पूर्वाषाढ़ा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
पूर्वाषाढ़ा

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र मंडल का 20वाँ नक्षत्र है। यह धनुराशि में आता है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है तो राशि स्वामी शुक्र। नक्षत्र स्वामी की सर्वाधिक दशा 20 वर्ष की होती है। इसके बाद सूर्य व चंद्र 16 वर्ष की दशा रहती है।

इस नक्षत्र में जितना भी योग्य वर्ष होता है, वह लगभग बचपन से लेकर युवावस्था तक यही दशा चंद्र के अनुसार रहती है। इनके प्रारंभिक जीवनकाल में शुक्र, चंद्र, सूर्य का विशेष महत्व रहेगा। इसी दशा-अंतरदशा में पढ़ाई, विवाद, सर्विस आदि के योग बनेंगे। इनका जन्म लग्न में शुभ होकर बैठना अति उत्तम फलदायी रहेगा।

शुक्र कला, धन, सौंदर्य प्रसाधन, ब्यूटीशियन, चिकित्सा, इंजीनियर, इलेक्ट्रॉनिक, कामवासना आदि का कारक है। वहीं राशि गुरु महत्वाकांक्षा, ईमानदारी, दया भाव, राजनीतिक, प्रशासनिक संगठन आदि का कारक है। शुक्र यदि स्वराशि या उच्च का हो तो ऐसे जातक सुंदर, कलाकार आदि होते हैं वहीं गुरु स्वराशि या उच्च का हो तो ये अपने कार्यक्षेत्र में प्रगति के साथ ईमानदार होते हैं। इनमें कला के साथ सद्गुण भी होते हैं।

मेष लग्न हो व शुक्र नक्षत्र स्वामी सप्तम में हो तो ऐसे जातक की स्त्री या पति धनी होगा या धन की कभी कमी नहीं रहेगी। शुक्र इस लग्न में उच्च का हो तो बाहर से लाभ मिले, विदेश में रहकर धन पाए।

द्वितीय भाव में स्वराशि वृषभ का हो तो ऐसे जातक को अपनी वाणी से धन मिले। स्वर उत्तम हो गायन के क्षेत्र में सफलता पाए। शुक्र चतुर्थ में दशम में भी शुभ फलदायी होगा। वृषभ लग्न में शुक्र लग्न, एकादश, दशम, नवम में शुभ फल देगा, वहीं राशि स्वामी गुरु, तृतीय, एकादश, चतुर्थ सप्तम में शुभफलदायी होगा। शुक्र चतुर्थ में हो तो दांपत्य सुख नहीं मिलता, लेकिन ऐसा जातक जनता के बीच प्रसिद्ध होता है।

देखिये[संपादित करें]

{{Navbox | name = भारतीय ज्योतिष | title = भारतीय ज्योतिष | listclass = hlist | basestyle = background:#FFC569; | image =

|above =

|group1=नक्षत्र

|list1= अश्विनी  • भरणी  • कृत्तिका  • रोहिणी  • मृगशिरा  • [[आर्द्रा]

 •  पुनर्वसु  •  पुष्य  •  अश्लेषा  •  मघा  •  पूर्वाफाल्गुनी  •  उत्तराफाल्गुनी  •  हस्त  •  चित्रा  •  स्वाती  •  विशाखा  •  अनुराधा  •  ज्येष्ठा  •  मूल  •  पूर्वाषाढ़ा  •  उत्तराषाढा  •  श्रवण  •  धनिष्ठा  •  शतभिषा  •  पूर्वाभाद्रपद  •  उत्तराभाद्रपद  •  रेवती

|group2=राशि |list2= मेष  • वृषभ  • मिथुन  • कर्क  • सिंह  • कन्या  • तुला  • वृश्चिक  • धनु  • मकर  • कुम्भ  • मीन

|group3=ग्रह |list3= सूर्य  • चन्द्रमा  • मंगल  • बुध  • बृहस्पति  • शुक्र  • शनि  • राहु  • केतु

|group4=ग्रन्थ |list4= बृहद जातक  • भावार्थ रत्नाकर  • चमत्कार चिन्तामणि  • दशाध्यायी  • गर्ग होरा  • होरा रत्न  • होरा सार  • जातक पारिजात  • जैमिनी सूत्र  • जातकालंकार  • जातक भरणम  • जातक तत्त्व  • लघुपाराशरी  • मानसागरी  • प्रश्नतंत्र  • फलदीपिका  • स्कन्द होरा  • संकेत निधि  • सर्वार्थ चिन्तामणि  • ताजिक नीलकण्ठी वृहत पराशर होरा शास्त्र [{ }] मुहूर्त चिंतामणि {{ }}


|group5=अन्य सिद्धांत |list5= आत्मकारक  • अयनमास  • भाव  • चौघड़िया  • दशा  • द्वादशम  • गंडांत  • लग्न  • नाड़ी  • पंचांग  • पंजिका  • राहुकाल

|group6= और देखिये |list6= फलित ज्योतिष  • सिद्धान्त ज्योतिष

| below = श्रेणी पृष्ठ ज्योतिष }}