पी. जयरामन

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राष्ट्रपति अबुल कलाम आजाद से प्रवासी भारतीय सम्मान प्राप्त करते हुए।

डॉ॰ पी. जयरामन संस्कृत, हिन्दी एवं तमिल भाषा एवं साहित्य के विद्वान हैं। उन्होंने संस्कृत तथा हिन्दी में स्नातकोत्तर अध्ययन पूरा करने के बाद पीएच.डी. तथा डी.लिट. की उपाधि प्राप्त की है। भारतीय संस्कृति तथा साहित्य के प्रति समर्पित होकर उन्होंने अठारह वर्षों तक इन विषयों का गंभीर अध्ययन किया है। वे भारतीय रिजर्व बैंक के प्रबंधक के पद पर सोलह वर्षों तक कार्यकाल के समय बैंकिंग क्षेत्र में भारतीय भाषाओं तथा विशेषकर हिन्दी के प्रचार-प्रसार का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। किंतु भारतीय विद्या भवन के आदर्शों से प्रभावितर होकर उन्होंने बैंक की सेवाओं से समय पूर्व अवकास लेकर वर्ष १९८० में उन्होंने न्यू यार्क में भारतीय विद्या भवन की स्थापना की और उनतीस वर्षों से भारतीय संस्कृति, परम्परा, दर्शन, भाषा, साहित्य एवं कलाओं के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। इस समय भारतीय विद्या भवन में हिंदी तथा संस्कृत भाषाओं के साथ साथ भारतीय दर्शन, संगीतनृत्य की शिक्षा भी दी जाती है। उन्होंने संस्कृत तथा तमिल में लिखी गई अनेक धार्मिक पुस्तकों का हिंदी व अँग्रेजी में अनुवाद किया है।[1]

पुरस्कार व सम्मान[संपादित करें]

उन्हें हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा साहित्य वाचस्पति, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण, हिन्दी भाषा एवं साहित्य की सेवा के लिए केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा द्वारा २००३ में पद्मभूषण डॉ॰ मोटूरि सत्यानारायण पुरस्कार, २००७ में प्रवासी भारतीय सम्मान तथा २००९ में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।[2]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. वाणी प्रकाशन
  2. नृतोदय समाचार[मृत कड़ियाँ]