वार्ता:अप्रतीत दोष

पृष्ठ की सामग्री दूसरी भाषाओं में उपलब्ध नहीं है।
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

यह पृष्ठ अप्रतीत दोष लेख के सुधार पर चर्चा करने के लिए वार्ता पन्ना है। यदि आप अपने संदेश पर जल्दी सबका ध्यान चाहते हैं, तो यहाँ संदेश लिखने के बाद चौपाल पर भी सूचना छोड़ दें।

लेखन संबंधी नीतियाँ

परिभाषा:- आचार्य मम्मट के अनुसार काव्य के मुख्य अर्थ ( रस) के विधात तत्व ही दोष है|

प्रसाद ने साहित्यदर्पण में "रसापकर्षका दोष:" कहकर रस का अपर्कष करने वालो तत्वों को दोष बताया है|

दोषों का विभाजन:--- दोषों का विभाजन करना तर्कसंगत नही है काव्यप्रकाश में ७० दोष बताए गये है इन्हे प्रायः पांच दोषो में विभाजित किया गया है:-- १-पद दोष २- पदांश दोष ३- वाक्य दोष. ४- अर्थ दोष ५- रस दोष -- डॉ॰ जगदीश व्योम ०१:०६, ११ सितंबर २००९ (UTC)