आधुनिक भारत-सुमित सरकाऱ

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आधुनिक भारत के इतिहास पर लिखी गइ इस पुस्तक में भारत के इतिहास के १८८५ से १९४७ तक के काल की घटनाओं को समेटा गया है। इस पुस्तक में उन्होंने उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि यह इतिहास को नीचे से देखने की कोशिश है। राष्ट्रवादी और अनेक मार्क्सवादी इतिहासकारों से भी थोड़ा अलग रहकर इसमें सचेत रूप से अभिजनवादी इतिहास दृष्टि से मुक्त रहने की कोशिश मिलती है। नवीनतम शोधों के निष्कर्षों को साथ लेकर चलने के कारण यह पुस्तक कई परंपरागत मान्यताओं से अलग और कहीं कहीं तो उसके खिलाफ भी जाती हुई प्रतीत होती है। दृष्टि के स्तर पर और कुछ तथ्य के स्तर पर भी आइ नवीनता इसे पठनीय और संग्रहणीय पुस्तक बनाती है।

मॉडर्न इंडिया नाम की इस पुस्तक का आधुनिक भारत नाम से शुशीला डोभार ने बेहतरीन हिंदी अनुवाद किया है। इसका प्रकाशन राजकमल प्काशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली द्वारा पहले-पहल १९९३ में किया गया। २००६ तक इस पुस्तक की तेरह आवृत्तियाँ हो चुकी थी।

पुस्तक के कुछ संक्षिप्त अंश[संपादित करें]

अध्याय- १। परिवर्तन और निरंतरता