्षपात का कोई विचार या मंशा नहीं है।
एक और बात पर कृपया ध्यान दें
जब भी कोई वार्त्ता या चर्चा काफ़ी लंबी खींच रही हो, तो कृपया एक निश्चित लंबाई (पाठ सामग्री) आ जाने के बाद इसके बीच में स्तर ४ या ५ का एक उपशीर्षक अवश्य डाल दें, जिससे उसमें संपादन करने हेतु पूरी वार्ता अनावश्यक न खोलनी पढ़े। शायद मेरी संवाद पद्धति में ये बात दिख पाये या किसी ने ध्यान दी हो। वैसे ये एक सुझाव है जो शयद सभी को लाभ दे- फिर भी अपनी अपनी शैली है, कोई नियम नहीं, कम से कम अभी तक तो नहीं बना।--आशीष भटनागरवार्ता 04:13, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
जब यह साफ हो चुका है कि बिल द्वारा गिनाए गए मुद्दे विकिपीडिया के प्रबन्धक बनने के लिए आवश्यक नहीं है, उसे फिर से आवश्यक बताना यह दर्शाता है कि हुन्ज्जजाल जी को विकी नीतियों की कितनी जानकारी है। बीजगणित लेख पर जो श्लोक लगा है वह अत्यन्त प्रासंगिक है। उसकी अनावश्यकता पर बीजगणित लेख के वार्ता पृष्ट पर कुछ लिखें तो सार्थक चर्चा हो सके। ऊपर हुन्न्जजाल जी ने जो कुछ लिखा है वह अनुनाद के बजाय अधिकांशतः हुन्न्जजाल जी का चरित्र-चित्रण लगता है। -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:08, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

नीति का तकाजा[संपादित करें]

आशीष जी का सुझाव अच्छा एवं विचारणीय है। दूसरी और मैं यह नहीं समझ पा रहा हूँ कि मात्र ३ माह में Hunnjazal जी और बिल जी को क्या समस्या है, जबकि उनके बताए निति-नियमों के अनुसार एक भी कारण ऐसा नहीं है जो अनुनाद जी का समर्थन करने से उन्हें रोक रहे हैं। मुझे आश्चर्य है कि दोनों लोग निति का हवाला तो दे रहे हैं लेकिन स्वयं निति को अपनाने से क्यों कतराते हैं। Hunnjazal जी शायद यह भूल रहे हैं कि सभी को अपना कार्य ही अच्छा लगता है। सब सोचते हैं कि मेरी लेखन शैली ही सबसे अच्छी है लेकिन ऐसा नहीं होता है, आपजे लेखों का मुल्यांकन अन्य लोग करते हैं। मैं यह मानता हूँ कि सन्दर्भ जोड़ने में अनुनाद जी ने थोड़ी कंजुसी जरूर की है लेकिन अन्य मामलों में मुझे अनुनाद जी और Hunnjazal जी के लेखों में कोई खास अन्तर नहीं दिखाई दिया।      साथ ही सिद्धार्थ जी गणना में मुझे कुछ त्रुटि लग रही है जो मेरा भ्रम भी हो सकता है, यदि वह मेरा भ्रम है तो मैं क्षमा चाहता हूँ लेकिन त्रुटि है तो कृपया उसमें सुधार करें। सिद्धार्थ जी ने किसका समर्थन किया है और कहाँ तटस्थ रहे हैं? गणना में आशीष जी गणना 10-0-1 से 100% समर्थन हो गया लेकिन अनुनाद जी के विषय में 5-4-1 को 50% लिखा है जबकि उपरोक्त गणना के अनुसार यह 55.56% (भले ही वह आवश्यक से कम हो लेकिन उसे और कम करके तो नहीं दिखाना चाहिए) बनता है।☆★संजीव कुमार (बातें) 05:09, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

संजीव जी, अगर किसी को अस्थायी प्रबंधक अधिकार देना है तो उसके लिए अलग अनुभाग में प्रस्ताव रखें। और आपने यह निष्कर्ष स्वयं कहाँ से निकाल लिया कि मैं अनुनाद जी के अस्थायी प्रबंधक बनने का विरोधी हूँ? आपने जो प्रस्ताव रखा था उसके अनुसार मैने समर्थन या विरोध दर्ज किया था। साथ ही विरोध करने वाले सदस्यों में हुन्नजज़ल जी और मेरे आलावा ऍचऍल जी और सिद्धार्थ भी हैं। आपने यह किस आधार पर कहा कि मुझे कोई "समस्या है"? कौन सी निति नहीं अपनाई जा रही? सर्वप्रथम, आपने निति को गलत रूप से समझा है, वहाँ लिखा है: "किसी प्रबन्धक द्वारा स्वयं को इस पद से निवृति हेतु आवेदन करने पर पुनः सक्रिय होने पर फिर से प्रबन्धक पद दिया जा सकता है"। आप मुझे यह बताएँ कि कब अनुनाद जी ने कब "स्वयं को इस पद से निवृति हेतु आवेदन" दिया था? 5000 संपादन वाला मापदण्ड उन पूर्व प्रबंधकों पर लागू होता है जो स्वयं निवृत्त हुए थे। निति को बिना समझे किसी पर आरोप लगाना आपको सोभा नहीं देता।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 06:01, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
बिल जी, आपकी यह बात भी ठीक है। आपने पहले (नामांकन करते ही) बता दी होती तो शायद इतनी लम्बी-चौड़ी बहस से बच जाते।☆★संजीव कुमार (बातें) 06:15, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी, मैने यह नहीं सोचा था कि इस चर्चा का यह हाल होने वाला है। मैं इसलिए चुप था क्योंकि मैं यह नहीं चाहता था कि आपके द्वारा शुरू की गई चर्चा पर एकदम से विराम लगा दिया जाए। मैं इस चर्चा से कुछ अच्छे परिणाम (सिद्धार्थ और आशीष जी को प्रबंधक पद पुनः मिलना) की आशा भी रख रहा था जो अब पूरा हो चुका है।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 06:32, 2 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
लेकिन बिल जी यहाँ एक और समस्या आती है कि आशीष जी को किस नीति के तहत हटाया गया। नीति में कम से कम ६ माह के लिए सुसुप्त रहना आवश्यक है लेकिन उनकी कुल संपादन संख्या १५,००० से कम भी नहीं है। और वो बहुत लम्बे समय के लिए दूर भी नहीं रहे। उनकी सेवानिवृति के लिए कोई चर्चा भी नहीं हुई। आखिर कब और कैसे हुआ? किसने किया?☆★संजीव कुमार (बातें) 06:33, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी, आशीष जी को स्टीवर्ड की गलती के कारण हटाया गया था। वहाँ एक स्टीवर्ड ने इस गलतफ़हमी के साथ कि आशीष जी को अस्थायी रूप से प्रबंधक बनाया गया है उनके अधिकार वापस ले लिए थे।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 06:38, 2 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
क्या समस्या है? स्पष्ट है। अनुनाद जी प्रबन्धक-पद के लिये उचित नहीं हैं। न ३ मास के लिये और न स्थाई रूप से। उनके लेख अच्छे स्तर के नहीं हैं। यह केवल सन्दर्भ की बात नहीं है। उद्दालक#आरुणि के विचार में 'आरुणि के अध्यात्म विचारों का विस्तृत विवेचन छांदोग्य तथा बृहदारण्यक उपनिषदों में बड़े रोचक ढंग से किया गया है'। रोचक ढंग से? ऐसी भाषा ज्ञानकोश में क्या कर रही है? यह स्पष्ट Puffery का उदाहरण है। वीयर नदी में न चित्र है, न सन्दर्भ, न ज्ञानसन्दूक, न इसके लिये उचित श्रेणी बनाई और न ही उपलब्ध श्रेणियाँ प्रयोग की। 'सुन्दरलैण्ड' में लिप्यंतरण भी ग़लत किया। मुझमें भी हज़ार दोष हैं लेकिन इस हद तक नहीं। उनके बनाए लेखों का एक बड़ा प्रतिशत अंग्रेज़ी (और कई अन्य मुख्य भाषाओं की) विकि पर नहीं चल पाता। यह मेरा व्यक्तिगत आंकन है, लेकिन तथ्यों पर आधारित है, भावनाओं पर बिलकुल नहीं। मैं भी सन्दर्भ नहीं डालता था लेकिन रावत जी की डांट खाकर सुधर गया। अब मेरे लेखों में अक्सर अंग्रेज़ी विकि से अच्छे स्रोत होत हैं। --Hunnjazal (वार्ता) 07:07, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
'रोचक ढंग से? ऐसी भाषा ज्ञानकोश में क्या कर रही है?' प्रबंधक हुन्न्जज़ल जी ने एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न किया है। कृपया वे सन्नी लियोन पृष्ठ पर (वहां उन्होंने ११ की उम्र में पहली बार चुम्बन लिया व अपनी कौमार्य १६ की आयु में एक बास्केटबॉल खिलाडी से तुडवाई और १८ की उम्र में उन्हें ज्ञान हुआ की वह समलैंगिक है।) इस वाक्य का संज्ञान लें। ऐसी भाषा भी ज्ञानकोष में क्या कर रही है? संज्ञान इसलिए भी लें क्योंकि इस लेख का आरंभ और निरंतर संपादन एक नीतिकुशल और श्रेष्ठ प्रबंधक/संपादक द्वारा किया गया है। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 17:00, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अजीत जी, बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने ऐसा उदाहरण यहाँ प्रस्तुत किया। यहाँ पर यह कथन आशु जी ने 9 फ़रवरी 2012 को 19:38 बजे‎ जोड़ा था। लेकिन इस सम्पादन के बाद प्रबंधक बिल जी और पुनरीक्षक एच॰एल॰ जी जाँच चुके हैं। इसका उत्तर शायद बिल जी, एच॰एल॰ जी और Hunnjazal जी देना पसंद करेंगे।☆★संजीव कुमार (बातें) 17:17, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अजीत जी, मुझे आशा है कि आपने यह निष्कर्ष नहीं निकाला होगा कि सन्नी लियोन लेख में यह वाक्य, जो आपने ऊपर लिखा है, मेरे द्वारा नहीं लिखा गया है। प्रमाणिकता के लिए कृपया पृष्ठ का इतिहास देखें। जिस विषय की आप बात कर रहे हैं उसके कई विकि परियोजनाओं पर लेख हैं इसका अर्थ यह निकलता है कि वह एक उल्लेखनीय विषय है। अगर आपको कोई विषय अच्छा नहीं लगता तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह विषय ज्ञानकोषीय ही नहीं है, विकिपीडिया अपनी सामग्री दिखाने के लिए स्वतंत्र है जब तक वह सामग्री उल्लेखनीय और ज्ञानकोषीय है। अगर मैं ऐसे लेख बनाता या संपादन करता हूँ इसका अर्थ यह नहीं है कि मेरा इन विषयों से कोई विशेष लगाव है, मैने इन लेखों का विकास इसलिए किया था क्योंकि हिन्दी विकि पर कोई इस तरफ़ ध्यान नहीं दे रहा था। दुनिया की यह भी एक हकीकत है और इसे छिपाने से हम असलियत बदल नहीं सकते। मेरे उत्तर को कृपया अन्यथा ना लें।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 17:20, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
बिल जी, मैंने उक्त उदाहरण केवल वाक्य विन्यास, शैली और उपयुक्त शब्दों के प्रयोग का संज्ञान लेने के लिए दिया था। आपके लेख की ज्ञानकोषीयता पर सवाल नहीं उठा रहा। अगर कुछ विषयों से आपका लगाव हो भी तो इसमें मुझे क्या आपत्ति हो सकती है। सवाल केवल छिद्रान्वेषण का है जिसकी ओर मैंने इशारा किया था। मैं भी आशा करता हूँ कि आप व्यक्तिगत नहीं लेंगे और संतोषजनक उत्तर देंगे। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 17:38, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी, यह लेख लम्बित संपादन से सुरक्षित नहीं है इसलिए आप किस प्रकार की जाँच की बात कर रहे हैं यह कह पाना मुश्किल है। अगर आप यह सोच रहे हैं कि मेरे द्वारा लेख से बर्बता पूर्ववत करने और श्रेणियाँ हटाने-लगाने का अर्थ लेख को जाँचना है तो आप गलत निष्कर्ष निकाल रहे हैं। मैने इस लेख को अपने शुरुआती संपादनों के पश्चात कभी नहीं पढ़ा है और मैं अपने द्वारा बनाए किसी लेख का स्वामी भी नहीं हूँ कि उसकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर पड़े। मैने तो अजीत जी द्वारा लिखे जाने पर यह वाक्य पढ़ा है। अगर उन्हें यह अनुचित लगा था तो उन्हें आशू जी से यह बात करनी चाहिए।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 17:29, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
हुन्जाल जी, आप द्वारा बीजगणित का उदाहरण जब काम नहीं आया तो 'रोचक ढंग से' पर आ गए। आपको हिन्दी और अंग्रेजी विकि पर 'रोचक ढंग से' और उसी के तुल्य वाक्यांश अनगिनत मिल जाएँगे। क्या आप बता सकते हैं कि कहाँ असंदिग्ध शब्दों में लिखा है कि 'रोचक ढंग से' का विकि पर प्रयोग गलत है। 'सुन्दरलैण्ड' की वर्तनी १००% त्रुटिविहीन है। आप नहीं जानते कि विकिपीडिया एक 'सहयोगात्मक कार्य' है। इसमें एक अनुच्छेद कोई लिखता है, दूसरा कोई और। चित्र कोई और लगाता है, चित्र का नाम कोई और लिख/सुधार सकता है। यह विकी की कमी नहीं शक्ति है। मैं इस शक्ति को भलीभाँति जानता हूँ और इसका सदुपयोग करके हिन्दी विकी को रोज नई ऊँचाई प्रदान करता हूँ। आपके बनाए गए लेखों में हजारों दोष निकाले गए हैं जिस पर आप भड़क जाते हैं और अपने पद का दुरूपयोग करने लगते हैं। (कृपया कुछ गलत लिख दिया हो तो चेतावनी मत दीजिएगा।)
Hunnjazal जी सन्दर्भ के विषय में मैं भी यह ही कहुँगा कि अनुनाद जी को सन्दर्भों की संख्या बढ़ानी चाहिए क्योंकि उससे लेख की विश्वनीयता बढ़ती है। आपके लेख मैंने देखे हैं आप सन्दर्भ डालते हैं यह मुझे अच्छा भी लगा। मैं यह नहीं जानता आपने ये कब और क्यों आरम्भ किये। श्रेणी के सम्बंध में मुझे अधिक ज्ञान नहीं है लेकिन पिछले दिनों मैंने देखा कि आपने एक श्रेणी को हटाकर दूसरे नाम से स्थापित किया था। वह श्रेणी मुझे याद नहीं है लेकिन शायद आपको याद हो उसमें आपने "नगर" को हटाकर "शहर" कर दिया था। अब आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि 'शहर' और 'नगर' आम-बोलचाल में समान रूप से काम में लिये जाते हैं। समाचार पत्रों में 'नगर' अधिक काम में लिया जाता है और सामान्य अध्ययन की पुस्तकों में केवल नगर शब्द काम में लिया जाता है। अब वहाँ किस ज्ञानकोष का कार्य आपने किया मुझे समझ में नहीं आया। अब बात अनुनाद जी के पृष्ठ वीयर नदी की करते हैं, आपके लेखों से प्रेरणा लेकर मैं इस पृष्ठ को नदी नामक पृष्ठ् पर अनुप्रेषित कर सकता हूँ। क्या वह ठीक होगा? वर्तमान पृष्ठ को विस्तारित किया जा सकता है लेकिन दूसरी अवस्था तो दिग्भ्रमित करने वाली है। आप के लेखों में मैंने बहुत जगह देखा है कि एक ही शब्द के चार बहुवचन बनाकर उन्हे एक पृष्ठ पर अनुप्रेषित कर देना। यह कार्य आप केवल इसलिए करते हो क्योंकि इसमें आपको अन्य पृष्ठों में लिंक देने के लिए [[शुद्धा नाम|वाक्य अनुसार शब्द रूप]] काम में न लेना पड़े। अज्ञानकोषिय के लिए यदि मैं कहूँ कि एक पृष्ठ दरकोट दर्रा में एक वाक्य लिखा है - "१० मील पश्चिमोत्तर में चिल्मराबाद गाँव है जो बरोग़िल दर्रे से सिर्फ़ १ मील दक्षिण में पड़ता है।" यहाँ मुझे ये बताओ ये 'पड़ता है' क्या है? गाँव पड़ रहा है अथवा दर्रा? गाँव वहाँ स्थित है। इस भाषा को हिन्दी नहीं बल्कि टपोरी/मुम्बईया कहते हैं। इसी लेख में विवरण अनुभाग में कोई सन्दर्भ भी नहीं दिया गया है। हाँ आप मेरे पृष्ठों में बहुत गलतियाँ दिखा सकते हो लेकिन मैं ना तो प्रबंधक हूँ और न ही अभी अपने-आप को इसके लायक मानता हूँ।☆★संजीव कुमार (बातें) 07:45, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी, आपको याद होगा कि जुन्ज्जजाल और बिल जी के लेखों और उनके विकिनीतियों के ज्ञान के निम्न स्तर का आये दिन कोई न कोई सोदाहरण प्रदर्शन किया जाता है। आज ही कितनी बार हो गया, जरा गिन लीजिए। हुन्न्जजाल जी 'सदस्यगण' के प्रयोग को लेकर उद्विग्न हो जाते हैं। (ऊपर देखें)। किसी चर्चा में सभी सदस्यों को सम्बोधित करने के लिए 'सदस्यगण' से अधिक यथेष्ट शब्द हो तो कोई मुझे बताए। -- अनुनाद सिंहवार्ता 08:20, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
मुझे भी आशीष जी का सुझाव सारगर्भित लगा । कहा गया है, कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संसाधनों के आधार पर उचित निर्णय लेने वाले प्रबंधकीय दायित्व के निर्वाह में सक्षम होते हैं । प्रबन्धक को सदैव तटस्थ रहना चाहिए और तटस्थता के साथ अपने वक्तव्य को सार्वजनिक करना चाहिए । प्रबन्धक कभी स्वयं की बात नहीं करता समूह के हितों की बात करता है । मेरी नज़रों में नि:संदेह बिल जी एक कुशल प्रबन्धक हैं । उन्हें इन सभी मामलो में निर्णायक की भूमिका निभानी चाहिए । क्षमा याचना के साथ कहना चाहूंगी कि वक्तव्य के मामले में यहाँ पर हुन्न्जजाल जी थोड़ा सा उद्विग्न दिख रहे हैं । समस्त टिप्पणियों को बाँचने के बाद मुझे जो महसूस हो रहा है वह यह है, कि निति का हवाला तो सभी दे रहे हैं लेकिन स्वयं निति को अपनाने से सभी के सभी कतरा रहे हैं । मैं नहीं समझ पा रही कि आखिर मजरा क्या है ?

इसमें कोई संदेह नहीं कि आशीष जी और सिददार्थ जी प्रबन्धक पद के लिए सर्वाधिक योग्य हैं , उन्हें प्रबन्धक बनाए जाने पर कोई असहमति भी नहीं दिख रही लेकिन मेरा मानना है कि अनुनाद जी के अबतक के योगदान को देखते हुये उनके नाम पर भी विचार किया जाना चाहिए । यह मेरा व्यक्तिगत मत है । Mala chaubey (वार्ता) 09:25, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

उत्तर (और इन बातो पर चर्चा करने का अवसर बनाने के लिये धन्यवाद):
  • शहर और नगर का अर्थ एक ही है और दोनो प्रचलित हैं। अक्सर मैने देखा है कि एक ही देश के नगरों की दो श्रेणियाँ बनी हुई हैं। ऐसे में जिसमें अधिक लेख हों उसमें विलय करके दूसरी हटा दी जाती है। इसमें आप ऍचऍल जी को भी सक्रीय पाएँगे। कभी-कभी आयोजन अगर किसी बड़ी श्रेणी में हो रहा हो तो उपश्रेणियों का नाम बराबरी लाने के लिये भी बदला जाता है। यह हर भाषा में है - हिन्दी इसमें विशेष नहीं। कृप्या इस कार्य में हाथ बटाएँ।
  • 'गाँव पड़ता है' न केवल टपोरी नहीं है, बल्कि इस प्रयोग को साहित्यिक कहा जाएगा: गोपीनाथ महान्ति और फणीश्वर नाथ 'रेणु' के उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन, भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद की 'गगनांचल' प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ की 'ज्ञानोदय' पत्रिका, दिनमान, कठोपनिषद प्रवचन भाग-२। ऐसी हज़ारों मिसालें हैं। आपके अनुसार स्वामी अखण्डानंद सरस्वति अपने 'कठोपनिषद प्रवचन' में बम्बईया लिख रहें हैं? (व्यंग्य कर रहा हूँ, ताना नहीं कस रहा) रामधारी सिंह दिनकर अपनी व्यक्तिगत निबंध और डायरी में १४ जुलाई १९६२ की तिथि में लिखते हैं कि 'रास्ते में प्रफुल्लचन्द्र ओझा मुक्त का घर पड़ता है'। यह कहना उचित होगा कि यह 'गाँव पड़ता है' वाला प्रयोग इतना शुद्ध और हिन्दी-परम्परानिष्ठ है कि इसका टपोरी में पाए जाने का प्रश्न ही नहीं उठता। नि:संदेह १९६२ के दिनकर टपोरी लेखक तो नहीं थे।
  • अनुप्रेषण बहुत आवश्यक हैं - यह वास्तव में एक नीति है: en:Wikipedia:Redirect#Purposes of redirects और इसमें बहुवचन को विशेष रूप से सम्मिलित किया गया है। हिन्दी विकिपीडिया में एक बहुत बड़ी कमी पर्याप्त अनुप्रेषण का न होना है। विकि कि खोज व्यवस्था में विशेष प्रबन्ध है कि वह लेखों के नामों को अनुप्रेषणों से ऊपर का दर्जा देती है। कृप्या आप भी अनुप्रेषण बनाएँ। जब भी कोई लेख बनाए, उसके लिये सोचकर जितने अनुप्रेषण ठीक लगें बनाएँ। मैं अपने आप को अनुशासित करने के लिये एक लेख बनाकर दूसरा लेख प्राकृतिक शैली में लिखता हूँ और फिर श्रम करके अनुप्रेषण बनाता हूँ। अन्य टैब में सम्बन्धित लेख खुला होता है लेकिन अपने-आप को उस ओर झांकने की अनुमति नहीं देता। हिन्दी में लेखों में लाल जोड़ बिखरे होने का एक बड़ा कारण यही है। इस मामले में टूटी खिड़कियों का सिद्धांत चलता है - जो जगह अव्यवस्थित लगे वहाँ लोग व्यवस्था लाने का प्रयत्न भी कम करते हैं। अंग्रेज़ी में Indea और India's देखें, दोनों India जाते हैं। यह बहुत बड़ी चीज़ है क्योंकि इस से अंग्रेज़ी में लेख लिखने वाले के लिये जोड़युक्त लेख लिखना हिन्दी-लेखक से अधिक आसान हो जाता है। कृप्या इसमें भी हाथ बटाएँ।

ऊपरलिखित कुछ भी भावुकता से नहीं कहा गया। व्यक्तिगत स्तर पर मुझे अनुनाद जी की कही कोई बात रत्ती-भर भी बुरी नहीं लगती। नीति के दायरे में रहकर वह जो बोलें-करें पूर्णत: स्वीकार है। लेकिन प्रबन्ध के लिए वे वर्तमान में सर्वथा अनुपयुक्त हैं। धन्यवाद। --Hunnjazal (वार्ता) 09:56, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

निष्पक्ष और सारगृभित विचारों के लिए मैं माला जी का शुक्रगुजार हूँ। Hunnjazal जी आप एक तो बीच-बीच में एचएल जी को इस तरह ला रहे हो जैसे उत्तर प्रदेश में पटवारी अपने पुत्र को पटवारी पद के लिए प्रस्तुत करते थे। इसमें मुझे कोई ऐतराज नहीं है कि आप सेवानिवृति चाहो और एचएल जी वहाँ प्रबंधक बन जायें। शहर और नगर दोनों सही शब्द हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप उसे उपयुक्त से अनुपयुक्त की ओर ले जायें। मुझे इसमें कोई ऐतराज नहीं है कि आप शहर को रखो और नगर को हटा दो लेकिन सार्थकता देखोगे तो पाओगे की नगर अधिक उपयुक्त शब्द है। यदि बात अधिक पृष्ठों की थी तो आप यह कार्य मुझे सौंप देते शायद मैं भी थोड़ी सहायता कर देता। (आपने मुझे "सर्वतत्व सिद्धांत" नामक पृष्ठ को सुधारने को कहा था लेकिन उसके लिए अभी हिन्दी विकी पर पर्याप्त लेख नहीं हैं अतः मैं उसमें सुधार नहीं कर पाया। लेकिन भविष्य में जरूर करुंगा।) अनुप्रेषित के बारे में यह चर्चा की जगह नहीं है। कुछ दिनों पूर्व मैंने चौपाल पर इस बारे में जानकारी माँगी थी। क्या प्रबंधकों का दायित्व नहीं बनता कि वो एक सामान्य सम्पादक कि ऐसे गम्भीर विषयों पर सहायता करें। वहाँ क्या अनुनाद जी और सिद्धार्थ जी ही जबाब दे सकते थे। बिल जी ने तो फिर भी ये कह दिया कि वो सिद्धार्थ जी के मत से सहमत थे लेकिन आपने क्या किया? क्या यहाँ १००-२०० प्रबंधक थे कि २० ने जबाब दे दिया मेरे जबाब की क्या जरूरत है! जब विकी के विकास की बात होती है तो आप तुष्टीकरण की नीति अपनाते हो और जब कोई सदस्य विकी उपकरणों के विषय में अथवा कोई जानकारी चाहे तो तो चुप रहो और जब जानकारी देने वाले को अधिकार देने की बात की जाये तो सामने आकर खड़े हो जाओ। क्या प्रबंधक का केवल यह ही दायित्व है? बिल जी कुछ दिन के लिए छुटी पर हों तो अपना मुखपृष्ठ अद्यतन रहित रहेगा! प्रत्येक विषय के लिए सदस्य आपसे अनुरोध करें यह आपका दायित्व है? मार्च के महिने से जब से मैं सक्रिय हुआ हूँ उससे पूर्व मुझे पता ही नहीं था विकी पर प्रबंधक क्या होता है? लेकिन जब इस बात का पता चला तो मुझे यह ज्ञान नहीं था कि आप भी प्रबंधक हैं। मुझे तो बिल जी ने मेरे वार्ता पृष्ठ पर बताया था कि आप प्रबंधक हैं अन्यथा आप स्वयं ही बतायें आपने ऐसा कौनसा अच्छा कार्य किया है जो एक प्रबंधक को करना चाहिए? आप से मेरा निवेदन है कि अपने ये ही विचार चौपाल पर कॉपी कर दें वहाँ मैं इनका जबाब दुंगा।
अब आपने जो बात "गोपीनाथ महान्ति और फणीश्वर नाथ 'रेणु' के उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन, भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद की 'गगनांचल' प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ की 'ज्ञानोदय' पत्रिका, दिनमान, कठोपनिषद प्रवचन भाग-२" के विषय में कही है उसका उत्तर देता हूँ। आप को याद होगा अथवा उपर पढ़ सकते हो "रोचक" शब्द के विषय में आपने टिप्पणी की थी। क्या वह हिन्दी का शब्द नहीं है? मैंने ये नहीं कहा कि "पड़ता" हिन्दी का शब्द नहीं है। लेकिन आपने जिस तरह से उसका उपयोग किया है वह टपोरी लगता है। आम बोलचाल में मैं मुम्बई में किसी से पुछता हूँ तो यहाँ कहते हैं "आगे एक चर्च गिरेगा, वहाँ से राईट मारने का, थोड़ा आगे चलेगा तो फलाँ कॉलोनि पड़ेगी आदि-आदि।" लेकिन हिन्दी में मैंने आज तक गाँवो की स्थिति के लिए पड़ेगा शब्द नहीं देखा। "रोचक" शब्द बहुत देखा है।
मेरी उपरोक्त पंक्तियाँ गलत अर्थ लेने पर व्यक्तिगत आक्षेप की श्रेणी में आती हैं जो मैंने अनजाने में नहीं लिखी। अर्थात सब जानबुझकर लिखी हैं लेकिन यदि किसी को उनके स्वयं के बारे में अथवा स्वयं के लेखों के बारे में पुछा जाये तो और किस तरह की भाषा काम में ली जानी चाहिए मैं नहीं जानता। अतः यदि Hunnjazal ही नहीं किसी अन्य सदस्य को भी ये पंक्तियाँ बुरी लगें तो मैं क्षमा चाहता हूँ।☆★संजीव कुमार (बातें) 12:38, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी, आप भाषा-स्तर बदल रहें हैं। मुझे वैसे इसमें कोई कठिनाई नहीं है लेकिन यह करने से पहले एक बार चिंतन कर लें तो अच्छा हो। ख़ैर, उत्तर देखिए, क्योंकि पहली बात को छोड़कर अन्य सभी बातें नीति-सम्बन्धित हैं और उन्हें समझना ज़रूरी है:
  • 'गाँव पड़ता है' वाली आपकी धारणा ठीक नहीं है। मैं दिनकर और स्वामी अखण्डानंद के साथ खड़ा हूँ और आप उन्हें टपोरी लेखक बुला रहें हैं। बम्बईया एक पिजिन बोली है जिसमें भारी सरलीकरण है। इसमें इस प्रकार के वाक्यांश नहीं आते। आपको यह एक ग़लत धारणा लगती है कि पिजिन किसी भी रुप में 'बिगड़ी' भाषा होती है। भाषावैज्ञानिक दृष्टि से यह ठीक नहीं है। 'गाँव पड़ना' एक मुहावरायुक्त वाक्यांश है और यह पिजिन में साधारणत: नहीं आएगा। उसी तरह 'यहाँ से सड़क निकलती है' नहीं आएगा। इनके आम सरलीकरण हैं: 'याँ नदी होएँगी' और 'गाँव होएँगा'। अन्य पिजिनों की तरह इसमें भी कई क्रियाओं की जगह एक ही सरल क्रिया से काम चलाया जाता है। सम्भव है कि आप हिन्दी साहित्य कम पढ़ते हैं और ऐसे वाक्यांशों से अवगत नहीं हैं, इसलिए अब मैं इस बात को जाने दूँगा (हालांकि आगे चर्चा को भी तैयार हूँ)। विकि पर हर स्तर के योगदानकर्ता का स्वागत है।
  • शहर का प्रयोग हिन्दी में बहुत प्रचलित है। यह हिन्दी में इसलिए भी बैठ गया है क्योंकि इसके संस्कृत-सम्बन्ध गहरे हैं। यह कम-से-कम ८००० वर्षों से हमारे पूर्वजों द्वारा प्रयोग होने वाला आदिम हिन्द-ईरानी का शब्द है और अलग-अलग रूपों में इस पूरे विस्तृत भाषा परिवार में कई शब्द प्रदान करता है। 'क्षेत्र', 'शहर', 'खेत', 'क्षत्रीय', 'सात्राप' - सभी एक ही जड़ के रूप हैं। लेकिन यह बिना बात की बहस है। आपको नगर पसंद है तो बिना यहाँ चर्चा करे सभी श्रेणियाँ बदल दें (लेकिन अधूरा काम न छोड़े - ज़िम्मा लें तो ठीक से करें)। विकिपीडिया:लेखन शैली के अंतर्गत 'लेख रोजमर्रा की सामान्य हिन्दी अर्थात खड़ीबोली (हिन्दुस्तानी अथवा हिन्दी-उर्दू) में लिखे जाने चाहिये'। दैनिक हिन्दी प्रयोग में 'शहर' बिलकुल प्रचलित है इसलिए इसपर आपत्ति जतलाना नीति-विरुद्ध है। अगर मैं कहूँ कि मुझे 'है' शब्द नहीं पसंद और कोई इसका अब प्रयोग न करें तो यह मेरा मत ही हो सकता है, नीति के तो विरुद्ध ही है। यह नीति २०१० से लागू है।
  • 'रोचक' वाली बात आपको शायद समझ ही नहीं आई। इस शब्द से कोई आपत्ति नहीं है। यहाँ इसके इस वाक्य में अतिशयोक्ति-प्रयोग पर आपत्ति है। न्यू यॉर्क के 11 सितम्बर 2001 के हमले में आप उसे 'भयानक हमला' नहीं कह सकते। यहाँ सवाल 'भयानक' शब्द के हिन्दी में सही-ग़लत होने का नहीं है। यह भावना प्रकट करने वाली Puffery है, जो कि ज्ञानकोश में वर्जित है। अगर हम आपेक्षिकता सिद्धांत का लेख लिख रहें हैं तो उसमें यह नहीं कह सकते कि 'यह एक रोमांचक सिद्धांत' है। हाँ अगर आप कोई निबन्ध लिख रहें हैं तो जो जी में आए कहिए। अनुनाद जी ने अक्सर अपने लेखों को इस प्रकार के शब्द व सामग्री डालने का स्थान बनाया है। लेकिन विकिपीडीया अपनी निजी अभिव्यक्ति का स्थान नहीं है।
  • यही 'निजी अभिव्यक्ति' वाली बात अनुनाद जी की सबसे बड़ी समस्या है। चाहे उनकी विचारधारा हो, चाहे पसंदीदा शब्द हों, चाहे उनके विचारों की धारा हो - बेझिझक अपने लेखों में डालते थे (अब सुधर रहें हैं - जो सराहनीय है)। हम यहाँ एक प्रमाणित स्रोतों पर टिका हुआ, जहाँ तक सम्भव हो साधारण दैनिक हिन्दी भाषा में लिखा, निष्पक्ष ज्ञानकोश बना रहें हैं। बस। और कुछ नहीं। यह अपने देशप्रेम, भाषाप्रेम, जातिप्रेम, अन्य भावनाओं को लेखों में प्रदर्शित करने का कोई स्थान नहीं है। सभी की तरह मेरी भी कुछ भावनाएँ हैं। अगर आप देखें कि अक्साई चिन श्रेणी में जितने भी लेख मैने बनाए हैं तो शायद समझ सकें की इन विषयों में मुझे इतनी रुचि क्यों होगी। चाणक्य धारावाहिक से प्रभावित होकर मैने निश्चय लिया कि इतिहास में जिन-जिन क्षेत्रों से भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण हुए हैं उनका विस्तृत और सरल हिन्दी में बखान करूँगा ताकि वह महज़ एक अन्धकारमय क्षेत्र न होकर सभी हिन्दीभाषियों के लिये स्पष्टता से समझ आने वाला क्षेत्र बन जाए। जापान एक सम्पन्न एशियाई शक्ति बन सका इसलिए प्रेरित होकर मैने मेइजी पुनर्स्थापन का लेख बनाया। भारत-विभाजन के बाद उपमहाद्वीप के कई क्षेत्र एक प्रकार से भारतीय मानसिकता से ग़ायब ही हो गए। ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा का लक्की मरवत ज़िला लुक्को राम के नाम से बना था, अज़रबेजान की बाकू आतेशगाह एक हिन्दू मंदिर थी, टिल्ला जोगियाँ नमक कोह शृंखला में स्थित बाबा गोरखनाथ का डेरा था, तारिम द्रोणी के कूचा राज्य की लिखाई भारतीय लिपि पर आधारित थी, पाकिस्तान जिसे नीलम नदी कहता है उसका वास्तविक नाम किशनगंगा नदी है, मुहम्मद बिन क़ासिम जिस समय बलोचिस्तान के मकरान तट से होकर सिन्ध में देबल पहुँचा उस समय उसकी गृहभूमि ताइफ़ के लोगों को पारम्परिक अरबी धर्म की अल-लात नामक चंद्रदेवी का पूजन छोड़े हुए मुश्किल से ८० वर्ष ही हुए थे, और आज भी देबल के पास स्थित मनोड़ा प्रायद्वीप पर वरुणदेव का मंदिर खड़ा है - यह सभी तथ्य हिन्दीभाषियों को सरलतम भाषा में और प्रमाणित व विश्वसनीय सन्दर्भों सहित ज्ञात होने चाहिए। लेकिन मैं लेखों में अपनी निजी भावनाएँ कभी नहीं डालता। केवल रोज़मर्रा की हिन्दी बोली में संतुलित तथ्य प्रस्तुत करता हूँ। वास्तविक जीवन में अनुनाद जी की और मेरी भावनाएँ लगभग ९९% विषयों पर एक ही होंगी, हालांकि रुझाव थोड़े भिन्न ज़रूर हैं। लेकिन वह सम्भवत: किसी समाचारपत्र में अपना कॉलम चलाते या कोई सामाजिक अभियान चलाते हुए ख़ुश होते और मैं केवल एक ज्ञानकोश ही बनाना चाहता हूँ। शायद पूर्ण जीवन में वह मुझसे महान और प्रभावशाली होंगे, लेकिन विकिपीडिया पर इस समय नहीं हैं - वह इतने भावुक हैं कि नीति से उनका क्या लाभ होगा, यह भी समझने में इस समय असमर्थ हैं। प्रबन्धक बनने से पहले उन्हें इस बात का आभास होना बहुत आवश्यक है।
मैं अपनी भावनाएँ नियंत्रण में रखता हूँ और विकि पर उन्हें आसानी से दर्शाता नहीं। अनुनाद जी इसके विपरीत हैं। न नीति से परिचित हैं और न उसे सीखने में कोई रुचि रखते हैं। रख-रखाव के कामों में भी उनकी रुचि कम है। प्रबन्धक के लिए वे बिलकुल ठीक नहीं। यह भावुक होकर नहीं कह रहा। --Hunnjazal (वार्ता) 19:35, 1 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
Hunnjazal जी मुझे लगता है यहाँ हम (आप भी, मैं भी और कुछ अन्य सदस्य भी) इतने भटक गये हैं कि अपने आप को महान दिखाने अथवा दूसरे को नीचा दिखाने के लिए तुल चुके हैं। मैं आज अथवा कल में चौपाल पर एक उपपृष्ठ (अनुभाग नहीं) बनाकर इसके आगे की चर्चा करना चाहुँगा। आपकी नीति संबंधी बातों में मुझे कोई ऐतराज नहीं है लेकिन उसके उपयोग में कौन क्या कर रहा है वो सब ठीक नहीं लग रहा। यदि आपकी सहमति हो तो मुझे बतायें। मैं चौपाल पर ([[विकिपीडिया:चौपाल/नीति का तकाजा]]) अथवा किसी नाम से चर्चा आरम्भ कर दुंगा। वहाँ ये सब बातें भी लिख दुंगा जो हमने उपर कही हैं। हम जितनी लम्बी चर्चा चाहेंगे उतनी लम्बी हो जायेगी। शायद एक दूसरे की गलतफहमियाँ दूर हो जायेंगी। मैं आपके प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देना पसंद करुँगा।☆★संजीव कुमार (बातें) 06:39, 2 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

सिद्धार्थ घई जी का नामांकन सफल कैसे?[संपादित करें]

बिल जी, आप द्वारा सिद्धार्थ घई जी को प्रबन्धक घोषित करना सर्वथा नियमविरुद्ध है। उन्होने अपने नामांकन पर अब तक सहमति नहीं दी है। अत: उनका नामांकन ही रद्द किया जाय।-- अनुनाद सिंहवार्ता 07:04, 3 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

क्षमा करें, लगता है मैं यह लिखना भूल गया था। मुझे प्रबंधक नामांकन एवं अधिकार स्वीकार हैं। जहाँ तक रही मेरे स्वीकरण के यहाँ लिखे जाने से पहले मुझे अधिकार मिलने की बात, तो यह नीतिसंगत है या नहीं, मेरे अधिकार रहने चाहियें या नहीं, इसपर मेरा टिप्पणी करना उचित नहीं है। अन्य सदस्य इसपर चर्चा करने के लिए मुक्त हैं।--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 11:16, 3 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
मेरा अनुमान है सिद्धार्थ जी को प्रबंधक पद पर रहना चाहिए और आगे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा न हो। यहाँ प्रबंधक अधिकार जिन्होंने दिया उनका भी दायित्व बनता है कि वो प्रबंधक अधिकार देने से पूर्व इस बात की जाँच करते कि सम्बंधित सदस्य ने अपनी सहमति दी भी है अथवा नहीं। सिद्धार्थ आपसे आशा की जाती है कि आप अपना ये दायित्व पुरी ईमानदारी से सब पहलुओं को ध्यान में रखते हुए निभावो। नीचे के अनुभाग में एचएल जी के कठपुतली होने पर चर्चा चल रही है उस पर भी आपको प्रबंधक होने के नाते सभी पूर्व मामलों को ध्यान में रखते हुए कम से कम अपना वक्तव्य प्रस्तुत करना चाहिए। यहाँ यदि कोई अन्य सदस्य अपना प्रस्ताव रखे उससे पूर्व मैं यह स्पष्ट कर देना चाहुँगा कि यहाँ नामांकन करने के तुरन्त बाद मैंने उन्हें उनके वार्ता पृष्ठ पर सूचित किया था जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने अंग्रेज़ी भाषा में बिल जी से कुछ बातचीत की थी, बिल जी ने भी अपना उत्तर अंग्रेज़ी में दिया था (मैं यह बातचीत नहीं लिख रहा क्योंकि अंग्रेज़ी भले ही मुझे भी आती है लेकिन उसमें भावनाएँ समझना मुझे नहीं आता)। आशीष जी यदि अपना निष्पक्ष मत यहाँ देंगे तो शायद कुछ निष्कर्ष आसानी से निकल पाएगा।☆★संजीव कुमार (बातें) 11:33, 3 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
सिद्धार्थ जी, सम्पूर्ण विनम्रता के साथ कहना चाहूँगा कि आपने पिछले प्रबन्धक नामांकन में भी अपनी सहमति नहीं दी थी। मैं आपसे जानना चाहूँगा कि क्या आप इससे निष्कर्ष निकालते हैं कि आप प्रबन्धक के योग्य नहीं हैं? (बुरा मत मानिएगा) आपने एक जगह कुछ ऐसा लिखा है :समय आ गया है कि हम भावी प्रबन्धकों से प्रश्न पूछना शुरू करें।) मेरा विचार है कि प्रबन्धक बिल जी द्वारा प्रक्रिया का घोर हनन हुआ है और आपको पुनः नामांकन भरना चाहिए। अन्यथा प्रक्रिया सम्बन्धी गलतियों/मनमानियों के लिए यह सदा के लिए एक गलत उदाहरण बन जाएगा। -- अनुनाद सिंहवार्ता 12:09, 3 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद जी। आपके विचार से मैं सहमत हूँ। एक गलत परम्परा पड़े उससे अच्छा है कि प्रक्रिया पुनः दोहरा ली जाए। शायद दो-तीन दिन में कार्य हो जायेगा।☆★संजीव कुमार (बातें) 12:14, 3 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद जी, मैं स्वयं को प्रबंधक अधिकारों के लिए योग्य समझता हूँ। बस इतनी सी बात है कि मैं ऊपर स्वीकृति ज़ाहिर करना भूल गया।
आपने कहा है कि प्रबंधक अधिकार के मेरे पिछले नामांकन में मैंने सहमति नहीं व्यक्त की थी। पिछला नामांकन (जो मुझे विकिपीडिया:प्रबन्धक_पद_के_लिये_निवेदन/पुरालेख_०२ पर मिला) सितम्बर 2012 में मयूर जी द्वारा किया गया था और उसमें मुझसे सहमति/असहमति नहीं माँगी गई थी। आप ये भी पाएँगे कि उस समय आशीष जी और स्वयं आपके नामांकन में भी सहमति/असहमति नहीं माँगी गई थी और न ही प्रत्यक्ष रूप से उस पृष्ठ पर दी गई थी।
जहाँ तक रही पुनः नामांकन की बात, तो नामांकन स्वीकार होने और अधिकार मिलने के पश्चात पुनः नामांकन का मैं तब तक कोई तर्क नहीं समझता हूँ जब तक ये अधिकार वापिस ना लिए जाएँ। ऐसा होने के लिए किसी को मुझे प्रबंधक अधिकारों से निवृत्त करने का नामांकन करना होगा। चूँकि मैं स्वयं को इन अधिकारों के लिए समर्थ भी मानता हूँ और मुझे ये अधिकार स्वीकार भी हैं, इसलिए लाज़मी है कि मेरा स्वयं की निवृत्ति का अनुरोध करना संभव नहीं है। अतः यदि आप या कोई भी अन्य सदस्य यह मानता है कि मेरे अधिकार किसी भी कारण से वापिस लिए जाने चाहियें, तो मेरे विचार से मेरी निवृत्ति के लिए नामांकन किया जाना चाहिए। तत्पश्चात विकिसमाज का मतैक्य स्वयं ही निर्णय कर लेगा।--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 22:33, 3 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
सिद्धार्थ जी, यह सही नहीं है, सहमति/असहमति मांगी गई थी। बिल जी ने वहाँ एक नोटिस लगाया था (नोटिस : नामांकित सदस्य कृपया नामांकन को स्वीकार करें जिससे आगे की प्रक्रिया पूरी करी जा सके) जो गलत स्थान पर है। किन्तु इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैने अपनी स्वीकृति/अस्वीकृति नहीं दी, मेरी यही इच्छा थी। बिल जी ने आपके नामांकन को सफल घोषित करते हुए वहाँ भी चूक तथा प्रबन्धक पद का दुरुपयोग किया है। इसके अलावा मेरे नामांकन को असफल घोषित करना भी गलत है। वहाँ परिणाम में जो लिखा है उससे बेहतर लिखा जाना चाहिए था।
इसमें प्रक्रिया का घोर उल्लंघन हुआ है। इसे तीन तरह से ठीक किया जा सकता है : (१) बिल जी आपको प्रबन्धक पद पर सफल होषित करने के अपने निर्णय को उलट दें और आवश्यक समझें तो पुनर्नामांकन की प्रक्रिया आरम्भ कराएँ। (२) आप स्वयं प्रबन्धक पद को अस्वीकार कर दें (क्योंकि आपने अपनी सहमति नहीं दी थी और आप सुनीति पर चलने वाले हैं।) (३) हिन्दी विकिसमाज आपको पद से हटाने के लिए प्रक्रिया आरम्भ करे। (मतदान या कोई अन्य तरीका)। मेरे विचार से इनमें से वह रास्ता चुना जाय जाय जो सबसे उपयुक्त हो।-- अनुनाद सिंहवार्ता 08:16, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद जी, मुझे लगता है कि सिद्धार्थ जी की गलती को एक मानवीय भूल समझकर इस बिन्दु से बाहर आ जाना चाहिए और सिद्धार्थ जी को भी भविष्य में इसका ध्यान रखना चाहिए।☆★संजीव कुमार (बातें) 06:31, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी, मैं नहीं मानता कि सिद्धार्थ जी ने कोई भूल/गलती की है। बिल जी प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए उन्हें प्रबन्धक घोषित किया है। यदि दोष कोई है तो प्रबन्धक श्री बिल कॉम्प्टन जी का है। बिल जी और सिद्धार्थ जी का उपरोक्त संवाद प्रबन्धक द्वारा सदस्यों पर व्यक्तिगत हमला तो है ही, सिद्धार्थ जी को नीतियों का उल्लंघन करते हुए प्रबन्धक घोषित करना प्रबन्धक पद का दुरुपयोग है। इस पर अभी बिल जी का कोई स्पष्टीकरण/प्रतिक्रिया नहीं आयी है। हम उनके स्पष्टीकरण/प्रतिक्रिया/कार्यवाही की प्रतीक्षा कर रहे हैं।-- अनुनाद सिंहवार्ता
अनुनाद जी, मैने केवल घोषणा की है उन्हें प्रबंधक बनाया नहीं। मेरी भूमिका यहाँ बस एक डाकिये की थी जिसने स्टीवर्ड द्वारा की गई कार्यवाही का संदेश यहाँ घोषित किया।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 13:11, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
शायद आपने डाकिए का नहीं, दूत और अनुवादक का कार्य किया है। बहुत सम्भावना है कि सम्बन्धित स्टीवर्ड हिन्दी नहीं जानता हो और आपने अनुवाद करके उसे सारांश बताया हो। आपने जो सूचना दी उस पर उसने विश्वास करते हुए मोहर लगा दी। शायद मैं गलत नहीं समझ रहा। यदि ये सब बाते सही हैं तो त्रुटि को ठीक करना और भी आसान है।-- अनुनाद सिंहवार्ता 13:36, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद जी, मैने बस उन्हें यह बताया था कि किस सदस्य को कितने मत मिले हैं। इसके बाद भी वे स्वयं सारे मत एक-एक करके जाँचते हैं, गूगल अनुवाद का सहारा ले कर चर्चा पढ़ते हैं और अगर कोई संशय रहता है तो प्रश्न पूछते हैं या फ़िर हिन्दी का ज्ञान रखने वाले स्टीवर्ड से सम्पर्क करते हैं। अगर आप और अन्य सदस्य मिल कर मतैक्य बनाते हैं तो मैं स्टीवर्ड से अनुरोध कर सकता हूँ कि वह फ़िर से जाँच करले। इसके साथ-साथ में हिन्दी का ज्ञान रखने वाले स्टीवर्ड से यहाँ टिपण्णी करवा सकता हूँ। परन्तु स्टीवर्ड की कार्यवाही के विरुद्ध कोई प्रबंधक नहीं जा सकता।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 13:51, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
इस सम्बन्ध में मतैक्य की आवश्यकता नहीं है क्योंकि स्टीवर्ड के पास जाने के लिए कोई मतैक्य नहीं हुआ था। आप इसे अपना अधिकार और कर्तव्य दोनों मानते हुए स्टीवर्ड के पास गए थे। अपनी गलती को सुधारने में किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता शायद विकिपिडिया पर नहीं है। यहाँ एक प्रबन्धक के निर्णय को दूसरा प्रबन्धक उलट सकता है तो एक प्रबन्धक अपना निर्णय स्वयं क्यों नहीं उलट सकता?-- अनुनाद सिंहवार्ता 14:12, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
इसके साथ कुछ और कहना चाहता था। नामांकन की सफलता/असफलता से सम्बन्धित जो नोटिस आपने लगाया है वह बहुत संक्षिप्त है। निवेदन है कि उसे विस्तृत कीजिए और निम्नलिखित तीन बातें और जोड़िए: (१) सम्बन्धित स्टीवर्ड का वार्ता पृष्ठ का लिंक, ताकि यह स्पष्ट हो कि किसी स्टीवर्ड ने यह निर्णय दिया है और अन्य सदस्य भी उन तक अपनी बात पहुँचा सकें। (२) इस निर्णय पर जो विवाद/अनिश्चितता है उसका भी उल्लेख करें। (३) स्पष्ट रूप से यह भी लिखें कि अनुनाद सिंह के नामांकन पर मतदान अभी भी जारी है।-- अनुनाद सिंहवार्ता 14:27, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
मैं उनसे बात करके देखता हूँ और अनुरोध करूँगा कि वे अपनी टिप्पणियाँ यही पर दें। रही आपके नामांकन की बात तो वह नामांकन निति विरुद्ध था जिसे संजीव जी भी स्वीकार कर चुके हैं। कृपया इसके लिए उपयुक्त निति को देखें।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 14:36, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
बिल जी, मैं अब भी स्वीकार करता हूँ कि नामांकन उपरोक्त दोनों के साथ नहीं करना चाहिए था। लेकिन जिन सदस्यों (प्रबंधकों) के कारण वह नामांकन नीतिविरूद्ध माना जा रहा है वो खुद इस नीति से नदारद हैं। अर्थात खुला भेदभाव! इस पर आपका क्या विचार है? यदि वो प्रबंधक नीति विरुद्ध चल रहे हैं तो उन्हें भी प्रबंधक पद से हटा दिया जाना चाहिए।☆★संजीव कुमार (बातें) 14:42, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

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मेरे नामांकन के अनुसार "५००० से अधिक है तो उन्हें बिना किसी मतदान के प्रबंधक बनाया जा सकता है।" सिद्धार्थ जी और आशीष जी के लिए मतदान की आवश्यकता नहीं थी, केवल सहमति आवश्यक थी। लेकिन आप लोगों ने यहाँ तक कि दोनों प्रबंधकों ने भी मतदान किया। यहाँ पर तो यह नीति भी टूट चुकी है। अतः मुझे यह समझ नहीं आया की प्रबंधक लोग भी नीतियाँ तोड़ने के लिए इतने उत्सुक क्यों रहते हैं।☆★संजीव कुमार (बातें) 14:50, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

बिल जी, मुझे आपकी बात समझ में नहीं आई है। यदि प्रक्रिया में कोई गलती है तो उसे साफ-साफ लिखिए और लिखिए (यदि अधिकार रखते हों तो) कि प्रक्रिया की गलती के कारण यह मतदान निरस्त किया जाता है। अन्यथा लिखिए कि अनुनाद सिंह के नामांकन पर मतदान चल रहा है। सदस्यों को असंदिग्ध संदेश जाना चाहिए। दुविधा या भ्रम की स्थिति नहीं रहनी चाहिए। -- अनुनाद सिंहवार्ता 15:09, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी, आप बताएँ मैं क्या-क्या करूँ? चेकयूज़र से जाँच करवानी है या स्टीवर्ड से उसकी कार्यवाही की समीक्षा करवानी है या अनुनाद जी का नामांकन जो बंद हो गया है उसे पुनः शुरू करवाना है या अन्य प्रबंधकों को पद से हटवाना है? हम क्यों इस बवाल को आगे बढ़ा रहे हैं? कोई सदस्य टिप्पणी करता है फ़िर कोई दूसरा उस पर उत्तर करता है फ़िर कोई नई टिप्पणी आती है और सिलसिला बंद ही नहीं होता, सदस्य आपस में एक-दूसरे के ऊपर विश्वास खोते जा रहे हैं, नई-नई शंकाएँ उत्पन्न हो रही हैं, सक्रिय और इज्जतदार सदस्यों पर कठपुतली होने का घिनौना आरोप लगाया जा रहा है, हम दो जो शायद कभी मतभेद में न पड़ते एक दूसरे को पक्षपाती, झूठा, आदि कह रहे हैं, अनुनाद जी सिद्धार्थ की छोटी सी गलती को पकड़ कर अनावश्यक तूल दे रहे हैं, हुन्नजज़ल जी ने ऍचऍल जी को गलत स्थान पर नामांकित करके नया विवाद उत्पन्न कर दिया है, हम एक-दूसरे के बनाए लेखों को सुधारने के बजाए उनमें कमियाँ निकाल रहे हैं। क्या इस प्रकार ज्ञानकोष बनता है? मुझे यह सोचकर अफ़सोस हो रहा है कि हम, जिनमें से कोई भाषा वैज्ञानिक है तो कोई कम्प्यूटर अभियंता तो कोई भौतिकी के विद्वान हैं तो कोई यांत्रिक अभियंता, कोई लेखक है तो कोई अन्य उच्च पद्वी पर बैठा कर्मचारी, आपस में तर्क-वितर्क करे जा रहे हैं। क्या यही छाप हम नए सदस्यों पर छोड़ना चाहते हैं? मैं सभी सदस्यों से अपील करता हूँ कि अगर इस अनिश्चितकालीन युद्ध में ही समय लगाना है तो चौपाल को कुरुक्षेत्र बनाएँ। यहाँ चर्चा न करें नहीं तो मुझे मजबूरन इस पृष्ठ को सुरक्षित करना पड़ेगा।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 15:11, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
बिल जी, मैं कई बार इसकी अपील कर चुका हूँ कि ये चर्चा चौपाल पर करो। लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं। आपकी परेशानी थोड़ी समझ में भी आ रही है क्योंकि आप ही एकमात्र प्रबंधक हैं जो उत्तर दे रहे हैं। अन्य प्रबंधक तो अपनी जिम्मेदारी से मुह मोड़ चुके हैं। चूँकि आशीष जी पीछले दो-तीन दिन से विकी पर समय नहीं दे पा रहे हैं अन्यथा वो कुछ निदान बता सकते थे। अब आप ही बताओ मैं तो कर भी क्या सकता हूँ। इस पृष्ठ को भी बिना किसी चर्चा के सुरक्षित करना किसी सदस्य द्वारा अनैतिक करार दिया जा सकता है लेकिन मैं आपका इस मामले में समर्थन करता हूँ। इस पृष्ठ को सुरक्षित कर दिजिए जिससे कम से कम ये चर्चा अपना सही स्थान ग्रहण कर सके।☆★संजीव कुमार (बातें) 15:21, 4 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी, थोड़ा तो सब्र कीजिए! मैं तीन दिन छुट्टी पर था। ज़रूर स्थानांतरित करें। चौपाल पर ही करें क्योंकि वह सही मंच है। कृप्या 'नीति के ठेकेदार' प्रकार की भाषा से दूर रहें। नीति का उल्लेख कोई भी कर सकता है। आप भी। जोड़ों द्वारा ऐसा करें। --Hunnjazal (वार्ता) 03:25, 5 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

मेरा विचार[संपादित करें]

  1. पहले मैं बाद वाली चर्चा (चौपाल पर चर्चा की जाये) पर ये कहूंगा कि वैसे तो चर्चा वहां कर सकते हैं, फिर भी ये३ चर्चा प्रबंधक पद निवेदन से संबंधित है, अतः इसे यहीं किया जाये तो बेहतर होगा, हाँ एक महत्त्वपूर्ण विषय ये अवश्य है कि अन्य संबंधित लोग यहां कैसे पहुंचें या उन्हें कैसे इस चर्चा का ज्ञान हो?...... इसका समाधान ही विकिपीडिया पर क्या चल रहा है वाला संदूक था। उसे इसी समस्या के निवारण हेतु बनाय़ा गया था। हिन्दी विकी पर चल रहीं हाल की घटनाओं से कोई भी अनभिज्ञ न रहे इसी लिये कुछ महत्त्वपूर्ण चर्चाएं, निर्वाचन, कार्य, घटनाएं आदि वहां लिखी जाती थीं। अतः इसे भी वहां लिखा जा सकता है और चर्चा बंद होने के लगभग एक सप्ताह उपरांत हटाया जा सकता है।
  2. अब दूसरी बात नामांकित प्रबंधकों की सहमति कि.... तो ये नीति अवश्य है कि नामांकित व्यक्ति की सहमति ले ली जाये जिससे की चयन प्रक्रिया की सारी मेहनत के बाद उसके मना करने की स्थिति में किये कराये पर पानी न फ़िर जाये। किन्तु यदि पहले सहमति नहीं ली गयी है (मैं इसे सही नहीं कह रहा) तो भी यदि नामांकित व्यक्ति को नामांकन एवं चयन उपरांत भी कोई समस्या न हो और वो पद के दायित्त्व हेतु यदि तैयार हो तो बाद की सहमति उस छोटी सी भूल को ढंक लेती है। तब इसे नामांकन प्रक्रिया में भूल से हुई छोटी सी भूल समझ कर अनदेखा किया जा सकता है। (मैं निजी विचार एवं कुछ समय पूर्व की चर्चाओं के मिले जुले निष्कर्ष बता रहा हूं) इसमें किसी की मंशा विशेष तो नहीं दिखाई पड़ती है। और हो भी तो शायद यही मंशा होगी कि हिन्दी विकी को शीघ्रातिशीघ्र प्रबंधक उपलब्ध हों।
--आशीष भटनागरवार्ता 12:53, 5 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

Commenting per request: We stewards generally don't check if there is an explicit nomination acceptance. If a candidate does not want to become an admin, he has the opportunity to say that during the request. If he now doesn't want to keep the rights, he can request them to be removed. --MF-Warburg (वार्ता) 15:50, 5 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

MF-Warburg, I accept your decision in this refgard. But I would like to tell you that the exact procedure that Hindi wiki has set in this regard was not told to you. Hindi wiki requires that the nomination should be accepted by the candidate before the nomination be declared successful/unsuccessful. You say that 'logically' there should not be a big problem. But suppose some of the voters demand to change their votes (support/oppose options) after voting (or even after declaration of results), will you entertain and how long?-- अनुनाद सिंहवार्ता 05:03, 6 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
Well, that is indeed a "procedure", but it's not a policy per se. Policies are guidelines that all editors must follow. The "procedure" you are referring is not something new or unique on Hindi Wikipedia. Almost all Wikimedia projects follow this. 10 days are more than sufficient for "[voters to] change their votes (support/oppose options) after voting". There is no special period for voters to change their votes. If you or any other user thinks that promotion of Siddhartha Ghai is not "valid" or breaches any "procedure", then you are free to make a proposal to desysop him. But don't blame your stubbornness on others!<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 05:51, 7 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
  1. आशीष जी, बात बदल गयी है। यहाँ चर्चा "अनुप्रेषित पृष्ठ", "लेख की गुणवता", "रोचक" शब्द का अज्ञानकोषीय होना, "गाँवों का पड़ना" का शुद्ध गद्य रूप में ज्ञानकोषीय स्वरूप में स्वीकृत होना एवं अन्य कुछ मुद्दों पर चल पड़ी है। अब मुझे नहीं लगता इनमें से एक भी मुद्दा इस पृष्ठ से किसी तरह का संबंध रखते है। अतः इस तरह की व्यापक चर्चा चौपाल पर ही अच्छी लगती है।
  2. आपके दूसरे बिन्दु से मैं तो पहले से ही सहमत हूँ। हाँ अनुनाद जी को कुछ आपतियाँ हैं यदि उनकी आपत्तियाँ दूर हो गयी तो मुझे नहीं लगता यह कोई बड़ा मुद्दा है। MF-Warburg जी के संदेश को देखकर हो सकता है अनुनाद जी भी इस बारे में कुछ सोचें।
☆★संजीव कुमार (बातें) 19:12, 5 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
आशीश जी एवं संजीव कुमार जी, मैं विद्वान स्टीवर्ड के मत का सम्मान करता हूँ। मैने अपनी बात उनके सामने भी रख दी है। मेरा उद्देश्य परोक्ष रूप से यह दिखाना था कि कुछ लोग जो दूसरों के सामने प्रबन्धन से सम्बन्धित तरह-तरह के प्रश्न पूछते हैं उनकी वास्तविकता क्या है। इसमें मैं सफल रहा हूँ। देख सकते हैं कि प्रबन्धकीय प्रश्न पूछने वाले लोग प्रतिदिन कितनी प्रबन्धकीय गलतियाँ करते हैं (प्रतिदिन कम से कम चार-पाँच?)! इसी के साथ मेरा यह भी निवेदन है कि अब प्रबन्धक पद को केवल 'महाज्ञानी' और 'महाप्रोग्रामर' के लिए ही उपयुक्त पद के रूप में पेश करना बन्द किया जाय।-- अनुनाद सिंहवार्ता 05:16, 6 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद जी, प्रश्न पूछना इस प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है क्योंकि इससे पता चलता है कि प्रत्याशी को विकि की नीतियों और उसकी कार्यप्रणाली का कितना ज्ञान है। यह सभी भाषाओं के विकि पर होता है इसमें हिन्दी विकि कुछ नया नहीं कर रहा है। अगर उम्मीदवार में योग्यता होगी तो वह कभी उत्तर देने में हिचकिचाहट नहीं दिखाएगा। यहाँ किसी से गलती नहीं हुई है, अगर सिद्धार्थ को इस नामांकन से कोई आपत्ति होती तो वह इस बीच ही मना कर देते, उनका मना नहीं करना उनकी स्वीकृति ही है। हाँ उन्हें सहमती दर्ज करानी चाहिए थी परन्तु यह एक छोटी सी भूल थी जिसको उन्होंने स्वीकार भी किया है। स्टीवर्ड ने भी अब साफ़ कर दिया है कि वे विशेष रूप से इस बात पर ध्यान नहीं देते कि प्रत्याशी ने सहमती दी है या नहीं फ़िर आप अपनी अलग ही निति क्यों बना रहे हैं? जिन्हें नामांकन सफ़ल या असफ़ल घोषित करना है उन्हें ही इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता तो आप इतना क्यों परेशान हो रहे हैं? मैने कुछ भी स्टीवर्ड से छिपाया नहीं था उन्होंने जो मुझ से पूछा उसका मैने उत्तर दिया। प्रबंधक बनने के लिए किसी को महाज्ञानी या महाप्रोग्रामर होने की आवश्यकता कभी थी ही नहीं, यह आपका गलत निष्कर्ष है। प्रबंधक पद किसी भी ऐसे सदस्य जिसे विकि नीतियों और कार्यप्रणाली का ज्ञान है उसे दिया जा सकता है परन्तु आप ऐसा साबित करने में असफ़ल रहे हैं, पृष्ठ हटाने की नीतियों का ज्ञान, कॉपीराइट नियमों का ज्ञान, व लेख निर्माण शैली का ज्ञान उन कुछ मूलभूत आवश्कताओं में से हैं जो सामान्य स्तर पर हर प्रबंधक को होना चाहिए। यह अपेक्षा हर प्रबंधक से रखी जाती है। हिन्दी विकि की निति कहती है कि प्रबंधक उम्मीदवार "को उत्पात हटाने (रोलबैक) हेतु एवं लेख गुणवत्ता जाँच (परीक्षक) का अनुभव" होना चाहिए परन्तु आपको इसका भी अनुभव नहीं है। आप किस आधार पर प्रबंधक बनना चाहते हैं? कृपया यह तो साफ़ करें कि आप किस प्रकार हिन्दी विकि की एक प्रबंधक होते हुए सहायता देंगे? नीतियों में "प्रबन्धक दायित्व" का उल्लेख है, आप उनमें से कितने मापदण्ड पूरे करते हैं?<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 06:13, 7 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
बिल जी, मैं आप जितना तो नहीं लिखना चाहता लेकिन इतना जरूर कहूँगा कि आपकी प्रबन्धकीय क्षमताओं का लेखाजोखा बहुत पहले से चल रहा है और अब एक दस्तावेज बन चुका है। (केवल हुन्नजजाल जी को छोड़कर सभी सदस्यों ने आपको प्रबन्धक पद से हटाने के लिए समर्थन दे दिया है।) आपने उपर्युक्त स्टीवर्ड को जो कुछ कहा है, वह लिखित में है। वहाँ आपने उन्हे केवल मतसंख्या के बारे में बताया है। जहाँ तक प्रबन्धक के लिए योग्यता का प्रश्न है मानता हूँ कि पेज हटाने का ज्ञान आपका पक्का है। बाकी कॉपीराइट पर तो आप खुद देख चुके हैं कि आपने अंधेरे में तीर मार दिया था शायद यह सोचकर कि हिन्दी विकि पर सब चलता है!!! प्रबन्धक को सभी सदस्यों से नम्रता दिखानी चाहिए शायद इसी लिए आपने 'भैस के आगे बीन बजाने' जैसे मुहावरे भी प्रयोग किए थे। और शॉन भाई का केस , छोड़िए जाने दीजिए। -- अनुनाद सिंहवार्ता 10:59, 7 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]

प्रबन्धक एवं प्रशासक के लिये नामांकन: Hindustanilanguage[संपादित करें]


यह कार्य हड़बड़ी में कराकर आपने अपने को प्रबन्धक के अयोग्य घोषित कर दिया है। चौपाल पर कम से कम दो लोगों ने इस मामले पर धैर्य रखने की सलाह दी थी। उसमें क्या बुराई थी? क्या प्रबन्धक होने का मतलब बात-बात पर लोगों को तुरन्त 'फाँसी पर लटकाना' है? ---- अनुनाद सिंहवार्ता 09:26, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
@Hindustanilanguage: now i am sure that you are fit for this job....because people who indulge in rule breaking here are afraid that they will be caught and punished....so they tried all ways to demoralize you and voters but all users can see your good efforts here and want an admin like you monitor hiwiki....all the best... Darth Whale वार्ता 09:33, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]

नियमावली में कुछ बदलावों का प्रस्ताव[संपादित करें]

प्रबन्धक अधिकार प्राप्त कुछ सदस्यों की सक्रियता को लेकर काफी समय से सवाल उठाये जाते रहे हैं। अतः मैं निम्नलिखित प्रस्ताव लाना चाहता हूँ:

  • कि यदि कोई प्रबन्धक छः माह तक १८० से कम सार्थक सम्पादन करता है तो उसे प्रबन्धक पद से हटा दिया जाये और पुनः सक्रिय होने पर चुनाव के माध्यम से ही उसे प्रबन्धक बनाया जाये।
  • कि यदि कोई प्रबन्धक सदस्यों के साथ हिन्दी के स्थान पर अन्य भाषा में (सदस्य की इच्छा के विपरित) चर्चा करने लगे तो उसे प्रबन्धक पद से हटा दिया जाये।
  • कि यदि किसी भी समय चुनाव में किसी प्रबन्धक को ७०% (मतदान करने वालों में) से कम सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो तो उसे पदच्युत कर दिया जाये।

कृपया इनपर अपना निर्णय दें जिससे इसे यथाशीघ्र लागू किया जा सके।☆★संजीव कुमार (✉✉) 15:50, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]

समर्थन
  1. प्रस्तावक के रूप में।☆★संजीव कुमार (✉✉) 15:50, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  2.  समर्थन--सत्यम् मिश्र (वार्ता) 16:56, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  3.  समर्थन--मनोज खुराना 18:12, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  4.  समर्थन--Mr wikilover (वार्ता) 03:44, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  5.  समर्थन---- अनुनाद सिंहवार्ता 03:52, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  6.  समर्थन-----डा० जगदीश व्योमवार्ता 03:57, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  7.  समर्थन -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 05:33, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  8.  समर्थन ----माला चौबेवार्ता 05:55, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  9.  समर्थन----शेखर (वार्ता)शेखर 07:15, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  10.  समर्थन-- अह्मद निसार (वार्ता) 18:41, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  11.  समर्थन--Naziah rizvi (वार्ता) 11:17, 19 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
विरोध
टिप्पणी एवं चर्चा
आपकी इच्छा के अनुसार इसे १८० कर दिया गया है लेकिन ध्यान रहे ये सार्थक सम्पादनों की बात की गयी है अर्थात मुख्य नामस्थान के सम्पादन जिनमें उचित भाषा और सम्पादन सारांश दिया गया हो। एक पृष्ठ में लिपापोती करने में यदि १८० सम्पादन कर दिये तो उन्हें नहीं गिना जायेगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 16:44, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
@संजीव कुमार: why saying this to me mate?....further this should be audited every 1st day of month...example, on june 1, work from jan 1 to may 31 should be audited...then on july 1 work from feb 1 to june 30 should be audited...like this admins will be active every month... Darth Whale वार्ता 03:22, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  • तीसरा मुझे खास समझ में नहीं आया। कृपया थोड़ा विस्तृत करें। बाकी दोनों को मेरा समर्थन है।--पीयूष (वार्ता)योगदान 16:18, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
  • लोकतंत्र में केवल बहुमत को देखा जाना चाहिए । "हिन्दी के स्थान पर अन्य भाषा" की बात एक अनिवार्य नियम के बजाय "भाषा परंपरा" का मामला होना चाहिए - यानी यदि अधिकांश सदस्य किसी प्रबंधक के बार-बार "गैर-हिन्दी" टिप्पणियों से परेशान हों तो चौपाल या कोई और मंच पर खुलकर चर्चा हो और एक प्रस्ताव पारित करके उस प्रबंधक को हटा देना चाहिए। --मुज़म्मिल (वार्ता) 16:35, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
वर्तमान नियमावली के अनुसार प्रबन्धक बनते समय समर्थन ८०% प्राप्त करना होता है लेकिन हटाने के सम्बंध में मत प्रतिशत की चर्चा नहीं की गयी है। चूँकि प्रबन्धक को हटाने के पक्ष में यदि ३० प्रतिशत सदस्य भी हैं तो उसे हटाना उचित होगा।
आप प्रबन्धक बनने जा रहे हो अतः ध्यान रहे, विकिपीडिया लोकतंत्र नहीं है।☆★संजीव कुमार (✉✉)
मैंने आसफ़ बरताव से चर्चा की और वह आश्चर्यचकित थे कि कैसे प्रबन्धक के लिए "८०%" का लक्ष्य निर्धारित किया गया है? "३० प्रतिशत" सदस्य का वोट का अर्थ तो यह भी हो सकता है कोई भी तीन सदस्य कहीं चाय पर जमा हों सीधी चर्चा से किसी भी प्रबंधक को चाहे कितना ही सक्रिय क्यों न हो, निकाल दें। --मुज़म्मिल (वार्ता) 17:07, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
मुज़म्मिल जी 80% समर्थन या 30% विरोध लगभग एक ही बात है। ऐसी एक चर्चा मेटा पर स्टीवर्डस् के लिए भी चल रही है। इसमें ख़राबी क्या है? मुझे तो ठीक लग रहा है।--सत्यम् मिश्र (वार्ता) 17:22, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
1 more suggestion i have is that to have fix time period for poll....say 7 days or 10days.....after which polling should close and votes should be counted..... Darth Whale वार्ता 17:26, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
यह समय मॅटा विकि द्वारा पहले से ही ७ दिन निर्धारित किया हुआ है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 17:33, 16 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
मैं ऊपर दिये गये तीन बिन्दुओं से सहमत हूँ, विशेष रूप से 'हिन्दी में चर्चा' और 'हटाने का अधिकार'। किन्तु मैं यह भी चाहूँगा कि प्रबन्धक अधिकार अनिश्चित काल के लिये न रहे। वर्तमान स्थिति को देखते हुए मुझे ३ वर्ष का समय ठीक लगता है। बाकी अन्य सदस्यों की मर्जी। ---- अनुनाद सिंहवार्ता 03:52, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
मुझे लगता है कि प्रबंधकीय अधिकार ०१ वर्ष के लिये ही दिया जाना चाहिये जिसे बाद में एक-एक वर्ष के रूप में बढ़ाया जा सकता है, पिछले अनुभव यही बताते हैं कि कई प्रबंधकों की दादागिरी ने विकि से अनेक बहुत अच्छे सदस्यों को जाने के लिये विवश कर दिया--डा० जगदीश व्योमवार्ता 04:05, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
डा० जगदीश जी से मैं सहमत हूँ और मेरे हिसाब से एक साल भी ज्यादा है। हर तीन या छः महीने में समीक्षा होनी चाहिए। हर एक जनवरी व एक जुलाई को समीक्षा होनी चाहिए जिसमें तीन महीने से अधिक से काम कर रहे प्रबंधकों के कार्य की समीक्षा हो और किसी के कार्य से यदि कोई हानि हो रही हो तो तुरंत उचित कदम उठाया जाए। यदि दो समीक्षाओं तक लागातार कोई निष्क्रिय हो या नगण्य काम कर रहा हो तो उसे भी पदमुक्त किया जाए। सतत् समीक्षा के उपाय से नए सदस्यों को प्रबंधक बनाने में भी कोई अड़चन नहीं आएगी। --मनोज खुराना 04:33, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]

٭ संजीव जी का यह प्रस्ताव उचित लग रहा है .... साथ साथ यह भी स्पष्ट होजाये कि ७०% का मामला किस मूल और हेतु से होगा। यानी, ७०% किस मूल संख्या का है? --अह्मद निसार (वार्ता) 18:41, 17 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]

निसार जी, आपका मुद्दा उचित है और इसमें मुज़म्मिल जी की बात का भी समाधान है। पहले से वर्णित नियमावली में यह स्पष्ट है कि प्रबन्धकों (वर्तमान संख्या ८) और प्रशासकों (वर्तमान संख्या ०) के मतों को सर्वाधिक वरियता मिलती है। इसके बाद पुनरीक्षकों को वरियता मिलती है तथा बाद में स्वतः परिक्षित सदस्यों को। आई॰पी॰ सदस्यों अथवा नगण्य योगदान रखने वाले सदस्यों के मतों की गणना नहीं की जाती है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 11:17, 18 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]

मैं ऊपर सुझाये गये निश्चित समयांतराल के बाद समीक्षा का विरोध नहीं कर रहा परंतु मेरे विचार में संजीव जी द्वारा सुझावित उपरोक्त नियम लागू हो जायें तो ऐसी कोई ज़रुरत नहीं रह जायेगी। जब किसी प्रबंधक के अधिकार पर उसके आचार-व्यवहार और कृत्यों के आधार पर कभी भी चर्चा शुरू की जा सकती हो तो ऐसे में सभी प्रबंधकों के अधिकार/दायित्व के निर्वाह की नियमित/सामयिक परीक्षा ग़ैर-ज़रूरी है। इसका कोई मतलब नहीं है!--सत्यम् मिश्र (वार्ता) 18:45, 18 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]

एक और सुझाव[संपादित करें]

"नामांकन के उपरान्त जब तक परिणाम की घोषणा नहीं हो जाती कोई नामांकित सदस्य अपने नामांकन पर हो रहे समर्थन/विरोध/टिप्पणियों पर सीधे अथवा कहीं इतर कोई टिप्पणी करने से परहेज करेगा जब तक कि उससे सीधे कोई प्रश्न न पूछा गया हो।"

चाहे आप लोग इसे नियम के रूप में शामिल करें या सामान्य आचार-संस्कार-व्यवहार के रूप में पर ऐसा कुछ होना चाहिये। कम से कम जब तक नामांकन के परिणाम नहीं आते इस तरह की अभिव्यक्ति से नामांकित सदस्य को बचना चाहिए। --सत्यम् मिश्र (वार्ता) 18:32, 18 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]

सत्यम् जी, इसमें थोड़ी कठिनाई है क्योंकि वर्तमान नियमावली के अनुसार प्रबन्धकों को कम से कम पुनरीक्षक स्तर का अनुभव होना आवश्यक है और इस स्थिति में वह किसी चर्चा में भाग न ले, ऐसा करना मुश्किल है। हाँ, उसके नामांकन से सम्बंधित चर्चा की बात की जाये तो कुछ हद तक आपकी बात उचित लगती है लेकिन फिर वो बात अपनी ही बात का विरोधाभाष करवाती है कि सदस्य से प्रश्न पूछे गये हैं। कई बार कुछ नामांकित सदस्यों पर बेबुनियाद आरोप लगा दिये जाते हैं अतः ऐसे में चुप रहना अन्य सदस्यों के मतों को भी प्रभावित करता है अतः चुप रह पाना मुश्किल होता है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 18:59, 18 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी यहाँ उन्हें पुनरीक्षण नहीं करना है। जब उन्हीं पर चर्चा चल रही है तो ऐसे में खुद उसमें कूदना कहाँ से निष्पक्षता है। जब उनसे पूछा जाय तो ज़वाब दें। बेबुनियादी आरोपों वाली बात कुछ हद तक ठीक है। ऐसे में नामांकित सदस्य से उसके ऊपर हुई टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने की व्यवस्था होनी चाहिये। अगर उनके बारे में अन्य सदस्यों की टिप्पणियों से दूसरे लोग प्रभावित हो सकते हों तो नामांकित सदस्य भी अपनी टिप्पणियों द्वारा अन्य लोगों के मत प्रभावित कर सकता है। क्या यह ठीक है?--सत्यम् मिश्र (वार्ता) 19:31, 18 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
आपकी बात मुझे बिलकुल ठीक लग रही है लेकिन यदि आप इसका एक प्रारूप तैयार करके प्रस्तुत करेंगे तो अच्छा होगा जिससे इसे एक वाक्य में लिखा जा सके।☆★संजीव कुमार (✉✉) 20:12, 18 अप्रैल 2015 (UTC)[उत्तर दें]
उपरोक्त चर्चा को एक पुरालेख के रूप में संरक्षित किया गया है। कृपया इसमें कोई बदलाव न करें। आगे की वार्ताएँ इस पृष्ठ पर नये विभागों में होनी चाहिएँ

सीमा कश्यप जी का प्रबंधक पद के लिए मतदान[संपादित करें]

सीमा कश्यप जी का प्रबंधक पद के लिए मतदान चल रहा है। इसमें सदस्य अपने विवेक के अनुसार समर्थन और विरोध प्रकट कर रहे हैं। परन्तु सदस्यगन हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। कृपया इसे सुधारें। प्रबंधकगण भी इसे ठीक कर सकते हैं। --मुज़म्मिल (वार्ता) 06:37, 16 जुलाई 2023 (UTC)[उत्तर दें]

पूरा हुआ। (हालांकि हमारा शक है कि वो खाते कठपुतली है।) मुरही (बातचीत) 07:03, 16 जुलाई 2023 (UTC)[उत्तर दें]
कठपुतली खाता हो भी सकता है। आप मेटा पर जाँच करवा लीजिए। मुज़म्मिल (वार्ता) 09:33, 16 जुलाई 2023 (UTC)[उत्तर दें]
वैसे " सख्त खिलाफ: @सीमा कश्यप: आपको एडमिन पद नए यूज़रों के लिए नहीं है पढ़ने की ज़रूरत है।" किसकी टिप्पणी है? मुज़म्मिल (वार्ता) 09:34, 16 जुलाई 2023 (UTC)[उत्तर दें]
अरे, खुद का दस्तखत जोड़ना भूल गया :)। अब जोड़ दिया। मुरही (बातचीत) 09:52, 16 जुलाई 2023 (UTC)[उत्तर दें]
धन्यवाद! --मुज़म्मिल (वार्ता) 04:49, 17 जुलाई 2023 (UTC)[उत्तर दें]