वार्ता:दांते एलीगियरी

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लेखन संबंधी नीतियाँ
विकिपीडिया वार्ता:आज का आलेख उम्मीदवार से लाया गया अंश

इस लेख में ४३१ शब्द हैं, जबकि आलेख के नियमानुसार २५० शब्द न्यूनतम होने आवश्यक हैं। इसलिए इस लेख को मैं वापस प्रत्याशी सूची में डाल रहा हूं। इस संदर्भ में पूर्णिमा जी कृपया मथुरा की मूर्तिकला लेख (३४४ शब्द मात्र) देख लें। कालमेघ में ४३९ शब्द हैं। फुलेरेन में ४०९, और चिरौंजी में मात्र २७६ शब्द। और भी बहुत से लेख हैं, जो बहुत छोटे हैं। --आशीष भटनागरसंदेश १६:१३, २४ मई २००९ (UTC)

दांते लेख को जब मैंने देखा तब चित्र-दीर्घा के ऊपर बहुत ही छोटा आलेख था। ले-आउट के अनुसार चित्र दीर्घा सबसे नीचे लगाते हैं। इसलिए मैंने स्क्रीन स्क्रोल कर के नहीं देखा और इसे छोटे आलेख में रखा। सोचा पहले लेख की लंबाई २५० शब्द हो जाए तब बाकी विषयों को एक एक कर सुधारा जा सकता है। हालाँकि कमियाँ तो लेख में बहुत हैं जैसे उसका पहला वाक्य सुधारने के बाद भी इस प्रकार है- दांते एलीगियरी (मई/जून १२६५ – १४ सितंबर, १३२१) मध्यकाल के इतालवी कवि थे। दांते वर्जिल के बाद इटली के सबसे महान कवि थे।
  • क्या यह वाक्य दांते का पूरा परिचय देता है? (इसको अंग्रेज़ी विकिपीडिया देखकर अधिक सारगर्भित बनाया जा सकता है।
  • पहले ही दो वाक्यों का अंत कवि थे - कवि थे रचना की दृष्टि से सही है?

यह तो ऐसे ही है जैसे पहले दर्जे के विद्यार्थी लिखते हैं- गाय के चार पैर होते हैं। गाय की एक पूँछ होती है। गाय के दो सींग होते हैं ... फिर इसमें प्रमुख क्या है जो इसे प्रमुख लेख के लिए चुना जाए? (मैं बाकी कमियों के विषय में यहाँ चर्चा नहीं कर रही हूँ क्यों कि उसका कोई फ़ायदा नहीं। एक बात समझ में आ जाए वही बहुत है। क्यों कि लेख सुधारने और समझने की अपेक्षा दूसरों पर दोषारोपण करना बहुत आसान है। खुले आम न सही छुपा के। जैसे यहाँ किया गया है।)

विशेष प्रश्न यह है कि-

  • आज जब हिंदी विकि में ३०,००० शब्द हो गए हैं क्या वह समय नहीं आ गया कि धीरे-धीरे इसके एक एक लेख को स्तरीय बनाया जाए?
  • क्या वर्तनी व्याकरण और रचना की दृष्टि से त्रुटिपूर्ण लेख विकिपीडिया के उद्देश्य को पूरा करते हैं?
  • क्या जब आज का आलेख के लिए पर्याप्त अच्छे लेख हमारे पास हैं तो उसमें निम्नस्तरीय लेख दिए जाने चाहिए?
  • अगर एक कोने से कुछ लेखों को स्तरीय बनाने की कोशिश की जा रही है तो क्या मेरा ही लेख लेख प्रकाशित हो या मेरा लेख क्यों प्रकाशित नहीं हुआ इस प्रश्न को लेकर आक्रामक रवैया अपनाना चाहिए या मानदंडों के अनुसार उन्हें शांति से सीखने की कोशिश करनी चाहिए?

आशीष पहले भी प्रमुख आलेख का स्तर गिराने की बात चौपाल पर रख चुके हैं। [1] उनके लेखों में संपादन भी उन्हें पसंद नहीं है। [2] किसी परियोजना या समूह में मिलकर काम करने में भी उनकी आस्था नहीं है क्यों कि दांते एलीगियरी के विषय में किसी की राय जानने से पहले ही स्वयं निर्वाचित कर २९ मई के साँचे में डाल चुके हैं। अब मुझे विशेष कुछ तो नहीं कहना है क्यों कि दांते के पथ पर उनका लेख बासमती चावल भी चल निकला है। जिस तरह वे प्रमुख चित्रों में अपने स्तरहीन चित्रों को प्रदर्शित करते रहे हैं उसी प्रकार स्तरहीन लेखों को भी प्रमुख आलेख में प्रदर्शित कर सकते हैं। सिर्फ इतना ही कहूँगी कि कम से कम ‘भी’ की वर्तनी तो सही कर दें क्यों कि इसे ठीक लिखने का वादा तो वे चौपाल पर भी कर चुके हैं।

इस विषय में मुझे यह ही कहना है, कि :
  • जहां पूर्णिमा जी अन्य लेखों को संपादन कर आलेख के लिए उपयुक्त बनाती हैं, वहां दांते पर संपादन करने के लिए किसने रोका है। मैंने ये कभी नहीं कहा कि मेरा लेख, या मेरा लिखा जैसे का तैसा लेख ही मुख पृष्ठ पर आए।
  • यह एक मुक्त विश्व्वकोष है। यहां लेख में भाषा की सुंदरता महत्वपूर्ण है, किंतु क्या यह ज्ञान से भी ऊपर है। ३,४ या ५-१० त्रुटियां हैं भी तो उन्हें वे सुधार सकती हैं।
  • तीसरी बात मैंने दांते लेख को पहले प्रस्तावित की सूची में ही डाला था। बाद में उनके इसे छोटा कहने के बाद साक्ष्य सहित लंबाई प्रमाणित कर २९ मई खाली स्थान था, वहां डाला।
  • क्या जो लेख आलेख के लिए चयनित किए जाते हैं, वे जैसे के तैसे ही मुखपृष्ठ पर आ जाते हैं, और यदि उनमें संपादन होता है, तो निश्चित तौर पर कमियां भी होंगीं। तब दांते में भी यदि कुछ कमियां हैं, तो कैसी परेशानी। सुधार सकती हैं।
  • क्या सभी लोग मात्र हिन्दी भाषा के ही पंडित होंगे यहां। या किसी भी भाषा के विकिपीडिया में मात्र उस भाषा के ही पंडित होते हैं। कोई ऐसा नहीं तो तकनीकी दृष्टि या विज्ञान या गणित या अन्य विषयों में अच्छा हो, किंतु भाषा उतनी अच्छी ना हो, जितनी अच्छी उनकी जो अन्य विषयों में कम हों। क्या मैं भी हिन्दी भाषा के ज्ञानियों की अन्य विषयों में कमियों को उजागर करता सही लगूंगा। मैंने लेख अपनी समझ, ज्ञान के अनुसार बनाया है। और जैसा उन्हें सही लगे, भाषा सुधार लें।
  • हमें हिन्दी के विकास के साथ साथ ज्ञान का विकास भी करना है, जो कि हिन्दी से अधिक महत्वपूर्ण है। यदि कोई भी के स्थान पर १००० में से एक लेख में भी पढ़ ले तो उसे लेख का ज्ञान तो हो ही जाएगा। हां भाषा का सुधार उपरोक्तानुसार हिन्दी के ज्ञानी कर लें।
  • यहां ऐसे भी प्रबंधक हैं, जिनके ऐसे लेख हैं, जिनमें मात्र इतना ही लिखा है, कि थेम्स एक नदी है श्रेणी:नदी । तब क्या ये लेख सही नहीं हैं। या उनको प्रबंधक कहना उचित ना होगा। और दांते ऐसा तो नहीं ही है, जो इस लायक ना हो कि आलेख में ना आ पाए।
--आशीष भटनागरसंदेश १२:४१, २८ मई २००९ (UTC)

लेख होना अलग बात है और आज का आलेख होना अलग। आज का आलेख क्या है वह विकिपीडिया:आज का आलेख उम्मीदवार पृष्ठ पर दिया गया है। मैं यहाँ आशीष भटनागर के लेखों को सुधारने नहीं आई हूँ? मुझे जिस लेख में रुचि होगी सिर्फ वही सुधारूँगी। हर व्यक्ति यहाँ अपनी पसंद के काम करता है। अगर कोई पहले से अच्छा लेख मिलता है तो उसको आज का आलेख के लिए स्वीकार करने में किसी को कोई आपत्ति नहीं। निश्चित ही दांते आज के आलेख के उपयुक्त नहीं। बेहतर हो कि इसे आशीष खुद ही हटाएँ और सुधारें। प्रबंधक होने का यह मतलब नहीं कि हर निम्नस्तरीय चीज़ को प्रदर्शित करने का अधिकार मिल गया। --पूर्णिमा वर्मन २३:०५, २८ मई २००९ (UTC)

हां, किंतु प्रबंधक होने का मतलब यह अवश्य है, कि निम्नस्तरीय चीज़ को सुधारने का कर्तव्य एवं अधिकार मिल गया। तो आप उसे पूरा करें। मैंने अपनी ओर से लेख को उत्तम बनाया है। हिन्दी जो आपका विषय है, कृपया उस पर अपना अध्कार अएवं कर्तव्य समझते हुए सुधारें। यह ना देखें, कि लेख किसका है। यह देखें कि लेख हिन्दी विकिपीडिया का है। ऊंचा उठ कर सोचें। मैंने भी आपके लेख देहरादून जिला के लिए ढेरों सहायक लेख बनाए हैं, जिन्हें मात्र एक वाक्य का नहीं, बल्कि अच्छी लंबाई का बनाया है। यह नहीं सोचा कि आपका लेख और उसके सहायक हैं, बल्कि हिन्दी विकि की मांग समझ कर बनाए। खैर अपनी अपनी सोच है। आलेख के पृष्ठ पर जो मानदण्ड दिए गए हैं, उन्हें आप अपनी मर्जी से समय समय पर बदलती रहती हैं। यहां अपनी मर्जी से ऊपर उठकर विकि का हित पहले देखाना चाहिए।--आशीष भटनागरसंदेश ०२:२८, २९ मई २००९ (UTC)
कृपया ध्यान दें-
  • देहरादून लेख के लिए मैंने आपसे "आप करें, आप करें" ऐसा नहीं कहा। आपके संबंधित लेख मेरे लेख को सीधी तरह प्रभावित नहीं करते थे इसलिए मैंने आपसे इस विषय में बहस नहीं की।
  • देहरादून लेख मैंने दांते की तरह बिना ज़बरदस्ती साँचे में नहीं ठेला था। बाकायदा सारी अपत्तिजनक कमियों को पूरा करने के बाद सबकी सहमति से निर्वाचित होने के बाद साँचे में डाला गया था। मैंने कमियाँ निकालने वाले लोगों से आप ठीक करें ऐसा नहीं कहा था। अपनी कोशिश से कमियाँ दूर की थीं। जो नहीं आता था उसके लिए सहयोग लिया था। क्यों कि मैं उसे एक अच्छा लेख बनाना चाहती थी, क्यों कि इसी तरह हम सीखते हैं और अच्छे काम में आस्था है तो सीखना ज़रूरी है।
  • जहाँ तक आपके लेखों को सुधारने का सवाल है वह तो मेरे अधिकार में नहीं है क्यों कि आपके लेख कुतुबमीनार के सुधारने पर आपने जो बवाल मचाया था उसे यहाँ सब पढ़ चुके हैं।
  • किसी लेख को आपने अपनी दृष्टि से उत्तम बनाया है लेकिन आपको उस विषय का ज्ञान नहीं या जिस भाषा के माध्यम से बनाया गया उसकी ठीक जानकारी नहीं तो लेख में कमियाँ बनी रह सकती हैं। इन्हें टिप्पणियों के आधार पर सुधारा जाना चाहिए।
  • हिंदी कोई विषय नहीं है, विषय भाषा या साहित्य होते हैं। ८ या १० कक्षा के बच्चे भी सही हिंदी और सही रचना सीखते हैं। आज का आलेख में लेख की शब्द संख्या इसी को आधार मानकर की गई थी कि हर व्यक्ति यहाँ योगदान कर सके। लेकिन अगर किसी कारण सदस्यों का वह अभ्यास छूट गया है तो उसके लिए आवश्यक मानदंड बना दिए गए हैं।
  • आलेख के मानदंड समय समय पर ज़रूरत के मुताबिक जोड़े जाते हैं वे इस बात पर आधारित हैं कि लिखने में क्या गलतियाँ हो सकती हैं जिनको सुधारने की आवश्यकता है। इसमें मर्जी की कोई बात नहीं है। ये हिंदी और हिंदी विकिपीडिया के स्तर के विकास के लिए हैं।
  • ऊपर उठकर सोचें का क्या मतलब है? सही हिंदी वाले लेख आज का आलेख में हों यह कोई नीचता वाली बात है? क्या स्तरहीन लेख जबरदस्ती साँचे में डालकर, फिर आपत्ति होने पर हटाने की बजाय निरंतर बहस करना ऊपर उठकर सोचना है? अगर लेख पर कोई आपत्ति है तो उसे ठीककर के पुनः प्रस्तावित करना चाहिए। बिना इसके भाषा या रचना स्तर सुधर नहीं सकता। एक हिंदीभाषी प्रबंधक के लिए यह खेद की बात है कि वह चार पंक्तियों के संदेश में भी सही वर्तनी और व्याकरण का ध्यान न रख सके।
  • लेख ज़बरदस्ती साँचे में डालना आज का आलेख परियोजना को सुचारु रूप से चलाने में बाधक है। यह लेखक के दुराग्रह को व्यक्त करता है कि उसका ही लेख प्रकाशित किया जाए। ऐसा करने पर लेखक को चेतावनी दी जा सकती है।--पूर्णिमा वर्मन ०४:४८, ३० मई २००९ (UTC)
आपके सारगर्भित संदेश का धन्यवाद। इसके लिए:-
  • देहरादून के लिए आपने अनुरोध किया था, जैसे कि मैंने आपसे कई बार ताजमहल के लिए अनुरोध किया है। आप माने या नहीं।किंतु इसमें साधारणतया कोई उल्लेखनीय बात नहीं होती, आपने कहा तो मैंने भी याद कराया है।
  • जहां तक जबर्दस्ती सांचे में डालने की बात है, मैंने कुछ दिन तक उसे प्रस्ताव के लिए भी रखा था। और गलतियां सुधार भी दीं बाद में सांचे में डालने से पूर्व। और यहां आपने कितने लोगों से राय ली आलेख के लेखों को चुनने के लिए।
  • कुछ ऐसा ही आपने भी साल्मोनेला के चित्र के लिए आपने भी किया था, जबकि विकि का नियम है, कि चित्र की गुणवत्ता से ऊपर उसके विषय का मूल्य है। अब अपना एकाधिकार टूटा तो बुरा लग गया।
  • आज का आलेख और निर्वाचित लेख में बहुत अंतर है। कृपया दोनों को एक ही दृष्टि से ना देंखें। आप अपने कहे अनुसार लेख अपनी मर्जी के अनुसार चुनेंगीं तो मात्र वही लेख आलेख में दिखेंगे, जो आप चाहेंगीं। ऐसा तो कदापि नहीं हो सकता है।
  • हिन्दी भाषा आना और प्रवीणता होना दो अलग विषय हैं। वर्ना एक हिन्दी के स्नातकोत्तर और डॉक्टर तथा एक हिन्दी के दसवीं पास की बराबरी हो जाती। आपके अनुसार तो यहां मात्र हिन्दी पर ही जोर दें, और विषय छोड़ देने चाहिएं। पहले सभी को विश्वकॊष का सही अर्थ समझना चाहिए।
  • मैंने कुतुब मीनार के सुधारने के बारे में कभी कुछ नहीं कहा। कृपया झूठ का सहारा ना लें। मात्र यही कहा था, कि मूल लेख मेरा अनुवादित और बनाया हुआ था, जो कि अच्छी लंबाई का था।
  • गलतियां आपने भी की थीं, मगर मैंने कभी उन्हें उजागर नहीं किया। आपने स्वयं माना कि दांते को पूरा स्क्रॉल किए बिना ही उसे आकार में छोटे लेख की श्रेणी में डाल दिया। एक प्रबंधक से ये तो कभी भी अपेक्षित नहीं है। दांते का अंग्रेज़ी वर्ज़न देखें, वहां भी चित्र दीर्घा बीच में ही है।
  • आगे इस विषय में मैं कोई चर्चा नहीं करूंगा। बहुत बात हो चुकी है। वर्ना ये एक बहस में बदल जाएगी। हां एक बात पर ध्यान दिलाना चाहूंगा, कि मैं हिन्दी का प्रबंधक नहीं, हिन्दी विकिपीडिया-ज्ञानकोष का प्रबंधक हूं। हिन्दी से ऊपर ज्ञान है। हिन्दी मात्र माध्यम है यहां।--आशीष भटनागरसंदेश १४:५८, ३० मई २००९ (UTC)