फ्रिडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया

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फ्रिडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रियाएँ ('Friedel-Crafts reactions) कार्बनिक अभिक्रियाओं का एक समूह है जिसका आविष्कार चार्ल्स फ्रिडेल (Charles Friedel) और जेम्स क्राफ्ट्स (James Crafts) ने सन् १८७७ में किया था।[1] वस्तुत: ये अभिक्रियाएँ ब्रेज़ीन वलय में एक या एक से अधिक हाइड्रोजन परमाणुओं को ऐल्किल (alkyl) या ऐसिल (acyl) समूहों द्वारा प्रतिस्थापित करने की विधियाँ हैं। इन अभिक्रियाएं मुख्य रूप से दो प्रकार की हैं - एल्काइलीकरण अभिक्रियाएं (alkylation reactions) तथा एसीलीकरण ([acylation) अभिक्रियाएँ। इन अभिक्रियाओं का सामान्य अभिक्रिया प्रक्रिया नीचे दर्शायी गयी है-

क्लोरोमिथेन द्वारा बेंजीन का फ्रिडल-क्राफ्ट्स अल्कीलीकरण (The Friedel-Crafts Alkylation of benzene with chloromethane)

या,

Ar का अर्थ है - एरोमटिक और R का अर्थ है - एल्किल समूह। तीर के उपर उत्प्रेरक का नाम लिखा है जो यहाँ पर एलुमिनियम क्लोराइड है।

इस अभिक्रिया के तीन विभिन्न अंग हैं-

(1) ऐरोमेटिक यौगिक - इसका ऐल्काइलीकरण करना होता है, जिसमें हाइड्रोकार्बन या उनके हैलोजन, हाइड्रॉक्सी, ऐमिनो आदि व्युत्पन्न हो सकते हैं। विषम चक्रीय यौगिकों का भी ऐल्काइलीकरण किया जा सकता है।

(2) ऐल्काइलीकारक (alkylating agent) - यह ऐल्किल केलाइड, ऐलिफ़ैटिक ऐल्कोहल, ऐलकीन या चक्रीय ऐलकेन (cycloparagffin) हो सकते हैं।

(3) उत्प्रेरक (catalyst) - इस अभिक्रिया का सबसे उत्तम उत्प्रेरक निर्जल ऐल्यूमीनियम क्लोराइड है, परंतु इसके अतिरिक्तजिंक, टिन के क्लोराइड, बोरन ट्राइफ्लोराइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल तथा फॉस्फरिक अम्ल का उपयोग भी किया जा सकता है।

उदाहरण[संपादित करें]

हाइड्रोकार्बनों के संश्लेषण में[संपादित करें]

C6H6 + CH3 Cl + (AlCl3) ---> C6H5. CH3 + HCl

C6H6 + Cl CH2 Cl + C6H6 + (AlCl3) ---> C6H5 C H2 C6H5 + 2HCl

3C6H6+C H Cl3 + (AlCl3) ---> (C6H5)3 C H+3HCl

ऐल्कोहल के संश्लेषण में[संपादित करें]

ऐल्डीहाइडों के संश्लेषण में[संपादित करें]

C6H6 + CH3COCl + (AlCl3) ---> C6H5 COCH3 + HCl

कीटोनों के संश्लेषण में[संपादित करें]

C6H6 + CH3COCl (AlCl3) ---> C6H5 COCH3 + HCl

C6H6 + C6H5 COCl (AlCl3) ---> C6H5 CO C6 H5 + HCl

2C6H6 + COCl2 (AlCl3) ---> C6H5 CO. C6 H5 + 2HCl

अम्लों के संश्लेषण में[संपादित करें]

C6H6 + COCl2 (AlCl3) ---> C6H5 COCl + (HOH) ---> C6H5 COOH

=== चक्रीय यौगिकों के संश्लेषण में ===. फिनोल एलिकल हैलाइड के साथ निर्जल एलुमिनियम क्लोराइड(AlCl3) की उपस्थिति में अभिक्रिया करके o-तथा p-एलिकल व्युत्पन्न बनाता हैं।। CH3Cl3+AlCl3 = CH3+AlCl4 C6H5OH+CH3 = C6H4OH-CH

         H+AlCl4  =  HCl+AlCl3

क्विनोनो (quinones) के संश्लेषण में[संपादित करें]

इस अभिक्रिया की विशेषताएँ[संपादित करें]

(1) क्रियाफल उत्प्रेरक पर निर्भर है।

C6H5 CH3 + CH3 Cl (AlCl3 उत्प्रेरक) ---> C6H4 (CH3)2 (meta)

C6H5 CH3+CH3Cl (AlCl3 उत्प्रेरक) ---> C6H4 (CH3)2 (Para)

(2) ऐल्किल हैलाइड - इनकी क्रियाशीलता इस प्रकार है।

फ्लोराइड > क्लोराइड > ब्रोमाइड > आयोडाइड

साथ ही,

तृतीयक हैलाइड > द्वितीयक हैलाइड > प्राथमिक हैलाइड

(3) विलायक - यदि अभिकारक द्रव रूप में है, तो विलायक की आवश्यकता नहीं पड़ती, परंतु ठोस रूप के यौगिकों (जैसे नैफ्थेलीन) के साथ प्रयोग करने के लिए विलायक की आवश्यकता होती है। नाइट्रोबेंज़ीन, कार्बन डाइसल्फाइड, पेट्रोलियम ईथर अच्छे विलायक हैं।

(4) ऐल्किन समूहों का समावयवीकरण - इस क्रिया के अंतर्गत प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड द्वितीयक में तथा द्वितीयक तृतीयक में परिवर्तित हो जाते हैं, अत: चाहे प्रोपाइल क्लोराइड लें या आइसोप्रोपाइल क्लोराइड, इन क्रियाओं के फलस्वरूप आइसोप्रोपाइल बेंज़ीन ही प्राप्त होगा।

(5) बेंज़ीन चक्र में ऑर्थो या पैरा अभिस्थापन करानेवाले समूहों की उपस्थिति में अभिक्रिया अधिक अच्छे प्रकार से होती है तथा मेटा अभिस्थापन करानेवाले समूहों की उपस्थिति में यह कम वेग से होती है, या बिलकुल ही अवरुद्ध हो जाती है।

अभिक्रिया का प्रक्रम (Reaction mechanism)[संपादित करें]

यदि प्रक्रिया को सरल रूप में देखा जाय तो इसके पहले चरण में क्लोरीन परमाणु विलग होकर एसिल (acyl) कैटायन (cation) बनाता है।

FC acylation step 1

इसके उपरान्त एरीन (arene) का एसिल समूह (acyl group) की तरफ न्यूक्लियोफिलिक आक्रमण होता है।

FC acylation step II

अन्तत: क्लोरीन परमाणु क्रिया करके HCl बनाता है; तथा AlCl3 उत्प्रेरक पुन: पैदा हो जाता है।

FC acylation step III

द्विक्षारक अम्लों के ऐनहाइड्राइडों द्वारा फ्रीडल क्रैफ्टस अभिक्रिया[संपादित करें]

यह क्रिया वसा अम्लों के Ar Co व्युत्पन्नों के संश्लेषण में विशेष महत्व की है, जैसे

b-ऐरोइल प्रोपिऑनिक अम्ल (b-aroyl propionic acid.)

b-ऐरोइल ऐक्रिलिक अम्ल (b-aroyl acrylic acid.)

इन अभिक्रियाओं में ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बनों के अनेक व्युत्पन्न तथा द्विक्षारक अम्लों के भी व्युत्पन्न लिए जा सकते हैं, जिसके फलस्वरूप अनेक यौगिकों का संश्लेषण हो सकता है।

कार्बनिक संश्लेषण में फ्रीडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया[संपादित करें]

Friedel-Crafts reactions appear in Organic Syntheses:

सन्दर्भ[संपादित करें]

== इन्हें भी देखें

==