भारत भूषण (योगी)

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भारत भूषण (योगी)
जन्म 30 अप्रैल 1952
सहारनपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा गृहस्थ सन्यासी
प्रसिद्धि का कारण योग, शरीर सौष्ठव और समाज सेवा
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

भारत भूषण (योगी) (अंग्रेजी: Bharat Bhushan (Yogi), जन्म: 30 अप्रैल 1952) एक भारतीय योग शिक्षक हैं। गृहस्थ धर्म का पालन करते हुए उन्होंने पूर्णत: सन्यस्त भाव से देश-विदेश में योग को प्रचारित और प्रसारित करने का उल्लेखनीय कार्य किया। भारत सरकार ने सन १९९१ में उन्हें पद्म श्री की उपाधि से अलंकृत किया।

योग एवं शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रपति से पद्म श्री सम्मान प्राप्त करने वाले वे प्रथम भारतीय हैं। योग के साथ-साथ बॉडी बिल्डिंग में भी उन्हें भारतश्री का अतिविशिष्ट सम्मान मिल चुका है। उनका ऐसा मानना है कि योग में ही समस्त मनुष्य जाति की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का एकमात्र समाधान निहित है।

संक्षिप्त परिचय[संपादित करें]

30 अप्रैल 1952 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पण्डित विशम्भरसिंह एवं रामकली के यहाँ[1] जन्मे भारत भूषण ने महज़ २० बरस से भी कम आयु में सन् 1971 में अपने घर पर ही मोक्षायतन अन्तर्राष्ट्रीय योगाश्रम की नींव डाली। इसी प्रतिष्ठान के बैनर तले उन्होंने अपनी पुत्री प्रतिष्ठा के साथ देश के कई शहरों में योग-शिविर लगाकर आम आदमी को योग के प्रति जागरुक करने का उद्योग किया। देशी-विदेशी शिष्यों के बीच योग की लोकप्रियता में अपनी गहरी पैठ बनाते हुए शीघ्र ही योग गुरु के रूप में विख्यात हो गये। सन् 1978 से उन्होंने विभिन्न टीवी चैनेलों पर भी अपने कार्यक्रम देने प्रारम्भ कर दिये।

इस ग्रहस्थ संन्यासी ने भारतीय सशस्त्र सेनाओं, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, वैज्ञानिकों, विद्यालयों और विभिन्न धर्माबलम्बियों के बीच योग के माध्यम से आध्यात्मिक अभिरुचि जाग्रत करने का जो उल्लेखनीय कार्य किया उससे प्रभावित होकर भारत सरकार को भी उन्हें पद्म श्री की उपाधि से अलंकृत करना पड़ा।[2]

एक गृहस्थ योगी के रूप में आजकल वे ज़ी नेटवर्क के साथ मिलकर जागो भारत आन्दोलन चलाने में पूरी शक्ति से डटे हुए हैं।[3]

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की शुरुआत[संपादित करें]

गंगा नदी के किनारे योग सिखाने की भूमिका को लेकर उन्होंने तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार से सम्पर्क करके अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की शुरुआत ऋषिकेश से प्रारम्भ की और पहली बार में ही एक विशाल कार्यक्रम कर डाला। बाद में जब उनके कार्यक्रमों में विदेशी सैलानी भी भारी संख्या में जुटने लगे तो उनके संस्थान को ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ शिफ्ट कर दिया गया। भारत भूषण सरकार की इस बात से सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि भारतीय ऋषि-मुनियों की परम्परा को प्रकृति की गोद में ही सिखाना सही है ना कि योग के सहारे अत्याधुनिक सुख सुविधाओं से सम्पृक्त पाँच सितारा होटलों की प्रवृत्ति को बढावा देना। उन्हें सरकार का यह तरीका ठीक नहीं लगा और उन्होंने स्वयं को ही उस प्रतिष्ठान से अलग कर लिया[4][5] और सहारनपुर के बेरी बाग स्थित अपने प्रतिष्ठान मोक्षायतन अन्तर्राष्ट्रीय योगाश्रम में वापस आ गये। तब से लेकर आज तक वे अपने परिवार के साथ रहते हुए एक गृहस्थ संन्यासी की सशक्त भूमिका निभा रहे हैं।[6]

जागो भारत आन्दोलन[संपादित करें]

ज़ी नेटवर्क के साथ मिलकर उन्होंने जागो भारत आन्दोलन के नाम से एक देशव्यापी अभियान शुरू कर रक्खा है। योग के साथ-साथ वे ध्यान, धारणा और समाधि की शिक्षा अपने प्रवचन और प्रदर्शन के माध्यम देते हैं। टीवी चैनेल के माध्यम से उनके कार्यक्रम को लाखों लोग प्रतिदिन देखते हैं।[7]

शरीर सौष्ठव में भारतश्री[संपादित करें]

उन्होंने योग के साथ-साथ बॉडी बिल्डिंग में भी खुलकर हाथ आजमाये और भारत के लगभग सभी प्रान्तों की शरीर सौष्ठव प्रतियोगिताओं के कई पुरस्कार जीते। पूर्णत: शाकाहारी होते हुए भी उन्होंने भारतश्री का अतिविशिष्ट सम्मान प्राप्त किया।[8]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. विद्यार्णव शर्मा युग के देवता-बिस्मिल और अशफाक २००४ प्रवीण प्रकाशन १/१०७९ ई महरौली नई दिल्ली-११००३० ISBN 81-7783-078-3 पृष्ठ: २१
  2. "Padma Awards". Ministry of Communications and Information Technology (India). मूल से 29 फ़रवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-05-27.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 फ़रवरी 2014.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 1 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 फ़रवरी 2014.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 फ़रवरी 2014.
  6. विद्यार्णव शर्मा युग के देवता-बिस्मिल और अशफाक २००४ प्रवीण प्रकाशन १/१०७९ ई महरौली नई दिल्ली-११००३० ISBN 81-7783-078-3 पृष्ठ: २४४
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 फ़रवरी 2014.
  8. "संग्रहीत प्रति". मूल से 1 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 फ़रवरी 2014.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]