पंजीरी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

पंजीरी एक प्रकार की मिठाई जो आटे को घी में भूनकर उसमें धनिया, सोंठ, जीरा आदि मिलाकर बनाई जाता है । इसका व्यवहार विशेषतः नैवेद्य में होता है । श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उत्सव तथा श्री सत्यनारायण व्रत की कथा में पंजीरी का प्रसाद बँटता है । पंजीरी प्रसूता स्त्री कि लिये भी बनती है ओर पठावे में भी भेजी जाती है ।

कई ढंग की वस्तुओं और सम्बारों को भूनकर बनाया जाने वाला एक प्रकार का मीठा चूर्ण जो खाये जाने में काम आता है। जैसे—सत्यनारायण की पूजा के लिए बनानेवाली पँजीरी; प्रसूता अथवा दुर्बलों को खिलाने के लिए बनाई जानेवाली पौष्टिक पँजीरी। पूर्वी उत्तर प्रदेश में आटे से बनी पंजीरी को 'मनभोग' कहते हैं। धनिये से बनी पंजीरी को ही प्राय: पंजीरी कहा जाता है जो मुख्यत: कृष्ण जन्माष्टमी के बहुत बार पर प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है।

धनिये की पंजीरी[संपादित करें]

पिसा धनिया, शकर और घी इसके प्रमुख घटक होते हैं। प्रसूता को खिलाया जाने वाला सोंठ का लड्डू भी कभी-कभार इसमें मिला दिया जाता है।

सामग्री[संपादित करें]

100 ग्राम सूखा धनिया पावडर, 50 ग्राम मावा, खोपरा बूरा 50 ग्राम, शकर बूरा 100 ग्राम, 4-5 पिसी इलायची पावडर, मेवों की कतरन 50 ग्राम।

विधि[संपादित करें]

सर्वप्रथम मावे को किसनी से कद्दूकस करके धीमी आँच पर थोड़ा सा सेंक लें। अब उसमें धनिया पावडर डालें व दो-पाँच मिनट भून लें। मिश्रण थोड़ा ठंडा होने के बाद खोपरा व शकर का बूरा डालकर मिक्स कर लें। अब उसमें पिसी इलायची व मेवों की कतरन डालकर मिश्रण को एकसार कर लें। तैयार है धनिए की पंजीरी।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]