आर एल सी परिपथ

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श्रेणीक्रम में जुड़े हुए R, L, C.
इस परिपथ में R, L, C श्रेणीक्रम में जुड़े हुए हैं।
समान्तर क्रम में जुड़े हुए संधारित्र और प्रेरकत्व; दाहिनी तरफ का परिपथ, बाईं तरफ के परिपथ का तुल्य परिपथ है।

आरएलसी परिपथ (RLC circuit) से अभिप्राय उस परिपथ से है जो प्रतिरोध (R), प्रेरकत्व (L) तथा संधारित्र (C) के श्रेणीक्रम या समान्तरक्रम संयोजन (connection) से बना हो। यह संयोजन वास्तव में LC दोलित्र (आसिलेटर) की तरह का एक हार्मोनिक फिल्टर है जिसमें R की उपस्थिति दोलनों का क्षय (damp) करती है। दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि शुद्ध LC परिपथ, RLC परिपथ का एक विशेष रूप (या शुद्ध रूप) है जिसमें प्रतिरोध (या डम्पिंग) शून्य हो।

यह परिपथ अत्यन्त उपयोगी है। दोलित्रों (oscillator circuit) में विविध प्रकार से इसका उपयोग होता है। रेडियो रिसिवरों और टेलीविजन में यह ट्यूनिंग (tuning) के काम आता है। RLC परिपथ को एलेक्ट्रॉनिक फिल्टर की भाँति प्रयोग किया जाता है और इससे बैण्ड-पास फिल्टर, बैण्ड-रिजेक्ट फिल्टर, लो-पास-फिल्टर या हाई-पास-फिल्टर बनाये जा सकते हैं। जब इसे ट्यूनिंग के काम में लिया जाता है तब यह बैण्ड-पास-फिल्टर की तरह काम करता है।

R, L और C इन तीनों अवयवों को भिन्न-भिन्न प्रकार से जोड़कर परिपथ बनाये जाते हैं। इनमें से दो परिपथ सबसे सरल हैं -

  • (1) RLC तीनों श्रेणीक्रम में जुड़े हों, और
  • (२) RLC तीनों समान्तरक्रम में जुड़े हों।

इन दोनों परिपथों का विश्लेषण अपेक्षाकृत बहुत आसान है और बिना कम्युटर के भी आसानी से विश्लेषित किया जा सकता है। किन्तु RLC के कुछ ऐसे संयोजन (कम्बिनेशन) भी हैं जिनका बहुत ही अधिक व्यावहारिक महत्त्व है और वे विश्लेषण की दृष्टि से कठिन हैं। इससे वरण कारी परिपथ भी कहते हैं इससे हम रेडियो की फ्रीक्वेंसी सेट कर सकते हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]