दरियाई घोड़ा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

दरियाई घोड़ा
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी
वर्ग: स्तनपायी
गण: द्विखुरीयगण
कुल: हिप्पोपॉटमिडी
वंश: हिप्पोपॉटमस
लिनेयस, १७५८
जाति: एच. ऍमफ़िबिअस
द्विपद नाम
हिप्पोपॉटमस ऍमफ़िबिअस
लिनेयस, १७५८[2]
आवास क्षेत्र[1]
अफ्रीका का विशाल पशु- जलीय घोड़ा

दरियाई घोड़ा या जलीय घोड़ा (Hippopotamus) एक विशाल और गोलमटोल स्तनपायी प्राणी है जो अफ्रीका का मूल निवासी है। दरियाई घोड़े नाम के साथ घोड़ा शब्द जुड़ा है एवं "हिप्पोपोटामस" शब्द का अर्थ "वाटर होर्स" यानी "जल का घोड़ा" होता है परन्तु उसका घोड़ों से कोई संबंध नहीं है। प्राणिविज्ञान की दृष्टि में यह सूअरों का दूर का रिश्तेदार है। यह शाकाहारी प्राणी नदियों एवं झीलों के किनारे तथा उनके मीठे जल में समूहों में रहना पसन्द करता है।

उसे आसानी से विश्व का दूसरा सबसे भारी स्थलजीवी स्तनी कहा जा सकता है। वह 14 फुट लंबा, 5 फुट ऊंचा और 4 टन भारी होता है। उसका विशाल शरीर स्तंभ जैसे और ठिंगने पैरों पर टिका होता है। पैरों के सिरे पर हाथी के पैरों के जैसे चौड़े नाखून होते हैं। आंखें सपाट सिर पर ऊपर की ओर उभरी रहती हैं। कान छोटे होते हैं। शरीर पर बाल बहुत कम होते हैं, केवल पूंछ के सिरे पर और होंठों और कान के आसपास बाल होते हैं। चमड़ी के नीचे चर्बी की एक मोटी परत होती है जो चमड़ी पर मौजूद रंध्रों से गुलाबी रंग के वसायुक्त तरल के रूप में छूती रहती है। इससे चमड़ी गीली एवं स्वस्थ रहती है। दरियाई घोड़े की चमड़ी खूब सख्त होती है। पारंपरिक विधियों से उसे कमाने के लिए छह वर्ष लगता है। ठीक प्रकार से तैयार किए जाने पर वह २ इंच मोटी और चट्टान की तरह मजबूत हो जाती है। हीरा चमकाने में उसका उपयोग होता है।

प्राचीन ग्रीक भाषा में इनके नाम का मतलब होता है दरियाई घोड़ा, हालाँकि आधुनिक विज्ञान इन्हें सूअर की प्रजाति के नज़दीक पाता है. सबसे ताज़ा शोध में पाया गया है कि व्हेल की प्रजाति से इनका संबंध अधिक है. जैसा पहले समझा जाता था, ये पसीने के रूप में खून नहीं निकालते हैं, बल्कि इनके पसीने में एक लाल रंग का बैक्टीरियारोधी सनस्क्रीन द्रव होता है. लेकिन दरियाई घोड़ों की 30.5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार ने जीव वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया है. दरियाई घोड़े असल में विलुप्त होने की कगार पर है. कुछ खोजकार्यो से यह पता चलता है की प्राचीन युग में दरियाई घोड़ो की नस्ले कई जगहों पर भारी तादाद में मौजूद थी.

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Lewison, R & Oliver, W. (2008). Hippopotamus amphibius. 2008 संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN लाल सूची. IUCN 2008. Retrieved on 27 फ़रवरी 2012. Database entry includes a brief justification of why this species is vulnerable.
  2. "ITIS on Hippopotamus amphibius". Integrated Taxonomic Information System. मूल से 26 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-07-29.