भोज्य पदार्थों का किरणन

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रदुरा (Radura) प्रतीक : यह उन खाद्य पदार्थों पर लगाया जाता है जो आयनकारी विकिरण द्वारा विकिरित किये गये हों।

भोज्य पदार्थों के ऊपर आयनकारी विकिरण डालने से उसमें उपस्थित सूक्ष्मजीव, जीवाणु, विषाणु एवं कीट आदि नष्ट हो जाते हैं। इस क्रिया को खाद्य पदार्थों का किरणन (Food irradiation) या 'खाद्य पदार्थों का विकिरणन' कहा जाता है। इसके अलावा खाद्य पदार्थों के विकिरणन के फलस्वरूप अवांछित अंकुरण (जैसे आलू एवं प्याज का) रुक जाता है; फलों के पकने की क्रिया धीमी पड़ जाती है (इससे फलों को बिना नष्ट हुए दूर तक भेजा जा सकता है) ; रस उत्पादका में वृद्धि हो जाती है एवं अन्य लाभ होते हैं। ऐसा नहीं है कि विकिरणन के कारण खाद्य पदार्थ रेडियोधर्मी हो जाते हैं किन्तु कुछ स्थितियों में मामूली सा रासायनिक परिवर्तन अवश्य हो सकता है।

खाद्य-विकिरणन प्रौद्योगिकी[संपादित करें]

  1. एलेक्ट्रॉन पुंज द्वारा,
  2. गामा किरणों द्वारा
  3. एक्स-किरणों द्वारा

इतिहास[संपादित करें]

  • 1895 रोएंटजन द्वारा एक्स-किरण का आविष्कार
  • १८९६ हेनरी बेक्वरेल ने प्राकृतिक रेडियोसक्रियता की खोज की।
  • 1918 जिलेट (Gillett): भोजन के संरक्षण के लिये एक्स-किरणों के प्रयोग का यूएस पेटेंट
  • 1958 जर्मनी के स्तुटगार्ट में विश्व का प्रथम वाणिज्यिक विकिरणन संयंत्र
  • १९७० जर्मनी के कार्ल्सरुहे में अन्तरराष्ट्रीय खाद्य विकिरणन परियोजना की स्थापना
  • 1997 FAO, IAEA और WHO का संयुक्त अध्ययन दल ने सुझाया कि विकिरणन की कोई अधिकतम डोज सीमा नहीं होनी चाहिये।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]