अनोखेलाल मिश्र

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तबला-सम्राट पण्डित अनोखेलाल मिश्र

अनोखेलाल मिश्र (1914 – 10 मार्च 1958) प्रसिद्ध तबलावादक थे। वे संगीत जगत में 'ना धिं धिं ना' के जादूगर के नाम से प्रसिद्ध थे। उनका सम्बन्ध बनारस घराने से था।

पं. अनोखेलाल जी का जन्म सन् 1914 ई. में भारत के उत्तर प्रदेश के ग्राम-ताजपुर, तहसील-सकलडीहा, जिला-चन्दौली, में हुआ था। इनके पिता पं॰ बुद्धू प्रसाद मिश्र जी एक प्रसिद्ध सारंगी वादक थे। जब पं॰ अनोखेलाल जी मात्र ढाई वर्ष के थे तभी इनके पिताजी तथा मात्र 6 वर्ष की अवस्था में इनकी माताजी का स्वर्गवास गया था। इनका पालन-पोषण इनकी दादी श्रीमती जानकी देवी ने किया। श्रीमती जानकी देवी जी इनको लेकर बनारस आ गई तथा इनको बनारस घराने के तबले के प्रकाण्ड विद्वान पं॰ भैरव प्रसाद मिश्र जी से तबला वादन की शिक्षा दिलवाने लगी।

इनका बचपन अत्यन्त कष्ट में बीता था। गुरु पं॰ भैरव प्रसाद मिश्र जी के सानिध्य में इन्होंने कठोर परिश्रम किया तथा सोते-जोगते हर समय केवल तबले के प्रति ही समर्पित हो गये। पं॰ भैरव प्रसाद मिश्र जी से इन्होंने 15 वर्षों तक बनारस घराने के तबले की विधिवत शिक्षा प्राप्त की। सच्ची लगन व अथक परिश्रम द्वारा 8-10 घण्टे प्रतिदिन के अभ्यास को आपने धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाते हुए 18 घण्टे तक कर दिया। इस कठिन अभ्यास के कारण इनको शारीरिक कष्ट भी उठाना पड़ा, परन्तु ये अपनी साधना में निरन्तर निमग्न रहे। इनके समान अभ्यास करना, किसी भी कलाकार के लिये अत्यन्त कठिन व असाध्य है। इन्होंने पं॰ दाउजी मिश्र के साथ गायन तथा पं॰ मोहन लाल जी व प्रसिद्ध नृत्यांगना शिवकुँवर बाई के कथक के साथ प्रतिदिन घण्टों अभ्यास करते थे। मात्र सोलह वर्ष की अवस्था में ही स्वतंत्र वादन तथा संगति दोनों में ही आप प्रवीण हो गये थे।[1]

सन्दर्भ[संपादित करें]