आग (1948 फ़िल्म)

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आग

आग का पोस्टर
निर्देशक राज कपूर
लेखक इंदर राज आनंद
निर्माता राज कपूर
अभिनेता राज कपूर,
नर्गिस,
कामिनी कौशल,
प्रेमनाथ
संगीतकार राम गाँगुली
प्रदर्शन तिथियाँ
6 अगस्त, 1948
देश भारत
भाषा हिन्दी

आग 1948 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन, निर्माण और मुख्य रूप से अभिनय राज कपूर ने किया है। यह उनके द्वारा पहली निर्देशित और निर्मित फिल्म है। नर्गिस, प्रेमनाथ, निगार सुल्ताना और कामिनी कौशल ने भी इसमें अभिनय किया। यह पहली फिल्म थी जिसमें राज कपूर और नर्गिस एक साथ दिखाई दिए थे।

संक्षेप[संपादित करें]

इस कहानी की शुरुआत तब होती है, जब दुल्हन, सुधा एक डरावना चेहरा देख कर चिल्लाती है। उसके बाद वो अपनी कहानी सुनाने लगता है।

ये कहानी एक छोटे से बच्चे, केवल (शशि कपूर) की है, जिसे थियेटर के लिए जुनून सवार रहता है, पर उसका वकीलों का परिवार होता है। जब वो दस साल का रहता है, तब उसकी मुलाक़ात विद्यालय में निर्मला उर्फ निम्मी से होती है। दोनों को थियेटर अच्छा लगते रहता है, और केवल उसको अपना सपना बताता है कि बड़ा हो कर अपना खुद का थियेटर खोलना चाहता है। निम्मी का परिवार कहीं और चले जाता है।

अपनी विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसके पिता उसे वकालत की पढ़ाई पूरी करने को कहते हैं, ताकि वो एक सफल वकील बन सके। केवल (अब राज कुमार) को वकील बनने में कोई दिलचस्पी नहीं होता है, वो बस अपने बचपन के सपने को पूरा करना चाहते रहता है। परीक्षा में विफल होने के बाद वो अपने पिता से लड़ कर घर छोड़ कर चले जाता है।

कुछ दिक्कतों के बाद ही उसे किस्मत से एक बंद थियेटर कंपनी का मालिक, राजन (प्रेमनाथ) मिल जाता है। राजन और केवल मिल कर इसे शुरू करते हैं। केवल नाटक लिखता है और राजन उसमें पैसों की मदद करता है। नाटक की तैयारी करते समय केवल को एक बेघर लड़की (नरगिस) दिखती है। वो उसे नाटक में मुख्य किरदार के रूप में रख लेता है। केवल उस लड़की के किरदार का नाम निम्मी रख देता है।

राजन को उस लड़की से प्यार हो जाता है और उस लड़की को केवल से प्यार हो जाता है। केवल को इस बारे में कुछ पता नहीं होता है। जब राजन को पता चलता है कि वो केवल से प्यार करती है, तो वो उसके सारे चित्र को जला देता है। जब केवल को इस बारे में पता चलता है तो वो निम्मी को राजन के साथ होने की बात कहता है।

राजन से अपनी दोस्ती निभाने के लिए नाटक के दौरान ही केवल अपने चेहरे को आग से जला देता है। निम्मी को उसे प्यार करती थी, वो बोलती है कि उसने केवल उसके बाहरी सुंदरता से प्यार किया था। अस्पताल में निम्मी उसे फूल देती है, और केवल उसके हाथ में अंगूठी देखता है, वो बताती है कि राजन ने उसे ये अंगूठी दिया है।

इसके बाद कहानी वर्तमान समय में आ जाती है। केवल बताते रहता है कि सिर्फ उसकी बचपन की निम्मी ही उसे अपना सकती है। सुधा उसे बताती है कि वो ही उसके बचपन की निम्मी है और उसी के साथ वो उसे अपना भी लेती है। वे दोनों मिलकर अपना थियेटर शुरू करते हैं।

मुख्य कलाकार[संपादित करें]

संगीत[संपादित करें]

सभी राम गाँगुली द्वारा संगीतबद्ध।

क्र॰शीर्षकगीतकारगायकअवधि
1."जिंदा हूँ इस तरह"बहज़ाद लखनवीमुकेश4:36
2."ना आँखों में आँसू"बहज़ाद लखनवीशमशाद बेगम3:53
3."देख चाँद की ओर"सरस्वती कुमार दीपकशैलेश, शमशाद बेगम3:39
4."काहे कोयल शोर मचाये"बहज़ाद लखनवीशमशाद बेगम3:25
5."सोलह बरस की बाली"बहज़ाद लखनवीमोहम्मद रफ़ी, शमशाद बेगम3:56
6."दिल टूट गया जी"बहज़ाद लखनवीशमशाद बेगम4:48
7."रात को जी चमके"मजरुह सुल्तानपुरीशमशाद बेगम, मुकेश2:49

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]