रवि शंकर (आध्यात्मिक गुरू)

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रवि शंकर

श्री श्री रवि शंकर
जन्म रविशंकर
13 मई 1956 (1956-05-13) (आयु 67)
पापनाशम, तमिलनाडु, भारत
गुरु/शिक्षक महर्षि महेश योगी[1][2]
खिताब/सम्मान श्री श्री
कथन मैं एक तनाव और हिंसा मुक्त समाज चाहता हूँ।[3][4]
धर्म हिन्दू
राष्ट्रीयता भारत
श्री श्री रविशंकर

रवि शंकर सामान्यतः श्री श्री रवि शंकर के रूप में जाने जाते हैं, (जन्म: १३ मई १९५६) विश्व स्तर पर एक आध्यात्मिक नेता एवं मानवतावादी धर्मगुरु हैं। उनके भक्त उन्हें आदर से प्राय: "श्री श्री" के नाम से पुकारते हैं। वे आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन के संस्थापक हैं।

जीवनचरित[संपादित करें]

रविशंकर का जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य में 13 मई 1956 को हुआ। उनके पिता का नाम व वेंकट रत्नम् था जो भाषाकोविद् थे। उनकी माता श्रीमती विशालाक्षी एक सुशील महिला थीं। आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेते हुए उनके पिता ने उनका नाम रखा ‘रविशंकर’।

रविशंकर शुरू से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। मात्र चार साल की उम्र में वे श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ कर लेते थे। बचपन में ही उन्होंने ध्यान करना शुरू कर दिया था। उनके शिष्य बताते हैं कि फीजिक्स में अग्रिम डिग्री उन्होंने 17 वर्ष की आयु में ही ले ली थी।

रविशंकर पहले महर्षि महेश योगी के शिष्य थे। उनके पिता ने उन्हें महेश योगी को सौंप दिया था। अपनी विद्वता के कारण रविशंकर महेश योगी के प्रिय शिष्य बन गये। उन्होंने अपने नाम रविशंकर के आगे ‘श्री श्री’ जोड़ लिया जब प्रख्यात सितार वादक रवि शंकर ने उन पर आरोप लगाया कि वे उनके नाम की कीर्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं।

रविशंकर लोगों को सुदर्शन क्रिया सशुल्क सिखाते हैं। इसके बारे में वो कहते हैं कि १९८२ में दस दिवसीय मौन के दौरान कर्नाटक के भद्रा नदी के तीरे लयबद्ध सांस लेने की क्रिया एक कविता या एक प्रेरणा की तरह उनके जेहन में उत्पन्न हुई। उन्होंने इसे सीखा और दूसरों को सिखाना शुरू किया।

१९८२ में में श्री श्री रविशंकर ने आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन की स्थापना की। यह शिक्षा और मानवता के प्रचार प्रसार के लिए सशुल्क कार्य करती है। १९९७ में ‘इंटरनेशनल एसोसियेशन फार ह्यूमन वैल्यू’ की स्थापना की जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उन मूल्यों को फैलाना है जो लोगों को आपस में जोड़ती है।

दर्शन[संपादित करें]

रवि शंकर कहते हैं कि सांस शरीर और मन के बीच एक कड़ी की तरह है जो दोनों को जोड़ती है। इसे मन को शांत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि ध्यान के अलावा दूसरे लोगों की सेवा भी इंसान को करनी चाहिए। वे विज्ञान और आध्यात्म को एक-दूसरे का विरोधी नहीं, बल्कि पूरक मानते हैं। वे एक ऐसी दुनिया बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं जिसमें रहने वाले लोग ज्ञान से परिपूर्ण हो ताकि वे तनाव और हिंसा से दूर रह सकें। 2001 में जब आतंकवादियों ने विश्व व्यापार संगठन पर हमला किया तो आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने पूरे न्यू यार्क के लोगों के निःशुल्क तनाव को दूर करने के कोर्स करवाया। इस संस्था ने कोसोवो में युद्ध से प्रभावित लोगों के लिए सहायता कैम्प भी लगाया। इराक में भी संस्था ने 2003 में युद्ध प्रभावित लोगों को तनाव मुक्ति के उपाय बताए। इराक के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर श्री श्री रवि शंकर ने इराक का दौरा किया और वहां के शिया, सुन्नी तथा कुरदिश समुदाय के नेताओं से बातचीत की। 2004 में पाकिस्तान के उन नेताओं से भी मिले जो विश्व शांति स्थापना के पक्षधर थे। संसार ने जब सुनामी को देखा तो संस्था के लोग मदद के लिए वहां भी खड़े थे। दुनिया भर के कैदियों के उत्थान के लिए भी संस्था निरंतर कार्य करती रहती है।

सुदर्शन -क्रिया[संपादित करें]

सुदर्शन- क्रिया 'आर्ट ऑफ लिविंग'[5] कोर्स का आधार है। जो लोग सुदर्शन क्रिया सीखने की इच्छा जताते हैं उन्हें एक समझौते पर हस्ताक्षर करना पड़ता है कि वे सुदर्शन क्रिया को किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बताएंगे। सुदर्शन क्रिया के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह शरीर, मन और भावनाओं को ऊर्जा से भर देती है तथा उन्हें प्राकृतिक स्वरूप में ले आती है। इसे सिखाने के कोर्स की फीस हर देश में अलग-अलग है। अमेरिका में एक व्यक्ति से 375 डालर लिये जाते हैं। कालेज के विद्यार्थियों को कुछ छूट दी जाती है। इसके अलावा कुछ और संस्थाएं हैं जो श्री श्री रवि शंकर की देख-रेख में काम करती हैं जो निमन्वत हैं-

  • वेद विज्ञान विद्यापीठ
  • श्री श्री सेंटर फार मीडिया स्टडीज
  • श्री श्री कालेज और आयुर्वेदिक साइंस एण्ड रिसर्च
  • श्री श्री मोबाइल एग्रीकल्चरल इनिसिएटीव्स
  • श्री श्री रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट

आलोचना[संपादित करें]

2012 में, रविशंकर ने जयपुर में एक समारोह में भाग लेने के दौरान दावा किया कि कुछ भारतीय सरकारी स्कूल नक्सलवाद के लिए आधार बना रहे हैं, भारत में आतंकवादी कम्युनिस्ट समूहों के एक आंदोलन को आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। उन्होंने कहा, "सभी सरकारी स्कूलों और कॉलेजों का निजीकरण किया जाना चाहिए। सरकार को कोई स्कूल नहीं चलाना चाहिए। यह अक्सर पाया जाता है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे नक्सलवाद और हिंसा की चपेट में आते हैं। निजी स्कूलों के बच्चे इसमें शामिल नहीं होते हैं," उनका कहना था। बाद में, रवि शंकर ने स्पष्टीकरण जारी किया कि उनका मतलब यह नहीं था कि सभी सरकारी स्कूल नक्सलवाद को बढ़ावा देते हैं। उनके ट्विटर अकाउंट पर अधिक स्पष्टीकरण दिया गया: "मैंने विशेष रूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बीमार सरकारी स्कूलों का उल्लेख किया है। नक्सलवाद की ओर रुख करने वाले कई लोग इन स्कूलों से आए हैं। मैंने यह नहीं कहा कि सभी सरकारी स्कूल (जहां लाखों अध्ययन करते हैं) नक्सलवाद को बढ़ावा देते हैं। "[6][7] मार्च 2018 में, उन्हें अपनी टिप्पणी के लिए राजनीतिक नेताओं की आलोचना का सामना करना पड़ा, जहां उन्होंने कहा, अगर राम मंदिर का मुद्दा जल्द हल नहीं हुआ तो भारत सीरिया में बदल जाएगा।[8]

सम्मान एवं पुरस्कार[संपादित करें]

श्री श्री रविशंकर की सेवाओं को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। उनमें कुछ निम्नवत हैं-

  • नेशनल वेटरैन्स फाउंडेशन अवार्ड,अमेरिका, 2007
  • वर्षद कन्नडिगा, ईटीवी, 2007
  • आर्डर पोल स्टार 2006, मंगोलिया का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार
  • पद्मविभूषण , भारत सरकार , 2016
  • द एमिसरी आफ पीस अवार्ड,नवंबर,2023

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. राजीव मणि (१२ फ़रवरी २००८). "Maharishi Mahesh Yogi cremated in Allahabad" [महर्षि महेश योगी का इलाहबाद में अन्तिम संस्कार] (अंग्रेज़ी में). द टाइम्स ऑफ़ इंडिया. मूल से 14 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 मार्च 2016. नामालूम प्राचल |acesdate= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)
  2. शरत प्रधान (११ फ़रवरी २००८). "Mahesh Yogi cremated with state honours" [महेश योगी का राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार] (अंग्रेज़ी में). द हिन्दुस्तान टाइम्स. मूल से 25 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ९ मार्च २०१६.
  3. "The header note of the website". मूल से 28 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
  4. संजीव श्रीवास्तव. "श्री श्री रविशंकर से 'एक मुलाक़ात'". बीबीसी हिन्दी. अभिगमन तिथि ९ मार्च २०१६.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 फ़रवरी 2015.
  6. "Protest against Sri Sri Ravi Shankar for his remarks on government schools". The Times of India. 22 March 2012.
  7. "Didn't say all govt schools breed Naxalism: Sri Sri Ravi Shankar". NDTV. 21 March 2012.
  8. Team, BS Web (2018-03-06). "Sri Sri Ravi Shankar likens India to Syria, gets trolled: Top 10 highlights". Business Standard India. अभिगमन तिथि 2018-09-29.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]