आईयूपीएसी नामपद्धति

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कार्बन और हाईड्रोजन के अलावे दूसरे तत्वों के परमाणुओं से भी संयोग कर यौगिक बनाते हैं यथा: हैलोजन (क्लोरीन, फ्लोरीन, आयोडीन तथा ब्रोमीन), ऑक्सीजन, नाईट्रोजन, सल्फर आदि।

हाईड्रोकार्बन में ये परमाणु एक या एक से अधिक हाईड्रोजन के परमाणु को विस्थापित कर नये यौगिक का निर्माण करते हैं। ये परमाणु हाईड्रोजन के परमाणु को इस तरह विस्थापित करते हैं कि कार्बन की संयोजकता संतुष्ट रहे। ऐसे परमाणुओं को विषम परमाणु कहा जाता है।

विषम परमाणु के समूह जिनसे कार्बन शृंखला की लम्बाई तथा प्रकृति पर निर्भर न करते हुए यौगिक को विशिष्ट गुण मिलते हैं, प्रकार्यात्मक समूह (FUNCTIONAL GROUP) कहते हैं।

उदाहरण: प्रकार्यात्मक समूह (FUNCTIONAL GROUP) की सूची:

  • हैलो समूह (Halo group:) –Cl [क्लोराईड (Chloride)], –Br [ब्रोमाईड (Bromide)], –I [आयोडाइड (Iodide)] तथा –F [फ्लोराइड (Fluoride)] को हैलो समूह (HALO GROUP) कहा जाता है।
  • ऐल्कोहल (Alcohol): –OH [ऐल्कोहल समूह (Alcohol group)]
  • ऐल्डिहाइड (Aldehyde): –COH [ऐल्डिहाइड समूह(Aldehyde group)]
  • कीटोन (Ketone): –CO– [कीटोन समूह (Ketone group)]
  • कार्बोक्सिलिक अम्ल (Carboxylic Acid): –COOH [कार्बोक्सिलिक अम्ल समूह (Carboxylic acid group)]

ये प्रकार्यात्मक समूह हाइड्रोकार्बन की शृंखला के साथ जुड़्कर नये यौगिक का निर्माण करते हैं। इस तरह से बने नये यौगिक के गुण हाइड्रोकार्बन जिनसे वे बने हैं, बिल्कुल अलग होते हैं।

समान प्रकार्यात्मक समूह (FUNCTIONAL GROUP) वाले यौगिकों के रासायनिक गुण लगभग समान होते हैं।

समजातीय श्रेणी (Homologous Series)[संपादित करें]

यौगिकों की ऐसी शृंखला जिसमें कार्बन शृंखला में स्थित हाईड्रोजन को एक ही प्रकार का प्रकार्यात्मक समूह प्रतिस्थापित करता है, को समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) कहते हैं। एक समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) के सभी सदस्य के रासायनिक गुण समान होते हैं।

उदारण (Example):

  • CH4 [मिथेन (Methane)], C2H6[एथेन (Ethane)], C3H8[प्रोपेन (Propane)], C4H10[ब्युटेन (Butane)],.... एक समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) बनाते हैं। इस समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) के सदस्य अलकेन कहलाते हैं।
  • CH3OH, C2H5OH, CH5OH,.... एक समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) बनाते हैं। इस समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) के सदस्य एल्कोहल कहलाते हैं।
  • CH3COH, C2H5COH, CH5COH,.... एक समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) बनाते हैं। इस समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) के सदस्य एल्डिहाइड कहलाते हैं।
  • CH3COOH, C2H5COOH, CH5COOH,.... एक समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) बनाते हैं। इस समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) के सदस्य एसिड कहलाते हैं।

समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) के गुण[संपादित करें]

  • समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) के प्रत्येक सदस्य का अपने उत्तरोत्तर सदस्य से –CH2 का अंतर होता है।
  • समजातीय श्रेणी (HOMOLOGOUS SERIES) के प्रत्येक सदस्य का अपने उत्तरोत्तर सदस्य के परमाणु भार में 14 u का अंतर होता है।

उदाहरण (Example):

  1. CH4 and C2H6 – में – CH2 इकाई का अंतर है तथा इनके परमाणु भार में 14 u का अंतर है।
कार्बन [carbon (C)] का परमाणु भार = 12 तथा हाइड्रोजन [Hydrogen (H)] का परमाणु भार = 1
∴ अत: मिथेन [methane (CH4)] का परमाणु भार = 12 + (1 x 4) = 16 तथा
एथेन [Ethane (C2H6)]का परमाणु भार = (12 x 2) + (1 x 6) = 30
∴ एथेन (Ethane) तथा मिथेन (Methane) के परमाणु भार में अंतर = 30 – 16 = 14 u
  1. CH3OH तथा C2H5OH – में – CH2 इकाई का अंतर है तथा इनके परमाणु भार में 14 u का अंतर है।
CH3OH का परमाणु भार = 12 + (1 x 3) + 16 + 1 = 32
तथा C2H5OH का परमाणु भार = (12 x 2) + (1 x 5) + 16 + 1 = 46
∴ इनके परमाणु भारों में अंतर = 46 – 32 = 14 u
  1. C2H5COOH and C3H7COOH – इनमें – CH2 इकाई का अंतर है तथा इनके परमाणु भार में 14 u का अंतर है।

कार्बनिक यौगिकों का नामकरण[संपादित करें]

IUPAC

1.सर्वप्रथम सबसे बड़ी कार्बन श्रृंखला का चयन करते हैं जिनमें कार्बन की संख्या अधिक होती है 2. सबसे बड़ी श्रृंखला में हम संख्या करण उस तरफ से करते हैं जिस दिन से क्रियात्मक समूह सबसे पहले आता है 3. पूर्व अनुलग्नक+मूल शब्द +अनुलग्नक

  उदाहरण : 4-bromo 2methyl but 1ene

अकार्बनिक यौगिकों का नामकरण[संपादित करें]

टाइप-१ ऑयनिक द्विक यौगिक[संपादित करें]

टाइप -१ आयनिक बाइनरी यौगिकों के लिए, पहले का नामकरण किया गया है, और आयनों का नाम दूसरा है। कैटायन अपना नाम बरकरार रखता है, लेकिन आयनों का प्रत्यय बदल जाता है। उदाहरण के लिए, यौगिक LiBr, Li+ (लिथियम) और Br-(ब्रोमिन) आयनों से बना है; इस प्रकार, इसे "लिथियम ब्रोमाइड" कहा जाता है।

प्रत्येक तत्त्व की ऑक्सीकरण अवस्था असंदिग्ध है। जब ये आयन एक टाइप-१ बाइनरी कंपाउंड में संयोजित होते हैं, तो उनके बराबर-लेकिन-विपरीत चार्ज बेअसर हो जाते हैं, इसलिए कंपाउंड का नेट चार्ज शून्य है।

उदाहरणतः

  • LiBr—लिथियम ब्रोमाइड
  • CaO—कैल्सियम ऑक्साइड

टाइप-२ ऑयनिक द्विक यौगिक[संपादित करें]

Fe2O3 -- आइरन (III) क्लोराइड

PbS2 -- लेड (IV) सल्फाइड

कुछ आयनिक यौगिकों में पॉलीआटोमिक आयन होते हैं, जो दो या अधिक सहसंयोजक बंधित प्रकार के परमाणुओं से युक्त होते हैं। सामान्य पॉलीएटोमिक आयनों के नाम जानना महत्वपूर्ण है; इसमें शामिल है:

टाइप-३ ऑयनिक द्विक यौगिक[संपादित करें]

CO2 -- कार्बन डाईऑक्साइड

SF4 -- सल्फर टेट्राफ्लोराइड

किन्तु H2O को प्रायः जल ही कहा जाता है, न कि 'डाईहाइड्रोजन मोनो आक्साइड'। इसी प्रकार NH2 को अमोनिया कहते हैं न कि 'हाइड्रोजन नाइट्राइड'।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]