अस्प्लेनिया

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यह लेख चिकित्सा हालत के बारे में है। कीट जीनस के लिए, अस्प्लेनिया (कीट) देखे. स्प्लीन्वोर्थ फ़र्न के लिए, अस्प्लेनियम देखें.
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वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
आईसीडी-१० D73.0, Q89.0
आईसीडी- 289.59, 759.01
ओएमआईएम 208530 %271400 208540
ईमेडिसिन ped/150  radio/58

अस्प्लेनिया शब्द वो स्तिथि का वर्णन करता हैं जब तिल्लीकम नहीं कर रहा हैं। इस स्तिथि में काफी गंभीर बिमियारिओं भी हो सकती हैं। ह्य्पोस्प्लेनिस्म शब्द उस स्तिथि का वर्णन करता है, जिस में तिल्ली कम काम कर रही है, परन्तु यह अस्प्लेनिया जितना गंभीर स्तिथि नहीं है।

कारण[संपादित करें]

पैदाइशी कारण[संपादित करें]

  • पैदाशी अस्प्लेनिया कई आनुवंशिक विकार से हो सकता हैं, (उदाहरण: (हेतेरोताक्स्य सिंड्रोम),) या सगर्भता के दौरान आस-पास का पर्यावरण के कारण.[1]

उपार्जित कारण[संपादित करें]

  • एक्वायर्ड या उपार्जित अस्प्लेनिया कई कारणों से होता है:
    • स्प्लेनेक्टोमी के बाद: तिल्ली का फटने के बाद या ट्यूमर की वजह से, स्प्लेनेक्टोमी ऑपरेशन किया जाता है।
    • कई रोगों की इलाज के लिए, स्प्लेनेक्टोमी किया जाता है, ताकि तिल्ली का काम मैं हस्तक्षेप आ जाये (उदाहरण: अज्ञातहेतुक थ्रोम्बोच्य्तोपेनिक पुर्पुरा, थालेस्सेमिया), स्फेरोच्य्तोसिस); क्यों कि इन हालातों में, तिल्ली बीमारी को ज्यादा बढावा देती है।
    • ऐसे भी कई रोग हैं जिस से तिल्ली अपने आप नष्ट हो जाता है। इस को औतोस्प्लेनेक्टोमी कहा जाता है। (उदाहरण: सिकिल सेल बीमारी)
  • क्रियात्मक अस्प्लेनिया तब होता है, जब तिल्ली ऊतक मौजूद है; लेकिन अच्छी तरह से काम नहीं करता है (उदाहरण: सिकिल सेल बीमारी पोल्यस्प्लेनिया .) ऐसे रोगियों में इलाज इस तरह किया जाता है, जैसा वे अस्प्लेनिक हो।

आंशिक स्प्लेनेक्टोमी और तिल्ली समारोह के संरक्षण[संपादित करें]

इन दिनों, तिल्ली के सुरक्षात्मक भूमिका मौजूद रखने के प्रयत्न में, कुछ प्रयास किया जाते हैं। सब-टोटल (आंशिक) स्प्लेनेक्टोमी शल्य या आंशिक तिल्ली का एम्बोलिज़तिओन के वक़्त,[2] तिल्ली का छोटा हिस्सा बचा के रखने की कोशिश किया जाती है। यह गरीब देशों मैं ज्यादा महत्वपूर्ण है, जहाँ अस्प्लेनिया की रोगियों के लिए रक्षात्मक सुविधाए नहीं हैं।[3] हालांकि, यह सलाह दी जाती है -- कि ऑपरेशन से पहले टीकाकरण समारोह किया जय—जब तक तिल्ली अपना काम एक बार फिर से शुरू करें। [4]

खतरे[संपादित करें]

अस्प्लेनिया से पोल्य्सच्चारिदे एन्काप्सुलातेद बैक्टीरिया से पूति का जोखिम बढ़ जाती है। और स्प्लेनेक्टोमी के बाद एक परिणाम यह भी है कि मरीज को भारी संक्रमण (ओ.पि.एस.ई.) भी हो एकता है, जो कुछ घंटे के भीतर घातक ह सकता है। विशेष रूप से, मरीजों मेनिन्गोकोच्चुस और हेमोफिलुस इन्फ़्लुएन्ज़े और प्नयूमोकोच्चुस से जोखिम हो सकते हैं। इन मरीजों में, जोखिम ३५० गुना से जायदा बढता है।[5]

अस्प्लेनिक रोगियों के लिए जोखिम इस तरह गिना जाता हैं -- जितना कि कोई बच्चे को घरेलु दुर्घटना में मरने का सम्भावना है या कोई व्यक्ति सड़क के दुर्घटने में (संदर्भ: ब्रिटेन स्प्लेनेक्टोमी ट्रस्ट अद्विस. इस मैं समझदार सावधानियों करने की जरूरत हैं।

चिकित्सा प्रबंधन[संपादित करें]

स्प्लेनेक्टोमी के साथ जोखिम कम से कम करने के लिए एंटीबायोटिक और टीकाकरण किया जाने का प्रोटोकॉल स्तापित किया गया है[6][7][8]. लेकिन, अक्सर डॉक्टरों और मरीज इन के आधारित काम नहीं करते हैं, क्यों कि इन से उपद्रव काफी है। उपद्रव इस तरह के है: एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस के कारण क्लोस्त्रिदियम दिफइसइले का संक्या अंतड़ी मैं बद सकता हैं।

एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस[संपादित करें]

संक्रमण के खतरे की वजह से, डॉक्टरों रोगनिरोध (प्रोफिलैक्सिस) के रूप में, मरीजों को मौखिक एंटीबायोटिक दवाओं देते हैं, सर्जिकल स्प्लेनेक्टोमी के बाद (या जन्म से, जन्मजात अस्प्लेनिया के लिए या कार्यात्मक अस्प्लेनिया में). अवधि सुझाव विभिनं है। एक सुझाव यह है, कि एंटीबायोटिक दवाओं सोलह वर्ष की उम्र होने तक लिया जाय, या दो साल तक—जो भी अधिक है। [तथ्य वांछित]

रोगियों को चेतावनी दिया जाता है, कि उपरी या निचली श्वसन इलाके कि बीमारीया (संक्रमण, की शुरुआत होते ही (गले में खराश या खांसी) या बुखार के शुरुआत होते ही, वे फुल-दोसे एंटीबायोटिक दवाओं के शुरू करना चैहिये.

टीकाकरण[संपादित करें]

यह सुझाव दिया जाता है, कि जिन व्यक्तियों मैं स्प्लेनेक्टोमि किया गया है, उन में वे निम्नलिखित टीकाकरण किया सिया जाय. यह आदर्श है कि टीकाकरण का योजना स्प्लेनेक्टोमी सर्जरी से पहले ही किया जाय.

  • प्नयूमोकोच्कल पोल्य्सच्चारिदे टीका (यह उम्र २ साल से पहले नहीं दिया जाता है।) हो सकता है कि बच्चों को एक या ज्यादा प्नयूमोकोच्कल कांजुगेट बूस्टर्स कि जरूरत हो, अगर वे बचपन में पूरी टीकाकरण नहीं लिए थे।
  • हेमोफिलुस इन्फ़्लुएन्ज़े प्रकार बी टीका. अगर बचपन में विशेष रूप से यह टिका नहीं मिला था। अगर कोई व्यक्ति इस से पहले टीकाकरण नहीं लिया था, तो दो खुराक दो महीनो कि अंतर में लेने का सलाह दिया जाता है। यह २००६ ब्रिटेन की टीकाकरण के दिशानिर्देश में है। (ब्रिटेन में एक संयुक्त ही-ब/ मेंन-C वैक्सीन भी उपलब्ध है).[9]
  • मेनिंगोकोक्सल संयुग्म टीके,. यदि विशेष रूप से किशोरावस्था में नहीं दिया गया था। पहले टीके लगाए व्यक्तियों को एक बूस्टर की आवश्यकता होती है। और ब्रिटेन में २००६ के बाद से, गैर व्यकितियों, जिन में रोगक्षम नहीं किया गया था; उन को दो खुराक दो महीनो के अंतर देने का सलाह है।[9] अगर कोई बच्चा संयुग्म टीके के लिए उम्र में छोटा हैं, तो उन को, अंतरिम में, मेनिंगोकोक्सल पोल्य्सच्चारिदे टीका दे सकते हैं।[5]
  • इन्फ्लूएंजा टीका, हर सर्दी दिया जाय. यह जीवाणु संक्रमण को रोकने में मदद करता है।

यात्रियों के लिए उपाय[संपादित करें]

यात्रा करते वक़्त, हर देश के लिए सामान्य उपाय के अलावा, इन मरीजों के लिए, ग्रुप ए मेनिन्गोकोच्चुस भी दिया जाना चाहिए - खास करके अगर यात्रा के देशों में ज्यादा जोखिम है (उदाहरण: सहारा अफ्रीका).[10] गैर संयुग्मित (नॉन-कोणजूगेटेड) मेनिनजाइटिस ए और सी टीके, जो इस प्रयोजन के इस्तेमाल किया जाता है, आमतौर पर केवल ३ साल का कवरेज देता है। और यह नॉन-कोणजूगेटेड टीके मेनिनजाइटिस सी से कम कवरेज देता हैं।[11]

उन व्यक्ति जिन में कार्यात्मक तिल्ली नहीं है, मलेरिया से उच्च जोखिम में रहते हैं,[12] और इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं। मलेरिया-पीडित क्षेत्रों में यात्रा करना, इन व्यत्तियों को अधिक से अधिक जोखिम कि बात है। और ऐसे यात्रा को परहेज रखना ही सबसे उच्चित है। यात्रियों, पहेले ही, मलेरिया के विर्रुध प्रोफिलैक्सिस औषध लेना चाहिए। और मच्छर के काटने से सावधान रहना चाहिए। [6]

प्नयूमोकोच्कल वक्किनतिओन्स अन्य देशों में मौजूद प्नयूमोकोच्कल बैक्टीरिया के अन्य उपभेदों से कवर नहीं कर सकता हैं। इसी तरह, उनके एंटीबायोटिक प्रतिरोध भी भिन्नता हो सकते हैं। आपात स्थिति के लिए, एक अलग विकल्प एंटीबायोटिक की जरूरत हो सकती है।

अतिरिक्त उपाय[संपादित करें]

  • शल्य चिकित्सा और दंत चिकित्सा प्रक्रियाओं - दंत चिकित्सा या शल्य चिकित्सा से पहले कुछ एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस प्रक्रियाओं की आवश्यकता हो सकती है।
  • पशु के - काटने पर - छोटे कुत्ते और अन्य जानवर के काटने पर, पर्याप्त अन्तिबिओतिक कवर की आवश्यकता है। अस्प्लेनिक रोगियों काप्नोच्य्तोफागा कानिमोर्सुस संक्रमण से अतिसंवेदनशील है। अगर वे पेनिसिलिन से एलर्जीक है, तो वे अमोक्सिक्लाव (एर्य्थ्रोम्य्सिं के 5-दिन के कोर्स लेना चाहिए। [13]
  • टिक का कटना - बबेसिओसिस एक दुर्लभ संक्रमण है। मरीजों - टिक के काटने पर - खुद की जांच करना चाहिए या और किसी से जांच करवाए; क्यों कि वे एक जोखिम की स्थिति में हैं चाहिए। थकान के साथ बुखार और रक्तसंलायी अरक्तता होने पर, सीरम विज्ञान और रक्त में लाल परजीवी द्वारा की पहचान की पुष्टि की आवश्यकता होती है। आमतौर पर,कुनैन- (क्लिन्दम्य्सिं के साथ या बिना) एक प्रभावी इलाज है।[13]
  • उच्च चेतावनी - व्यक्ति जिन में तिल्ली काम नहीं कर रही है, एक कार्ड रख सकते हैं या विशेष पहनने का ब्रेसलेट या हार, जो बता सकता हैं कि व्यक्ति में तिल्ली काम नहीं कर रही है। यह एक पेशेवर स्वास्थ्य वोर्केर को तेजी से सतर्क कर सकता है। और वह कर्मी तेजी से जरूरी कार्यवाही कर सकता हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  2. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  3. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  4. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  5. [13] ^ आप के लाल २००६ बुक
  6. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  7. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर - मूल लेखक के द्वारा एक प्रतिक्रिया के रूप में प्रकाशित
  8. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  9. [26] ^ Joint Committee on Vaccination and Immunisation (21 दिसम्बर 2006). "Chapter 7 : Immunisation of individuals with underlying medical conditions". प्रकाशित Editors Salisbury D, Ramsay M, Noakes K (संपा॰). Immunisation Against Infectious Disease 2006 (PDF). Edinburgh: Stationery Office. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0113225288. मूल से 2 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अक्तूबर 2010.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: editors list (link) सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: editors list (link) - देखे पृष्ठों ५० -१ और तबेल ७.1 को
  10. "Meningococcal - Children and adults with asplenia or splenic dysfunction" (PDF). Immunisation against infectious disease - 'The Green Book' (PDF). 24 अगस्त 2009 [2006]. पृ॰ 244.
  11. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर[मृत कड़ियाँ]
  12. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  13. "Guidelines for the prevention and treatment of infection in patients with an absent or dysfunctional spleen" (PDF). Wilton, Cork, Ireland: Health Service Executive, Southern Area. 2002 सितंबर. मूल से 4 मार्च 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अक्तूबर 2010. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • "Septicaemia Risks In Patients with Non-functioning Spleens". Medik.Info. 2004. मूल (DOC) से 25 अक्तूबर 2004 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अक्तूबर 2010. - मरीज फक्त शीत, १९९३ फक्त शीत से विस्तार मूल (यूके) स्प्लेनेक्टोमी ट्रस्ट १९९३ फक्त शीत .

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