आकस्मिक निधि (कोष)

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आकस्मिक निधि का उल्लेख अनुच्छेद- 267 में किया गया है। यह निधि राष्ट्रपति या कार्यपालिका या सरकार के अधीन होती है अर्थात् इस निधि से पैसा निकालने के लिए संसद की इजाजत की जरूरत नहीं होती है लेकिन इस निधि का गठन संसद ही करती है अर्थात् संसद ही तय करती है कि इस निधि में कितना पैसा होगा।

इस कोष का निर्माण इसलिए किया जाता है, ताकि जरूरत पड़ने पर आकस्मिक खर्चों के लिए संसद की स्वीकृति के बिना भी राशि निकाली जा सके।

अनुच्छेद 266 के संचित निधि और लोक लेखा निधि के अनुसार सरकार को मिलने वाले सभी राजस्व (जैसे, सीमाशुल्क स्टाम्प पंचाट, उत्पाद शुल्क आयकर आदि)और सरकार के द्वारा दिए गए ऋणों की वसूली से जो धन प्राप्त होता है, वे जमा किए जाते हैं संसद की स्वीकृति के बाद सरकार अपने सभी खर्चों का वाहन इसी निधि से करती है। वर्तमान में इस निधि के लिए ₹ 500 करोड़ की राशि का प्रावधान है। 86वे सविधान संशोधन द्वारा इसे ₹ 500 करोड किया गया था।

सन्दर्भ[संपादित करें]