भामाशाह सम्मान

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भारत के मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वाणिज्यिक कर, केन्द्रीय विक्रयकर तथा प्रवेशकर के रूप में जिला स्तर पर सर्वाधिक राजस्व जमा करने वाले तीन व्यवसाईयों को भामाशाह सम्मान प्रदान किये जाने की योजना है। यह योजना 2008 में घोषित की गई थी। इस अभिनव योजना के तहत जिला स्तर पर सर्वाधिक कर चुकाने वाले तीन करदाताओं को भामाशाह सम्मान से विभूषित किया जावेगा तथा इन करदाताओं को क्रमश: एक लाख रूपये, 50 हजार रूपये एवं 25 हजार रूपये की नगद राशि से पुरस्कृत किया जायेगा।

भामाशाह पुरस्कार, प्रेम और त्याग की मूर्ति भामाशाह के नाम पर रखा गया है जिन्होंने सन् 1576 में हल्दीघाटी के युध्द के पश्चात जब महाराणा प्रताप के पास कोई वित्तीय स्रोत नहीं था तब देश के इस महान सपूत ने अपना सर्वस्व उन्हें सौंप दिया। जिसमें उस समय की 20 लाख अशर्फियां तथा सोने एवं रत्नों का संग्रह भी था। इतिहास में उनके इस महान योगदान की कहानी वर्णित है और उनका यह कृत्य दानवीर नाम की संज्ञा का पर्याय बन चुका है। सत्ता को अपने वित्तीय सामर्थ्य से सशक्त आधार देने वाले ऐसे उत्कृष्ट व्यक्तित्व के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा यह सम्मान रखा गया है।


भामाशाह सम्मान नाम से एक और पुरस्कार महाराजा मेवाड़ फाउण्डेशन की तरफ से भी दिया जाता है। यह पुरस्कार राजस्थान के विश्वविद्यालयों में नि:स्वार्थ सेवा एवं अन्य महान कार्य में दक्ष विद्यार्थियों को दिये जाते हैं।

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