तिरुनल्लूर करुणाकरन्

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तिरुनल्लूर करुणाकरन्

तिरुनल्लूर करुणाकरन् (१९२४-२००६) मलयालम के एक सुप्रसिद्ध कवि, पंडित और वामपंथी विचारक थे। वे मलयालमकविता की स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के एक विशिष्ट व्यक्तित्व थे।

जीवन परिचय[संपादित करें]

केरल के कोल्लम जिले के पेरिनाट नामक गाँव में ८ अक्टूबर १९२४ में उनका जन्म हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही संस्कृतभाषा व साहित्य के अध्ययन के साथ। उन्होंने छात्र जीवन से ही काव्य रचना प्रारम्भ कर दी थी। कोल्लम के एस् एन कॉलेज से इतिहास पर् बी॰ए॰ और तिरुवनन्तपुरम यूणिवेरसिट्टि कांलेज् से मलयालम पर एम॰ए॰ की उपाधियाँ प्राप्त कर उन्होंने यूणिवेरसिट्टि कांलेज् में अध्यापन कार्य किया। उसके बाद वे केरल सरकार का पब्लिक सर्वीस कम्मीशन में अंग की रूप में काम किया। छः वर्ष वहाँ काम करने के बाद वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की साप्ताहिक पत्र 'जनयुगम' में प्रधान सम्पादक पद पर नियुक्त हुए। ५ जुलाई २००६ को उनका देहांत हो गया।

उनकी कवितायों पर साम्यवाद और भौतिकवाद का प्रभाव स्पष्टरूप में रहते है फिर भी उनकी शैली भावपूर्ण और भाषा सरल तथा प्रवाहमयी है।

प्रमुख कृतियां[संपादित करें]

मन्जुतुल्लिकल् (कवितासंग्रह)

समागमम् (काव्य)

प्रेमम मधुरमाणु धीरवुमाणु (खंड काव्य)

राणि (खंड काव्य)

रात्रि (खंड काव्य)

ताष्केन्ट् (खंड काव्य)

अन्ति मयन्ङुम्पोल् (गीत संग्रह)

तिरुनल्लूर करुणाकरन्टे कवितकल् (कवितासंग्रह)

ग्रीष्मसंध्यकल् (कवितासंग्रह)

पुतुमषा (बालकविता संग्रह)

मेघसंदेशम् (अनुवाद)

आभिज्ञानशाकुन्तलम् (अनुवाद)

जिप्सिकल् (अनुवाद)

ओमर घय्यामिन्टे गाथकल् (अनुवाद)

ओरु महायुद्ध् त्तिन्टे पर्यवसानम् (गद्य)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

वाह्यसूत्र[संपादित करें]