बखरी प्रखण्ड (बेगूसराय)

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बखरी
—  प्रखण्ड और अनुमंडल  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य बिहार
ज़िला बेगूसराय
आधिकारिक भाषा(एँ) हिन्दी, मगही, मैथिली, भोजपुरी, अंगिका, उर्दु, अंग्रेज़ी
आधिकारिक जालस्थल: http://begusarai.bih.nic.in

निर्देशांक: 25°09′N 85°27′E / 25.15°N 85.45°E / 25.15; 85.45

भूगोल[संपादित करें]

बखरी बेगूसराय जिला के सबसे पुराने प्रखंडों में से एक है। इसकी स्थापना 1956 में हुई थी। तब इसमें 29 पंचायत होते थे। प्रखंड की लंबी चौड़ी सीमाएं खगड़िया जिला के अलौली समस्तीपुर जिले की हसनपुर तथा रोसड़ा के अलावा गृह जिले के मंझौल तक फैली हुई थी। कालांतर में इसके भूगोल में कई बदलाव हुए। अनुमंडल नगर पंचायत और अब नगर परिषद बनने के बाद यह 29 से सिमटकर आठ पंचायतों का रह गया है।

इतिहास[संपादित करें]


बखरी को अनुमंडल बनाने को लेकर 1994 में स्व स्फूर्त जनांदोलन शुरू हुआ। दरअसल यहां इस आंदोलन की शुरुआत मंझौल पंचायत को अनुमंडल का दर्जा दिए जाने से हुई थी। जबकि बखरी अनुमंडल बनने की सारी अहर्ताओं को पूरा करता था। जनांदोलन का सम्मान करते हुए सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने बखरी को अनुमंडल बनाने की घोषणा कर दी। तब अनुमंडल के मानदंड को पूरा करने के लिए बखरी प्रखंड के 18 पंचायतों को इससे अलग कर दिया गया। बखरी प्रखंड की मौजी हरिसिंह, सोनमा, कुम्हारसो, दुनही, कोरियामा, रजौड़, गढ़पुरा, मालीपुर तथा कोरैय कुल नौ पंचायतों को मिलाकर गढ़पुरा प्रखंड का गठन किया गया था। इसी तरह प्रखंड के महेशवारा, पहसारा अब पहसारा पश्चिम, पीरनगर अब पहसारा पूर्वी, डफरपुर, नावकोठी, रजाकपुर, चकमुजफ्फर अब हसनपुर बागर, विष्णुपुर तथा समसा कुल नौ पंचायतों को मिलाकर नावकोठी प्रखंड का गठन किया गया था। प्रखंड की शेष चकहमीद, सलौना, शकरपुरा, बखरी पश्चिमी, बखरी पूर्वी, मक्खाचक, घाघरा, मोहनपुर, लौछे अब बागवन, राटन और बहुआरा कुल 11 पंचायतों के अलावा बलिया प्रखंड की एक पंचायत परिहारा को मिलाने से बखरी में 12 पंचायतें रह गई। 2010 में फिर सिमटा प्रखंड का दायरा

बिहार सरकार ने 2010 में बखरी को नगर पंचायत का दर्जा देते हुए इसकी मक्खाचक तथा बखरी पश्चिम पंचायत के पूर्ण तथा बखरी पूर्वी तथा शकरपुरा पंचायत के अंश भाग को उसमें समाहित कर दिया। इससे इन चारों पंचायत का अस्तित्व समाप्त हो गया। इस तरह बखरी प्रखंड में आठ पंचायतें रह गई। बाद में बखरी पूर्वी के शेष भाग मिलाकर चकचनरपत पंचायत तथा शकरपुरा के शेष भाग को मिलाकर जयलख अभिमान पंचायत का गठन किया गया। इससे प्रखंड में पंचायतों की संख्या 8 से 10 हो गई। नगर परिषद बनने से दो पंचायतों का अस्तित्व फिर समाप्त

बिहार सरकार ने नगर पंचायत बखरी को उत्क्रमित करते हुए यहां नगर परिषद का गठन किया है। इस दौरान सरकार ने नगर पंचायत के क्षेत्र में विस्तार करते हुए प्रखंड की सलौना और जयलख अभिमान पंचायत के अंश भाग को नगर परिषद क्षेत्र में समाहित कर दिया है। दोनों पंचायतों के मुख्यालय गांव को नगर परिषद क्षेत्र में शामिल कर दिया गया है। जबकि इसके शेष भाग को समीपवर्ती चकहमीद पंचायत में शामिल कर दिया है। इस तरह दोनों पंचायतों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। अब प्रखंड में महज आठ पंचायत चकहमीद, घाघड़ा, मोहनपुर, बागवन, राटन, परिहारा, बहुआरा तथा चकचनरपत ही रह गई हैं।



पुरानी दुर्गा मंदिर[संपादित करें]

महाअष्टमी के रात दूर दराज से बड़ी संख्या में तंत्र साधना के लिए साधक यहां पहुंचकर तंत्र विद्या को सिद्धि प्राप्त करते हैं. इस दिन शाम ढलते ही साधक विभिन्न मुद्राओं में लीन हो जाते हैं. जिसे चाटी कहा जाता है. इस प्रक्रिया में जो साधक माता की ओर बढ़े चले जाते हैं उनकी साधना सिद्ध मानी जाती है.

यह प्रक्रिया मध्य रात्रि माता का पट खुलने तक जारी रहता है. कहा जाता है तंत्र विधा की शुरूआत यहां 14 वीं शताब्दी से आरंभ हुआ. किवदंतियों के अनुसार 14 वीं सताब्दी के पूर्वार्द्ध में सल्तनतकालीन सामाजिक राजनीतिक व्यवस्था में बिखराव को रोकने के लिए महिला नेतृत्व का उभार हुआ.

जिसका नेतृत्व तात्कालिन उतरांग प्रदेश में बहुरा गोढिन ने की. जिसने अपनी तांत्रिक विधा के माध्यम से महिलाओं को गोलबंद किया. जिसकी शुरुआत देवी दुर्गा की अराधना से शुरू की जो परंपरा आज भी कायम है.

आज भी नगर के पूर्व स्थित सार्वजनिक दुर्गा स्थान परिसर में बहुरा गोढिन की मंदिर विद्यमान है. जहां भक्त श्रद्धा भाव से तंत्र साधना के साथ साथ मन्नतें मांगते हैं.नौ दिनों तक कुमारी कन्याएं और महिलाओं के द्वारा हाथों में प्रज्वलित दीप लेकर माता के मंदिर की प्रदक्षिणा करती भक्ति आत्मा को प्रेरित कर भाव विभोर कर देती हैं.पूरे नवरात्र बखरी के घर-घर से सिर्फ़ एक ही स्वर गुंजायमान होता है जय माता दी जय माता दी

बहुरा मामा[संपादित करें]

बहुरा मामा नामक एक तंत्र साधिका के द्वारा यहां एक तंत्र साधना का विद्यालय भी संचालित किया जाता था. जिसके चमत्कारीक किस्से काफी मशहूर हैं, आज भी लोग इसे चाव से सुनते है. तंत्र साधिका के रूप मे मशहूर बहुरा मामा की स्थपित मंदिर आज लोगों के श्रद्धा का केंद्र बन गई है. दुर्गा पूजा पर बड़ी संख्या में लोग बखरी में तंत्र साधना की सिद्धि के लिए आते हैं.

सन्दर्भ[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]