विकिपीडिया:आज का आलेख - पुरालेख/२०१०/जून

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१ जून २०१०[संपादित करें]

सायबर युद्ध
सायबर युद्ध
सायबर युद्ध (अंग्रेज़ी:साइबर वॉर) एक ऐसा युद्ध होता है जो इंटरनेट और कंप्यूटरों के माध्यम से लड़ा जाता है यानी इसमें भौतिक हथियारों के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक होते हैं। अनेक देश लगातार साइबर युद्ध अभ्यास (वॉर ड्रिल्स) चलाते हैं जिससे वह किसी भी संभावित साइबर हमले के लिए तैयार रहते हैं। तकनीक पर लगातार बढ़ती जा रही है निर्भरता के कारण कई देशों को साइबर हमलों की चिंता भी होने लगी है। इस कारण अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये भारी खतरा बढ़ता जा रहा है। साइबर वॉर में तकनीकी तरीकों से हमले किए जाते हैं। इन हमलों में वायरसों की सहायता से वेबसाइटें ठप कर दी जाती हैं और सरकार एवं उद्योग जगत को पंगु करने का प्रयास किया जाता है। इस युद्ध से बचाव हेतु कई देशों जैसे चीन ने वेबसाइट्स को ब्लाक करने, साइबर कैफों में गश्त लगाने, मोबाइल फोन के प्रयोग पर निगरानी रखने और इंटरनेट गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हजारों की संख्या में साइबर पुलिस तैनात कर रखी है। विस्तार में...

२ जून २०१०[संपादित करें]

किशन महाराज और शाहिद परवेज, एक संगीत सभा में
किशन महाराज और शाहिद परवेज, एक संगीत सभा में
बनारस घराना भारतीय तबला वादन के छः प्रसिद्ध घरानों में से एक है। ये घराना २०० वर्षों से कुछ पहले ख्यातिप्राप्त पंडित राम सहाय के प्रयासों से विकसित हुआ और आज अपने शक्तिशाली रूप के लिये प्रसिद्ध है। यहां के वादक हल्के और कोमल स्वरों के वादन में भी सक्षम हैं। घराने को पूर्वी बाज मे वर्गीकृत किया गया है, जिसमें लखनऊ, फर्रुखाबाद और बनारस घराने आते हैं। बनारस शैली तबले के अधिक अनुनादिक थापों का प्रयोग करती है, जैसे कि ना और धिन। बनारस घराने के तबला वादक तबला वादन की सभी शैलियों में, जैसे एकल, संगत, गायन एवं नृत्य संगत आदि में पारंगत होते हैं। यहां एकल वादन बहुत विकसित हुआ है, और कई वादक जैसे पंडित शारदा सहाय, पंडित किशन महाराज, और पंडित समता प्रसाद, एकल तबला वादन में महारत और प्रसिद्धि प्राप्त हैं।  विस्तार में...

३ जून २०१०[संपादित करें]

पृष्ठभूमि में संचिका स्थानांतरण
पृष्ठभूमि में संचिका स्थानांतरण
संचिका स्थानांतरण प्रोटोकॉल (अंग्रेज़ी:फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल, लघु:एफटीपी) एक नेटवर्क प्रोटोकॉल होता है जिसके द्वारा इंटरनेट आधारित टीसीपी/आईपी नेटवर्क पर संचिकाओं का आदान-प्रदान किया जाता है। इसे उपयोक्ता आधारित कूट (यूजर बेस्ड पासवर्ड) या अनॉनिमस यूजर एक्सेस के द्वारा काम में लाया जाता है। अब लगभग हर संस्थान में एफटीपी सर्वर होने से, यह व्यवस्था काम में नहीं आती है। अनेक हाल के वेब ब्राउजर और फाइल प्रबंधक एफटीपी सर्वरों से जुड़ सकते हैं। इससे दूर-दराज(रिमोट) से आने वाली संचिकाओं पर लोकल फाइलों जैसा ही कार्य हो सकता है। इसमें एफटीपी यूआरएल प्रयोग में लाया जाता है। संचिका भेजने के अन्य तरीके जैसे एसएफटीपी और एससीपी एफटीपी से नहीं जुड़े होते। इनकी पूरी प्रक्रिया में एसएसएच का प्रयोग होता है। विस्तार में...

४ जून २०१०[संपादित करें]

को-६० का Ύ-किरण वर्णक्रम
को-६० का Ύ-किरण वर्णक्रम
कोबाल्ट-६० (६०Co) कोबाल्ट का एक समस्थानिक है। ये सबसे अधिक प्रयोग में आने वाले रेडियोधर्मी समस्थानिकों में से है। ६०Co एक मानव-निर्मित रेडियो समस्थानिक है जिसे व्यापारिक प्रयोग के लिए ५९Co के न्यूट्रॉन सक्रियन द्वारा तैयार किया जाता है। इसका अर्धायु काल ५.२७ वर्ष का होता है। कोबाल्ट-६० परमाणु संयंत्रों की क्रिया से बनने वाला एक उपफल होता है। ये कैंसर के उपचार से लेकर औद्योगिक रेडियोग्राफी, औद्योगिक रेडियोग्राफी में इमारतों के ढांचे में कमी ढूंढने, चिकित्सा संबंधी उपकरणों की स्वच्छता, चिकित्सकीय रेडियोथेरेपी, प्रयोगशाला प्रयोग के रेडियोधर्मी स्रोत, स्मोक डिटेक्टर, रेडियोएक्टिव ट्रेसर्स, फूड और ब्लड इरेडिएशन जैसे कार्यो में भी प्रयोग किया जाता है। विस्तार में...

५ जून २०१०[संपादित करें]

गोविन्द मिश्र (जन्म- १ अगस्त १९३९) हिन्दी के जाने माने कवि और लेखक हैं। वे उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, भारतीय भाषा परिषद, कलकत्ता, साहित्य अकादमी, दिल्ली, व्यास सम्मान द्वारा अपनी साहित्य सेवाओं के लिए सम्मानित किए गए हैं। अभी तक उनके १० उपन्यास और १२ कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त यात्रा वृत्तांत, बाल साहित्य, साहित्यिक निबंध और कविता संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं। विश्वविद्यालयों में उनकी रचनाओं पर शोध हुए हैं। वे पाठ्यक्रम की पुस्तकों में शामिल किए गए हैं, रंगमंच पर उनकी रचनाओं का मंचन किया गया है और टीवी धारावाहिकों में भी उनकी रचनाओं पर चलचित्र प्रस्तुत किए गए हैं। विस्तार से पढ़ें...

६ जून २०१०[संपादित करें]

हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह नगर अब हम्पी नाम से जाना जाता है। इस नगर के अब खंडहर ही अवशेष है। इन्हें देखने से प्रतीत होता है कि किसी समय में यहाँ एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती होगी। भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को द्वारा विश्व के विरासत स्थलों की संख्या में शामिल किया गया है। हर साल यहाँ हज़ारों की तादाद में सैलानी और तीर्थ यात्री आते हैं। हम्पी का विशाल फैलाव गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष.... आदि असंख्य इमारतें हैं। विस्तार से पढ़ें...

७ जून २०१०[संपादित करें]

विंग्स आफ फायर: एन आटोबायोग्राफी आफ एपीजे अब्दुल कलाम (१९९९), भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की आत्मकथा है। इसके सह-लेखक अरुण तिवारी हैं। इसमे अब्दुल कलाम के बचपन से लेकर लगभग १९९९ तक के जिवन सफर के बारे मे बताया गया है। मूल रुप मे अंग्रेजी मे प्रकाशित यह किताब, विश्व की १३ भाषाओ मे अनूदित हो चुकी है। जिसमे भारत की प्रमुख भाषाए हिंदी, गुजराती, तेलगु, तमिल, मराठी, मलयालम के साथ-साथ कोरियन, चीनी और ब्रेल लिपि भी शामिल है। आत्मकथा ४ भागों में विभाजित है। डा. कलाम का जन्म तमिलनाडु मे रामेश्वरम मे मध्यम वर्गीय तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था। विस्तार से पढ़ें...

८ जून २०१०[संपादित करें]

रोबॉटिक्स रोबॉट की अभिकल्पना, निर्माण और अभिप्रयोग के विज्ञान और तकनीकों को कहते हैं। इस क्षेत्र में कार्य करने के लिये इलेक्ट्रॉनिकी, यान्त्रिकी और सॉफ्टवेयर के सिवाय कई अन्य क्षेत्रों में व्यावहारिक ज्ञान की ज़रूरत होती है। हालाँकि रोबॉट के स्वरूप और क्षमताओं में काफी विविधता हैं पर इन सभी में कई समानताएँ भी हैं। उदाहरण के लिए यांत्रिक चलनशील ढाँचा और स्वनियंत्रण सभी में होता है। रोबॉट के ढाँचे की उपमा मानव अस्थिपंजर है, और उसे शुद्ध-गति माला कहा जा सकता है। यह माला है इसकी हड्डियाँ, प्रवर्तक इसकी माँस पेशियाँ, और जोड़, जो इसे एक या एक से अधिक स्वातंत्र परिमाण देते हैं। अधिकांश रोबॉट क्रमिक माला रूपी होते हैं, जिसमें एक कड़ी दूसरी से जुड़ती है - इन्हें क्रमिक रोबॉट कहते हैं और ये मानव हाथ के समान हैं। अन्य रोबॉट सामानांतर शुद्ध-गति मालाओं का प्रयोग करते हैं। जीव-यांत्रिकी के अंतर्गत मानव या अन्य जीवों की नकल कर ढाचों को बनाने पर अनुसन्धान चल रहा है। माला की अंतिम कड़ी किसी तरह की प्रवर्तक हो सकती है, जैसे एक यांत्रिक हाथ या वेल्डिंग मशीन। विस्तार से पढ़ें...

९ जून २०१०[संपादित करें]

बोतल वृक्ष एक वृक्ष है। इसकी आठ प्रजातियाँ पाइ जाती हैं। जिनमें से छः मेडागास्कर, एक अफ्रीका तथा एक आस्ट्रेलिया की मूल निवासी हैं। इस वृक्ष की ऊँचाई ५ से ३० मीटर (१६ से ९८ फीट) तथा तने का व्यास ७ से ११ मीटर (२३ से ३६ फीट) तक होता है। दक्षिण अफ्रीका के लिम्पोपो प्रांत में दुनिया का सबसे बड़ा बोतल वृक्ष है जिसके तने की परीधि ५० मीटर (१६० फीट) तथा औसत व्यास १५ मीटर (४९ फीट) है। बोतल वृक्ष हजारों सालों तक जीवीत रहते हैं। इसकी सभी प्रजातियाँ शुष्क प्रदेशों में पाइ जाती हैं। ये वृक्ष गर्मी की शुष्क ऋतु के प्रारम्भ में अपने पत्ते गिरा देते हैं। बोतल वृक्ष अपने फूले हुए तने में १,२०,००० लिटर तक जल जमा रखता है। विस्तार से पढ़ें...

१० जून २०१०[संपादित करें]

पं. श्रद्धाराम शर्मा
पं. श्रद्धाराम शर्मा
पं. श्रद्धाराम शर्मा (या श्रद्धाराम फिल्लौरी) (१८३७-२४ जून १८८१) लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे के रचयिता हैं। इस आरती की रचना उन्होंने १८७० में की थी। वे सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता सेनानी, संगीतज्ञ तथा हिन्दी और पंजाबी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। पं. श्रद्धाराम शर्मा का जन्म पंजाब के जिले जालंधर में स्थित फिल्लौर शहर में हुआ था। उनके पिता जयदयालु खुद एक अच्छे ज्योतिषी थे। उन्होंने अपने बेटे का भविष्य पढ़ लिया था और भविष्यवाणी की थी कि यह एक अद्भुत बालक होगा। बालक श्रद्धाराम को बचपन से ही धार्मिक संस्कार तो विरासत में ही मिले थे। उन्होंने सात साल की उम्र तक गुरुमुखी में पढाई की। दस साल की उम्र में संस्कृत, हिन्दी, फ़ारसी तथा ज्योतिष की पढाई शुरु की और कुछ ही वर्षो में वे इन सभी विषयों के निष्णात हो गए।... विस्तार से पढ़ें...

११ जून २०१०[संपादित करें]

डॉ॰ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय भारत के मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। इसको सागर विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना डॉ हरिसिंह गौर ने १८ जुलाई १९४६ को अपनी निजी पूंजी से की थी। अपनी स्थापना के समय यह भारत का १८वाँ विश्वविद्यालय था। किसी एक व्यक्ति के दान से स्थापित होने वाला यह देश का एकमात्र विश्वविद्यालय है। सन १९८३ में इसका नाम डॉ॰हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय कर दिया गया। २७ मार्च २००८ से इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय की श्रेणी प्रदान की गई है। यह एक आवासीय एवं संबद्धता प्रदायक विश्वविद्यालय है। विस्तार से पढ़ें...

१२ जून २०१०[संपादित करें]

प्रतिभा देवीसिंह पाटिल
प्रतिभा देवीसिंह पाटिल

प्रतिभा देवीसिंह पाटिल (उपनाम:प्रतिभा ताई) (जन्म १९ दिसंबर १९३४) स्वतंत्र भारत के ६० साल के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति हैं| राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा पाटिल ने अपने प्रतिद्वंदी भैरोंसिंह शेखावत को तीन लाख से ज़्यादा मतों से हराया। प्रतिभा पाटिल को ६,३८,११६ मूल्य के मत मिले, जबकि भैरोंसिंह शेखावत ३,३१,३०६ मत मिले। इस तरह वे भारत की १३वीं राष्ट्रपति चुन ली गई हैं। उन्होंने २५ जुलाई २००७ को संसद के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। महाराष्ट्र के जलगांव जिले में जन्मी प्रतिभा के पिता का नाम श्री नारायण राव था। साड़ी और बड़ी सी बिंदी लगाने वाली यह साधारण पहनावे वाली महिला राजनीति में आने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रही थी।


१३ जून २०१०[संपादित करें]

चिकित्सकीय ओजोन जनित्र
चिकित्सकीय ओजोन जनित्र
ओजोन थेरेपी में ओजोन और ऑक्सीजन के मिश्रण को मनुष्य के शरीर के लाभ हेतु प्रयोग किया जाता है। ओजोन एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में सक्षम है, इसलिए यह ऑक्सीडेटिव मानसिक तनाव को कम कर सकता है। ओजोन का यह एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरोधक तंत्र विकिरण और कीमोथेरेपी के दौरान पैदा होने वाले रेडिकल्स को संतुलित करता है। चाहे शरीर में शीघ्र थकान होने की शिकायत हो, सुस्ती अनुभव होती हो, छाती में दर्द की समस्या हो या उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्राल वृद्धि, मधुमेह आदि की चिंता हो, या कैंसर से लेकर एचआईवी जैसे घातक रोगों में, ओजोन थेरेपी इन सभी में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में समान रूप से सहायक हो सकती है।  विस्तार में...

१४ जून २०१०[संपादित करें]

आय प्रति प्रतिभूति यानि अर्निंग पर शेयर (ईपीएस)
आय प्रति प्रतिभूति यानि अर्निंग पर शेयर (ईपीएस)
आय प्रति प्रतिभूति (ईपीएस) को किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति का आकलन करने में महत्वपूर्ण घटक माना जाता है। ये कंपनी के शुद्ध लाभ का वह भाग होता है जो जारी किये गए प्रत्येक प्रतिभूति (शेयर) पर आवंटित किया जाता है। यह कंपनी के लाभ को प्रति शेयर के अनुसार दर्शाता है। ईपीएस के आधार पर ही पी-ई और डिविडेंड पेआउट की गणना भी की जाती है। पी-ई बहुप्रतिभूति के लिए एक प्रकार का उपकरण है, जिसमें ईपीएस को बाजार मूल्य से भाग किया जाता है। ईपीएस को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के वित्तीय विवरण में दिखाया जाता है तथा लेखा-परीक्षकों (ऑडिटर) द्वारा इसकी जांच भी की जाती है।  विस्तार में...

१५ जून २०१०[संपादित करें]

संत निकोलस को मृत्युदंड
संत निकोलस को मृत्युदंड
मृत्युदण्ड (अंग्रेज़ी:कैपिटल पनिश्मैन्ट), किसी व्यक्ति को वैधानिक तौर पर न्यायिक प्रक्रिया के फलस्वरूप किसी अपराध के परिणाम में प्राणांत का दण्ड देने को कहते हैं। अंग्रेज़ी में इसके लिये प्रयुक्त कैपिटल शब्द लैटिन के कैपिटलिस शब्द से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "सिर के संबंध में या से संबंधित" (लैटिन कैपुट)। इसके मूल में आरंभिक रूप में दिये जाने वाले मृत्युदण्ड का स्वरूप सिर को धड़ से अलग कर देने की प्रक्रिया में है। वर्तमान समय में एमनेस्टी इंटरनेशनल के आंकड़ों के अनुसार विश्व के ५८ देशों में अभी मृत्युदंड दिया जाता है, जबकि अन्य देशों में या तो इस पर रोक लगा दी गई है, या गत दस वर्षो से किसी को फांसी नहीं दी गई है। यूरोपियाई संघ के सदस्य देशों में,चार्टर ऑफ फ़्ण्डामेण्टल राइट्स ऑफ द यूरोपियन यूनियन की धारा-२ मृत्युदण्ड को निषेध करती है।  विस्तार में...

१६ जून २०१०[संपादित करें]

बीबीसी-आई प्लेयर, एक इंटरनेट टीवी सेवा का प्रचार
बीबीसी-आई प्लेयर, एक इंटरनेट टीवी सेवा का प्रचार
इंटरनेट टेलीविज़न (आइ.टीवी {iTV}, ऑनलाइन टीवी या इंटरनेट टीवी भी कहते हैं) इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित दूरदर्शन सेवा होती है। ये सेवा २१वीं शताब्दी में काफी प्रचलित हो चुकी है। इसके उदाहरण हैं संयुक्त राज्य में ह्यूलु एवं बीबीसी आईप्लेयर, नीदरलैंड्स में नीदरलैंड २४ सेवा। इसके लिये तेज गति वाला ब्रॉडबैंड कनेक्शन चाहिये, जिसके द्वारा इंटरनेट पर उपलब्ध टीवी चैनलों की स्ट्रीमिंग करके लाइव खबरें व अन्य सामग्री देख सकते हैं। अभी तक उपभोक्ता पहले सीधे उपग्रह, फिर केबल टीवी और उसके बाद डीटीएच यानी डायरेक्ट टू होम डिश के माध्यम से टीवी देखते रहे हैं। भारत में इस पूरी प्रक्रिया की शुरुआत को इंटरनेट प्रोटोकाल टेलीविजन (आईपीटीवी) के रूप में समझ सकते हैं। इसमें इंटरनेट, ब्राडबैंड की सहायता से टेलीविजन कार्यक्रम घरों तक पहुंचाता है।  विस्तार में...

१७ जून २०१०[संपादित करें]

फिल्म राजनीति का पोस्टर
फिल्म राजनीति का पोस्टर
राजनीति बालीवुड में जून, २०१० में प्रदर्शित भारतीय राजनीति पर आधारित फिल्म है। इसके निर्माता एवं निर्देशक प्रकाश झा है जिन्होनें पूर्व में गंगाजल जैसी फिल्मों का निर्देशन एवं निर्माण किया है। फिल्म में कैटरीना कैफ, अजय देवगन, रणबीर कपूर, अर्जुन रामपाल, मनोज बाजपेयी एवं नाना पाटेकर मुख्य भूमिका में है और संगीत प्रीतम चक्रवर्ती ने दिया है। फिल्म-समीक्षकों के अनुसार, राजनीति फिल्म का ढांचा प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत से प्रेरित है। इस फिल्म की पटकथा मुख्यतः भारतीय राजनीति एवं महाभारत पर आधारित है। राजनीति के प्रदर्शन के इस वातावरण में एक बार फिर राजनीतिक सिनेमा तथा राजनीतिक यथार्थ को लेकर विवाद शुरू हो गये। मुख्य विवाद में भारत की राष्ट्रीय पार्टियों में से एक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यह चाहती थी कि फिल्म के कुछ दृश्य हटाए जाएं विस्तार में...

१८ जून २०१०[संपादित करें]

एक पीएच मापक यंत्र
एक पीएच मापक यंत्र
पीएच मापक द्रव्यों की अम्लीयता और क्षारीयता यानि पीएच का स्तर मापन करने हेतु उपकरण होता है। इसके द्वारा जांचे गए द्रव्य में अम्लीयता और क्षारीयता का स्तर बराबर रहता है, तो वह द्रव्य उदासीन होता है। कई अर्ध-तरल पदार्थों की जांच हेतु विशेष प्रोब्स का प्रयोग भी किया जाता है। एक पीएच मापक यंत्र में एक मापक प्रोब (कांच की इलेक्ट्रोड) एक इलेक्ट्रॉनिक मीटर से जुड़ी रहती है, व पीएच का स्तर मीटर पर दिख जाता है। पहला वाणिज्यिक पीएच-मापक १९३६ में ब्रिटेन के डॉ॰ आर्नल्ड ओरविले बैकमैन ने बनाया था। कैलिफॉर्निया इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर बैकमैन को एक ऐसी युक्ति बनाने को कहा गया, जो नींबू के रस की अम्लीयता जल्दी और सही माप सके।  विस्तार में...

१९ जून २०१०[संपादित करें]

वाराणसी में गंगाजी की आरती
वाराणसी में गंगाजी की आरती
आरती हिन्दू उपासना की एक विधि है। इसमें जलती हुई लौ या इसके समान कुछ खास वस्तुओं से आराध्य के सामाने एक विशेष विधि से घुमाई जाती है। ये लौ घी या तेल के दीये की हो सकती है या कपूर की। इसमें वैकल्पिक रूप से, घी, धूप तथा सुगंधित पदार्थों को भी मिलाया जाता है। कई बार इसके साथ संगीत (भजन) तथा नृत्य भी होता है। मंदिरों में इसे प्रातः, सांय एवं रात्रि (शयन) में द्वार के बंद होने से पहले किया जाता है। प्राचीन काल में यह व्यापक पैमाने पर प्रयोग किया जाता था। तमिल भाषा में इसे दीप आराधनई कहते हैं। सामान्यतया पूजा के अंत में आराध्य भगवान की आरती करते हैं। आरती में कई सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है। इन सबका विशेष अर्थ होता है। ऐसी मान्यता है कि न केवल आरती करने, बल्कि इसमें सम्मिलित होने पर भी बहुत पुण्य मिलता है। किसी भी देवता की आरती करते समय उन्हें तीन बार पुष्प अर्पित करने चाहियें। इस बीच ढोल, नगाडे, घड़ियाल आदि भी बजाये जाते हैं। विस्तार में...

२० जून २०१०[संपादित करें]

विटामिन सी अणु का प्रतिरूप
विटामिन सी अणु का प्रतिरूप
विटामिन सी या एल-एस्कॉर्बिक अम्ल मानव एवं विभिन्न अन्य पशु प्रजातियों के लिये अत्यंत आवश्यक पोषक तत्त्व है। ये विटामिन रूप में कार्य करता है। कई प्रकार की उपापचयी अभिक्रियाओं हेतु एस्कॉर्बेट (एस्कॉर्बिक अम्ल का एक आयन) सभी पादपों व पशुओं में आवश्यक होता है। ये लगभग सभी जीवों द्वारा आंतरिक प्रणाली द्वारा निर्मित किया जाता है (सिवाय कुछ विशेष प्रजातियों के) जिनमें स्तनपायी समूह जैसे चमगादड़, एक या दो प्रधान प्राइमेट सबऑर्डर, ऐन्थ्रोपोएडिया (वानर, वनमानुष एवं मानव) आते हैं। इसका निर्माण गिनी शूकर एवं पक्षियों एवं मछलियों की कुछ प्रजातियों में नहीं होता है। जो भी प्रजातियां इसका निर्माण आंतरिक रूप से नहीं कर पातीं, उन्हें ये आहार रूप में वांछित होता है। इस विटामिन की कमी से मानवों में स्कर्वी नामक रोग हो जाता है। विस्तार में...

२१ जून २०१०[संपादित करें]

अनानास फल व अनुप्रस्थ काट
अनानास फल व अनुप्रस्थ काट
अनानास (अंग्रेज़ी:पाइनऍप्पल, वैज्ञा:Ananas comosus) एक खाद्य उष्णकटिबन्धीय पौधे एवं उसके फल का सामान्य नाम है हालांकि तकनीकी दृष्टि से देखें, तो ये अनेक फलों का समूह विलय हो कर निकलता है। यह मूलतः पैराग्वे एवं दक्षिणी ब्राज़ील का निवासी रहा है। अनानास को ताजा काट कर भी खाया जाता है, और शीरे में संरक्षित कर या रस निकालकर भी सेवन किया जाता है। इसे खानपान के उपरांत मीठे के रूप में सलाद के रूप में एवं फ्रूट-कॉकटेल में मांसाहार का विकल्प रूप में प्रयोग भी किया जाता है। मिष्ठान्न रूप में ये उच्च स्तर के अम्लीय स्वभाव (संभवतः मैलिक या साइट्रिक अम्ल) का होता है। अनानास एकमात्र कृषि किये गये ब्रोमेलियड फल होते हैं।  विस्तार में...

२२ जून २०१०[संपादित करें]

पार्टिकल एवं एंटीपार्टिकल
पार्टिकल एवं एंटीपार्टिकल
कणीय भौतिकी में, एंटीमैटर पदार्थ के एंटीपार्टिकल के सिद्धांत का विस्तार होता है, जहां एंटीमैटर उसी प्रकार एंटीपार्टिकलों से बना होता है, जिस प्रकार पदार्थ कणों का बना होता है। उदाहरण के लिये, एक एंटीइलेक्ट्रॉन (एक पॉज़ीट्रॉन, जो एक घनात्मक आवेश सहित एक इलेक्ट्रॉन होता है) एवं एक एंटीप्रोटोन (ऋणात्मक आवेश सहित एक प्रोटोन) मिल कर एक एंटीहाईड्रोजन परमाणु ठीक उसी प्रकार बना सकते हैं, जिस प्रकार एक इलेक्ट्रॉन एवं एक प्रोटोन मिल कर हाईड्रोजन परमाणु बनाते हैं। साथ ही पदार्थ एवं एंटीमैटर के संगम का परिणाम दोनों का विनाश (एनिहिलेशन) होता है, ठीक वैसे ही जैसे एंटीपार्टिकल एवं कण का संगम होता है। जिसके परिणामस्वरूप उच्च-ऊर्जा फोटोन (गामा किरण) या अन्य पार्टिकल-एंटीपार्टिकल युगल बनते हैं। वैसे विज्ञान कथाओं और साइंस फिक्शन चलचित्रों में कई बार एंटीमैटर का नाम सुना जाता रहा है। विस्तार में...

२३ जून २०१०[संपादित करें]

सौर घड़ी (सन डायल) का प्रयोग सूर्य की दिशा से समय का ज्ञान करने के लिए किया जाता था। इन घड़ियों की कार्यशैली और क्षमता दिन के समय तक सीमित होती थी क्योंकि यह रात के समय काम नहीं कर पाती थीं। इसके फिर भी विश्व में समय जानने हेतु सबसे पहले इनका प्रयोग किया गया था। इन्हीं घड़ियों को आधार बनाकर समय बताने वाली अन्य घड़ियों का आविष्कार हुआ था। भारत में प्राचीन वैदिक काल से सौर घड़ियों का प्रयोग होता रहा है। सूर्य सिद्धांत में सौर घड़ी द्वारा समय मापन के शुद्ध तरीके अध्याय ३ और १३ में वर्णित हैं। सौर घड़ियों के सही काम करने के लिए यह आवश्यक होता था कि उन्हें सही स्थानों पर स्थापित किया जाए। विश्व के अलग-अलग स्थानों पर एक ही समय पर सूर्य भिन्न दिशाओं में होता था, इसलिए सूर्य की दिशा के अनुसार घड़ियों को स्थापित करना होता था। विस्तार में...

२४ जून २०१०[संपादित करें]

४ इंच का सौर सेल
४ इंच का सौर सेल
सौर बैटरी या सौर सेल फोटोवोल्टाइक प्रभाव के द्वारा सूर्य या प्रकाश के किसी अन्य स्रोत से ऊर्जा प्राप्त करता है। अधिकांश उपकरणों के साथ सौर बैटरी इस तरह से जोड़ी जाती है कि वह उस उपकरण का हिस्सा ही बन जाती जाती है और उससे अलग नहीं की जा सकती। सूर्य की रोशनी से एक या दो घंटे में यह पूरी तरह चार्ज हो जाती है। सौर बैटरी में लगे सेल प्रकाश को समाहित कर अर्धचालकों के इलेक्ट्रॉन को उस धातु के साथ क्रिया करने को प्रेरित करता है। एक बार यह क्रिया होने के बाद इलेक्ट्रॉन में उपस्थित ऊर्जा या तो बैटरी में भंडार हो जाती है या फिर सीधे प्रयोग में आती है। ऊर्जा के भंडारण होने के बाद सौर बैटरी अपने निश्चित समय पर डिस्चार्ज होती है। ये उपकरण में लगे हुए स्वचालित तरीके से पुनः चालू होती है, या उसे कोई व्यक्ति ऑन करता है। विस्तार में...

२५ जून २०१०[संपादित करें]

स्वचालित बर्तन धोने की मशीन
स्वचालित बर्तन धोने की मशीन
गृह स्वचालन घरेलु उपकरणों एवं आवासीय स्थानों में स्वचालन के बढ़ते प्रयोग, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम द्वारा स्वचालन के बारे में होता है। यही शब्द इमारत स्वचालन (बिल्डिंग ऑटोमेशन) के लिये भी प्रयोग किया जाता है, जिसमें पूरी इमारत के स्वचालन से आशय होता है। इसमें वातानुकूलन, प्रकाश व्यवस्था, निगरानी, सुरक्षा, दरवाजों व खिड़कियों आदि पर आवागमन दृष्टि व प्रचालन सम्मिलित होते हैं। इस प्रकार के उपकरणों एवं प्रणाली को गृह स्वचालन एवं इनसे सुसज्जित गृह को स्मार्ट होम की संज्ञा दी जाती है। स्मार्ट होम्स यानी ऐसे घर जहां अधिकांश चीजें तकनीक चालित होती हैं। बटन दबाने पर वहां कई काम एक साथ हो जाते हैं। पूरा घर एक स्मार्ट होम नियंत्रक के संकेत पर चलता है। ये नियंत्रक एक रिमोट की तरह काम करता है जिससे घर का तापमान आदि भी व्यवस्थित हो जाता है।  विस्तार में...

२६ जून २०१०[संपादित करें]

सुरक्षा टोकन उपकरण
सुरक्षा टोकन उपकरण
नेट बैंकिग जिसे ऑनलाइन बैंकिंग या इंटरनेट बैंकिंग भी कहते हैं, के माध्यम से बैंक-ग्राहक अपने कंप्यूटर द्वारा अपने बैंक नेटवर्क और वेबसाइट का प्रचालन कर सकते है। इस प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ है कि कोई भी व्यक्ति घर या कार्यालय या कहीं से भी से बैंक सुविधा का लाभ उठा सकता है। ये इंटरनेट पर मिलनेवाली एक बैंकिंग सुविधा है, जिसके माध्यम से कंप्यूटर का प्रयोग कर उपभोक्ता बैंकों के नेटवर्क्स और उसकी वेबसाइट पर अपनी पहुंच बना सकता है और घर बैठे ही खरीददारी, पैसे का स्थानांतरण के अलावा अन्य तमाम कार्यों और जानकारी के लिए बैंकों से मिलने वाली सुविधा का लाभ उठा सकता है। भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गए शुरुआती आंकड़ों के अनुसार अप्रैल २००८ से जनवरी २००९ तक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ५५.८५८५ करोड़ रुपए का लेनदेन किया गया।  विस्तार में...

२७ जून २०१०[संपादित करें]

एक क्रेडिट कार्ड के सामने का फलक
एक क्रेडिट कार्ड के सामने का फलक
क्रेडिट कार्ड या उधार कार्ड एक छोटा प्लास्टिक कार्ड है, जो एक विशिष्ठ भुगतान प्रणाली के उपयोगकर्ताओं को जारी किए जाते है। इस कार्ड के द्वारा धारक इस वादे के साथ वस्तुएं और सेवायें खरीद सकते हैं कि, बाद मे वो इन वस्तुओं और सेवाओं का भुगतान करेगा। कार्ड का जारीकर्ता, कार्ड के द्वारा उपभोक्ता को उधार की सीमा देता है जिसके अन्तर्गत एक उपयोगकर्ता खरीदी हुई वस्तुओं के भुगतान के लिए पैसे प्राप्त कर सकता है, और नकद भी निकाल सकता है। क्रेडिट कार्ड आधुनिक युग में क्रेडिट कार्ड दैनिक आवश्यकता बन गया है। खरीदारी से लेकर कई जरूरी कार्यो में लोग क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करते हैं, लेकिन एक तरफ जहां यह सुविधा कई अर्थों में लोगों के लिए लाभप्रद है, तो इसके कई नुकसान भी देखने में आ रहे हैं। आजकल कई क्रेडिट कार्ड कंपनियों ने मोबाइल फोन के जरिये भी क्रेडिट कार्ड का काम चलाने का प्रावधान किया है। उनके अनुसार ये लेनदेन पूरी तरह सुरक्षित है, और इसके लिए एक पिन संख्या की आवश्यकता होती है। विस्तार में...

२८ जून २०१०[संपादित करें]

उत्तरी मालाबार में सूर्योदय
उत्तरी मालाबार में सूर्योदय
मालाबार केरल राज्य मे अवस्थित पश्चिमी घाट और अरब सागर के बीच भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिम तट के समानांतर एक संकीर्ण तटवर्ती क्षेत्र है। जब स्‍वतंत्र भारत में छोटी रियासतों का विलय हुआ तब त्रावनकोर तथा कोचीन रियासतों को मिलाकर १ जुलाई, १९४९ को त्रावनकोर-कोचीन राज्य बना दिया गया, किंतु मालाबार मद्रास प्रांत के अधीन रहा। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, १९५६ के तहत त्रावनकोर-कोचीन राज्य तथा मालाबार को मिलाकर १ नवंबर, १९५६ को केरल राज्य बनाया गया। केरल के अधिकांश द्वीप जो त्रावणकोर-मालाबार राज्य में आते थे, अब एर्नाकुलम जिले में आते हैं। मालाबार क्षेत्र के अंतर्गत पर्वतों का अत्यधिक आर्द्र क्षेत्र आता है। वनीय वनस्पति में प्रचुर होने के साथ-साथ इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों, जैसे नारियल, सुपारी, काली मिर्च, कॉफी, और चाय, रबड़ तथा काजू का उत्‍पादन किया जाता है। मालाबार क्षेत्र केरल का बड़ा व्यावसायिक क्षेत्र माना जाता है। यहाँ उच्चकोटि के कागज का भी निर्माण होता है। विस्तार से पढ़ें...

२९ जून २०१०[संपादित करें]

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन का लोगो
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन का लोगो
खाद्य एवं कृषि संगठन, संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशिष्ट संस्था है, जो कृषि उत्पादन, वानिकी और कृषि विपणन संबंधी शोध विषय का अध्ययन का कार्य तथा संबंधी ज्ञान और जानकारियों के आदान-प्रदान करता है। विकासशील देशों में कृषि के विकास में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। एफ़.ए.ओ विकासशील देशों को बदलती तकनीक जैसे कृषि, पर्यावरण, पोषक तत्व और खाद्य सुरक्षा के बारे में जानकारी देता है। इसकी स्थापना १६ अक्तूबर, १९४५ को हुई थी और इसका मुख्यालय रोम में स्थित है। वर्तमान में १९१ राष्ट्र इसके सदस्य हैं, जिसमें यूरोपियाई समुदाय एवं फैरो द्वीपसमूह भी सम्मिलित हैं, जो एसोसियेट सदस्य हैं। एफ.ए.ओ के प्रथम महानिदेशक ब्रिटेन के जॉन ओर थे। इसके वर्तमान महानिदेशक सेनेगल के जैक्स डियोफ हैं। इस संगठन के आठ विभाग हैं, प्रशासन एवं वित्त, आर्थिक और सामाजिक, फिशरीज, वानिकी, सामान्य विषय और सूचना, सतत विकास, कृषि और उपभोक्ता सुरक्षा और तकनीकी सहयोग हैं। एफएओ का आम वित्त-पोषण उसके सदस्यों द्वारा वहन किया जाता है। विस्तार में...

३० जून २०१०[संपादित करें]

[[चित्र:|100px|right|एक अंडाणु]]

इन व्रिटो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक तकनीक है, जिसमें महिलाओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। इस प्रक्रिया में किसी महिला के अंडाशय से अंडे को अलग कर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। विश्व में पहली बार इस प्रक्रिया का प्रयोग यूनाइटेड किंगडम में पैट्रिक स्टेपो और रॉबर्ट एडवर्डस ने किया था। और इससे जन्मे बच्चे लुईस ब्राउन ने २५ जुलाई, १९७८ को मैनचेस्टर में जन्म लिया। भारत में पहली बार डॉक्टर सुभाष मुखोपाध्याय ने इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया था। इनके द्वारा तैयार की गयी परखनली शिशु दुर्गा थी, जो विश्व की दूसरी परखनली शिशु थी। इस तकनीक द्वारा मनचाहे गुणों वाली संतान और बहुत से रोगों से जीवन पर्यन्त सुरक्षित संतान उत्पन्न करने के प्रयास भी जारी है। बहुत से प्रयास सफल भी हो चुके हैं। विस्तार में...

३१ जून २०१०[संपादित करें]

साँचा:आज का आलेख ३१ जून २०१०