मिरात-उल-उरूस

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दुल्हन का आइना

मिरात उल-उरूस (مراۃ العروس, अर्थ: दुल्हन का आइना) नज़ीर अहमद देहलवी द्वारा लिखा गया और सन् १८६९ में प्रकाशित हुआ एक उर्दू उपन्यास है। यह उपन्यास भारतीय और मुस्लिम समाज में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने वाले कुछ तत्वों के लिए प्रसिद्ध है और इससे प्रेरित होकर हिन्दी, पंजाबी, कश्मीरी और भारतीय उपमहाद्वीप की अन्य भाषाओं में भी इस विषय पर आधारित उपन्यास लिखे गए।[1] छपने के २० वर्षों के अन्दर-अन्दर इस किताब की १ लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी थीं।[2] यह अक्सर उर्दू भाषा का पहला उपन्यास माना जाता है।

कथानक[संपादित करें]

यह कहानी दिल्ली की दो मुस्लिम बहनों - अकबरी और असग़री - पर आधारित है। उपन्यास का पहला भाग अकबरी की दास्तान बताता है जिसने अमीरी और आराम में जन्म लिया। उसे आलसी और कम पढ़ा-लिखा बताया गया है। जब वह विवाह के बाद अपने पति के घर जाती है तो अपने नासमझी और बुरे बर्ताव से उसपर तरह-तरह के दुख पड़ते हैं। उपन्यास के दुसरे भाग में असग़री की कहानी है जो सदाचारी, मेहनती और अधिक शिक्षित है। उसे बेकार की गपशप से घृणा है और वह अपने मोहल्ले की प्यारी है। जब उसकी शादी होती है तो उसके जीवन में भी कई कठिन बदलाव आते हैं लेकिन अपनी मेहनत, अच्छे स्वभाव और शिक्षित व्यवहार से वह अपने पति के परिवार और अपने नए मोहल्ले के लोगों में प्रेमपूर्वक बस जाती है। कहानी में इन दोनों स्त्रियों के जीवन को तरह-तरह के उतार-चढ़ाव से गुज़रते हुए दिखाया गया है।[3]

उत्तर कथा[संपादित करें]

१८७३ में नज़ीर अहमद ने इस उपन्यास की दूसरी कढ़ी 'बनात उल-नाश' ( अर्थ: अर्थी की बेटियाँ, जो अरबी भाषा में सप्तर्षि तारामंडल का नाम है) के नाम से प्रकाशित की। इसमें असग़री को अपने मोहल्ले में एक कन्या-पाठशाला चलते हुए दिखाया गया है।[3]

टेलिविज़न धारावाहिक[संपादित करें]

पाकिस्तान टेलिविज़न ने 'मिरात उल-उरूस' ही के नाम का एक धारावाहिक बनाया जिसमें आरिफ़ा सिद्दीक़ी ने असग़री का पात्र अदा किया।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Early novels in India Archived 2014-06-27 at the वेबैक मशीन, Meenakshi Mukherjee, Sahitya Akademi, 2002, ISBN 978-81-260-1342-5, ... Deputy Nazir Ahmad ... was in deep sympathy with Sir Syed Ahmad Khan's movement for social reform through educational uplift ... female education ... published in 1869 ...
  2. The Bride's Mirror Archived 2014-06-27 at the वेबैक मशीन, Naẕīr Aḥmad, G. E. Ward, Frances W. Pritchett, Prints Asia, 2001, ISBN 81-7824-021-1, ... Asghari and Akbari two sisters married to brothers in Delhi, circa 1860. In this gripping tale, one sister has every advantage – and sees her life collapse around her. The other faces great difficulties – but eventually comes to dominate her world ... Mirat ul-`Arus sold over 100,000 copies with a few years of its release in 1869 ...
  3. The Novel in India: its birth and development, Thomas Welbourne Clark, University of London. School of Oriental and African Studies, Asia Society. Asian Literature Program, University of California Press, 1970, ISBN 978-0-520-01725-2, ... the first a cautionary tale of a girl named Akbari and the second ... the story of her model sister Asghari ...