इथियोपियाई साहित्य

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इथिओपियाई साहित्य केवल धर्मग्रंथों का साहित्य है और बाइबिल के अनुवादों तक सीमित है। इसमें ४६ अनुवाद 'ओल्ड टेस्टामेंट' के और ३५ 'न्यू टेस्टामेंट' के हुए। सबसे पहले ईसा के जीवनचरित और उपदेशों के अनुवाद पश्चिमी आर्मीनियाई भाषा से सन्‌ ५०० ई. में हुए थे। इथिओपियाई भाषा को गीज़ कहते हैं। साहित्यिक अभिव्यक्ति के लिए गीज़ का प्रयोग अबिसीनिया में ईसाई धर्म के आगमन से कुछ ही पहले प्रारंभ हुआ। जनभाषा के रूप में इसका प्रयोग कब बंद हो गया, यह अज्ञात है।

ईसाई धर्म के आगमन से पूर्व इथिओपिया में प्रकृतिपूजा प्रचलित थी। प्राचीन इथियोपियाई धर्म और संस्कृति प्राचीन मिस्र से आई प्रतीत होती है। तीन प्राचीन शाही शिलालेख उपलब्ध हुए हैं। उनमें से दो डी.एच. म्यूलर द्वारा जे.टी. बेंट पुस्तक "इथिओपियनों का पवित्र नगर' में सन्‌ १८८३ ई. में प्रकाशित किए गए और तीसरा, जो मतरा में प्राप्त हुआ था, सी.सी. रोज़िनी की पुस्तक "रेंडीकोंटी अकाद् लिनसी' में सन्‌ १८९६ में प्रकाशित हुआ। ये शाही शिलालेख हाइरोग्निफ़िक लिपि (जो प्राचीन मिस्र की चित्रमय पवित्र लिपि) और मिस्री भाषा में उत्कीर्ण हैं। ईगामेनिस काल के आसपास एक जनबोली भी शिलालेखों में प्रयुक्त होने लगी। इसकी लिपि में २३ संकेतों की विशिष्ट वर्णमाला थी, हाइरोग्लिफिक चित्र संकेतों के समांतर धारावाहिक रूप में दाईं से बाईं ओर लिखी जाती थी, मिस्री पद्धति के विपरीत, जिसमें चित्रों के मुख की दिशा में लिखा जाता था। किंतु इन संकेतों के रूप और अर्थ अधिकांश में मिस्री भाषा के ही थे। इतना होते हुए भी यह भाषा न तो आज तक पढ़ी जा सकी है और न यही कहा जा सकता है कि किस भाषापरिवार से इसका नाता है।

गीज़ भाषा में लिखित साहित्य को दो कालों में विभाजित किया जाता है :

(१) पाँचवीं शताब्दी के आसपास ईसाई धर्म के आगमन से सातवीं शताब्दी तक, और
(२) सन्‌ १२६९ ई. में सलोमन वंशी राज की पुन: स्थापना से लेकर अब तक।

प्रथम काल में ग्रीक भाषा से अनुवाद हुए और दूसरे में अरबी भाषा से।

गीज़ साहित्य की अब तक उपलब्ध पांडुलिपियों की संख्या लगभग १,२०० है जिनकी सूची रोज़िनी ने सन्‌ १८९९ ई. में प्रकाशित की। इनमें से अधिकांश पांडुलिपियाँ ब्रिटिश म्यूज़ियम, लंदन में और शेष यूरोप के प्रमुख संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। अनेक पांडुलिपियाँ अबिसीनिया में और लोगों के निजी पुस्तकालयों में भी हैं। आर.ई. लिटमान ने अपनी पुस्तक "जीत्शरिफ्ट फ्यूर असीरियोलॉजी' में कहा है कि दो बड़े संग्रह जेरूसलम में भी हैं, जिनमें से एक में २८३ पांडुलिपियाँ हैं। रोज़िनी के अनुसार ३५ हस्तलिखित ग्रंथ चेरेन के कैथोलिक मिशन में सुरक्षित हैं।

बाइबिल के गीज़ भाषा में कुछ अंशों के अतिरक्त सन्‌ १८९३ ई. से अब तक ४० से अधिक इथिओपियाई साहित्य की पुस्तकें यूरोप में मुद्रित भी हो चुकी हैं (द्रष्तव्य : बिब्लियोथिका इथियोपिका; लेखक एल. गोल्डश्मिड्), किंतु प्रथम अथवा द्वितीय श्रेणी का एक भी साहित्यकार आज तक गीज़ भाषा ने उत्पन्न नहीं किया।

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