करार पत्र

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करार पत्र किसी के द्वारा दलाल के सहयोग से किए गए लेन-देन की पुष्टि करता है। यह क्रयकर्त्ता और उसके दलाल के बीच व्यापार निपटारे के संदर्भ में प्रभावी रिश्ते की स्थापना करता है। इसके द्वारा दावों, विवादों या अंतर संबंधी शिकायतों के निपटारे में सहायता मिलती है। दलाल के विरुद्ध शिकायत करने के लिए पहली शर्त करार पत्र का होना है। करार पत्र में सुझाए गए क्रम में अधिकृत अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर तथा उसमें लेन-देन संबंधी सभी जानकारियां होनी चाहिए। इससे यह भी जानकारी होती है कि किस तिथि को खरीदारी की गई। इसकी एक कॉपी क्लाइंट को दी जाती है और दूसरी ब्रोकर को। किसी विवाद, क्लेम के निपटारे के समय करार पत्र काफी सहायक होता है। इससे यह साबित होता है कि शेयरों का आदान-प्रदान एनएसई और रजिस्टर्ड सब-ब्रोकर के द्वारा हुआ है। इसमें सेबी का खरीदारी करने वाले सदस्य को जारी किया गया रजिस्ट्रेशन नंबर होना चाहिए। खरीदारी की जानकारी, ऑर्डर नंबर, खरीदारी नंबर, समय, सिक्योरिटी नाम, रेट, ब्रोकरेज, सेटलमेंट नंबर आदि की जानकारी होनी चाहिए।


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