तुरफ़ान

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१४४ फ़ुट ऊंची एमीन मीनार
अंगूर की लताओं से ढकी चलने की एक सड़क

तुरफ़ान (अंग्रेज़ी: Turfan) या तुरपान (उईग़ुर: تۇرپان‎, अंग्रेज़ी: Turpan, चीनी: 吐魯番) चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रान्त के तुरफ़ान विभाग में स्थित एक ज़िले-स्तर का शहर है जो मध्य एशिया की प्रसिद्ध तुरफ़ान द्रोणी में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) भी है। सन् २००३ में इसकी आबादी २,५४,९०० गिनी गई थी। यह शहर उत्तरी रेशम मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव हुआ करता था।[1]

इतिहास[संपादित करें]

तुरफ़ान कभी गूशी (Gushi) नामक संस्कृति का घर था। यहाँ एक २,७०० वर्ष पुराना शव मिला है जो चीनी नसल का नहीं है और विद्वानों का सोचना है कि या तो यहाँ युएझ़ी लोग बसते थे या तुषारी लोग। ध्यान दीजिये कि यह दोनों ही उत्तर भारतीयों की तरह हिन्द-यूरोपीय भाषी जातियाँ थीं। आगे चलकर रेशम मार्ग पर होने के कारण बहुत सी शक्तियाँ तुरफ़ान को अपने क़ब्ज़े में करने के लिए जूझती रहती थीं। चीन के हान राजवंश काल में हान सैनिकों और शियोंगनु लोगों के बीच यहाँ मुठभेड़ें होती थीं और शहर कभी इनके और कभी उनके नियंत्रण में जाता था। बीच-बीच में यह क्षेत्र स्वतन्त्र भी हो जाता था।[2] हान राजवंश के पतन के बाद भी यह क्षेत्र अधिकतर आज़ाद ही रहा। सन् ४८७ से ५४१ ईसवी तक यहाँ तिएले नामक तुर्की क़बीले का स्वतन्त्र राज रहा, लेकिन इसके बाद पहले जू-जान ख़ागानत और फिर गोएकतुर्क यहाँ पर सत्ता में रहे। ७वीं सदी ईस्वी में चीन के तंग राजवंश ने यहाँ क़ब्ज़ा जमाया लेकिन ७वीं से ९वीं सदियों तक यहाँ चीनियों, तुर्कों और तिब्बतियों की खींचातानी चलती रहीं। इस काल में यहाँ तुर्कों, सोग़दाईयों और चीनियों के बीच बहुत व्यापार भी चला। ८५६ से १३८९ ई के काल में उईग़ुर लोगों ने तुरफ़ान को अपने कारा-ख़ोजा नामक राज्य का हिस्सा बनाया तो अपने अन्तकाल में मंगोल साम्राज्य का एक अधीन राज्य बन गया। १५वीं सदी तक यहाँ बौद्ध धर्म का ज़ोर था लेकिन उस सदी के दुसरे भाग में यहाँ के लोग मुस्लिम बन गए।

१४६२-१४७८ तक पूर्वी शिनजियांग में युनुस ख़ान नामक तुर्क-मंगोल ने अपना मुग़लिस्तान नाम का राज्य चलाया और तुरफ़ान इसका भाग था। वह उस समय के मिंग राजवंश के चीनी शासकों को भेंटें भेजता था और उनसे इनाम पाता था। लेकिन जब उसे लगा की इनाम कम हैं तो उसने चीन-नियंत्रित इलाके पर धावा बोलकर कुमुल (हामी) क्षेत्र पर क़ब्ज़ा कर लिया। चीनी मिंग सिपाहियों ने आकर उसे खदेड़ दिया लेकिन उनके जाते ही वह फिर वापस उसपर जम बैठा। यह झडपें चलती रहीं और तुरफ़ान के उईग़ुरों ने १५२४ में २०,००० लोगों के साथ चीन पर हमला किया लेकिन हार गए। फिर १५२८ में उन्होंने गांसू प्रान्त पर धावा किया लेकिन फिर हार गए।

१८८७ में ब्रिटिश यात्री फ्रैंसिस यंगहसबंड (Francis Younghusband) तुरफ़ान से गुज़रा और उसने लिखा के इस शहर के दो बिलकुल अलग भाग हैं - एक ५,००० चीनियों का मोहल्ला और दूसरा १५,००० उईग़ुर तुर्कों का शहर। तुर्क इलाक़े के चार महान द्वार थे और उसके इर्द-गिर्द २०-३० फ़ुट ऊंची मिटटी की दीवार थी, जिसमें ऊपर बंदूकें रखकर चलाने के लिए झरोखे बने हुए थे। आसपास के क्षेत्र में गेंहू, अंगूर, कपास और ख़रबूज़े उगाए जाते थे।[3]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. The Silk Road Revisited: Markets, Merchants and Minarets, Julie Hill, AuthorHouse, 2006, ISBN 978-1-4259-7280-6, ... Our destination was Turfan, one of the great oasis cities of northwest China. To reach it we traveled on a splendid four-lane toll ... We reached the deep greens of the Turfan oasis. Turfan is located in the Turfan depression ...
  2. Xinjiang: China's Muslim Borderland Archived 2014-07-20 at the वेबैक मशीन, S. Frederick Starr, M.E. Sharpe, 2004, ISBN 978-0-7656-1318-9, ... Overall, between 162 BCE (when the Xiongnu established their headquarters south of the Tian Shan) and 150 CE (after which neither Han nor Xiongnu enjoyed any influence in the south), the Xiongnu controlled Turpan and the Tarim basin for some 70 years, while the Han held sway there for about 125 years ... the often-repeated assertion that all Xinjiang was Chinese during the Han dynasty is an oversimplification arising from later historians' selective reading of a rather mixed record ...
  3. The heart of a continent: a narrative of travels in Manchuria, across the Gobi Desert, through the Himalayas, the Pamirs, and Hunza, 1884-1894 Archived 2016-05-28 at the वेबैक मशीन, Sir Francis Edward Younghusband, Scribner, 1904, ... Turfan consists of two distinct towns, both walled — the Chinese and the Turk, the latter situated about a mile west of the former. The Turk town is the most populous, having probably twelve or fifteen thousand inhabitants, while the Chinese town has not more than five thousand at the outside ...