आचार्यकुलम

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आचार्यकुलम शिक्षण संस्थानम्
आचर्यकुलम्

आदर्श वाक्य:॥सा प्रथमा संस्कृतिर्विश्ववारा॥
स्थापित2013
प्रकार:निजी
प्रधानाचार्य:सुश्री अराधना कौल
कर्मचारी संख्या:~120 व्यक्ति
विद्यार्थी संख्या:~600 विद्यार्थी
अवस्थिति:हरिद्वार, उत्तराखण्ड, भारत
पता:निकट पतंजली योगपीठ फेस-2, दिल्ली-हरिद्वार राष्टीय राजमार्ग, निकट बहादराबाद हरिद्वार पिन– 249405.
उपनाम:आचार्यकुलम्
सम्बन्धन:केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
जालपृष्ठ:http://acharyakulam.org/

आचार्यकुलम गुरुकुल पद्धति पर आधारित गुरुकुल शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा पद्धति का एक आवासीय शैक्षणिक संस्थान है, जो भारत देश के उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार में स्थित है।[1] इसका उद्घाटन 26 अप्रैल 2014 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा हुआ। यह संस्थान भारतीय योग-गुरु स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा संयुक्त रूप से संचालित है। [2]

परिचय[संपादित करें]

आचार्यकुलम गुरुकुल पद्धति पर आधारित वैदिक शिक्षा और आधुनिक शिक्षा पर आधारित स्कूल है जो सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) से सम्बद्ध है। आचार्यकुलम में 5 वीं कक्षा से लेकर 12 वीं कक्षा तक शिक्षा दी जाती है। इसकी सबसे खास बात है कि यहाँ 8 वीं तक 50 प्रतिशत वैदिक और 50 प्रतिशत सीबीएसई का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। इसके बाद 8 वीं के 25 प्रतिशत वैदिक और 75 प्रतिशत सीबीएसई का सिलेबस होता है। साथ ही यह ऐसा पहला स्कूल है जहां विद्यार्थी को जितनी अंग्रेजी सिखाई जाती, उतना ही संस्कृत में भी पारंगत किया जाता है। [3]

आचार्यकुलम की विशेषताएँ[4]
  • (१) बहुआयामी व समग्र व्यक्तित्व का निर्माण करना ही शिक्षा का उद्देश्य है। शारीरिक, मानसिक , भावानात्मक, बौद्धिक व आध्यात्मिक रूप से छात्रों का सर्वांगीण विकास जिससे हो सके, वही आदर्श आर्ष शिक्षा प्रणाली आचार्यकुलम् में होगी।
  • (२) सनातन श्रुतिपरम्पपरा के साथ-साथ अत्याधुनिक विधाओं व उपकरणों से सुसज्जित परिसर में सीबीएसई/एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का समन्वय होगा।
  • (३) आचार्यकुलम् - पूर्व और पश्चिम के श्रेष्ठतम शैक्षणिक पद्धतियों का संगम होगा।
  • (४) यह विश्वस्तरीय सुविधाओं व इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ आध्यात्मिकता, चरित्र-निर्माण तथा सामाजिक व राष्ट्रीय नेतृत्व निर्माण की दिव्य कर्मस्थली होगी।
  • (५) योग, आयुर्वेद पर आधारित स्वदेशी जीवन-पद्धति एवं पूर्ण सात्विक व पौष्टिक आहार छात्रों को उपलब्ध होगा।
  • (६) भारतीय मूल संस्कृत भाषा के बोध व सम्भाषण से लेकर वेद-वेदांग, दर्शन, उपनिषद्, वैदिक संस्कृति, सभ्यता एवं संस्कारों के समग्र बोध के साथ अंग्रेजी भाषा, संभाषण, गणित, विज्ञान, कला, कौशल व क्रीडा आदि में निपुणता प्राप्त होगी।
  • (७) उच्च स्तर के अध्यापक व आचार्यगण।
  • (८) विश्व के महान् शिक्षाविदों व गुरुओं द्वारा समय-समय पर मार्गदर्शन।
  • (९) मूल्यों पर आधारित शिक्षा पद्धति।
  • (१०) नवाचार एवं सर्जनात्मका पर केंद्रित कार्यक्रम
  • (११) अनुसंधान एवं विश्लेषण पर आधारित शिक्षा तथा मुक्त चिन्तन
सुविधाएँ
  • १. विश्वस्तरीय वायुशीतित (एयरकूल्ड) आवास व अध्ययन व्यवस्था।
  • २. स्टेट-ऑफ-आर्ट कक्षाएँ, प्रयोगशालाएँ तथा व वर्कशॉप।
  • ३. आधुनिक व प्राच्य ग्रन्थों व कृतियों से सुसज्जित पुस्तकालय, वाचनालय व हाईटेक मल्टी-मीडिया सेन्टर।
  • ४. छात्र-छात्राओं के लिए अन्तरर्राष्ट्रीय स्तर के अलग-अलग छात्रावास।
  • ५. विश्वस्तरीय खेल सुविधाएँ
(क) पारम्परिक भारतीय खेल - कुश्ती, कबड्डी, खो-खो, इत्यादि
(ख) बहु उद्देशीय खेल प्रशाल (स्टेडियम)
(अ) एथलेटिक्स
(आ) फुटबॉल, हॉकी, क्रिकेट इत्यादि के लिए मल्टी-पर्पज स्पोर्ट्स फील्ड
(ग) मल्टी-पर्पज इनडोर ऑडिटोरियम - बास्केट-बॉल, बैडमिन्टन, ) टेबल टेनिस, कराटे एवं मार्शल आर्टल्स,
  • ६. आभ्यान्तरिक क्रीडाएँ

उद्देश्य[संपादित करें]

आचार्यकुलम खोलने के पीछे इसके संस्थापक बाबा रामदेव का उद्देश्य यह है कि वैदिक शिक्षा और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिले। आचार्यकुलम की स्थापना कर उनका मानना है कि इससे न सिर्फ भारतीय संस्कृति की रक्षा होगी बल्कि वैदिक ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। [3] बाबा रामदेव का अगला लक्ष्य है कि देश के हर जिले में आचार्यकुलम की स्थापना हो, ऐसा नहीं है कि आचार्यकुलम में सिर्फ वैदिक शिक्षा ही दी जाती है बल्कि वैदिक शिक्षा और योग के साथ-साथ छात्रों को आधुनिक शिक्षा का ज्ञान भी दिया जाता है।[5][6]

प्रवेश[संपादित करें]

आचार्यकुलम में प्रवेश लेने हेतु जनवरी में परीक्षा होती है। प्रवेश पाँचवीं कक्षा के लिए होता है। चयनित विद्यार्थियों को एक सप्ताह आचार्यकुलम में रखकर दोबारा परीक्षा होती है। परीक्षा में सफल होने वाले 80 छात्रों और 40 छात्राओं को प्रवेश मिलता है, इसके बाद उनकी शिक्षा दसवीं कक्षा तक चलती है। छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग छात्रावास की व्यवस्था है। [7][8]

सीबीएसई के साथ वैदिक शिक्षा[संपादित करें]

हाल ही में आचार्यकुलम सीबीएसई बोर्ड से जुड़ा है। आचार्यकुलम में आधुनिक और वैदिक शिक्षा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, यहां एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के अलावा तीन पीरियड वैदिक शिक्षा के होते हैं। इनमें वेद, उपनिषद, संस्कृत, योग, हवन-पूजन आदि का ज्ञान दिया जाता है। विद्यार्थियों को संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा में पारंगत किया जाता है। [7]

भविष्य की योजनाएँ[संपादित करें]

देश-विदेश में योग का प्रचार- प्रसार करने के उपरांत बाबा रामदेव ने अब शैक्षिक क्रांति करने का संकल्प किया है। [9] उनके अनुसार देश के 600 जिलों में आचार्यकुलम विद्यालय स्थापित किये जाएंगे, जिनमें भारतीय संस्कृति, संस्कृत, योग के अतिरिक्त अंग्रेजी और विज्ञान की आधुनिक शिक्षा का समावेश होगा। [10][11] हालांकि इसकी शुरुआत हरियाणा राज्य से हो चुकी है, इसी साल अप्रैल माह में पानीपत के डिकाडला गांव में राज्य के पहले आचार्यकुलम की नींव रखी गई थी।[7] [12] [13] पहले चरण में देशभर के सभी जिलों में और दूसरे चरण में तहसीलों में आचार्यकुलम बनाए जाएंगे। कुल पांच सौ आचार्यकुलम खोलने की धनराशि मिल गई है। जिले में दो एकड़ और तहसील में एक एकड़ भूमि दान करने की अपील गई तो तमाम दानी आ भी गए।[7][14] आचार्यकुलम के विस्तार कार्यक्रम के तहत जल्द ही हरियाणा के बाद अब छत्तीसगढ़ और सिक्किम में भी आचार्यकुलम खोलने की योजना है। हाल ही में बाबा रामदेव ने मणिपुर में आचार्यकुलम के निर्माण हेतु एक करोड़ देने का ऐलान किया है। [15][16][17] हाल ही बाबा रामदेव ने एक कार्यक्रम के दौरान घोषणा की है कि पतंजलि संस्थान आगामी पांच वर्षों में राजधानी दिल्ली में एक लाख की क्षमता वाला विश्वविद्यालय का निर्माण करेगा। [18][19] इस विश्वविद्यालय का शिक्षा का स्तर ऐसा होगा कि हार्वर्ड और कैंब्रिज के छात्र यहां अध्ययन करने की सोचेंगे। [20][21]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "भारतीय शिक्षा पद्धति से ही होगा उद्धार". पाञ्चजन्य. मूल से 5 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2014. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)
  2. ""Society which gains strength from history can create history": Shri Modi at Haridwar" ["जो संस्था इतिहास बना सकती हैं इतिहास से शक्ति लाभ भी ले" श्री मोदी हरिद्वार में] (अंग्रेज़ी में). नरेंद्र मोदी का व्यक्तिगत जालस्थल. 26 अप्रैल 2013. मूल से 12 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2014. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 11 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 मार्च 2015.
  4. आचार्यकुलम के बारे में संक्षिप्त जानकारी
  5. "पलायनवादी नहीं हमारा संन्यास" Jagran.com, 9 July 2015
  6. "रामदेव के 'आचार्यकुलम' में क्या है खास" Archived 2014-10-11 at the वेबैक मशीन Navbharat Times, 30 April 2013
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 सितंबर 2015.
  8. "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2015.
  9. "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 दिसंबर 2015.
  10. "संग्रहीत प्रति". मूल से 20 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2015.
  11. "संग्रहीत प्रति". मूल से 9 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2015.
  12. "संग्रहीत प्रति". मूल से 23 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 सितंबर 2015.
  13. "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 सितंबर 2015.
  14. "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 दिसंबर 2015.
  15. "संग्रहीत प्रति". मूल से 15 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 फ़रवरी 2016.
  16. "संग्रहीत प्रति". मूल से 16 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जून 2020.
  17. "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 फ़रवरी 2016.
  18. "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 फ़रवरी 2016.
  19. "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 फ़रवरी 2016.
  20. "संग्रहीत प्रति". मूल से 25 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 फ़रवरी 2016.
  21. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 फ़रवरी 2016.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]