आइस स्केटिंग

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आस्ट्रिया में आउटडोर आइस स्केटिंग

आइस स्केटिंग यानि बर्फ पर स्केटिंग का अर्थ है बर्फ पर आइस स्केट्स की मदद से चलना. यह कई सारे कारणों से की जा सकती है जिसमें छुट्टी, यात्रा और कई प्रकार के खेल शामिल हैं। आइस स्केटिंग भीतरी और बाहरी दोनों तरह के खेल मैदानों (ट्रैक्स) के साथ ही जमे हुए पानी के प्राकृतिक बर्फीले मैदानों जैसे झीलों और नदियों पर भी होती है।

इतिहास[संपादित करें]

17 वीं सदी डच चित्रकार हैंड्रिक ऐवरकैम्प द्वारा 'स्केटिंग फन'.
सेंट्रल पार्क, न्यूयॉर्क शहर, विंटर स्केटिंग रोड, 1862.

ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय के फेडरिको फोरमेंटी (Fedrico Formenti) के अध्ययन के अनुसार सबसे पहले आइस स्केटिंग करीब चार हजार साल पहले दक्षिणी फिनलैंड में हुई थी।[1] मूलतया स्केट्स केवल तीखे चपटी हड्डियां थीं जिन्हें पांव के तलों से बांध लिया जाता था। उस दौरान स्केटर (स्केट्स बांध कर चलने वाला शख्स) वास्तव में बर्फ पर स्केटिंग नहीं करते थे बल्कि यह ज्यादातर मामलों में बर्फ की सतह पर फिसलना होता था। सही मायनों में स्केटिंग की शुरुआत तब हुई जब सके लिए तीखे किनारों वाली इस्पाती पत्तियों (ब्लेड) का इस्तेमाल शुरू हुआ। अब स्केट्स बर्फ के ऊपर फिसलने की बजाय इसे काट रहे थे। 13 वीं और 14 वीं शताब्दी में डच नागरिकों ने इसमें तीखे किनारों को जोड़ दिया. ये आइस स्केट्स इस्पात के बने होते थे और इन्हें गति देने के लिए इनके नीचे के किनारे तीखे होते थे। आधुनिक स्केट्स का निर्माण मोटे तौर पर तब से अब तक लगभग वैसा ही बना हुआ है।

नीदरलैंड में आइस स्केटिंग सभी वर्गों के लोगों के लिए समान रूप से उचित मानी जाती रही है, जैसा कि ओल्ड मास्टर्स के कई चित्रों में दिखाया गया है। इंगलैण्ड के जैम्स द्वितीय अपने निर्वासन के दौरान नीदरलैंड पहुंचे और वे इस खेल के दीवाने हो गए। जब वे वापस इंग्लैण्ड लौटे तो उन्होंने ब्रिटिश राजपरिवार को इस नए खेल से परिचित करवाया और जल्द ही यह जीवन के सभी क्षेत्रों से सम्बद्ध रखते लोगों में लोकप्रिय हो गया। कहा जाता है[कौन?] कि महारानी विक्टोरिया ने अपने संभावित पति, प्रिंस अल्बर्ट, को इसी प्रकार के आइस स्केटिंग दौरों के दौरान बेहतर तरीके से जाना था।[उद्धरण चाहिए] इस दौरान फिनलैंड के कृषि कामगार तीव्र स्केटिंग (स्पीड स्केटिंग)[उद्धरण चाहिए] के महारथी हो गए थे। हालांकि अन्य स्थानों पर आइस स्केटिंग में सहभागिता केवल उच्च वर्ग के लोगों तक सीमित थी। पवित्र रोमन साम्राज्य के सम्राट रुडोल्फ।। (Rudolf।।) आइस स्केटिंग को बहुत पसंद करते थे और उन्होंने इस खेल को लोकप्रिय बनाने के लिए अपने दरबार में एक बड़ा बर्फ का मैदान (carnival) भी बनवाया था। फ्रांस के राजा लुइस 16वें अपने समय में आइस स्केटिंग को पेरिस ले कर आए. आइस स्केटिंग और आइस हॉकी के अन्य शाही, उच्चवर्गीय प्रशंसकों में मैडम डे पोम्पाडोअर, नेपोलियन प्रथम, नेपोलियन तृतीय और हाउस ऑफ स्टुअर्ट शामिल थे।

स्केटिंग की भौतिक यांत्रिकी[संपादित करें]

आउटडोर आइस स्केटिंग क्षेत्र.

बर्फ पर स्केट्स इसलिए काम करते हैं क्योंकि स्केट्स जूतों के नीचे की धात्विक पत्तियां बर्फ की सतह पर बेहद कम घर्षण के साथ फिसल सकती हैं। हालांकि पत्ती पर हल्का सा झुक कर, दबाव बढ़ाकर और इनमें से एक किनारे को बर्फ के अन्दर धंसा कर (रॉक ओवर एण्ड बाइट) स्केटर घर्षण बढ़ाने की क्षमता हासिल कर सकता है और अपनी इच्छानुसार गति पर नियंत्रण कर सकते हैं। इसके साथ ही, घुमावदार रास्ते को चुनकर और इस दौरान पृथ्वी के केन्द्र के अनुसार (रेडियली) खुद को झुका कर और अपने घुटनों को मोड़ कर स्केटर अपनी गति बढ़ाने और नियंत्रित करने के लिए गुरुत्वाकर्षण का उपयोग भी कर सकते हैं। वे पत्तियों को घुमावदार मार्ग में जहां बर्फ के कटाव हैं उसके विपरीत दबाव, धकेल कर भी गति उत्पन्न कर सकते हैं। झुकाव और धकेलने की इन दोनों क्रियाओं को सूझ बूझ भरी योग्यता के साथ उपयोग- जिसे तकनीकि तौर पर ड्राइंग के रूप में जाना जाता है- करने पर स्केटर बर्फ पर बिना किसी प्रयास के पूर्ण गौरवमयी तरीके वक्ररेखीय प्रदर्शन कर सकता है। हालांकि यह कम घर्षण युक्त सतह किस प्रकार बनती है इसका वास्तविक कारण ज्ञात नहीं है, पर फिर भी इस बारे में काफी कुछ जानकारी उपलब्ध है। इसे नीचे विस्तार से समझाया गया हैः प्रयोगों से पता चलता है कि बर्फ का न्यूनतम गतिमान घर्षण -70 सेल्सियस (190 फारहेनहाइट) पर होता है और अधिकांश अन्तरगृहिय स्केटिंग रिंक्स (बर्फ के मैदान) अपना तंत्र इसी तापमान के अनुरूप व्यवस्थित करते हैं।[उद्धरण चाहिए] वास्तव में आकलित इतनी कम घर्षण मात्रा को समझा पाना भौतिकविदों के लिए कठिन है, खासकर इतने कम तापमान में.[उद्धरण चाहिए] -20 डिग्री सेल्सियस (-4 डिग्री फारहेनहाइट) से अधिक तापमान पर बर्फ की किसी भी सतह पर हमेशा द्रवित पानी की एक पतली फिल्म सी होती है, जिसकी मोटाई कुछ अणुओं से लेकर हजारों अणुओं तक हो सकती है। और यह इसलिए होता है क्योंकि इस प्रकार की क्रिस्टलीय संरचना की सतह एक दम रुखी होना संभव नहीं होता. इस द्रवित परत की मोटाई लगभग पूरी तरह से बर्फ की सतह के तापमान पर निर्भर करती है, जहां ऊंचे तापमान का अर्थ मोटी परत होगा. हालांकि स्केटिंग -20 डिग्री सेल्सियस से कहीं कम तापमान पर संभव है। अर्थात् वह तापमान जहां द्रव की प्राकृतिक परत पैदा नहीं होती. जब किसी आइस स्केट की पत्ती बर्फ के ऊपर से गुजरती है बर्फ के अन्दर दो तरह के परिवर्तन आते है, गतिज घर्षण और उर्जा की गर्मी के कारण बर्फ के पिघलने से इसके भौतिक स्वरूप में परिवर्तन और दूसरा इसके तापमान में परिवर्तन होता है।

खतरे[संपादित करें]

आइस स्केटिंग का प्राथमिक खतरा तो बर्फ पर गिरने का है। गिरने की आशंका बर्फ के खुरदरेपन, आइस स्केट्स के आकार प्रकार और स्केटर के अनुभव औऱ क्षमताओं पर निर्भर करती है। हालांकि गंभीर चोट आने का खतरा बहुत कम होता है, पर कई छोटे खेल मैदानों में स्केटर्स बोर्ड्स से टकरा कर लकवाग्रस्त हो चुके हैं। गिरने पर एक और खतरा खुद के स्केट्स के ब्लेड्स या दूसरों के स्केट्स के ब्लेड्स से घायल होने का भी होता है। यदि सिर की चोट से बचने के लिए हेलमेट नहीं पहना हो तो गिरना बहुत घातक हो सकता है। हालांकि दुर्घटनाएं बहुत कम होती हैं पर जोड़े में स्केटिंग करने या एक साथ स्केटिंग, आमने सामने की दौड़ के दौरान इनकी आशंकाएं ज्यादा होती हैं।

दूसरा और अधिक गम्भीर खतरा तब होता है जब कोई खुले में किसी प्राकृतिक तौर पर जमे हुए पानी के बर्फ के मैदान पर स्केटिंग के दौरान बर्फ के होते हुए जमे हुए पानी में गिर जाए. इससे गम्भीर चोट पहुंचाने के साथ ही सदमे, हाइपोथर्मिया और पानी में डूबने के कारण मृत्यु भी हो सकती है। बर्फ के लगातार टूटते चले जाने, स्केट्स और सर्दी से बचने के लिए पहने गए भारी कपड़ों के कारण स्केटर के लिए पानी में से निकल कर बर्फ के ऊपर आना बहुत मुश्किल और कई मामलों में असंभव होता है। साथ ही इस प्रयास में स्केटर अचेतन भी हो सकता है या फिर वह जिस छेद से पानी में गिरा होता है उसे ढूंढ पाने में भी असफल हो सकता है। जिसका परिणाम पानी में डूबने या हाईपोथर्मिया के रूप में सामने आ सकता है, लेकिन तेजी से ठंडक पहुंचाकर ऐसा वातारवरण बनाया जा सकता है कि कोई पानी में गिरने के घंटों बाद तक जीवित रह सकता है। सुरक्षा के लिए किसी को भी अंधेरे में अकेले स्केट नहीं करना चाहिए, जब भी कोई कीसी झील या नदी पर जाए तो अपने साथ कीलें और बर्फ की हथौड़ी हमेशा रखने का नियम बना लेना चाहिए. ये किसी भी भटके हुए स्केटर को पानी में गिरने के बाद बर्फ पर पकड़ बनाने में मदद कर सकते हैं। इनकी सहायता से दुर्भाग्यशाली स्केटर्स अपने आपको पानी से बाहर निकाल सकते हैं।

केवल नई साफ बर्फ के लिए सामान्य बर्फ मोटाई मार्गदर्शनःसन्दर्भ त्रुटि: अमान्य <ref> टैग; (संभवतः कई) अमान्य नाम

  • 2" या कम - दूर रहें
  • 4 "- बर्फ पर मछली पकड़ना या अन्य पैदल गतिविधियां
  • 5 "- स्नोमोबाइल या एटीवी
  • 8 "- 12" - कार या छोटे पिकअप वाहन
  • 12 "- 15" - मध्यम ट्रक

जब समूह में स्केटिंग करते हैं तो आइस स्केटिंग जूतों के तेज ब्लेड से कटने की गंभीर घटना हो सकती है।[2]

बर्फ पर सामुदायिक खेल[संपादित करें]

बर्फ पर कई सारे मनोरंजक खेल खेले जा सकते हैं

  • आइस हॉकी
  • रूसेट (Rousette) स्केटिंग आइस हॉकी पर आधारित एक मनोरंजक खेल है
  • अलग अलग नियमों के साथ कई सारे टैग खेल

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • टूर स्केटिंग
  • फिगर स्केटिंग
  • दलदल स्केटिंग
  • स्केटिंग स्पीड
  • पतंग आइस स्केटिंग

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Federico Formenti, Alberto E. Minett. "The first humans traveling on ice: an energy-saving strategy?". author में |last1= अनुपस्थित (मदद)[मृत कड़ियाँ]
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 13 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जून 2020.

फॉरमेंटी एफ. और मिनेटी एई (2007) बर्फ पर मानव गतिविधि: इतिहास के माध्यम से बर्फ स्केटिंग एनर्जेटिक्स का विकास

फॉरमेंटी एफ. और मिनेटी एई ([मृत कड़ियाँ]2008) बर्फ पर पहले मानव यात्री: एक ऊर्जा की बचत रणनीति?[मृत कड़ियाँ] आइस स्केटिंग

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]