मांसपेशीय स्मृति

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मांसपेशीय स्मृति किसी कार्य को मांसपेशी की सहायता से कई बार लगातार करने पर उस मांसपेशी को वह कार्य याद रहता है और हम उस कार्य को जल्दी कर पाते हैं। यदि कोई भी कार्य हम लंबे समय तक करते हैं, तो उस कार्य को करने के लिए हमें अधिक सोचने की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि यह कार्य हमारी मांसपेशी कर लेती है। यह क्रिया दिमाग को अधिक सोचने और अधिक कार्य करने से बचाती है। इसका मुख्य रूप से उदाहरण साइकल चलाना, कुंजी पटल का उपयोग करना आदि हैं। यदि कोई दिमाग में चोट आदि के कारण अपनी स्मृति खो भी दे तो वह इस प्रकार के कार्यों को करना नहीं भूल सकता। परंतु इसके लिए कोई भी कार्य को लम्बे समय तक करना होता है, जब तक की आपका शरीर उस कार्य को करने हेतु अपनी आदत में शामिल न कर ले।[1]

इतिहास[संपादित करें]

गाड़ी चलाना सीखने में[संपादित करें]

पियानो बजते समय उंगली की प्रतिक्रिया का चित्र
पियानो बजते समय उंगली की प्रतिक्रिया

किसी भी प्रकार के वाहन को चलाना सीखते समय दिमाग को कभी कभी याद नहीं रहता की कैसे गाड़ी रोकना है और कैसे दिशा बदलना है। परंतु धीरे धीरे जब उस पर अधिक अभ्यास करते हैं तो वह स्मृति के जैसे ही हमारे मांसपेशी द्वारा नियंत्रित होने लगता है। लगभग 1900 सदी में एक अनुसंधान के पश्चात इस बात का पता चला था।[2] इसके पश्चात वर्ष 1987 में भी एक अनुसंधान किया गया जिससे इसकी पुष्टि हुई।[3] इसके अलावा कुछ अनुसंधानो में यह भी पाया गया की लिखते समय भी मांसपेशीय स्मृति का ही उपयोग किया जाता है।[2]

अवधारण[संपादित करें]

पहले इसे वाहन स्मृति कहते थे परंतु अब इसे मांसपेशीय स्मृति कहते हैं। 1900 सदी में इसके प्रति लोगों का आकर्षण बहुत था। जिसके कारण कई अनुसंधान किए गए, जिनसे यह पता लगा की यह स्मृति केवल कुछ समय के अभ्यास से याद नहीं होती बल्कि यह वर्षों के अभ्यास से ही स्वतः याद हो जाती है।[4] इसके साथ ही यह भी पता चला की यह कोई विशेष कार्य जैसे गाड़ी चलाना आदि में ही नहीं होता बल्कि पूरे जीवन में हम जो भी कार्य करते रहते हैं वह सभी कार्य हमारे मांसपेशी में स्मृति के रूप में याद होते रहते हैं। जिससे हम अधिक गति से उस कार्य को कर सकें।[5]

शरीर विज्ञान[संपादित करें]

व्यवहार[संपादित करें]

किसी भी वाहन को चलाना सीखते समय हम धीमी गति के साथ और कई बाधाओं के साथ ही सीखते हैं। यह कार्य सीखते समय कठिन होता है और जब हम अभ्यास कर लेते हैं तो यह कार्य सरल हो जाता है।[6]

मांसपेशी स्मृति कूटबन्धन[संपादित करें]

यह मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। पहली जो कुछ समय के लिए होती है और दूसरी जो अधिक समय तक होती है। मांसपेशी स्मृति कूटबन्धन को भी मांसपेशीय स्मृति कहते हैं।[7][7]

शक्ति प्रशिक्षण और अनुकूलता[संपादित करें]

शक्ति को किस प्रकार से उपयोग करना है इसका प्रशिक्षण लेना अर्थात उसे सही ढंग से उपयोग करना है। यदि हमें किसी भी कार्य को करने में असहजता होती है तो हम फिर भी उस कार्य को करते हैं तो हमें उस पर किस प्रकार से शक्ति का उपयोग करना है यह समझ में आ जाता है। इसके अलावा हमारा शरीर भी उस कार्य को करने के अनुकूल बनता जाता हैं।

हमारा शरीर हर कार्य को करने के लिए सक्षम नहीं है और न ही हम अन्य लोगों के जैसे कार्य को कर सकते हैं। क्योंकि कोई भी कार्य जो कोई दूसरा व्यक्ति कर रहा है, वह उसके कई वर्षों के प्रयास के पश्चात हुआ है। उदाहरण के लिए जब हम कोई भी वजन का सामान उठाते हैं तो वह यदि अधिक भारी होता है तो हम उसे नहीं उठा सकते परंतु कोई और उसे सहजता से उठा सकता है क्योंकि उसके मांसपेशी में अधिक वजन के सामान को उठाने हेतु अनुकूल बन चुका है। वहीं यदि आप कोई ऐसा कार्य करते हैं जो अन्य कोई व्यक्ति नहीं कर पा रहा है तो उसका अर्थ है कि आपके मांसपेशी में उस कार्य को करने के लिए अनुकूल बन चुका है।[8]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Krakauer, J.W., & Shadmehr, R. (2006). Consolidation of motor memory. Trends in Neurosciences, 29: 58-64.
  2. Lee, D.T., & Schmidt, A.R. (2005). Motor Control and Learning: A Behavioural Emphasis. (4th ed). Windsor, ON: Human Kinetics
  3. Adams, A.J. (1987). Historical Review and Appraisal of Research on the Learning, Retention, and Transfer of Human Motor Skills. Psychological Bulletins, 101(1), 41-74
  4. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  5. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  6. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  7. Ma, L., et al,. (2010). Changes in regional activity are accompanied with changes in inter-regional connectivity during 4 weeks motor learning. Brain Res. doi:10.1016/j.brainres.2009.12.073
  8. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]