ग़ुलात

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ग़ुलात​ (अरबी: غلاة‎) इस्लाम की शिया शाखा में उन अल्पसंख्यक मुस्लिम लोगों को कहा जाता है जो इस्लाम की कुछ ऐतिहासिक हस्तियों (अक्सर पैग़म्बर मुहम्मद के परिजनों) में दिव्य गुण देखते हैं या फिर किसी ऐसी चीज़ में विश्वास रखते हैं जो शिया मान्यता की मुख्यधारा से अलग हो। अरबी भाषा में 'ग़ुलात' का मतलब 'चरमपंथी' या 'बढ़ाने-चढ़ाने वाला' होता है क्योंकि माना जाता था कि यह लोग धार्मिक हस्तियों के गुणों का बखान अधिक बढ़ा-चढ़ाकर करते हैं। बाद में यह शब्द उन शियाओं के लिए इस्तेमाल होने लगा जो ज़ैदी शिया, द्वादशी शिया और इस्माइली शिया की तीन मुख्य शाखाओं में से किसी के सदस्य न हों।[1]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Mullahs on the Mainframe: Islam and Modernity among the Daudi Bohras, Jonah Blank, pp. 26, University of Chicago Press, 2001, ISBN 978-0-226-05676-0, ... A more dangerous source of confusion, in the early years at least, was that of the ghulats. The term ghulat (exaggerator) was coined by early Shia as a label of abuse for extremists who pushed the envelope of devotion to the imams past the limits of Islamic orthodoxy ...