नीमकाथाना

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नीम का थाना जिला
Neem Ka Thana district
ज़िला
उपनाम: nkt
नीम का थाना जिला is located in राजस्थान
नीम का थाना जिला
नीम का थाना जिला
राजस्थान में नीम का थाना ज़िले का स्थान
निर्देशांक: 27°44′17″N 75°46′59″E / 27.738°N 75.783°E / 27.738; 75.783निर्देशांक: 27°44′17″N 75°46′59″E / 27.738°N 75.783°E / 27.738; 75.783
देश भारत
राज्यराजस्थान
जिलानीम का थाना
संभागसीकर संभाग
उपखंडनीम का थाना

श्रीमाधोपुर

उदयपुरवाटी

खेतड़ी
तहसीलनीम का थाना

पाटन

श्रीमाधोपुर

खेतड़ी

उदयपुरवाटी
शासन
 • विधायकसुरेश मोदी
 • जिला कलेक्टरश्रुति भारद्वाज
क्षेत्र3031.25 किमी2 (1,170.37 वर्गमील)
ऊँचाई446 मी (1,463 फीट)
जनसंख्या (2011 नीम का थाना जिले की संपूर्ण जनसंख्या)
 • कुल13,28,573
 • घनत्व440 किमी2 (1,100 वर्गमील)
भाषा
 • आधिकारिकहिन्दी,राजस्थानी,शेखावाटी,तोरावाटी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+५:३०)
पिन332713
दूरभाष कोड01574
वाहन पंजीकरणRJ 23B
वेबसाइटhttps://neemkathana.rajasthan.gov.in/

नीम का थाना, जिसे "नीमकाथाना" भी लिखा जाता है, भारत के राजस्थान राज्य का एक ज़िला तथा नगरपरिषद है। यह नीम का थाना ज़िले का मुख्यालय भी है। 17 मार्च 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा नीमकाथाना को जिला घोषित किया गया था। जिसका 7 अगस्त 2023 को औपचारिक उद्धघाटन किया गया और मानचित्र पर अंकित किया गया। जिला सीकर एवं जिला झुंझुनू का पुनर्गठन कर नया जिला नीम का थाना बनाया गया। नीम का थाना जिला सीकर जिले के दो उपखण्ड नीम का थाना एवं श्रीमाधोपुर तथा जिला झुंझुनू के दो उपखण्ड खेतड़ी एवं उदयपुरवाटी को मिलाकर बनाया गया। जिला नीम का थाना के अधिकार क्षेत्र में चार उपमंडल, पांच तहसील और छह पंचायतें आती हैं। इस प्रकार वर्तमान में नीम का थाना जिले में चार उपखण्ड हैं - 1. नीम का थाना 2. श्रीमाधोपुर 3. खेतड़ी 4. उदयपुरवाटी । नवगठित जिले नीम का थाना की प्रथम जिला कलेक्टर श्रीमती श्रुति भारद्वाज एवं प्रथम पुलिस अधीक्षक श्री अनिल बेनीवाल बने।

नीम का थाना जिले के उपखण्डों का संक्षिप्त विवरण:-

1. नीम का थाना: नीम का थाना तहसील का मुख्यालय छावनी के नाम से जाना जाता है। इस छावनी की स्थापना 1834 ई. में शेखावाटी ब्रिगेड के गठन के बाद ब्रिटिश भारतीय सरकार द्वारा की गई थी। पहले छावनी का मूल नाम सवाई रामगढ़ था। सवाई रामगढ में जयपुर राज्य की नागा छावनी के पूर्व में भी दो जमातें स्थापित की गई थीं। 15 अक्टूबर, 1949 को पूर्व जयपुर राज्य के नीम का थाना क्षेत्र को 17वीं शताब्दी में स्थापित सीकर जिले में शामिल किया गया।

गणेश्वर सभ्यता नीमकाथाना जिले में स्थित है। गणेश्वर सभ्यता की खोज 1977 में आरसी अग्रवाल द्वारा की गई थी। गणेश्वर सभ्यता प्राचीनतम तांबे के अवशेष के लिए जानी जाती है, इसीलिए गणेश्वर सभ्यता को ताम्र युगीन सभ्यता की जननी कहा जाता है। गणेश्वर से ही संपूर्ण सिंधु सभ्यता में तांबे की आपूर्ति की जाती थी। गणेश्वर गांव में 'गालव गंगा धाम' एक ऐसी जगह है, जहां कड़ाके की सर्दी में भी गरम पानी का झरना बहता है। तापमान कितना ही गिर जाए, इस झरने के पानी का तापमान औसत 35 डिग्री के आसपास रहता है।

2. श्रीमाधोपुर: इस शहर की स्थापना 18वीं शताब्दी में जयपुर राजा मानसिंहजी के दीवान कुशली राम बोहरा ने की थी। श्रीमाधोपुर का नाम सवाई माधो सिंह के नाम पर रखा गया था। कपड़े और बर्तनों के व्यापार के लिए प्रसिद्ध रहा है। गोपीनाथ मंदिर और गेहूं बाजार के लिए जाना जाता है।

3. खेतड़ी : आजादी से पहले राजा खेत सिंह निर्वाण के नाम पर इसका नाम खेतड़ी रखा गया। खेतड़ी के राजा अजीत सिंह ने स्वामी विवेकानन्द को शिकागो धर्म सम्मेलन में भेजने की व्यवस्था की। स्वामी विवेकानन्द को राजस्थान की गर्म हवाओं से बचाने के लिए अजीत सिंह द्वारा पगड़ी पहनाई गई थी। तांबा विदेशों से आयात किया जाता था। खेतड़ी ने तांबे के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाया। हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, भारत सरकार का एक सार्वजनिक उपक्रम स्थित है। सुखमहल, बेजोड़ वास्तुकला का प्रतीक रघुनाथ मंदिर, पन्नालाल शाह का तालाब, अजीत सागर रामकृष्ण मिशन, स्वामी विवेकानन्द संग्रहालय स्थित है। संत रामेश्वरदास की तपोभूमि बसई गांव में स्थित है।

4.उदयपुरवाटी : हर्ष शिलालेख के अनुसार इसका प्राचीन नाम उदारभटिका था। किसान आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास रहा है। मनसा माता शक्ति पीठ अरावली की वादियों में स्थित है। जोधपुरा सुनारी ताम्रयुगीन सभ्यता के अवशेषों के लिए प्रसिद्ध है। शाकंभरी माता का मंदिर और कोट बांध उदयपुरवाटी तहसील मुख्यालय से 15 किमी की दूरी पर स्थित हैं।

नीम का थाना जिले में लोहार्गल, मनसा माता, गणेश्वर, टपकेश्वर, बालेश्वर, भगेश्वर धाम जैसे छः बड़े तीर्थ धाम है।नीमकाथाना जिले मे खेतड़ी महल, पाटन महल, पन्नाशाह तालाब(खेतड़ी) जैसे प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर भी हैं। पाटन का युद्ध 20 जून, 1790 को महादजी सिंधिया एवं राजपूत शासकों (जयपुर एवं मारवाड़) के मध्य हुआ था।वर्तमान समय मे नीम का थाना जिला उद्योग व माइंस के मामले मे एक समृद्धशाली जिला है।

 

 

 

 

जनसांख्यिकी[संपादित करें]

2011 की जनगणना के अनुसार[1] नीमकाथाना की कुल जनसंख्या 410327 है। पुरूष हिस्सा 53% एवं महिलाएँ 47% हैं। नीमकाथाना की साक्षरता दर 67% है जो राष्ट्रीय औसत 59.5% से कुछ अधिक है जिसमें पुरुष साक्षरता 77% एवं महिला साक्षरता 56% है। नीमकाथाना में कुल जनसंख्या का 16% लोग 6 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं। नीमकाथाना नगर की जनसंख्या 32,580 है।

नदियाँ[संपादित करें]

साती और सोटा नामक नदियाँ नीमकाथाना से शुरू होती हैं और कोटपुतली की तरफ बहती है।[2] कांताली नदी नीमकाथाना क्षेत्र की प्रमुख नदी है जो खंडेला की पहाड़ियो से निकल कर झुंझुनू में प्रवेश कर समाप्त हो जाती है दुधि नदी जो टोडा किशनपुरा की पहाडियों से बहकर बुचारा बाँध में गिरती हुए हरियाणा के पाटोदी तक जाकर अपना मैदानी भाग बनाती है

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "भारत की जनगणना २००१: २००१ की जनगणना के आँकड़े, महानगर, नगर और ग्राम सहित (अनंतिम)". भारतीय जनगणना आयोग. अभिगमन तिथि 2007-09-03.
  2. एस सी कालवार, Wastelands and Planning for Development, पृष्ठ 52