ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स

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ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
प्रकार सार्वजनिक
उद्योग बैंक
वित्तीय सेवाएँ
स्थापना 19 फ़रवरी 1943
मुख्यालय गुरुग्राम, भारत
प्रमुख व्यक्ति [मुकेश कुमार जैन]
(MD)
उत्पाद निवेश बैंकिंग
उपभोक्ता बैंकिंग
व्यवसायिक बैंकिंग
खुदरा बैंकिंग
निजी बैंकिंग
संपत्ति प्रबंधन
पैंशन
गृह ऋण
क्रेडिट कार्ड
राजस्व वृद्धि रु. 11457.17 करोड़ (2010)[1]
लाभ वृद्धि रु. 1134.68 करोड़ (2010)[1]
कुल संपत्ति वृद्धि रु. 8237.958 करोड़ (2010)[1]
स्वामित्व भारत सरकार
कर्मचारी वृद्धि 15358[1]
वेबसाइट https://www.obcindia.co.in

ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का एक प्रमुख बैंक है। इसकी स्थापना 19 फरवरी 1943 को लाहौर (अविभाजित भारत ) में हुई थी। इसका प्रधान कार्यालय गुरुग्राम में है।

इतिहास[संपादित करें]

बैंक के संस्थापक व प्रथम चेअरमैन स्वर्गीय राय बहादुर लाला सोहन लाल थे। स्थापना के चार वर्ष के भीतर ही भारत विभाजन हो गया। नवनिर्मित पाकिस्तान कि सभी शाखाऐं बंद करनी पड़ीं तथा मुख्यालय लाहौर से अमृतसर बदल दिया गया। तत्कालीन चेअरमैन स्वर्गीय लाला करम चंद थापर ने अद्वितीय सद्भावना का परिचय देते हुए, उन सभी जमाकर्ताओं का भी पूरा धन लौटाया जो नवनिर्मित पाकिस्तान से विदा हो रहे थे। इस प्रकार ग्राहक सेवा की जो नींव डाली गई वह आज तक सहेजी गई है।

बैंक ने अपनी स्थापना के बाद कई उतार चढ़ाव देखे हैं। १९७०-७६ का समय सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण था। एक समय में लाभ केवल १७५ रु पर सिमट गया था, जिसके कारण मालिकों ने बैंक को बेचने अथवा बंद करने का निर्णय लिया। तब बैंक के कर्मचारी तथा उनके नेता बैंक को बचाने के लिये आगे आये। इससे मालिकों का हृदय परिवर्तन हो गया और उन्होनें कर्मचारियों के साथ मिल कर आगे बढ़ने का निश्चय किया। इसके सुखद परिणाम सामने आए और बैंक के प्रदर्शन में खासा सुधार हुआ। यह बैक के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ।

१५ अप्रैल १९८० को बैंक का राष्ट्रीयकरण हो गया।

३१ मार्च २०१० तक बैक का कुल व्यापार रु २ लाख करोड़ से अधिक हो चुका है। इस उपलब्धि ने इस बैंक को ७वां सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक बना दिया है। बैंक की 100% शाखाएं सीबीएस (केन्द्रीयकृत बैंकिंग समाधान) सुविधासम्पन्न है। पूरे बैंकिंग क्षेत्र में सबसे कम कर्मचारी लागत और सबसे अधिक उत्पादकता इस बैंक की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

उपलब्धियां[संपादित करें]

गरीबी उन्मूलन की समस्या का सामना करने के लिए आधारभूत स्तर पर आयोजना प्रक्रिया में जन-सहभागिता के लिए एक ओर कार्यकम्रम शुरू किया। ग्रामीण प्रोजेक्ट का उद्देश्य गरीबी का उन्मूलन करना है और सफलता अथवा असफलता के लिए जिम्मेवार कारणों को चिन्हित करना है।

ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स जिला देहरादून (उत्तर प्रदेश) और जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान) में ग्रामीण प्रोजेक्ट चला रहा है। बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के ढांचे पर बनाई गई इस योजना में 75/-रु0 (2 अमरीकी डालर) व इससे अधिक राशि के छोटे ऋणों का संवितरण करने की अनूठी विशेषता है। ग्रामीण प्रोजेक्ट के लाभग्राही अधिकांशतः महिलाएं हैं। बैंक ग्रामीणों को प्रशिक्षण देता है ताकि वह स्थानीय रूप से उपलब्ध कच्चे माल से अचार, जैम इत्यादि बना सके। इससे ग्रामीणों को स्व-रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं और उनकी आय में वृद्धि होने से उनके जीवन स्तर में सुधार आया है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों को भी बढ़ावा मिला है।

ओबीसी ने बैसाखी के पावन दिवस पर 13 अप्रैल 1997 को पंजाब के तीन गांवों में अर्थात् रूड़की कलान (जिला संगरूर., राजे माजरा (जिला रोपड़) और खैरा माझा (जिला जालंधर) और हरियाणा के दो गांवों अर्थात खुंगा (जिला जींद) और नरवाल (जिला कैथल) में 'व्यापक ग्रामीण विकास कार्यक्रम' नामक एक और अनूठी योजना आरंभ की। पायलट आधार पर प्रवर्तित यह योजना अत्यन्त सफल हुई। इसकी सफलता से उत्साहित होकर बैंक ने इस कार्यक्रम का विस्तार अन्य गांवों में भी किया। इस समय यह कार्यक्रम 15 गांवों में लागू है जिसमें से 10 पंजाब में, 6 हरियाणा में और 1 राजस्थान में है। इस कार्यक्रम में ग्रामीण विकास को केद्रित करते हुए ग्रामवासियों को ग्राम वित्त प्रदान करने हेतु व्यापक और समेकित पैकेज प्रदान करने पर जोर दिया गया है। इस प्रकार यह कार्यक्रम गांव के प्रत्येक किसान की आय बढ़ाने और बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए सहायता प्रदान करता है। बैंक ने महिलाओं को ऋण देने में तेजी लाने के लिए 14 सूत्री कार्ययोजना लागू की है और 5 शाखाओं को महिला उद्यमियों के लिए विशेषीकृत शाखाओं के रूप में नामित किया गया है।

ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का विलय[संपादित करें]

१४ अगस्त २००४ को ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का विलय इस बैंक में हुआ। ग्लोबल ट्रस्ट बैंक निजी क्षेत्र का एक अग्रणी बैंक था किंतु कुछ वित्तीय अनियमितताओं के चलते रिज़र्व बैंक द्वारा कुछ प्रतिबंध लगाए जाने के कुछ समय पश्चात् ही इसे ओ बी सी में मिला दिया गया।

स्वप्न व लक्ष्य[संपादित करें]

स्वप्न (विज़न):

समसामायिक आकार, प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन से पुष्ट एक सुदृढ़ अखिल भारतीय, ग्राहक केद्रित, दक्ष रिटेल बैंक बनना; समाज के सभी वर्गों के जीवन को समृद्ध बनाने में निरन्तर प्रयासरत रहना ; और कारपोरेट गवर्नेस के सर्वोच्च मानकों को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध होना .

लक्ष्य

  • मानव कौशल के उन्नयन और उन्नत प्रौद्योगिकी द्वारा सर्वोत्तम बैंकिंग सेवाएं प्रदान करके संपूर्ण ग्राहक संतुष्टि प्राप्त करना और बैंकिंग उद्योग में दक्षता के सभी मानदण्डों पर "सर्वोत्तम बैंक" की मान्यता प्राप्त करना।
  • कारोबार की ठोस प्रगति सुनिश्चित करते हुए शेयरधारकों के धन में वृद्धि और राष्ट्र के आर्थिक विकास में मूल्यवान योगदान देना

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "OBC Performance Annual Report 2010" (PDF). OBC. मूल (PDF) से 5 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 सितंबर 2010.


बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]