परती परिकथा

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परती परिकथा  
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु
मूल शीर्षक परती परिकथा
भाषा हिंदी
प्रकार उपन्यास
प्रकाशक राजकमल प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 21 सितम्बर 1957
पृष्ठ 379
पूर्ववर्ती मैला आँचल

परती परिकथा फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित हिंदी उपन्यास है। मैला आँचल के बाद यह रेणु का दूसरा आंचलिक उपन्यास था। इसमें परानपुर गाँव का अंचल ही नायक है किन्तु यहाँ पर कुछ पात्र जैसेकि-जीतेन्द्र मिश्र को नायकत्व के करीब माना जा सकता है।

कथावस्तु[संपादित करें]

परती परिकथा में परानपुर गांव कथा के केंद्र में है। गांव में कई जातियाँ और उपजातियाँ है। विभिन्न सरकारी योजनाओं, ग्राम समाज सुधार और विकास योजनाएं, जमींदारी उन्मूलन, लैंड सर्वे ऑपरेशन, कोसी योजना आदि के प्रति लोगों में अपार उत्साह है। उपन्यास का नायक जितेंद्र जित्तन अपने निजी अनुभव से राजनीति की कटुता और षड़यंत्र को बुरा समझता है और सदा उससे दूर रहता है।

उपन्यास के कथा सूत्र जित्तन और उसके पिता शिवेंद्र नाथ मिश्र से जुड़कर ग्राम समाज के प्रतिनिधि अंकन को एक रोचक प्रेम कथा में परिवर्तित कर देते हैं। पूरी कथा शिवेंद्र तथा ताजमनी और जीत्तन तथा इरावती की प्रेम कथा के आसपास चलती है।