पुल्लेला गोपीचंद

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पुल्लेला गोपीचंद
व्यक्तिगत जानकारी
जन्म तिथि 16 नवम्बर 1973 (1973-11-16) (आयु 50)
जन्म स्थान नागंड्ला प्रकाशम, आन्ध्र प्रदेश, भारत
लंबाई 1.88 मी॰ (6 फीट 2 इंच)
पुरूष एकल
देश  भारत
प्रयोग हाथ दायाँ
उच्चतम दर्जा 5[1] (15 मार्च 2001)
बीडब्ल्युएफ प्रालेख

पुल्लेला गोपीचंद (तेलुगु: పుల్లెల గోపీచంద్) (इनका जन्म 16 नवम्बर 1973 को आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के नगन्दला में हुआ) एक भारतीय बैडमिन्टन खिलाडी हैं।

उन्होंने 2001 में चीन के चेन होंग को फाइनल में 15-12,15-6 से हराते हुए ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में जीत हासिल की। [2] इस तरह से प्रकाश पादुकोण के बाद इस जीत को हासिल करने वाले दूसरे भारतीय बन गए, जिन्होंने 1980 में जीत हासिल की थी।[3][4] उन्हें वर्ष 2001 के लिए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[5] लेकिन बाद में, उनकी चोटों के कारण उनके खेल पर प्रभाव पड़ा और वर्ष 2003 में उनकी रैंकिंग गिर कर 126 पर आ गयी। 2005 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।[6]

अब, वे गोपीचंद बैडमिन्टन अकादमी चलाते हैं।[4] अब वे एक जाने माने कोच हैं जिन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। और सायना नेहवाल को एक बैडमिन्टन खिलाडी के रूप में उभारने में मुख्य हाथ उनका ही है।[7][8] पुलेला गोपीचंद भारत के एक शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ी व कोच हैं। 2014 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। [9]

प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

पुल्लेला गोपीचंद का जन्म पुल्लेला सुभाष चन्द्र और सुब्बरावामा के यहां 16 नवम्बर 1973 को आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के नगन्दला में हुआ।[10] शुरू में गोपीचंद क्रिकेट खेलने में अधिक रूचि रखते थे, लेकिन बाद में उनके बड़े भाई राजशेखर ने उन्हें बैडमिन्टन खेलने के लिए प्रेरित किया।[10] उन्होंने सेंट पॉल स्कूल में अध्ययन किया और जब वे केवल 10 वर्ष के थे, तभी बैडमिन्टन के खेल में वे इतने कुशल हो गए की उनके चर्चे स्कूल में होने लगे। गोपीचंद जब 1986 में 13 वर्ष के थे तभी उन्हें स्नायु टूटने की समस्या को झेलना पड़ा. उसी साल उन्होंने इंटर स्कूल प्रतियोगिता में सिंगल्स और डबल्स के खिताब जीते। चोट से विचलित हुए बिना वे जल्दी ही वापस लौटे और आंध्र प्रदेश राज्य की जूनियर बैडमिन्टन प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में पहुंच गए। वर्ष 1988 तक, जब उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, गोपीचंद बैडमिन्टन के क्षेत्र में अपने आप को स्थापित कर चुके थे। उन्होंने ए. वी. कॉलेज, हैदराबाद में प्रवेश लिया और लोक प्रशासन में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वह वर्ष 1990 और 1991 में भारतीय संयुक्त विश्वविद्यालयों की बैडमिन्टन टीम के कप्तान थे।

गोपी ने अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण एस. एम. आरिफ से प्राप्त किया, इसके बाद प्रकाश पादुकोण ने उन्हें बीपीएल प्रकाश पादुकोण अकादमी में शामिल कर लिया। गोपी ने एसएआई बैंगलौर में गांगुली प्रसाद से भी प्रशिक्षण प्राप्त किया।[11]

[12]

गोपीचंद ने 5 जून 2002 को अपनी साथी ओलंपियन बैडमिंटन खिलाड़ी पीवीलक्ष्मी से विवाह कर लिया। लक्ष्मी भी गोपीचंद के अपने राज्य आंध्र प्रदेश से ही हैं।

[13]

राष्ट्रीय बैडमिंटन[संपादित करें]

उन्होंने वर्ष 1996 में अपना पहला राष्ट्रीय बैडमिंटन चैम्पियनशिप खिताब जीता, उन्होंने वर्ष 2000 तक एक श्रृंखला में पांच बार खिताब जीते। इसके अलावा उन्होंने इम्फाल में आयोजित किये गए राष्ट्रीय खेलों में दो स्वर्ण पदक और एक रजत पदक भी जीता। उसी वर्ष, गोपीचंद ने आंध्र प्रदेश राज्य की बैडमिन्टन टीम का नेतृत्व किया और प्रतिष्ठित रहमतुल्ला कप जीता।

अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन[संपादित करें]

गोपीचंद ने वर्ष 1991 में इंटरनेशनल बैडमिंटन में अपनी शुरुआत की जब उन्हें मलेशिया के खिलाफ खेलने के लिए चुना गया। उनके अंतर्राष्ट्रीय बैडमिन्टन कैरियर में, उन्होंने तीन थॉमस कप टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 1996 में, उन्होंने विजयवाड़ा में आयोजित सार्क बैडमिन्टन टूर्नामेंट (SAARC Badminton Tournament) में स्वर्ण पदक जीता और 1997 में इसी टूर्नामेंट में फिर से जीत हासिल की। राष्ट्रमंडल खेलों में, उन्होंने टीम में एक रजत पदक और सिंगल्स में एक कांस्य पदक जीता।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 1997 में पहली बार दिल्ली में आयोजित भारतीय ग्रांड प्रिक्स टूर्नामेंट में उन्होंने कमाल कर दिखाया। इस आयोजन में, गोपीचंद ने लगातार दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाडियों को हराया, हालांकि वे फाइनल मैच में हार गए थे।

वर्ष 1999 में, उन्होंने फ़्रांस में टोऊलोज़ु ओपन चैंपियनशिप जीती और स्कॉटलैंड में स्कॉटिश ओपन चैंपियनशिप जीती। जीत के इस सिलसिले को जारी रखते हुए, इसी साल हैदराबाद में आयोजित एशियन सेटेलाईट टूर्नामेंट में उन्होंने फिर से जीत हासिल की। परन्तु जर्मन ग्रांड प्रिक्स चैम्पियनशिप का फाइनल मैच हार गए।

ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैम्पियनशिप[संपादित करें]

गोपीचंद के जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण वर्ष 2001 में आया जब उन्होंने लन्दन में एक बार फिर से प्रतिष्ठित 2001 ऑल इंग्लैण्ड ओपन बैडमिन्टन चैम्पियनशिप जीतने के इतिहास को दोहराया. इस चैंपियनशिप में, उन्होंने क्वार्टर फाइनल राउंड में डैनिश खिलाडी ऐन्डर्स बोएसन को हराया. सेमी फाइनल राउंड में उन्होंने दुनिया के पहले नंबर के खिलाडी पीटर गाडे को दो मुश्किल सेट्स में हराया.[14] अंत में, उन्होंने चीन को 15-12, 15-6 चेन होंग से हराया. इसके साथ उन्होंने वह उपलब्धि हासिल की जो अब तक एक ही भारतीय माननीय प्रकाश पादुकोण ने हासिल की थी। [15]

पुरस्कार और सम्मान[संपादित करें]

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बैडमिन्टन खिलाडी के रूप में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1999 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।[16] इसके बाद 2001 में, उन्हें खेल के क्षेत्र में सर्वोच्च भारतीय सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[5] इससे पहले ऑल इंग्लैण्ड बैडमिन्टन चैम्पियनशिप में जीत हासिल करने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें प्रशंसा के एक टोकन के रूप में नकद इनाम एवं जुब्ली हिल्स, हैदराबाद में एक प्लॉट से पुरस्कृत किया था। वर्ष 2005 में, उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[6] उन्होंने एक कोच के रूप में भारतीय बैडमिन्टन में अपने योगदान के लिए 29 अगस्त 2009 को द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त किया।[7]

उद्धरण[संपादित करें]

--"मुझे लगता है कि एक प्रतिस्पर्धात्मक खेल में हम असफलताओं, निराशा और चोट से ही सीखते हैं। जीवन के किसी भी अन्य क्षेत्र में, यह संभव नहीं हो सकता. "--" कोका कोला कम्पनियों के उग्र विपणन के परिणामस्वरूप लोगों ने स्वास्थ्यप्रद पेय जैसे फलों के रस इत्यादि को पीना बंद कर दिया है। और गावों के लोग तो वास्तव में ऐसा समझने लगे हैं कि ये सोफ्ट ड्रिंक्स सेहत के लिए अच्छी हैं। वातित पेय केवल न केवल स्वास्थ्य के लिए बुरी हैं बल्कि स्थानीय उद्योग के लिए भी बुरी पुल्लेला गोपीचंद ने सॉफ्ट ड्रिंक्स का विज्ञापन कारने से इंकार कर दिया, वातित पेय का बहुत बहुत धन्यवाद, अब तो नींबू शरबत और नारियल पानी को पाना और भी मुश्किल होता जा रहा है।"

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Historical Ranking". Badminton World Federation. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2010.[मृत कड़ियाँ]
  2. "Pulella Gopichand". mapsofindia.com. मूल से 13 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2010.
  3. "P Gopichand". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया . 11 दिसम्बर 2002. मूल से 21 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2010.
  4. "Pullela Gopichand – The Founder". Gopichand Badminton Academy. मूल से 24 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2010.
  5. "Gopichand completes rare treble with Dronacharya". Indian Express. 21 जुलाई 2009. मूल से 21 फ़रवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2010.
  6. "Padma Shri Awardees". भारत सरकार. मूल से 29 मार्च 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2010.
  7. "Better coaching, big events acting as a booster: Gopichand". Indian Express. 4 दिसम्बर 2009. मूल से 21 फ़रवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2010.
  8. "Gopi Chand believes India can make it to Group II". द हिन्दू. 7 मई 2009. मूल से 3 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2010.
  9. "पद्म पुरस्कारों की घोषणा". नवभारत टाईम्स. 25 जनवरी 2013. मूल से 2 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 जनवरी 2014.
  10. "Pullela Gopichand - Badminton Player". webindia123.com. मूल से 5 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2010.
  11. "His hard work and dedication has paid off". The Tribune. 11 मार्च 2001. मूल से 7 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 फ़रवरी 2010.
  12. "Still a crusader". The Tribune. 15 अप्रैल 2001. मूल से 5 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 फ़रवरी 2010.
  13. "Gopichand to wed Lakshmi". मूल से 24 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 मार्च 2011.
  14. {{cite web|url=http://www.rediff.com/sports/2001/mar/10gopi.htm}[मृत कड़ियाँ] }
  15. "Randhawa's wait for Padma Shri ends". द ट्रिब्यून. 26 जनवरी 2005. मूल से 28 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 फ़रवरी 2010.
  16. "LIST OF ARJUNA AWARD WINNERS". web.archive.org. मूल से 25 दिसंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 फ़रवरी 2010.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]