वृक्ष रेखा

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मई २००९ में सेंट मॉरिट्ज़, स्विटज़रलैंड के उपर की वृक्ष रेखा।

वृक्ष रेखा, पर्यावास की वो सीमा है जहाँ पर वृक्ष उग पाने में सक्षम होते हैं। वृक्ष रेखा के पार, वृक्ष पर्यावरण की विषम परिस्थितियों जैसे कि बहुत कम तापमान, अपर्याप्त वायु दाब और/ या आर्द्रता की कमी के कारण उग पाने में असमर्थ होते हैं। कुछ मत एक अतिरिक्त गहरी काष्टरेखा की भी व्याख्या करते हैं, जहां पेड़ों के तनों का विकास संभव होता है।

वृक्ष रेखा के ठीक उपर, वृक्षों का विकास अवरुद्ध रहता है और वृक्ष अक्सर घनी झाड़ियों रूप में ही उगते हैं। अगर यह हवा के कारण होता है, तो इसे क्रमहोल्ज़ के नाम से जाना जाता है, जो एक जर्मन शब्द है और जिसका अर्थ मुड़ी हुई लकड़ी है।

दूर से देखने पर वृक्ष रेखा अन्य कई प्राकृतिक रेखाओं (जैसे कि किसी झील के किनारे) के समान बड़ी स्पष्ट दिखाई पड़ती है, पर अधिकतर स्थानों पर निकट से निरीक्षण करने यह संक्रमण क्रमिक होता है। जैसे जैसे हम उपर की ओर बढ़ते हैं जलवायु के विषम होने के साथ वृक्षों की ऊँचाई कम होती जाती है और एक बिन्दु पर आकर वृक्ष उगना बंद कर देते हैं।

प्रकार[संपादित करें]

अल्पाइन वृक्ष रेखा[संपादित करें]

मरुस्थल वृक्ष रेखा[संपादित करें]

मरुस्थल-अल्पाइन वृक्ष रेखा[संपादित करें]

दोहरी वृक्ष रेखा[संपादित करें]

आर्कटिक वृक्ष रेखा[संपादित करें]

अंटार्कटिक वृक्ष रेखा[संपादित करें]

अन्य वृक्ष रेखायें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]