असम का इतिहास

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असम का इतिहास भारतीय आर्य, तिब्बता-बर्मी और ऑस्ट्रो एशियाई संस्कृति के एक अच्छे मिश्रण की कहानी है।[1]

प्राचीन काल[संपादित करें]

प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इस प्रदेश को प्रागज्योतिषपुर के नाम से जाना जाता था। पुराणों के अनुसार यह कामरूप राज्य की राजधानी था। महाभारत के अनुसार कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध ने यहां के उषा नाम की युवती पर मोहित होकर उसका अपहरण कर लिया था। हंलांकि यहां की दन्तकथाओं में ऐसा कहा जाता है कि अनिरुद्ध पर मोहित होकर उषा ने ही उसका अपहरण कर लिया था। इस घटना को यहां कुमार हरण[2] के नाम से जाना जाता है।

महाभारत काल से लेकर सातवीं सदी के मध्य में भास्करवर्मन के शासनकाल तक यहाँ पर एक ही राजवंश का शासन रहा था। इसकी जानकारी हमें भास्करवर्मन के दुबी और निधानपुर के ताम्रपत्र, नालंदा से प्राप्त वंशावली संबंधी मुद्राओं और बाणभट्ट और ह्वेनसांग के विवरण से मिलती है। इस वंश का दावा है कि उसकी उत्पत्ति 'असुर नरक' से हुई थी। महाकाव्यों और पुराणों के अनुसार यह विष्णु के वराह अवतार और पृथ्वी का पुत्र था। इसलिए इस वंश को भौम (अर्थात भूमि का पुत्र) भी कहा जाता है।

इस राजवंश के शिलालेखों में दावा किया गया है कि राजा भागदत्त और उसके उत्तराधिकारियों ने कामरूप में लगभग ३००० वर्षों तक शासन किया और उनके बाद पुष्यवर्मन राजा हुआ। पुष्यवर्मन समुद्रगुप्त का समकालीन था। नालंदा की मुद्रा में पुष्यवर्मन को प्रग्ज्योतिष का स्वामी कहा गया है। इन्ही स्रोतों से हमें पुष्यवर्मन के १२ परवर्ती शासकों का भी विवरण मिलता है।[3] आठवे राजा महाभूतिवर्मन के अधीन कामरूप एक शक्तिशाली राज्य बन गया। उसके पोते चंद्रमुखवर्मन ने अश्वमेघ यज्ञ किया था। भास्कर वर्मन राजा हर्षवर्धन का साथी था। हर्ष की बाणभट्ट द्वारा रचित जीवनी हर्षचरित में उसका उल्लेख मिलता है।

मध्यकालीन असम[संपादित करें]

मध्यकाल में सन् १२२८ में बर्मा के एक चीनी विजेता चाउ लुंग सिउ का फा ने इसपर अधिकार कर लिया। वह अहोम वंश का था जिसने अहोम वंश की सत्ता यहां कायम की। अहोम वंश का शासन १८२९ पर्यन्त तबतक बना रहा जब अंग्रेजों ने उन्हे हरा दिया। कहा जाता है कि अहोम राजाओं के कारण ही इसका नाम असम पड़ा।

आधुनिक असम[संपादित करें]

इसके वर्तमान स्वरूप के निर्धारण में प्रयुक्त ऐतिहासिक एंव प्रशासनिक तथ्यों का ब्यौरा निम्न है:

1. 1826 ई. में प्रथम युद्धोपरांत ब्रिटिश संरक्षण में आया;

2. 1832 ई. में कछार का मिलाया जाना;

3. 1835 ई. में जयंतिया क्षेत्र का मिलाया जाना;

4. 1874 ई. में ब्रिटिश साम्राज्य में मुख्य आयुक्त (चीफ कमिश्नर) के अधीन प्रांत के रूप में बनाया जाना;

5. 1905 ई., बंग विच्छेद तथा लेफ्टिनेंट गवर्नर का प्रशासन;

6. 1915ई, पुन: मुख्य आयुक्त का प्रशासन;

7. 1921 ई. से गवर्नर के प्रशासन में;

8. 1947 ई. भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति एवं विभाजन के परिणाम स्वरूप मुस्लिम बहुल सिलहट क्षेत्र का पाकिस्तान में विलयन;

9. 1951 ई. देवनगिरि का भूटान में विलयन;

10. 1957 ई. नागालैंड का केंद्रशासित क्षेत्र घोषित होना जो 1962 में अलग राज्य घोषित हो गया;

11.1969 ई. गारो तथा संयुक्त खासी जयंतिया जनपदों का मेघालय राज्य के रूप में घोषित होना;

12. 1972 ई.मिजो जनपद का मिजोरम नाम से केंद्रशासित प्रदेश घोषित होना;

13. हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र (कामेंग), सुंवसिरी, सिंयांग, लोहित तथा तिरप का अरुणाचल प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आना।

चित्रावली[संपादित करें]

असम के राजा[संपादित करें]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "राज्य/संघ राज्य क्षेत्र - असम - भारत के बारे में जानें: भारत का राष्ट्रीय पोर्टल". knowindia.gov.in. मूल से 28 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-02-14.
  2. "Assam Mein Kitne Jile Hai, Assam me Kitne District Hai, असम के जिले, Assam me Kitne Jile hai, असम में कितने जिले है". www.districtsinindia.com. अभिगमन तिथि 2021-02-14.
  3. सिंह, अमित (2018-08-02). "एनआरसी की जड़ें असम के इतिहास से जुड़ी हुई हैं". The Wire - Hindi (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-02-09.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

आसाम में ब्रिटिश शासन का आरंभ[संपादित करें]