कुंजीलाल दूबे

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
कुंजीलाल दूबे

कुंजीलाल दूबे को सार्वजनिक उपक्रम के क्षेत्र में सन १९६४ में भारत सरकार द्वारा, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। ये मध्य प्रदेश राज्य से हैं।

पद्मभूषण पंडित कुंजीलाल दुबे

         पंडित कुंजीलाल दुबे का जन्म 18 मार्च, 1896 में नरसिंहपुर जिले के आमगांव ग्राम में एक सम्भ्रान्त परिवार में हुआ तथा देहावसान 2 जून, 1970 को हुआ। वे बी.ए., एलएल.बी. थे। सन् 1920 में उन्होंने आजीविका के लिए जबलपुर में विधि व्यवसाय प्रारम्भ किया और शीघ्र ही उनकी गणना जबलपुर के विशिष्ट अधिवक्ताओं में होने लगी।

           वे पंडित मदनमोहन मालवीय की प्रेरणा से हिन्दू महासभा में सम्मिलित हुए। सन् 1924 में उन्हें हिन्दू महासभा की राज्य इकाई का सचिव निर्वाचित किया गया। सन् 1937 में वे कांग्रेस में सम्मिलित हुए और फिर जीवन पर्यन्त कांग्रेस तथा गांधीजी के सिद्धान्तों को समर्पित रहे। सन् 1939 में वे त्रिपुरा में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महाधिवेशन की स्वागत समिति के सचिव चुने गए। जनवरी, 1941 में महात्मा गांधी के आव्हान पर वैयक्तिक सत्याग्रह में भाग लिया और उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया तथा छः माह की सज़ा दी गई।  जेल से छूटकर वे कांग्रेस के कार्य में लग गए और अगस्त, 1942 में मुम्बई के प्रसिद्ध कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए।  अधिवेशन समाप्त होने के बाद जब वे मुम्बई से रेल द्वारा जबलपुर लौट रहे थे तब उन्हें भिटोनी रेल्वे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया।  जेल से वे सन् 1944 में छूटे और उसके बाद स्वतंत्र भारत के प्रथम विधान सभा के चुनाव में जबलपुर से निर्विरोध चुने गए। 2 अक्टूबर, 1946 को वे मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए। सन् 1952 में वे विधान सभा के लिए पुनः निर्वाचित हुए और उन्हें विधान सभा का अध्यक्ष निर्विरोध चुना गया। वे 1952 से 1967 तक विधान सभा अध्यक्ष पद पर बने रहे। संभवतः भारत के संसदीय इतिहास में इतने लम्बे काल तक कोई भी व्यक्ति विधान सभा का अध्यक्ष नहीं रहा है।

           वे स्वर्गीय पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र तथा पंडित श्यामाचरण शुक्ल के मंत्रि-मण्डल में वित्त मंत्री भी रहे। सन् 1964 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण की उपाधि से अलंकृत किया गया। विधि और ज्ञान के क्षेत्र में की गई सेवाओं के लिए जबलपुर विश्वविद्यालय ने सन् 1965 में एल.एल.डी. की मानद् उपाधि से एवं विक्रम विश्वविद्यालय ने सन् 1967 में डी.लिट. की उपाधि से अलंकृत किया।

           भारतीय डाक विभाग द्वारा उनकी स्मृति में एक डाक टिकिट दिनांक 18 मार्च, 1996 को जारी किया गया।

मध्य प्रदेश शासन, संसदीय कार्य विभाग के अधीन विधान सभा के प्रथम अध्यक्ष पंडित कुंजीलाल दुबे के नाम पर, दिनांक 24.4.1998 को संसदीय विद्यापीठ की स्थापना की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया की जानकारी देना है। यह म.प्र. सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1973 (सन् 1973 का क्रमांक 44) के अधीन पंजीकृत संस्था है, जिसका कार्यालय भूतल, विंध्याचल भवन, भोपाल में है।