रवि शंकर प्रसाद

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रवि शंकर प्रसाद
रवि शंकर प्रसाद

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
19 जुलाई 2016
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
सहायक एस एस आहलुवालिया
पूर्वा धिकारी Ministry formed

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
5 जुलाई 2016
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
पूर्वा धिकारी डी वी सदानन्द गौडा
पद बहाल
26 मई 2014 – 9 नवम्बर 2014
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
पूर्वा धिकारी कपिल सिब्बल
उत्तरा धिकारी डी वी सदानन्द गौडा

पद बहाल
26 मई 2014 – 5 जुलाई 2016
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
पूर्वा धिकारी कपिल सिब्बल
उत्तरा धिकारी मनोज सिन्हा

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
मई 2019
पूर्वा धिकारी शत्रुघन सिन्हा
चुनाव-क्षेत्र पटना साहिब

जन्म 30 अगस्त 1954 (1954-08-30) (आयु 69)
पटना, बिहार, भारत
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी
जीवन संगी माया
शैक्षिक सम्बद्धता पटना विश्वविद्यालय
पेशा अधिवक्ता

रवि शंकर प्रसाद (जन्म: ३० अगस्त, १९५४) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं।[1] वर्तमान में वे भारतीय संसद के ऊपरी सदन में बिहार राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में भारत के कोयला एवं खान मंत्रालय, कानून एवं न्याय मन्त्रालय तथा सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय में राज्य मंत्री रह चुके हैं। प्रसाद भारत के मुख्य राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अग्रणी सदस्यों में से एक हैं।

प्रारम्भिक जीवन[संपादित करें]

रवि शंकर प्रसाद का जन्म बिहार में पटना के एक प्रख्यात कायस्थ परिवार में हुआ। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से बी०ए०(ऑनर्स), एम०ए०(राजनीति विज्ञान) तथा एलएल०बी० की डिग्रियाँ लीं। उनके पिता ठाकुर प्रसाद पटना उच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित वकील थे तथा तत्कालीन जनसंघ (वर्तमानकाल में भाजपा) के प्रमुख संस्थापकों में से एक थे। उनका विवाह ३ फ़रवरी १९८२ को डॉ॰ माया शंकर के साथ हुआ। वे पटना विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर हैं।

प्रसाद ने 1970 के दशक में इन्दिरा गांधी की सरकार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शनों का आयोजन कर छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन आरम्भ किया। आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में उन्होंने बिहार में छात्र आन्दोलन का नेतृत्व किया तथा जेल भी गए। वे कई वर्षों तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ जुड़े रहे और संगठन में विभिन्न पदों पर आसीन रहे। छात्र जीवन में वे पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के सहायक महासचिव और विश्वविद्यालय की सीनेट तथा वित्त समिति, कला और विधि संकाय के सदस्य रह चुके हैं।

एक वकील के रूप में[संपादित करें]

रवि शंकर प्रसाद भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक पेशेवर वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। उन्होंने १९८० में पटना उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की थी। पटना उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ द्वारा उन्हें वर्ष १९९९ में वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया। २००० में उनका नामांकन सर्वोच्च न्ययायालय में हुआ। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के विरुद्ध कुख्यात चारा घोटाले और कोलतार घोटाले में जनहित याचिका पर बहस करने वाले वे प्रमुख वकील थे। वे पटना उच्च न्यायालय में कई मामलों में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के वकील भी रहे। उन्होंने विधि एवं चिकित्सा तथा पेटेण्ट कानून पर अन्तर्राष्ट्रीय कांग्रेसों में भाग लिया। उन्होंने बड़ी संख्या में सार्वजनिक, निजी एवं कार्पोरेट निकायों के मुकदमे लड़े हैं। वे रेलवे, बेनेट एण्ड कोलमैन, डाबर आदि प्रमुख संगठनों के न्यायिक मुकदमे भी संभालते रहे हैं। वे बिहार बैंकिंग सेवा भर्ती बोर्ड के वरिष्ठ वकील रहे हैं। नर्मदा बचाओ आन्दोलन मामला, टी०एन० थिरुमपलाड बनाम भारत संघ, रामेश्वर प्रसाद बनाम भारत संघ (बिहार विधानसभा भंग मामला) तथा भारत में चिकित्सा शिक्षा पर प्रो॰ यशपाल का मामला, उनके द्वारा लड़े गए ऐतिहासिक मामलों में से हैं। २०१० में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ में लम्बे समय से चल रहे अयोध्या मुकदमे के तीन अधिवक्ताओं में से प्रसाद भी एक थे।

एक राजनेता के रूप में[संपादित करें]

वे वर्षों तक भाजपा की युवा शाखा तथा पार्टी संगठन में राष्ट्रीय स्तर के उत्तरदायित्व संभालते रहे हैं। सन् २००० में वह सांसद बने और सन् २००१ में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कोयला एवं खान राज्य मंत्री रहे। वे भाजपा के मुख्य प्रवक्ता हैं।

एक मंत्री के रूप में[संपादित करें]

1 जुलाई 2002 को प्रसाद को विधि एवं न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री का अतिरिक्त भार दिया गया। कार्यभार संभालने के एक पखवाड़े के अन्दर उन्होंने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन हेतु एक विधेयक तैयार किया और फास्ट ट्रैक अदालतों की प्रक्रिया को गति दी।

सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री के रूप में उन्होंने रेडियो, टेलीविजन और एनिमेशन क्षेत्र में सुधारों तथा गोवा में भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के केन्द्र की स्थापना की शुरुआत की।

अप्रैल 2002 में, उन्हें भारतीय शिष्टमण्डल के नेता के रूप में डरबन (दक्षिण अफ्रीका) गुट निरपेक्ष मन्त्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए भेजा गया था। इसके बाद उन्हें गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के मन्त्रिस्तरीय प्रतिनिधिमण्डल में भारतीय सदस्य के रूप में रामल्ला में फिलिस्तीनी नेता स्वर्गीय यासिर अराफात से मिलकर उनके साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए भेजा गया। उन्हें राष्ट्रमण्डल कानून मंत्री शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारतीय शिष्टमण्डल के नेता के रूप में सेण्ट विंसेन्ट (वेस्टइण्डीज) भेजा गया। उन्होंने कान, वेनिस और लन्दन फिल्म समारोहों में भारतीय प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व किया।

अक्टूबर 2006 में उन्हें न्यूयॉर्क में हुई 61वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ भेजा गया।

भाजपा के प्रवक्ता के रूप में[संपादित करें]

प्रसाद 2006 में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने और अप्रैल 2006 में बिहार से राज्य सभा के लिए पुनः सांसद चुने गए। 2007 में उन्हें फिर भारतीय जनता पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया। पिछले 10 वर्षों से वे भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। वे विभिन्न संसदीय समितियों के भी सदस्य हैं। हाल ही में वे उत्तरांचल विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के प्रभारी थे।

2009 में लोकसभा के लिए चुनाव अभियान में उन्होंने विभिन्न टेलीविजन चैनलों पर भाजपा की स्थिति प्रस्तुत की है। वे बातचीत में वहुधा यह वाक्य दोहराते हैं - "लेट मी टेल यू माई गुड फ्रेड! (यार! मुझे भी बताने दीजिए।)"

संभाले गए पद[संपादित करें]

  • 1991 से 95 तक दो कार्यकाल के लिए भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
  • अप्रैल 2000 राज्य सभा सदस्य निर्वाचित
  • मई 2000 से 2001 तक पेट्रोलियम, रसायन तथा वित्त मंत्रालय की सलाहकार समितियों के सदस्य
  • 1 सितम्बर 2001 से 29 जनवरी 2003 तक कोयला और खान मंत्रालय में राज्य मंत्री
  • 1 जुलाई 2002 से 29 जनवरी 2003 तक विधि और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री का अतिरिक्त प्रभार
  • 29 जनवरी 2003 से मई 2004 तक सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार
  • मई 2000 से अगस्त 2001 तक विधायी समिति के सदस्य
  • अगस्त 2004 से अगस्त 2006 तक मानव संसाधन विकास समिति के सदस्य
  • सितम्बर 2004 से अप्रैल 2006 तक राज्य सभा की स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के सदस्य
  • अक्टूबर 2004 से 2006 तक वित्त मन्त्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य
  • नवम्बर 2004 से मानव संसाधन विकास समिति की विश्वविद्यालय एवं उच्चतर शिक्षा उप समिति के सदस्य
  • अप्रैल 2006 पुनः राज्य सभा के लिए निर्वाचित
  • 2006 से सूचना प्रौद्योगिकी सम्बन्धी समिति के सदस्य
  • सितम्बर 2006 से विशेषाधिकार समिति के सदस्य

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Sexual preference can be a personal choice, says Law minister Ravi Shankar Prasad". मूल से 26 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जुलाई 2018.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]