रामटेक

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रामटेक
Ramtek
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शांतिनाथ जैन मंदिर, रामटेक
शांतिनाथ जैन मंदिर, रामटेक
रामटेक is located in महाराष्ट्र
रामटेक
रामटेक
महाराष्ट्र में स्थिति
निर्देशांक: 21°23′38″N 79°19′34″E / 21.394°N 79.326°E / 21.394; 79.326निर्देशांक: 21°23′38″N 79°19′34″E / 21.394°N 79.326°E / 21.394; 79.326
देश भारत
प्रान्तमहाराष्ट्र
ज़िलानागपुर ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल22,518
भाषा
 • प्रचलितमराठी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)

रामटेक (Ramtek) भारत के महाराष्ट्र राज्य के नागपुर ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]

महाराष्ट्र राज्य के नागपुर जिला में रामटेक तहसील नामक प्रसिद्ध ऐतिहासिक तीर्थस्थान है. नागपुर से रामटेक की दूरी 50 किलोमीटर है यह स्थान निसर्ग से भरपूर पहाड़ी हरेभरे पेड़ पौधे और प्रसिद्ध श्रीराम मंदिर के वजह से मशहूर है. रामटेक स्थित पहाड़ी श्रृंखला को सिंधुरागिरी पर्वत भी कहा जाता है. रामटेक की पहाड़ी पर स्थित प्रभु श्रीराम का मंदिर है मान्यता है कि प्रभु श्रीराम अपने वनवास के दौरान यहां पर रुके थे, इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण और पद्मपुराण में मिलता है यही पर अगस्ती मुनि का आश्रम था मान्यता यह भी है की महर्षी अगस्ति मुनि द्वारा यही पर प्रभु श्रीराम को ब्रह्मास्त्र दिया गया था. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार प्रभु श्रीराम ने यही पर राक्षसों का संहार करने का वर्णन रामायण के एक चौपाई में मिलती है, राक्षसों के संहार करने की प्रतिज्ञा प्रभु श्रीराम ने यहां पर लेने के कारण आज वर्तमान में इस क्षेत्र का नाम ही रामटेक नाम से जाना जाता है,इसलिए इस भव्य शहर का नाम रामटेक रखा गया था जो आज विश्वविख्यात हैं.

इस रामटेक से देश की संसद में रामटेक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य भी सांसद के तौर पर जनता द्वारा लोकतांत्रिक पद्धति से भेजा जाता है और महाराष्ट्र की विधानसभा में एक विधायक भी यहां से जनता द्वारा लोकतांत्रिक पद्धति से भेजा जाता है!!

निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।

सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह॥

भावार्थ

श्री रामजी ने भुजा उठाकर प्रण किया कि मैं पृथ्वी को राक्षसों से रहित कर दूँगा। फिर समस्त मुनियों के आश्रमों में जा-जाकर उनको (दर्शन एवं सम्भाषण का) सुख दिया॥

इस दौरान प्रभु श्रीराम इस पवित्र स्थान पर चार महीने तक महर्षी अगस्ती मुनि के आश्रम में रहने की भी मान्यता है यही पर प्रभु श्री राम ने कई शस्त्र ज्ञान भी अर्जित करने की मान्यता है, मान्यता है यही से प्रभु श्रीराम ने अन्य ऋषि मुनियों से भेट करने उनसे संभाषण एवं दर्शन करने का सुख दिया.

इस पहाड़िस्थित मंदिर की पूर्व से सुरनदी बहती है जो आज खिंडसी जलाशय के नाम से विख्यात है दूर दूर से आज पर्यटक यहां पर आते रहते है और निसर्ग प्रकृति का आनंद उठाते है. यहां पर साल में एक बार "रामनवमी" के समय भव्य आयोजन किया जाता है तथा पोर्णिमा के दिन "टीपूर पोर्णिमा" के दिन प्रभु श्रीराम के पुराने वस्त्रों को अग्नी में विलीन करने की परंपरा है इस समय यहा पर भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया जाता है और इसे देखने के लिए भारी मात्रा श्रद्धालु और पर्यटक दूर दूर से यहां सप्ताह भर पहले से अपने रिश्तेदारों के यहापर आते है.

इस रामटेक स्थित पहाड़ी पर मुख्य आकर्षण का केंद्र किलानुमा बना प्रभु श्रीराम का प्राचीन मंदिर है जिसे देखने और प्रभु श्रीराम का दर्शन करने देशभर से श्रद्धालु रामटेक आया करते है, कहा जाता है की यह किले के रूप में मंदिर का निर्माण उस समय के राजा रघुजी भोंसले द्वारा कराया गया था, जो १८वी शताब्दी में नागपुर के मराठा शासक थे उन्होंने छिंदवाड़ा में देवगढ़ के दुर्ग पर विजय प्राप्ति के बाद यहां पर मंदिर बनवाया।।

रामटेक में महाकवि कालीदास जी का भव्य दिव्य एक स्मारक भी मौजूद है यही पर महाकवि कालीदास द्वारा मेघदूत काव्य की रचना किए जाने का इतिहास है.

रामटेक में दिगंबर जैन मंदिर भी है जिसका निर्माण १७वी शताब्दी के दौरान जैनियों के दिगंबर संप्रदाय द्वारा किया गया था जो भगवान महावीर के अनुयाई थे यह मंदिर जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र और महाराष्ट्र के सबसे पुराने जैन मंदिरों में से एक है यहापर देश भर से जैन धर्म के लोग आते है .

रामटेक एक महत्वपूर्ण नैसर्गिक प्रकृति के आशीर्वाद से भरी हुई जगह है यह सौंदर्य देखते ही बनता है रामटेक स्थित इन्हीं पहाड़ियों के नीचे अंबाला नामक तलाव है जिसका बहुत ही महत्व बताया गया है यह तीर्थ भी और इसे विदर्भ की काशी भी कहा जाता है।। इस अंबाला तलाव में स्नान करने से एक कुष्टरोग से ग्रसित राजा का कुष्टरोग ठीक होने की चर्चा आज भी यहां के लोग करते है इस कुंड का जल लोग आज भी गंगा जैसा पवित्र मानते है और इसे पीने के लिए लेकर जाते है।।

रामटेक एक नैसर्गिक दार्शनिक और प्रकृति के आशीर्वाद से आनंदित एक पर्यटन और तबियत को तरोताजा कर देने वाला स्थान है यहां आने पर शरीर में एक अलग ऊर्जा का संचार होता है।।

धन्यवाद आप सभी का

धर्मेंद्र रविशंकर शुक्ला रामटेक




मटेक

रामटेक का इतिहास

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "रामटेक का इतिहास". रामटेक का इतिहास. अभिगमन तिथि 2023-08-18.
  2. "Mystical, Magical Maharashtra," Milind Gunaji, Popular Prakashan, 2010, ISBN 9788179914458