भाटी
भाटी अथवा भट्टी[1] भारत और पाकिस्तान के राजपूतों[2] का एक समुदाय है।
12 वीं से पहले भाटी राजपूतों के राज्य मुख्यतः अफगानिस्तान से लेकर पाकिस्तान और उत्तर भारत तक थे,रावल विजयराव भाटी को अफ़ग़ानिस्तान के ग़ज़नी से गुजरात तक के शासन के लिए के और मुस्लिम कबीलों से लगातार युद्धों के कारण उन्हें " उत्तर दिसी भड़ किवाड़ " कहा जाता था[3], 12 वीं सदी में भाटी राजवंश ने जैसलमेर पर शासन किया। ये लोग ऊंट सवार, योद्धाओं और मवेशी चोरी और शिकार के शौकीन थे। रेगिस्तान में गहरे स्थित होने के कारण, जैसलमेर भारत में मुस्लिम विस्तार के दौरान सीधे मुस्लिम आक्रमण से बच गया था लेकिन भौगोलिक दृष्टि से बाहरी इस्लामिक साम्राज्यों के निकट होने के कारण समस्याएं भी थीं
कुछ भाटी खानाबदोश मवेशी रखने वाले थे। 1857 के विद्रोह से पहले के कुछ वर्षों में, इन समूहों ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा किए गए फैसलों के कारण अपनी जमीन खो दी थी, जो कि जाट किसानों को चराई वाले भूमि को पूर्व में दिल्ली और हरियाणा क्षेत्रों में भाटियों द्वारा आवृत करती थी।
राजस्थान के भाटी राजपूत में से कुछ ,उन समुदायों में शामिल थे जो 1883-1998 के बीच यह भारत [4][5]।
भाटी प्रत पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में, खासकर उत्तरी और मध्य पंजाब में , निम्न जाति के डोम (या मिरासी गायक/नर्तक) अब भी खुद को 'भट्टी ' कहते हैं। उज्ज्वल भाटि ने इस कुल में जनम लिया
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Babb, Lawrence A.; Cort, John E.; Meister, Michael W. (2008). Desert Temples: Sacred Centers of Rajasthan in Historical, Art-historical, and Social Context. Rawat Publications. पृ॰ 98. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-8-13160-106-8.
- ↑ J. N. Singh Yadav (1992). Yadavas through the ages, from ancient period to date. Sharada Pub. House. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-85616-03-2. मूल से 15 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 June 2011.
- ↑ Kothiyal, Tanuja (2016). Nomadic Narratives: A History of Mobility and Identity in the Great Indian. Cambridgre University Press. पपृ॰ 18, 55–56. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781107080317.
- ↑ Sarkar, Jadunath (1994) [1984]. A History of Jaipur (Reprinted, revised संस्करण). Orient Blackswan. पृ॰ 37. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-8-12500-333-5. मूल से 12 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 अप्रैल 2017.
- ↑ Karve, Irawati Karmarkar (1968). Kinship Organization in India (Third संस्करण). Asia Publishing House. पृ॰ 168.