माचू पिच्चू

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माचू पिच्चू
पेरू में माचू पिच्चू की अवस्थिति को दर्शाता मानचित्र
पेरू में माचू पिच्चू की अवस्थिति को दर्शाता मानचित्र
Shown within Peru
वैकल्पिक नाम माचू पिक्चू
स्थान कुज़्को क्षेत्र, पेरू
निर्देशांक 13°09′47″S 72°32′44″W / 13.16306°S 72.54556°W / -13.16306; -72.54556निर्देशांक: 13°09′47″S 72°32′44″W / 13.16306°S 72.54556°W / -13.16306; -72.54556
ऊँचाई 2,430 मीटर (7,970 फीट)
इतिहास
स्थापित c. 1450
परित्यक्त 1572
संस्कृति इंका सभ्यता
आधिकारिक नाम: माचू पिच्चू का ऐतिहासिक देवालय
प्रकार मिश्रित
मापदंड i, iii, vii, ix
निर्दिष्ट 1983 (7वां सत्र)
संदर्भ सं. 274
राष्ट्र पार्टी  पेरू
क्षेत्र दक्षिण अमेरिका और कैरिबिया

माचू पिच्चू (क्वेशुआ: Machu Pikchu, 'पुरानी चोटी") दक्षिण अमेरिकी देश पेरू मे स्थित एक कोलम्बस-पूर्व युग, इंका सभ्यता से संबंधित ऐतिहासिक स्थल है। यह समुद्र तल से 2,430 मीटर की ऊँचाई पर उरुबाम्बा घाटी, जिसमे से उरुबाम्बा नदी बहती है, के ऊपर एक पहाड़ पर स्थित है। यह कुज़्को से 80 किलोमीटर (50 मील) उत्तर पश्चिम में स्थित है। इसे अक्सर “इंकाओं का खोया शहर “ भी कहा जाता है। माचू पिच्चू इंका साम्राज्य के सबसे परिचित प्रतीकों में से एक है। 7 जुलाई 2007 को घोषित विश्व के सात नए आश्चर्यों में माचू पिच्चू भी एक है।[1]

1430 ई. के आसपास इंकाओं ने इसका निर्माण अपने शासकों के आधिकारिक स्थल के रूप में शुरू किया था, लेकिन इसके लगभग सौ साल बाद, जब इंकाओं पर स्पेनियों ने विजय प्राप्त कर ली तो इसे यूँ ही छोड़ दिया गया। हालांकि स्थानीय लोग इसे शुरु से जानते थे पर सारे विश्व को इससे परिचित कराने का श्रेय हीरम बिंघम को जाता है जो एक अमेरिकी इतिहासकार थे और उन्होने इसकी खोज 1911 में की थी, तब से माचू पिच्चू एक महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण बन गया है।

माचू पिच्चू को 1981 में पेरू का एक ऐतिहासिक देवालय घोषित किया गया और 1983 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की दर्जा दिया गया। क्योंकि इसे स्पेनियों ने इंकाओं पर विजय प्राप्त करने के बाद भी नहीं लूटा था, इसलिए इस स्थल का एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में विशेष महत्व है और इसे एक पवित्र स्थान भी माना जाता है।

माचू पिच्चू को इंकाओं की पुरातन शैली में बनाया था जिसमें पॉलिश किये हुए पत्थरों का प्रयोग हुआ था। इसके प्राथमिक भवनों में इंतीहुआताना (सूर्य का मंदिर) और तीन खिड़कियों वाला कक्ष प्रमुख हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार यह भवन माचू पिच्चू के पवित्र जिले में स्थित हैं। सितम्बर 2007, पेरू और येल विश्वविद्यालय के बीच एक सहमति बनी की वो सभी शिल्प जो हीरम बिंघम माचू पिच्चू की खोज के बाद अपने साथ ले गये थे वो पेरू को लौटा दिये जायेंगे।

चित्र दीर्घा[संपादित करें]

माचू पिच्चू की पैनोरामिक तस्वीर
माचू पिच्चू की पैनोरामिक तस्वीर
माचू पिच्चू की पैनोरामिक तस्वीर
माचू पिच्चू की अवस्थिति

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "विश्व के सात नये आश्चर्य". भारत सरकार. अभिगमन तिथि २२ अक्तूबर २००९. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)[मृत कड़ियाँ]

[[श्रेणी:दुनिया के सात नए अजूबे]