आई एन एस विक्रमादित्य

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

भारतीय नौसेना पोत विक्रमादित्य
देश (India)
नाम: आई एन एस विक्रमादित्य
Namesake: विक्रमादित्य
Operator: भारतीय नौसेना
Ordered: 20 जनवरी 2004
निर्माता: ब्लैक सी शिपयार्ड, यू एस एस आर, and सेवमाश, रसिया
Cost: $2.35 billion[1]
लांच: 4 दिसम्बर 2008
Completed: 19 अप्रैल 2012
विनियुक्त: 16 नवम्बर 2013[2]
In service: 14 जून 2014
Homeport: आई एन एस कबंद, करवा
Identification:
Motto: दूर वार, निश्चित वार[4]
स्थिति: साँचा:सक्रिय सेवा में
देश (सोवियत यूनियन → रशिया)
नाम: Admiral Gorshkov
Namesake: Sergey Gorshkov
निर्माता: Chernomorskiy Yard, Nikolayev
निर्दिष्ट: 17 February 1978[5]
लांच: 1 April 1982[5]
विनियुक्त: 11 December 1987[5]
Decommissioned: 1996
Fate: Sold to the Indian Navy on 20 January 2004
सामान्य विशेषताएँ
वर्ग एवं प्रकार: Modified Kiev-class aircraft carrier
विस्थापन: साँचा:Displacement[6][7]
लम्बाई: 284 मीटर (932 फीट) (overall)[8][9]
बीम: 61 मीटर (200 फीट)[10]
Draught: 10.2 मीटर (33 फीट)
Decks: 22[11]
स्थापित शक्ति: 6 turbo alternators and 6 diesel alternators which generate 18 MWe[11]
प्रणोदन: 8 turbo-pressurised boilers, 4 shafts, 4 geared steam turbines, generating 180,000 अश्वशक्ति (134,226 कि॰वाट)[11][12]
चाल: +30 नॉट (56 किमी/घंटा)[12]
परास:
  • 13,500 समुद्री मील (25,000 कि॰मी॰) at 18 नॉट (33 किमी/घंटा)[13]
धारिता: 45 days[11]
पूरक: 110 officers and 1500 sailors[12]
सेंसर
और प्रोसेसिंग सिस्टम:
Long range Air Surveillance Radars, LESORUB-E, Resistor-E radar complex, CCS MK II communication complex and Link II tactical data system[11]
अस्र-शस्र:
Aircraft carried:
  • Maximum of 36 aircraft including[12]
  • विमानन सुविधाएँ:
  • 14-degree ski-jump
  • Three 30 m wide arrester gears and three restraining gears.[11]
  • विक्रमादित्य यूक्रेन के माइकोलैव ब्लैक ‍सी शिपयार्ड में 1978-1982 में निर्मित कीव श्रेणी के विमान वाहक पोत का एक रूपांतरण है। रूस के अर्खान्गेल्स्क ओब्लास्ट के सेवेरॉद्विनस्क के सेवमाश शिपयार्ड में इस जहाज की बड़े स्तर पर मरम्मत की गई। यह पोत भारत के एकमात्र सेवारत विमान वाहक पोत आई एन एस विराट का स्थान लेगा। इस पोत को नया रूप देने में भारत को 2.3 अरब डॉलर खर्च करने पड़े हैं।[19]

    क्षमता[संपादित करें]

    विक्रमादित्य ४५३०० टन भार वाला, २८४ मीटर लम्बा और ६० मीटर ऊँचा युद्धपोत है।[20] तुलनातमक तरीके से कहा जाए तो यह लंबाई लगभग तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर तथा ऊंचाई लगभग 22 मंजिली इमारत के बराबर है। इस पर मिग-29-के (K) लड़ाकू विमान, कामोव-31, कामोव-28, सीकिंग, एएलएच ध्रुव और चेतक हेलिकॉप्टरों सहित तीस विमान तैनात और एंटी मिसाइल प्रणालियां तैनात होंगी, जिसके परिणामस्वरूप इसके एक हजार किलोमीटर के दायरे में लड़ाकू विमान और युद्धपोत नहीं फटक सकेंगे। 1600 नौसैनिकों के क्रू मेंबर्स के लिए 18 मेगावॉट जेनरेटर से बिजली तथा ऑस्मोसिस प्लांट से 400 टन पीने का पानी उपलब्ध होगा। इन नौसैनिकों के लिए हर महीने एक लाख अंडे, 20 हजार लीटर दूध, 16 टन चावल आदि की सप्लाई की जरूरत होगी।[19]

    इतिहास[संपादित करें]

    खरीद[संपादित करें]

    वाहक जब यह एडमिरल गोर्शकोव था

    1987 में एडमिरल गोर्शकोव को सोवियत संघ की नौसेना में शामिल किया गया था, लेकिन विघटन के पश्चात् 1996 में यह निष्क्रिय हो गया क्योंकि शीत युद्ध के बाद के बजट में इससे काम लेना बहुत ही महंगा पड़ रहा था। इसने भारत का ध्यान आकर्षित किया, जो अपनी वाहक विमानन की क्षमता में इजाफा करने के लिए कोई रास्ता तलाश रहा था।[21] वर्षों तक बातचीत चलने के बाद 20 जनवरी 2004 को रूस और भारत ने जहाज के सौदे के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। जहाज सेवा मुक्त था, जबकि जहाज में सुधार और मरम्मत के लिए के भारत द्वारा 800 मिलियन यूएस (US) डॉलर के अलावा विमान और हथियार प्रणालियों के लिए अतिरिक्त एक बिलियन यू एस डॉलर (US$1bn) का भुगतान किया गया। नौसेना वाहक पोत को ई-2सी हॉक आई (E-2C Hawkeye) से लैस करने की सोच रही थी, लेकिन नहीं करने का निर्णय लिया गया।[22] 2009 में, भारतीय नौसेना को नोर्थरोप ग्रुम्मान ने उन्नत ई-2डी हॉव्केय (E-2D Hawkeye) की पेशकश की। [23]

    सौदे में 1 बिलियन यू एस डॉलर में 12 एकल सीट वाले मिकोयान मिग-29के 'फल्क्रम-डी' (प्रोडक्ट 9.41) और 4 दो सीटों वाले मिग-29केयूबी (14 और विमानों के विकल्प के साथ), 6 कामोव केए-31 "हेलिक्स" टोही विमान और पनडुब्बी रोधी हेलीकाप्टरों, टारपीडो ट्यूब्स, मिसाइल प्रणाली और तोपखानों की ईकाई शामिल है। पायलटों और तकनीकी स्टाफ के प्रशिक्षण के लिए प्रक्रियाएं और सुविधाएं, अनुकारियों की सुपुर्दगी, अतिरिक्त कल-पुर्जे और भारतीय नौसेना प्रतिष्ठान के रखरखाव की सुविधाएं भी अनुबंध का हिस्सा हैं।

    14.3º बो स्की-जंप के लिए रास्ता बनाने के लिए विमान वाहक पोत के रूपांतरण की योजनाएं वाहक के सामने लगे पी-500, बाजल्ट क्रूज मिसाइल लॉन्चर और जमीन से हवा में मार करनेवाले चार अंते किंझल मिसाइल लॉन्चर सहित सभी हथियारों को अनावृत करने से जुड़ी हुई हैं।

    ये विकसित योजनाएं शॉर्ट टेक-ऑफ बट एसिस्टेड रिकवरी (एसटीओबीएआर (STOBAR)) विन्यास का रास्ता बनाने के लिए जहाज के फोरडेक से सभी हथियारों और मिसाइल लॉन्चर ट्यूबों को अनावृत करने से जुड़ी हैं।[24] गोर्शकोव को यह एक संकर वाहक/क्रुजर से केवल वाहक में तब्दील कर देगा।

    आई एन एस विक्रमादित्य को सौंप दिए जाने की घोषणा अगस्त 2008 को हुई, जिससे इस विमान वाहक पोत को भारतीय नौसेना के सेवानिवृत होने वाले एकमात्र हल्के विमान वाहक आई एन एस विराट की ही तरह सेवा की अनुमति मिल गयी। आई एन एस विराट की सेवानिवृत्ति की समय-सीमा 2010-2012 तक के लिए आगे बढा दी गयी।[25] देरी के साथ खर्च में होती जा रही वृद्धि का मामला जुड़ गया है। इस मामले के हल के लिए उच्चस्तरीय कूटनीतिक बातचीत हो रही है। भारत इस परियोजना के लिए अतिरिक्त 1.2 बिलियन यूएस (US) डॉलर का भुगतान करने को तैयार हो गया, जो मूल लागत के दुगुने से अधिक है।[26]

    जुलाई 2008 में, बताया गया कि रूस ने कुल कीमत बढ़ाकर 3.4 बिलियन यूएस डॉलर कर दिया है, उसने इसके लिए जहाज की बिगड़ी हुई हालत के कारण अप्रत्याशित खर्च को जिम्मेवार करार दिया।[27] भारत ने नवंबर 2008 तक 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान कर दिया। हालांकि, अगर भारत जहाज नहीं खरीदना चाहे तो रूसी अब जहाज को अपने पास ही रखने के बारे में सोचने लगे थे।[उद्धरण चाहिए] दिसंबर 2008 में, भारत में सरकारी सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्युरिटी (सीसीएस) ने अंततः उपलब्ध सर्वोत्तम विकल्प के रूप में एडमिरल गोर्शकोव को खरीदने के पक्ष में निर्णय लिया है।[28] भारत के लेखानियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि विक्रमादित्य एक पुराना युद्धपोत है जिसकी जीवनावधि छोटी है, जो किसी नए पोत से 60 प्रतिशत अधिक महंगा पडेगा और उसमें अधिक देर होने की भी आशंका है।[29]

    भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरीश मेहता ने युद्धपोत की कीमत का बचाव करते हुए कहा: "मैं सीएजी पर टिप्पणी नहीं कर सकता, लेकिन आप सभी रक्षा विश्लेषक हैं, क्या आप लोग मुझे दो बिलियन अमरीकी डॉलर से कम में कोई विमान वाहक पोत लाकर दे सकते हैं? यदि आप ला सकते हैं तो मैं इसी वक्त चेक लिखकर देने को तैयार हूं"। नौसेना प्रमुख के बयान से संभवतः यह संकेत मिलता है कि अंतिम सौदा 2 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक का हो सकता है। जहाज खरीदने के काम से पहले नौसेना ने इसका जोखिम विश्लेषण नहीं किया, सीएजी की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "मैं आपको यह सुनिश्चित कर सकता हूं कि ऐसी कोई बात नहीं है। इसका कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है, 90 के दशक से ही इस जहाज पर हमारी नज़र रही है।"[30]

    2 जुलाई 2009 को रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि वाहक को यथासंभव जल्द पूरा कर लिया जाना चाहिए ताकि यह 2012 में भारत को दिया जा सके।[31] 7 दिसम्बर 2009 को, रूसी सूत्रों ने बताया कि अंतिम शर्तों पर सहमति हो गयी है, लेकिन कोई सुपुर्दगी तारीख तय नहीं हुई है।[32]

    3 सितंबर को मॉस्को में एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य प्रौद्योगिकी निगम रोस्टेखनोलोजी के प्रमुख सर्गेई चेमेज़ोव ने कहा कि एडमिरल गोर्शकोव की मरम्मती के लिए भारत और रूस के बीच एक नए सौदे पर अक्तूबर के मध्य में हस्ताक्षर किये जाएंगे।[33]

    8 दिसम्बर 2009 को खबर आयी कि 2.2 बिलियन डॉलर पर सहमति के साथ गोर्शकोव की कीमत पर भारत और रूस के बीच का गतिरोध समाप्त हो गया। मॉस्को ने विमान वाहक के लिए 2.9 बिलियन डॉलर की मांग की थी, जो 2004 में दोनों पक्षों के बीच हुई मूल सहमति से लगभग तीन गुना अधिक थी। दूसरी ओर, नई दिल्ली चाहती थी कि कीमत 2.1 अमेरिकी डॉलर की जाय।[34][35] 10 मार्च को, रूसी प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के एक दिन पहले दोनों सरकारों द्वारा एडमिरल गोर्शकोव की कीमत को अंतिम रूप देते हुए 2.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर तय किया गया।[36]

    अंततः 16 नवम्बर 2013 को इस पोत को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया।[37][38] जनवरी 2014 तक यह कारवाड़ के नौसैनिक अडडे पर पहुँच जाएगा।[19],[39]

    नवीकरण[संपादित करें]

    जहाज की पेंदी का काम 2008 तक पूरा कर लिया गया[40] और विक्रमादित्य को 4 दिसम्बर 2008 को पुनः जलावतरण किया गया।[41] वाहक पर जून 2010 तक संरचनात्मक काम का 99% के आसपास और केबल कार्य का लगभग 50% पूरा कर लिया गया। इंजन और डीजल जेनरेटर सहित लगभग सभी बड़े उपकरण स्थापित कर दिए गये।[42] डेक प्रणाली के परीक्षण के लिए 2010 में एक नौसेना मिग-29के (MiG-29K) प्रोटोटाइप का इस्तेमाल किया जा रहा है।[43] अब इस पोत का नवीकरण इस तरह हुआ है कि यह 80 प्रतिशत पूरी तरह नया बन चुका है। केवल पोत का बाहरी ढांचा ही पूर्ववत रखा गया है। इसके इंजन, ब्वॉयलर, इलेक्ट्रिक केबल, रेडार, सेंसर आदि सभी बदल दिए गए हैं। पहले यह पोत हेलिकॉप्टर वाहक पोत था, अब इस पर विमान उड़ाने और उतरने लायक हवाई पट्टी भी बनाई गई है।[19][38]

    डिजाइन[संपादित करें]

    मिग 29Ks को आई एन एस विक्रमादित्य के आधार पर किया जाता है

    जहाज के अगले भाग में 14.3 डिग्री स्की-जंप के साथ और कोणयुक्त डेक के पिछले हिस्से में तीन रोधक तार के साथ जहाज को एसटीओबीएआर (STOBAR) में संचालित किया जाएगा. यह मिग-29के (MiG-29K) और सी हैरियर विमान को संचालित करने की अनुमति देगा। विक्रमादित्य पर मिग-29के (MiG-29K) के लिए अधिकतम उड़ान भरने की लंबाई 160-180 मीटर के बीच है।

    'एडमिरल गोर्शकोव' प्लैटफॉर्म का अतिरिक्त लाभ इसकी अधिरचना प्रोफ़ाइल है, इसमें सशक्त समतल या ”बिलबोर्ड स्टाइल” एंटेना के साथ चरणबद्ध प्रभावशाली रडार प्रणाली को अपने अनुरूप बनाने का सामर्थ्य है, जो हवाई अभियान चलाने के लिए व्यापक समादेश और नियंत्रण सुविधा के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका नेवी के यूएसएस (USS) लॉन्ग बीच पर पहली बार देखा गया। एसएएम (SAM) और/या सीआईडब्ल्यूएस (CIWS) जैसे हवाई प्रतिरक्षा हथियारों के संयोजन से सुसज्जित जहाज के रूप में इसे पेश किया गया है।[44]

    पेंदी की डिजाइन 1982 में प्रारंभ किए गए पुराने गोर्शकोव एडमिरल पर आधारित है, लेकिन पूरे लदान विस्थापन के साथ यह बहुत बड़ा होगा। 14.3º बो स्की-जंप के लिए रास्ता बनाने के लिए विमान वाहक के लिए रूपांतरण की योजनाओं में पी-500 बाज्लट क्रूज मिसाइल लॉन्चर और सामने की ओर लगे हुए जमीन से हवा में मार करनेवाले चार अन्ते किन्झल (Antey Kinzhal) समेत सारी युद्ध सामग्री को हटाया जाना शामिल है। दो निरोधक स्टैंड भी लगाया जाएंगे, ताकि स्की जंप-एसिस्टेड शॉर्ट टेक-ऑफ से पहले लड़ाकू विमान अपनी पूरी ताकत प्राप्त कर ले. एक समय में केवल एक विमान लॉन्च करने की क्षमता हो सकता है इसके विघ्न को प्रमाणित करती है। आधुनिकीकरण योजना के तहत, जहाज के आईलैंड की अधिरचना के साथ 20 टन क्षमता वाला एलीवेटर अपरिवर्तित ही रहेंगे, लेकिन पिछले लिफ्ट को बड़ा किया जाएगा और इसके भार उठाने की क्षमता में 30 टन तक की वृद्धि की जाएगी. कोणयुक्त डेक के पिछले भाग में तीन आकर्षक गियर लगाए जाएंगे. एलएके (LAK) ऑप्टिकल-लैंडिंग सिस्टम समेत एसटीओबीएआर (STOBAR) (शॉर्ट टेक-ऑफ बट एरेस्टेड रिकवरी) के संचालन के लिए फिक्स्ड विंग को सहारा देने के लिए नेविगेशन और वाहक लैंडिंग सहायक लगाये जाएंगे.[45]

    एयरबॉर्न अर्ली चेतावनी भूमिका में आई एन एस (INS) विक्रमादित्य पर कमोव केए-31 "हेलिक्स" स्थित है।

    आठ बॉयलरों को निकाल दिया जा रहा है और तेल ईंधन भट्ठी को डीजल ईंधन भट्ठी में तब्दील कर दिया गया है और अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए आधुनिक तेल-जल विभाजकों के साथ-साथ एक दूषित जल शोधक संयंत्र लगाया जा रहा है। इस जहाज में छह नए इतालवी-निर्मित वार्तसिला (Wärtsilä) 1.5 मेगावाट डीजल जेनरेटर, एक वैश्विक समुद्री संचार प्रणाली, स्पेरी ब्रिजमास्टर नेविगेशन रडार, एक नया टेलीफोन एक्सचेंज, नया डेटा लिंक और एक आईएफएफ एमके XI प्रणाली (IFF Mk XI system) भी लगायी जा रही है। जल-उत्पादन संयंत्रों के अलावा योर्क अंतर्राष्ट्रीय प्रशीतन संयंत्र और वातानुकूलक के साथ होटल सेवाओं में सुधार किए जा रहे हैं। घरेलू सेवाओं में सुधार तथा 10 महिला अधिकारियों की आवास सुविधा के साथ एक नया पोत-रसोईघर स्थापित की जा रही है।[45]

    हालांकि जहाज का आधिकारिक जीवन काल 20 वर्ष अपेक्षित है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि नियुक्ति के समय से इसका जीवन काल वास्तव में कम से कम 30 वर्ष हो सकता है। आधुनिकीकरण के पूरा हो जाने पर जहाज और उसके उपकरण का 70 प्रतिशत नया होगा और बाक़ी का नवीकरण किया जाएगा.[45]

    एमएकेएस (MAKS) एयरशो पर भारतीय नौसेना मिग-29के (MiG-29K).

    नामकरण[संपादित करें]

    "विक्रमादित्य" एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "सूर्य की तरह प्रतापी"[46] और भारतीय इतिहास के कुछ प्रसिद्ध राजाओं का भी नाम है, जैसे कि उज्जैन के विक्रमादित्य, जिन्हें एक महान शासक और शक्तिशाली योद्धा के रूप में जाना जाता है। यह उपाधि का प्रयोग भारतीय राजा चंद्रगुप्त द्वितीय द्वारा भी किया जाता था जिनका शासन-काल 375-413/15 ई.सं. के बीच रहा

    इन्हें भी देखें[संपादित करें]

    • विमान वाहक की सूची

    सन्दर्भ[संपादित करें]

    1. PTI (11 March 2010). "Gorshkov deal finalised at USD 2.3 billion". The Hindu. Chennai, India. मूल से 16 October 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 April 2013.
    2. "Aircraft carrier INS Vikramaditya set to join Indian Navy on November 16". The Indian Express. 14 November 2013. मूल से 17 November 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 November 2013.
    3. "Aircraft Carrier: INS Vikramaditya". Indian Navy. मूल से 4 October 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 January 2014.
    4. "INS Vikramaditya motto is 'Strike Far, Strike Sure'". India Today. 17 November 2013. मूल से 17 November 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 November 2013.
    5. "Project 11434". मूल से 4 एप्रिल 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जनवरी 2013.
    6. "NAVY – Project 1143". Bharat-Rakshak.com. 17 November 2008. मूल से 10 July 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 July 2012.
    7. "Indian Carrier Begins Sea Trials | Defense News". defensenews.com. मूल से 16 जून 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 July 2012.
    8. "Navy's largest ship 'INS Vikramaditya' Commissioned". Indian Navy. मूल से 28 November 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 November 2013.
    9. "INS VIKRAMADITYA VR TOUR HD - YouTube". www.youtube.com. अभिगमन तिथि 2020-12-12.
    10. "Vikramaditya to be handed to the Indian Navy on November 16". India & Russia Report. अभिगमन तिथि 27 October 2013.
    11. "'Vikramaditya' to be Commissioned on 16 Nov 13". Indian Navy. मूल से 20 September 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 November 2013.
    12. "Prime Minister Spends A Day Onboard INS Vikramaditya". PIB. MOD. 14 June 2014. मूल से 14 July 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 June 2014.
    13. PTI (1 February 2013). "Engine problems in INS Vikramaditya fixed, sea trial to start in June – Economic Times". Articles.economictimes.indiatimes.com. मूल से 28 February 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 April 2013. an endurance of 13,500 nautical miles (25,000 km) at a cruising speed of 18 knots. It will have an air wing consisting of Russian-made MiG-29K jet fighter planes and Kamov Ka-31 early warning radar helicopters.
    14. "INS Vikramaditya to get its own missile shield soon". Times of India. 17 April 2015. मूल से 20 April 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 May 2015.
    15. "INS Vikramaditya won't have air defence system for now". Indian Express. 3 August 2013. मूल से 13 December 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 November 2013.
    16. Anandan, S. (7 August 2013). "INS Vikramaditya will serve Navy for 30 years". The Hindu. Chennai, India. मूल से 27 November 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 November 2013.
    17. "Misses, waits & progress in naval missiles". Business Standard. 2 August 2013. मूल से 2 December 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 November 2013.
    18. "INS Vikrant: India's New Carrier-Gorshkov-Vikramaditya: Aerial Complement". 10 December 2015. मूल से 25 January 2013 को पुरालेखित.
    19. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; nbt15112013-tkdnv नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
    20. "Vikramaditya undergoing sea trials". मूल से 2 जुलाई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 नवंबर 2013.
    21. "संग्रहीत प्रति". मूल से 16 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    22. IndiaDefence.com Archived 2009-02-01 at the वेबैक मशीन - व्हाट्स हॉट? हाल की घटनाओं का विश्लेषण - एयरो इंडिया 2005 - नौसेना शौक - एक आईडीसी (IDC) रिपोर्ट
    23. "भारतीय नौसेना नौर्थ्रोप एडवांस्ड हॉकआई को मल दिया". मूल से 21 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 मई 2023.
    24. डिफेन्स टॉक Archived 2008-03-25 at the वेबैक मशीन - सूखे डॉक में काम कर रहे गोर्शकोव के चित्र
    25. डिफेंस इंडस्ट्री डेली Archived 2013-01-25 at the वेबैक मशीन आई एन एस (INS) विक्रमादित्य हिट्स डिले, कॉस्ट इन्क्रिसेज़
    26. मूल्य पर वृद्धि होने पर एनडीटीवी (NDTV) न्यूज़ क्लिप Archived 2016-04-29 at the वेबैक मशीन
    27. "यदि भारत $2 bln से अधिक देने को तैयार होते हैं तो रूसी विमान वाहक रेडी हो जाएगा". मूल से 5 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    28. "संग्रहीत प्रति". मूल से 29 अप्रैल 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    29. "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 जुलाई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    30. "संग्रहीत प्रति". मूल से 2 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    31. "मेदवेदेव भारत के लिए विमान वाहक के पूरा होने का आग्रह किया". मूल से 6 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    32. "भारत के साथ वितरण शर्तों के साथ रूस की सहमति". मूल से 17 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    33. "संग्रहीत प्रति". मूल से 9 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    34. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 दिसंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    35. "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 दिसंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    36. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    37. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; pib16112013 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
    38. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; nbt16112013-1 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
    39. "Antony to Visit Russia to Commission INS Vikramaditya and for Defence Talks". रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार. 14 नवम्बर 2013. मूल से 10 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 नवम्बर 2013.
    40. "गोर्शकोव के हल की मरम्मत पूरी हुई". मूल से 16 सितंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    41. Christopher P. Cavas (December 8, 2008). "Russian Carrier Conversion Moves Forward". मूल से 28 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि December 10, 2008.
    42. "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    43. "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    44. "संग्रहीत प्रति". मूल से 15 अप्रैल 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    45. "संग्रहीत प्रति". मूल से 28 दिसंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2010.
    46. वस्तुतः "सूर्य की वीरता" (विक्रम) के रूप में विक्रमादि त्य का अनुवाद किया गया। अवयव "आदित्य" (सूरज) का शाब्दिक अर्थ "वह जो अदिती से संबंध रखता है" है।

    बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

    निर्देशांक: 64°34′51.22″N 39°48′31.56″E / 64.5808944°N 39.8087667°E / 64.5808944; 39.8087667