द डबल हेलिक्स

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'द डबल हेलिक्स' (The Double helix), जेम्स डी. वाटसन के द्वारा लिखी एक पुस्तक है।

पुस्तक के बारे में[संपादित करें]

जेम्स डी. वाटसन और फ्रांसिस क्रिक ने डी.एन.ए. की बनावट का पता लगाया था। इन दोनो और मॉरिस विल्किंस को १९६२ में इस कार्य के लिये नोबल पुरुस्कार मिला। यह बनावट का पता उन्से किया, इसी का वर्णन वाटसन ने 'द डबल हेलिक्स' (The Double helix) पुस्तक में लिखा है। यह पुस्तक, वाटसन के उस समय की, आत्म जीवनी है। उन्होंने, इसमें तथ्य अपने हिसाब से लिखे हैं जिनकी वास्तविकता कुछ भिन्न हो सकती है पर इससे इस पुस्तक की रोचकता पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वाटसन और क्रिक डी.एन.ए. के महत्व को जानते थे और यह भी जानते थे कि जो इसकी बनावट का पता लगायेगा उसे नोबल पुरस्कार मिलेगा। उस समय होड़ लगी थी कि कौन यह पहले कर लरगा। इस बात ने इस वर्णन को रोमांचकारी बना दिया था। इसका अपना प्रवाह है। इस पुस्तक को एक बार पढ़ना शुरू करने पर छोड़ने का मन नहीं करता है। इस पुस्तक की सबसे अच्छी बात यह है कि इस पुस्तक को पढ़ने या समझने के लिये आपको प्राणिशास्त्र के ज्ञान की जरूरत नहीं है। यह इसके बिना भी आसानी से समझ में आती है। इस पुस्तक ने विज्ञान की पुस्तकों का एक नया अध्याय खोला और लोगों में जीव रसायन के विषय पर दिलचस्पी पैदा की।