मुर्रा भैंस
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मुर्रा भैंस | |
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फिलीपींस के केन्द्रीय मिन्दानाओ विश्वविद्यालय के फिलीपींस काराबाओ केन्द्र में मुर्रा भैंसें। | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जन्तु |
संघ: | रज्जुकी |
वर्ग: | स्तनधारी |
गण: | आर्टियोडक्टाइला |
कुल: | बोवाइडी |
उपकुल: | बोवाइनी |
वंश समूह: | बोविनी |
वंश: | बुबालस |
जाति: | बी. बुबालिस |
द्विपद नाम | |
बुबालस बुबालिस (लीनियस, 1758) |
मुर्रा भैंस, पालतू भैंस की एक प्रजाति है जो दूध उत्पादन के लिए पाली जाती है। यह मूलतः अविभाजित पंजाब का पशु है किन्तु अब दूसरे प्रान्तों तथा दूसरे देशों (जैसे इटली, बल्गेरिया, मिस्र आदि) में भी पाली जाती है। हरियाणा में इसे 'काला सोना' कहा जाता हैै। दूध में वसा उत्पादन के लिए मुर्रा सबसे अच्छी नस्ल है। मुर्रा भैंस के सींग जलेबी आकार के होते हैं। इसके दूध में 7% वसा पाई जाती है। इस भैंस का रंग काला होता है। उत्पत्ति स्थान हिसार से दिल्ली माना जाता है। मुर्रा भैंस की गर्भा अवधि 310 दिन की हौती है अौर अयन विकसित तथा दूध शिराएँ उभरी हौती है।
शारीरिक पहचान[संपादित करें]
इस नस्ल के पशु का रंग काला स्याह होता है। इनका सिर छोटा व सींग छल्ले के आकार के होते हैं। लेकिन सिर, पूँछ और पैर पर सुनहरे रंग के बाल पाये जाते हैं। इनकी पूँछ लम्बी तथा पिछला भाग सुविकसित होता है। अयन भी सुविकसित होता है।