मलाला युसुफ़ज़ई

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मलाला युसुफ़ज़ई
ملاله یوسفزۍ
जन्म 12 जुलाई 1997 (1997-07-12) (आयु 26)[1][2]
राष्ट्रीयता पाकिस्तानी
उपनाम गुल मकई
गृह-नगर मिंगोरा,
ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा, पाकिस्तान
प्रसिद्धि का कारण महिला अधिकार कार्यकर्ता, शिक्षाविद्
माता-पिता ज़ियाउद्दीन युसुफ़ज़ई (पिता)
पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार
पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार नोबल पुरस्कार संयुक्त रूप में भारत के कैलाश_सत्यार्थी कैलाश सत्यार्थी के साथ 2015 मे(2011)
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}
वेबसाइट
http://www.asafeworldforwomen.org/about/safe-world-blogs/orbala/3122-praying-for-malala.html

मलाला युसुफ़ज़ई (पश्तो: ملاله یوسفزۍ जन्म: 12 जुलाई 1997)[1] को बच्चों के अधिकारों की कार्यकर्ता होने के लिए जाना जाता है।[3] वह पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के स्वात जिले में स्थित मिंगोरा शहर की एक छात्रा है।[4][5] 13 साल की उम्र में ही वह तहरीक-ए-तालिबान शासन के अत्याचारों के बारे में एक छद्म नाम के तहत बीबीसी के लिए ब्लॉगिंग द्वारा स्वात के लोगों में नायिका बन गयी। अक्टूबर 2012 में, मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने उदारवादी प्रयासों के कारण वे आतंकवादियों के हमले का शिकार बनी, जिससे वे बुरी तरह घायल हो गई और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आ गई।[6]

बाल्यावस्था[संपादित करें]

मलाला युसुफ़ज़ई मिंगोरा, जो स्वात का मुख्य शहर है, में रहती है। मिंगोरा पर तालिबान ने मार्च २००९ से मई २००९ तक कब्जा कर रखा था, जब तक की पाकिस्तानी सेना ने क्षेत्र का नियंत्रण हासिल करने के लिए अभियान शुरू किया। संघर्ष के दौरान, ११ साल की उम्र में ही मलाला ने डायरी लिखनी शुरू कर दी थी। वर्ष २००९ में छद्म नाम "गुल मकई" के तहत बीबीसी ऊर्दू के लिए डायरी लिख मलाला पहली बार दुनिया की नज़र में आई थी। जिसमें उसने स्वात में तालिबान के कुकृत्यों का वर्णन किया था और अपने दर्द को डायरी में बयां किया।[4] डायरी लिखने की शौकीन मलाला ने अपनी डायरी में लिखा था, 'आज स्कूल का आखिरी दिन था इसलिए हमने मैदान पर कुछ ज्‍यादा देर खेलने का फ़ैसला किया। मेरा मानना है कि एक दिन स्कूल खुलेगा लेकिन जाते समय मैंने स्कूल की इमारत को इस तरह देखा जैसे मैं यहां फिर कभी नहीं आऊंगी।'

मलाला ने ब्लॉग और मीडिया में तालिबान की ज्यादतियों के बारे में जब से लिखना शुरू किया तब से उसे कई बार धमकियां मिलीं। मलाला ने तालिबान के कट्टर फरमानों से जुड़ी दर्दनाक दास्तानों को महज ११ साल की उम्र में अपनी कलम के जरिए लोगों के सामने लाने का काम किया था। मलाला उन पीड़ित लड़कियों में से है जो तालिबान के फरमान के कारण लंबे समय तक स्कूल जाने से वंचित रहीं। तीन साल पहले स्वात घाटी में तालिबान ने लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी लगा दी थी। लड़कियों को टीवी कार्यक्रम देखने की भी मनाही थी।‍ स्वात घाटी में तालिबानियों का कब्‍जा था और स्‍कूल से लेकर कई चीजों पर पाबंदी थी। मलाला भी इसकी शिकार हुई। लेकिन अपनी डायरी के माध्‍यम से मलाला ने क्षेत्र के लोगों को न सिर्फ जागरुक किया बल्कि तालिबान के खिलाफ खड़ा भी किया। तालिबान ने वर्ष २००७ में स्‍वात को अपने कब्‍जे में ले लिया था। और लगातार कब्‍जे में रखा। तालिबानियों ने लड़कियों के स्‍कूल बंद कर दिए थे। कार में म्‍यूजिक से लेकर सड़क पर खेलने तक पर पाबंदी लगा दी गई थी। उस दौर के अपने अनुभवों के आधार पर इस लड़की ने बीबीसी उर्दू सेवा के लिए जनवरी, २००९ में एक डायरी लिखी थी। इसमें उसने जिक्र किया था कि टीवी देखने पर रोक के चलते वह अपना पसंदीदा भारतीय सीरियल राजा की आएगी बारात नहीं देख पाती थी।[7]

वर्ष 2009 में न्‍यूयार्क टाइम्‍स ने मलाला पर एक फिल्‍म भी बनाई थी। स्‍वात में तालिबान का आतंक और महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध विषय पर बनी इस फिल्‍म के दौरान मलाला खुद को रोक नहीं पाई और कैमरे के सामने ही रोने लगी। मलाला डॉक्‍टर बनने का सपना देख रही थी और तालिबानियों ने उसे अपना निशाना बना दिया। उस दौरान दो सौ लड़कियों के स्‍कूल को तालिबान से ढहा दिया था। वर्ष 2009 में तालिबान ने साफ कहा था कि 15 जनवरी के बाद एक भी लड़की स्‍कूल नहीं जाएगी। यदि कोई इस फतवे को मानने से इंकार करता है तो अपनी मौत के लिए वह खुद जिम्‍मेदार होगी।[7]

जब स्‍वात में तालिबान का आतंक कम हुआ तो मलाला की पहचान दुनिया के सामने आई और उसे बहादुरी के लिए अवार्ड से नवाजा गया। इसी के साथ वह इंटरनेशनल चिल्‍ड्रन पीस अवार्ड (2011) के लिए भी नामित हुई। (2011 में वे नहीं जीत पाईं, लेकिन बाद में 2013 में उन्हें यह अवार्ड भी मिला)।

हत्या का प्रयास[संपादित करें]

पाकिस्तान की ‘न्यू नेशनल पीस प्राइज’ हासिल करने वाली 14 वर्षीय मलाला यूसुफजई ने तालिबान के फरमान के बावजूद लड़कियों को शिक्षित करने का अभियान चला रखा है। तालिबान आतंकी इसी बात से नाराज होकर उसे अपनी हिट लिस्‍ट में ले चुके थे। संगठन के प्रवक्ता के अनुसार,‘यह महिला पश्चिमी देशों के हितों के लिए काम कर रही हैं। इन्‍होंने स्वात इलाके में धर्मनिरपेक्ष सरकार का समर्थन किया था। इसी वजह से यह हमारी हिट लिस्ट में हैं। अक्टूबर 2012 में, स्‍कूल से लौटते वक्‍त उस पर आतंकियों ने हमला किया जिसमें वे बुरी तरह घायल हो गई। इस हमले की जिम्‍मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने ली।[6][8][9] बाद में इलाज के लिए उन्हें ब्रिटेन ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बाद उन्हें बचा लिया गया।

पुरस्कार और सम्मान[संपादित करें]

मलाला युसुफ़ज़ई ओवल ऑफिस में
विचारों की स्वतंत्रता के लिए सखारोव पुरस्कार – स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संसद द्वारा सम्मानित, 20 नवंबर 2013
अर्जेंटीना में अंतर्राष्ट्रीय काव्य महोत्सव 2013 के दौरान मलाला को सम्मान

पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार - 2011[संपादित करें]

अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में शांति को बढ़ावा देने के लिए उसे साहसी और उत्कृष्ट सेवाओं के लिए, उसे पहली बार 19 दिसम्बर 2011 को पाकिस्तानी सरकार द्वारा 'पाकिस्तान का पहला युवाओं के लिए राष्ट्रीय शांति पुरस्कार मलाला युसुफजई को मिला था।[10] मीडिया के सामने बाद में बोलते हुए, उसने शिक्षा पर केन्द्रित एक राजनितिक दल बनाने का इरादा रखा। सरकारी गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल, मिशन रोड, को तुरंत उसके सम्मान में मलाला युसुफजई सरकारी गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल नाम दिया गया।[11]

अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए नामाँकन (2011)[संपादित करें]

अंतरराष्ट्रीय बच्चों की वकालत करने वाले समूह किड्स राइट्स फाउंडेशन ने युसुफजई को अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए प्रत्याशियों में शामिल किया, वह पहली पाकिस्तानी लड़की थी जिसे इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। दक्षिण अफ्रीका के नोबेल पुरस्कार विजेता डेसमंड टूटू ने एम्स्टर्डम, हॉलैंड में एक समारोह के दौरान २०११ के इस नामांकन की घोषणा की, लेकिन युसुफजई यह पुरस्कार नहीं जीत सकी और यह पुरस्कार दक्षिण अफ्रीक़ा की 17 वर्षीय लड़की ने जीत लिया यह पुरस्कार बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था हर साल एक लड़की को देती है।[12]

अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार (2013)[संपादित करें]

नीदरलैंड के किड्स राइट्स संगठन ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि आगामी छह सितंबर को हेग में आयोजित होने वाले एक समारोह में वर्ष 2011 का नोबल शांति पुरस्कार हासिल करने वाली महिला अधिकार कार्यकर्ता तवाकुल रहमान मलाला को बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित करेंगी। किड्स राइट्स संगठन उन लोगों को सम्मानित करता है जो कि बाल अधिकारों के लिए कोई विशेष कार्य करते हैं। इससे पहले बहादुर मलाला सयुंक्त राष्ट्र में नोबल शांति पुरस्कार के प्रतियोगी के तौर पर जुलाई में भाषण दे चुकी हैं।[13]

साख़ारफ़ (सखारोव) पुरस्कार (2013)[संपादित करें]

मलाला युसुफ़जई को यूरोसंसद द्वारा वैचारिक स्वतन्त्रता के लिए साख़ारफ़ पुरस्कार प्रदान किया गया है। बच्चों के शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष में महती भूमिका निभाने के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है।[14]

मैक्सिको का समानता पुरस्कार (2013)[संपादित करें]

मलाला यूसुफजई को इक्वेलिटी एंड नान डिस्क्रिमीनेशन का अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिये जाने की घोषणा हुई है। मैकिसको में भेदभाव निरोधक राष्ट्रीय परिषद की ओर से जारी बयान में यह जानकारी दी गई। बयान में कहा गया है कि मलाला को यह पुरस्कार मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उसके प्रयासों विशेषतया जाति, उम्र, लिंग में भेदभाव किए बिना शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष को देखते हुए दिया जा रहा है।[15]

संयुक्त राष्ट्र का 2013 मानवाधिकार सम्मान (ह्यूमन राइट अवॉर्ड)[संपादित करें]

संयुक्त राष्ट्र ने मलाला यूसुफजई को 2013 का मानवाधिकार सम्मान (ह्यूमन राइट अवॉर्ड) देने की घोषणा की। यह सम्मान मानवाधिकार के क्षेत्र में बेहतरीन उपलब्धियों के लिए हर पांच साल में दिया जाता है। इससे पहले यह सम्मान पाने वालों में नेल्सन मंडेला, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिम्मी कार्टरएमनेस्टी इंटरनैशनल आदि शामिल हैं। मलाला के आलावे पांच अन्य को भी इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।[16]

नोबेल पुरस्कार[संपादित करें]

बच्चों और युवाओं के दमन के ख़िलाफ़ और सभी को शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले भारतीय समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। १० दिसंबर २०१४ को नाॅर्वे में आयोजित एक कार्यक्रम में यह पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार प्रदान करते ही सभागृह में उपस्थित सभी ने खड़े होते ही तालियों की गुंज की। १७ वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली मलाला दुनिया की सबसे कम उम्र वाली नोबेल विजेती बन गयी। [17]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • "Interview with 14-year-old Malala Yousafzai who was shot by Taliban (video)". मूल से 10 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्तूबर 2012. (Article with link to New York Times film from 2009 featuring Malala, in English)
  • "After the Taliban: Swat women on changing life". मूल से 16 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्तूबर 2012. (BBC piece from 2011 with quote from Malala)

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. The Associated Press (12 जुलाई 2000). "Pakistani girl shot by Taliban able to stand, doctors say". Canadian Broadcasting Corporation. मूल से 19 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अक्टूबर 2012.
  2. Memmot, Mark (9 अक्टूबर 2012). "Talibadiaryn Say They Shot Teenaged Pakistani Girl Who Exposed Their Cruelty". NPR. मूल से 16 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अक्टूबर 2012.
  3. "Calling Dr Pervez Hoodbhoy 'jahil' can only happen in Pakistan". मूल से 14 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 दिसंबर 2017.
  4. "Diary of a Pakistani schoolgirl". बीबीसी न्यूज़. 19 जनवरी 2009. मूल से 11 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्तूबर 2012.
  5. "Pakistani girl, 13, praised for blog under Taliban". बीबीसी न्यूज़. 24 Nov. 2011. मूल से 10 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्तूबर 2012. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  6. "संग्रहीत प्रति". मूल से 10 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्तूबर 2012.
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्तूबर 2012.
  8. Guerin, Orla (9 अक्टूबर 2012). "Malala Yousafzai: Pakistan activist, 14, shot in Swat". BBC. मूल से 9 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्टूबर 2012.
  9. Walsh, Declan (अक्टूबर 10, 2012). "Girl Shot by Taliban in Critical Condition After Surgery". New York Times. मूल से 11 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्टूबर 2012.
  10. Khan, Sumera (20 दिसम्बर 2011). "National peace prize named after Malala Yousafzai". The Express Tribune News Network with the International Herald Tribune. मूल से 13 फ़रवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2012.
  11. "Malala in the House, plans to launch political party". The Dawn Media Group. 4 जनवरी 2012. मूल से 9 जनवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2012.
  12. "Swat girl falls short of getting world peace prize". PakTribune. 24 Nov. 2011. मूल से 5 जुलाई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्तूबर 2012. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  13. "बाल शांति पुरस्कार से मलाला सम्मानित". जागरण. 28 अगस्त 2013. मूल से 6 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 नवम्बर 2013.
  14. "मलाला युसुफ़जाई को मिला साखारफ़ पुरस्कार". रेडियो रूस. 20 नवम्बर 2013. मूल से 2 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 नवम्बर 2013.
  15. "मलाला यूसुफजई को मैक्सिको का समानता पुरस्कार". हिंदुस्तान मीडिया समूह. 25 नवम्बर 2013. मूल से 3 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 नवम्बर 2013.
  16. "मलाला को संयुक्त राष्ट्र ह्यूमन राइट अवॉर्ड". नवभारत टाईम्स. 6 दिसम्बर 2013. मूल से 22 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 दिसम्बर 2013.
  17. नोबल मीडिया एबी (10 अक्टूबर 2014) (अंग्रेज़ी में). The Nobel Peace Prize for 2014. प्रेस रिलीज़. http://www.nobelprize.org/nobel_prizes/peace/laureates/2014/press.html. अभिगमन तिथि: 10 अक्टूबर 2014.