कार्बन-१४

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कार्बन-१४
सामान्य
नाम, चिह्न रेडियोप्रांगार,14C
न्यूट्रॉन 8
प्रोटोन 6
न्यूक्लाइड आंकड़े
प्राकृतिक भंडार १ पार्ट प्रति मिलियन
अर्धायु काल 5,730 ± 40 वर्ष
समस्थानिक द्रव्यमान 14.003241 u
स्पिन 0+
क्षय मोड क्षय ऊर्जा
बीटा 0.156476[1] MeV
वातावरणीय 14C, न्यूज़ीलैंड[2] एवं ऑस्ट्रिया.[3] न्यूज़ीलैंड वक्र आरेख दक्षिणी गोलार्ध के लिए, एवं ऑस्ट्रिया वक्र उत्तरी गोलार्ध के लिए सांकेतिक प्रतिनिधित्व करता है। वातावरणीय नाभिकीय हथियारों के परीक्षणों के कारण १४C की उत्तरी गोलार्ध में मात्रा लगभग दोगुनी हो गयी है।[4]

प्रांगार-१४, १४C, या रेडियोप्रांगार, प्रांगार का एक रेडियोधर्मी समस्थानिक है। प्रांगार १४ की खोज २७ फरवरी, १९४० में मार्टिन कैमेन और सैम रुबेन ने कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय विकिरण प्रयोगशाला, बर्कले में की थी। जब प्रांगार का अंश पृथ्वी में दब जाता है तब प्रांगार-१४ (१४C) का रेडियोधर्मिता के कारण ह्रास होता रहता है। पर प्रांगार के दूसरे समस्थाकनिकों का वायुमंडल से संपर्क विच्छे१द और प्रांगार-द्वि-ओषिद न बनने के कारण उनके आपस के अनुपात में अंतर हो जाता है। पृथ्वी में दबे प्रांगार में उसके समस्थानिकों का अनुपात जानकर उसके दबने की आयु का पता लगभग शताब्दी में कर सकते हैं।[5] हालांकि इसके अस्तित्त्व का संकेत १९३४ में फ़्रैन्ज़ क्यूरी ने दिया था।[6] इसके आण्विक नाभि में ६ प्रोटोन और ८ न्यूट्रॉन होते हैं।


सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. A.H Waptstra, G. Audi, and C. Thibault. "AME atomic mass evaluation 2003". मूल से 23 सितंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2007.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  2. "वायुमंडलीय δ14C रिकॉर्ड वेलिंग्टन से". प्रांगार द्विजारेय सूचना विश्लेषण केंद्र. मूल से 1 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १ मई २००८. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  3. 14प्रांगार द्विजारेय रिकॉर्ड वर्मुंट से". प्रांगार द्विजारेय सूचना विश्लेषण केंद्र. मूल से 23 सितंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १ मई २००८. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  4. "[[प्रांगार]] काल निर्धारण विधि". यूट्रेच विश्वविद्यालय. मूल से 9 दिसंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १ मई २००८. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद); URL–wikilink conflict (मदद)
  5. सभ्यरता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं- कालचक्र: सभ्यता की कहानी Archived 2011-09-20 at the वेबैक मशीन१९ फरवरी, २००८। मेरी कलम से
  6. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर