नागराज राव हवलदार

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नागराज राव हवलदार
पृष्ठभूमि

डॉ॰ नागराज राव हवलदार (कन्नड़: ನಾಗರಾಜ ರಾವ್ ಹವಲ್ದಾರ್) कर्नाटक, भारत के एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक हैं।

शिक्षा[संपादित करें]

संगीत[संपादित करें]

डॉ॰ हवलदार, पंडित माधव गुड़ी के एक शिष्य हैं, जो स्वयं किराना वंशज, पंडित भीमसेन जोशी के प्रमुख शिष्य हैं। साथ ही वे पंडित पंचाक्षरी स्वामी मट्टिगट्टि के भी शिष्य हैं जो कि जयपुर-अतरौली घराने के पंडित मल्लिकार्जुन मंसूर के एक वरिष्ठ शिष्य हैं।[1]

कर्नाटक में कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की छह साल की डिग्री पाठ्यक्रम "संगीत रत्न" में अपने अध्ययन के दौरान पंडित मल्लिकार्जुन मंसूर (संगीत विभाग के अध्यक्ष) और पंचाक्षरी स्वामी मट्टिगट्टि, पंडित बासवराज राजागुरू (किराना), पंडित संगमेश्वर गुराव (किराना) और डॉ॰ बी.डी. पाठक जो कि संकाय सदस्य थे, के अधीन उन्होंने शिक्षा प्राप्त की। [1]

अकादमिक[संपादित करें]

उन्होंने कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत पाठ्यक्रम "संगीत रत्न" में प्रतिष्ठा प्राप्त की। [1] साथ ही इतिहास और पुरातत्व में वे स्वर्ण पदक स्नातकोत्तर हैं,[1] और कर्नाटक विश्वविद्यालय से संगीत में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की है, उनके शोधग्रंथ का शीर्षक "द हिस्टरी ऑफ क्लासिकल म्यूज़िक इन कर्नाटक" है।[2]

कैरियर[संपादित करें]

प्रदर्शन[संपादित करें]

उन्होंने पूरे भारत में प्रदर्शन किया है जिसमें प्रतिष्ठित स्थान जैसे हम्पी उत्सव, मैसूर दशहरा दरबार महोत्सव और वाराणसी में संकट मोचन संगीत समारोह शामिल हैं। साथ ही उन्होंने बड़े पैमाने पर संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन में भी दौरा किया है।[1] हालांकि उनकी शैली में उनके किराना गुरूओं से मिला गहन प्रशिक्षण प्रतिबिंबित होता हैं, वे बसंती केदार, बसंती कनाडा और नट मल्हार जैसे जयपुर-अतरौली गायकी में भी समान पकड़ रखते हैं। उन्हें कन्नड ख्याल को लोकप्रिय बनाने का भी श्रेय दिया जाता है, जिसमें पारम्परिक ख्याल रूप में वचन के अनुरूपण के द्वारा हरिदासा की साहित्यिक रचना और कन्नड़ की समकालीन उपयुक्त कविताएं हैं।[3][4]

सजीव प्रदर्शन के अलावा, डॉ॰ हवलदार ने खयाल और मध्यम शैलियों में कई एल्बमों को आकार दिया है।[5] वे सुनादा आर्ट फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष हैं, जो कि भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रचार के लिए एक समर्पित संगठन है।[1][2]

रचना[संपादित करें]

संगीतकार के रूप में डॉ॰ हवलदार ने कई नाटक और टेलीविजन शो के लिए संगीत रचना की है, जिसमें गिरीश कर्नाड के तलेडंडा, पी. लंकेश के गुनामुखा जिसका मंचन रूपांतरा थिएटर समूह द्वारा किया गया था, मास्टर हिरान्नया के लंचावतार जैसे टेलीविजन संस्करण और टी.एन सीथाराम के टेलीसिरीयल मुखामुखी शामिल हैं।[4][6] साथ ही उन्होंने इंडियानापोलिस में एक थिएटर ग्रुप के साथ आध्यात्मिक धुन के साथ नाटक के संगीत पर काम भी किया है।[4]

शिक्षण[संपादित करें]

वे नियमित रूप से विप्रो, कंप्यूटर एसोसिएट्स, बिरला 3M और खोडेज जैसे कंपनियों के लिए संगीत पर व्याख्यान और वर्कशॉप का आयोजन करते हैं, जिसमें स्ट्रेस मेनेजमेंट थ्रु म्यूज़िक और एप्रिसिएसन ऑफ हिन्दुस्तानी क्लासिकल म्यूज़िक जैसे विषय होते हैं।[2][4]

डॉ॰ हवलदार ने हिंदुस्तानी संगीत का प्रशिक्षण दिया है और आज भी देते हैं, स्थानीय रूप से बंगलुरू जारी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्कशॉप और टेलीफोनिक सत्रों के माध्यम से संयुक्त राज्य और ब्रिटेन के छात्रों को भी शिक्षा देते हैं। उनके कई छात्र, प्रमुख संगीतकार बन गए हैं, जिसमें ओमकारनाथ हवलदार और कन्नड पार्श्व गायक चैत्रा एचजी उल्लेखनीय हैं।

अन्य[संपादित करें]

डॉ॰ हवलदार) पूर्व में म्यूज़िक अराइव्स, ऑल इंडिया रेडियो, हुबली में (1988-1991) में प्रोग्राम एक्जिक्यूटीव के रूप में कार्य कर चुके हैं।[1] साथ ही वे कर्नाटक पाठ्यपुस्तक निदेशालय के लिए हिन्दुस्तानी संगीत के लिए पाठ्यपुस्तक समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं।[3]

व्यक्तिगत[संपादित करें]

डॉ॰ हवलदार का जन्म बेलारी जिला, कर्नाटक के होसापेटा शहर में हुआ है, जहां उन्होंने स्नातक तक अपना जीवन बिताया. वर्तमान में वे बेंगलुरु में रहते हैं।

उनके पुत्र ओमकारनाथ और केदारनाथ उभरते संगीतकार हैं - ओमकारनाथ एक गायक हैं जबकि केदारनाथ तबलावादक हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "About Panditji". मूल से 24 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 दिसम्बर 2010.
  2. "Early Music Now". मूल से 10 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 दिसम्बर 2010.
  3. "Artist of the month -Dr Nagraj Rao Havaldar". मूल से 13 अप्रैल 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 दिसम्बर 2010.
  4. "Pulling off a musical leap of faith". मूल से 7 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 दिसम्बर 2010.
  5. "Albums". मूल से 25 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 दिसम्बर 2010.
  6. "His music soothed traumatised souls". मूल से 4 अप्रैल 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 दिसम्बर 2010.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]