"आत्महत्या": अवतरणों में अंतर

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===मानसिक बीमारी===
===मानसिक बीमारी===
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों में उपचार के कई प्रकार आत्महत्या के जोखिम को कम कर सकते हैं। वे लोग जो सक्रिय रूप से आत्महत्या के जोखिम में आते हैं उनको उनकी इच्छा से या बलपूर्वक मानसिक देखभाल में भर्ती किया जा सकता है।<ref name=EB2011/>वे चीजें जो ऐसे लोगों को हानि पहुंचा सकती हैं, आम तौर पर हटा दी जाती हैं।<ref name=Tint2010>{{cite book |author=Tintinalli, Judith E. |title=Emergency Medicine: A Comprehensive Study Guide (Emergency Medicine (Tintinalli)) |publisher=McGraw-Hill Companies |location=New York |year=2010|pages=1940–1946|isbn=0-07-148480-9 |oclc= |doi= |accessdate=}}</ref> कुछ चिकित्सक रोगियों से [[आत्महत्या रोकथाम अनुबंध]] पर हस्ताक्षर कराते हैं जिसके माध्यम से वे छोड़े जाने पर खुद को नुक्सान न पहुंचाने पर सहमित प्रदान करते हैं।<ref name=EB2011/> हलांकि, साक्ष्य इस अभ्यास के प्रभावी होने का संकेत नहीं देते हैं।<ref name=EB2011/> यदि कोई व्यक्ति निम्न जोखिम पर है तो वाह्य-[[रोगी]] मानसिक स्वास्थ्य उपचार का प्रबंध किया जा सकता है<ref name=Tint2010/> पुराने आत्महत्या करने की मनस्थिति वाले वे लोग जो [[सीमांत व्यक्तित्व विकार]] से पीड़ित हैं उनमें लघु-अवधि के लिए अस्पताल में भर्ती किए जाने को सामुदायिक देखभाल से बेहतर नहीं देखा गया है।<ref>{{Cite journal|last=Paris|first=J|title=Is hospitalization useful for suicidal patients with borderline personality disorder?|journal=Journal of personality disorders|date=June 2004|volume=18|issue=3|pages=240–7|pmid=15237044|doi=10.1521/pedi.18.3.240.35443}}</ref><ref>{{cite journal|last=Goodman|first=M|coauthors=Roiff, T; Oakes, AH; Paris, J|title=Suicidal risk and management in borderline personality disorder.|journal=Current psychiatry reports|date=2012 Feb|volume=14|issue=1|pages=79–85|pmid=22113831|doi=10.1007/s11920-011-0249-4}}</ref>
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों में उपचार के कई प्रकार आत्महत्या के जोखिम को कम कर सकते हैं। वे लोग जो सक्रिय रूप से आत्महत्या के जोखिम में आते हैं उनको उनकी इच्छा से या बलपूर्वक मानसिक देखभाल में भर्ती किया जा सकता है।<ref name=EB2011/>वे चीजें जो ऐसे लोगों को हानि पहुंचा सकती हैं, आम तौर पर हटा दी जाती हैं।<ref name=Tint2010>{{cite book |author=Tintinalli, Judith E. |title=Emergency Medicine: A Comprehensive Study Guide (Emergency Medicine (Tintinalli)) |publisher=McGraw-Hill Companies |location=New York |year=2010|pages=1940–1946|isbn=0-07-148480-9 |oclc= |doi= |accessdate=}}</ref> कुछ चिकित्सक रोगियों से [[आत्महत्या रोकथाम अनुबंध]] पर हस्ताक्षर कराते हैं जिसके माध्यम से वे छोड़े जाने पर खुद को नुक्सान न पहुंचाने पर सहमित प्रदान करते हैं।<ref name=EB2011/> हलांकि, साक्ष्य इस अभ्यास के प्रभावी होने का संकेत नहीं देते हैं।<ref name=EB2011/> यदि कोई व्यक्ति निम्न जोखिम पर है तो वाह्य-[[रोगी]] मानसिक स्वास्थ्य उपचार का प्रबंध किया जा सकता है<ref name=Tint2010/> पुराने आत्महत्या करने की मनस्थिति वाले वे लोग जो [[सीमांत व्यक्तित्व विकार]] से पीड़ित हैं उनमें लघु-अवधि के लिए अस्पताल में भर्ती किए जाने को सामुदायिक देखभाल से बेहतर नहीं देखा गया है।<ref>{{Cite journal|last=Paris|first=J|title=Is hospitalization useful for suicidal patients with borderline personality disorder?|journal=Journal of personality disorders|date=June 2004|volume=18|issue=3|pages=240–7|pmid=15237044|doi=10.1521/pedi.18.3.240.35443}}</ref><ref>{{cite journal|last=Goodman|first=M|coauthors=Roiff, T; Oakes, AH; Paris, J|title=Suicidal risk and management in borderline personality disorder.|journal=Current psychiatry reports|date=2012 Feb|volume=14|issue=1|pages=79–85|pmid=22113831|doi=10.1007/s11920-011-0249-4}}</ref>
इस बात के अंतरिम साक्ष्य उपलब्ध हैं कि [[मानसिक उपचार]], विशेष रूप से [[डायालेक्ट्रिक बिहेवियरल उपचार]], किशोरों में<ref name=Can2010>{{cite journal|last=Canadian Agency for Drugs and Technologies in Health|first=(CADTH)|title=Dialectical behaviour therapy in adolescents for suicide prevention: systematic review of clinical-effectiveness.|journal=CADTH technology overviews|year=2010|volume=1|issue=1|pages=e0104|pmid=22977392|pmc=3411135}}</ref> तथा साथ ही [[सीमांत व्यक्तित्व विकार]] वाले लोगों में आत्महत्या की प्रवृति को कम करता है। <ref>{{cite journal|last=Stoffers|first=JM|coauthors=Völlm, BA; Rücker, G; Timmer, A; Huband, N; Lieb, K|title=Psychological therapies for people with borderline personality disorder.|journal=Cochrane database of systematic reviews (Online)|date=2012 Aug 15|volume=8|pages=CD005652|pmid=22895952|doi=10.1002/14651858.CD005652.pub2}}</ref> हलांकि इस बात के साक्ष्य नहीं मिले हैं कि अंततः आत्महत्या में कमी हुई हो।<ref name=Can2010/>
इस बात के अंतरिम साक्ष्य उपलब्ध हैं कि [[मानसिक उपचार]], विशेष रूप से [[डायालेक्ट्रिक बिहेवियरल उपचार]], किशोरों में<ref name=Can2010>{{cite journal|last=Canadian Agency for Drugs and Technologies in Health|first=(CADTH)|title=Dialectical behaviour therapy in adolescents for suicide prevention: systematic review of clinical-effectiveness.|journal=CADTH technology overviews|year=2010|volume=1|issue=1|pages=e0104|pmid=22977392|pmc=3411135}}</ref> तथा साथ ही [[सीमांत व्यक्तित्व विकार]] वाले लोगों में आत्महत्या की प्रवृति को कम करता है। <ref>{{cite journal|last=Stoffers|first=JM|coauthors=Völlm, BA; Rücker, G; Timmer, A; Huband, N; Lieb, K|title=Psychological therapies for people with borderline personality disorder.|journal=Cochrane database of systematic reviews (Online)|date=2012 Aug 15|volume=8|pages=CD005652|pmid=22895952|doi=10.1002/14651858.CD005652.pub2}}</ref> हलांकि इस बात के साक्ष्य नहीं मिले हैं कि अंततः आत्महत्या में कमी हुई हो।<ref name=Can2010/>[[अवसाद-रोधी दवाओं]] के लाभ बनाम हानियों पर विवाद है।<ref name=Hawton2012/> युवा लोगों में नई अवसाद रोधी दवाओं जैसे [[Selective serotonin reuptake inhibitor|SSRIs]] आत्महत्या की प्रवृत्ति को 25 प्रति 1000 से 40 प्रति 1000 तक बढ़ाती दिखती है।<ref>{{cite journal|last=Hetrick|first=SE|coauthors=McKenzie, JE; Cox, GR; Simmons, MB; Merry, SN|title=Newer generation antidepressants for depressive disorders in children and adolescents.|journal=Cochrane database of systematic reviews (Online)|date=2012 Nov 14|volume=11|pages=CD004851|pmid=23152227|doi=10.1002/14651858.CD004851.pub3}}</ref> हलांकि बुजुर्गों में जोखिम कम हो सकता है।<ref name=EB2011/> [[लीथियम]] उन लोगों में जोखिम कम करने में प्रभावी दिखता है जिनमें द्विध्रुवीय विकार और एकध्रुवीय अवसाद समान्य जनसंख्या जितने स्तर पर दिखता है।<ref>{{cite journal|last=Baldessarini|first=RJ|coauthors=Tondo, L; Hennen, J|title=Lithium treatment and suicide risk in major affective disorders: update and new findings.|journal=The Journal of clinical psychiatry|year=2003|volume=64 Suppl 5|pages=44–52|pmid=12720484}}</ref><ref>{{cite journal|last=Cipriani|first=A|coauthors=Pretty, H; Hawton, K; Geddes, JR|title=Lithium in the prevention of suicidal behavior and all-cause mortality in patients with mood disorders: a systematic review of randomized trials.|journal=The American Journal of Psychiatry|date=2005 Oct|volume=162|issue=10|pages=1805–19|pmid=16199826|doi=10.1176/appi.ajp.162.10.1805}}</ref>


== चीन में आत्महत्या ==
== चीन में आत्महत्या ==

20:01, 13 जनवरी 2014 का अवतरण

Suicide
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
The Suicide by Édouard Manet 1877–1881
आईसीडी-१० X60.X84.
आईसीडी- E950
मेडलाइन प्लस 001554
ईमेडिसिन article/288598 
एम.ईएसएच F01.145.126.980.875

आत्महत्या (लैटिन suicidium, sui caedere से, जिसका अर्थ है "खुद को मारना") जानबूझ कर अपनी मृत्यु का कारण बनने के लिए कार्य करना है। आत्महत्या अक्सर निराशा के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद, द्विध्रुवीय विकार, मनोभाजन, शराब की लत या मादक दवाओं का सेवनजैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है।[1] तनाव के कारक जैसे वित्तीय कठिनाइयां या पारस्परिक संबंधों में परेशानियों की भी अक्सर एक भूमिका होती है। आत्महत्या को रोकने के प्रयासों में आग्नेयास्त्रों तक पहुंच को सीमित करना, मानसिक बीमारी का उपचार करना तथा नशीली दवाओं के उपयोग को रोकना तथा आर्थिक विकास को बेहतर करना शामिल हैं।

आत्महत्या करने के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आम विधि, देशों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है और आंशिक रूप से उपलब्धता से संबंधित है। आम विधियों में निम्नलिखित शामिल हैं: लटकना, कीटनाशक ज़हर पीना और बंदूकें। लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिस कारण से यह दुनिया का दसवे नंबर का मानव मृत्यु का कारण है।[1][2] पुरुषों से महिलाओं में इसकी दर अधिक है, पुरुषों में महिलाओं की तुलना में इसके होने का समभावना तीन से चार गुना तक अधिक है।[3] अनुमानतः प्रत्येक वर्ष 10 से 20 मिलियन गैर-घातक आत्महत्या प्रयास होते हैं।[4] युवाओं तथा महिलाओं में प्रयास अधिक आम हैं।

इतिहास सम्मान और जीवन का अर्थ जैसे व्यापक अस्तित्व विषयों द्वारा आत्महत्या के विचारों पर प्रभाव पड़ता है। अब्राहमिक धर्म पारम्परिक रूप से आत्महत्या को ईश्वर के समक्ष किया जाने वाला पाप मानते हैं क्योंकि वे जीवन की पवित्रतामें विश्वास करते हैं। जापान में सामुराई युग में, सेप्पुकू को विफलता का प्रायश्चित या विरोध का एक रूप माना जाता था। सती, जो अब कानूनन निषिद्ध है हिंदू दाह संस्कार है, जो पति की चिता पर विधवा द्वारा खुद को बलिदान करने से संबंधित है, यह अपनी इच्छा या परिवार व समाज के दबाव में किया जाता था।[5]

आत्महत्या और आत्महत्या का प्रयास, पूर्व में आपराधिक रूप से दंडनीय था लेकिन पश्चिमी देशों में अब ऐसा नहीं है। बहुत से मुस्लिम देशों में यह आज भी दंडनीय अपराध है। 20वीं और 21 वीं शताब्दी में आत्मदाह के रूप में आत्महत्या विरोध का एक तरीका है और कामीकेज़ और आत्मघाती वम विस्फोट को फौजी या आतंकवादी युक्ति के रूप में उपयोग किया जाता है।[6]

परिभाषा

आत्महत्या जिसे पूर्ण आत्महत्या भी कहा जाता है, “अपना जीवन स्वयं समाप्त” करने की क्रिया है।[7] आत्महत्या का प्रयास या गैर-घातक आत्महत्या व्यवहार स्वयं को घायल करना है, जिसके साथ अपने जीवन को समाप्त करने की इच्छा शामिल होती है और इसमें मृत्यु नहीं होती है।[8] सहाय्यित आत्महत्या वह है जब एक व्यक्ति किसी दूसरे को उसकी आत्महत्या के लिए प्रेरित करता है या सहायता करता है।[9] यह इच्छामृत्यु के विपरीत है जहां पर व्यक्ति किसी व्यक्ति की मृत्यु की इच्छा को पूरा करने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभाता है।[9] आत्महत्या का विचार अपने जीवन को समाप्त करने के बारे में विचार करना है।[8]

जोखिम कारक

2008 में अमरीका के 16 राज्यों में आत्महत्या को प्रेरित करने वाली परिस्थितियां।[10]

आत्महत्या के जोखिम को प्रभावित करने वाले कारकों में मानसिक विकार, औषधि दुरुपयोग, मानसिक अवस्थाएं, संस्कृति, परिवार और सामाजिक परिस्थितियां तथा आनुवांशिकी शामिल है।[11] मानसिक रोग और नशीले पदार्थ के दुरुपयोग आम तौर पर आपस में संबंधित दिखते हैं।[12] अन्य जोखिम कारकों में पूर्व में आत्महत्या के किए गए प्रयास,[13] ऐसा करने के लिए साधनों की आसान उपलब्धता, आत्महत्या का पारिवारिक इतिहास या घातक मस्तिष्क चोट भी शामिल हैं। [14] उदाहरण के लिए, उन परिवारों में आत्महत्या की दर अधिक है जिनके पास बंदूक जैसे हथियार है।[15] सामाजिक आर्थिक कारक जैसे बेरोजगारी, गरीबी, बेघर होना और भेदभाव किया जाना, आत्महत्या के विचारों को पैदा कर सकते हैं। को पैदा कर सकते हैं।[16] लगभग 15–40% लोग सुसाइड नोट छोड़ते हैं।[17] आत्महत्या के व्यवहारों के लिए आनुवांशिकी 38% से 55% तक जिम्मेदार दिखती है।[18] बुजुर्ग योद्धाओं के साथ आत्महत्या का जोखिम अधिक है क्योंकि उनमें युद्ध से संबंधित मानसिक बीमारी और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की दर अधिक होती है।[19]

मानसिक विकार

मानसिक विकार आम तौर पर आत्महत्या के समय उपस्थित रहते हैं जिनका अनुमान 27 से लेकर[20] 90 प्रतिशत से अधिक तक होता है।[13] वे जिनको किसी मनोवैज्ञानिक इकाइयों में भर्ती किया गया हो उनके द्वारा जीवन में आत्महत्या को पूरा करने की संभावना 8.6 प्रतिशत होती है।[13] आत्महत्या करके मरने वाले समस्त लागों में से आधे को प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार होता है; इसके या द्विध्रुवी विकार जैसे दूसरे मनोदशा विकारों के कारण आत्महत्या का जोखिम 20 गुना तक बढ़ जाता है।[21] अन्य परिस्थितयों में विखंडितमनस्कताग्रस्त(14%), व्यक्तित्व विकार (14%),[22] द्विध्रुवी विकार [21] और अभिघातज तनाव पश्चात विकार शामिल है।[13] विखंडितमनस्कताग्रस्त से पीड़ित लगभग 5% लोग आत्महत्या के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं।[23] भोजन विकार एक और उच्च जोखिम परिस्थिति है।[24]पहले के आत्महत्या के प्रयासों का इतिहास आत्महत्या के अंततः पूर्ण होने का सबसे बड़ा भविष्यवक्ता होता है।[13] आत्महत्या के लगभग 20% मामलों में पहले भी प्रयास होते हैं और जो पहले आत्महत्या का प्रयास कर चुके होते हैं उनमें से 1% लोग, एक साल के भीतर ही आत्महत्या पूर्ण कर लेते हैं [13] और 5% से अधिक 10 सालों के बाद आत्महत्या करते हैं।[24] जबकि खुद को चोट पहुंचाने की क्रिया को आत्महत्या के प्रयास के रूप में नहीं देखा जाता है, फिर भी खुद को चोट पहुंचाने से संबंधित व्यवहार को आत्महत्या के बढ़े जोखिम से जोड़ कर देखा जाता है।[25] पूर्ण हुए आत्महत्या के लगभग 80% मामलों में लोग अपनी मृत्यु के पहले एक साल के भीतर चिकित्सक से मिल होते हैं,[26] इनमें से 45% पिछले माह ही मिले होते हैं।[27] आत्महत्या पूरा करने वालों में से 25–40% लोगों ने पिछले साल मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से संपर्क किया था।[20][26]

मादक पदार्थ उपयोग

"दी ड्रंकयार्ड प्रोग्रेस", 1846 इसका प्रदर्शन कि किस प्रकार से अल्कोहल की आदत आत्महत्या को प्रेरित कर सकता है

बड़े अवसाद और द्विध्रुवी विकार के बाद मादक पदार्थ उपयोग आत्महत्या का दूसरा सबसे आम जोखिम कारक है।[28] काफी लंबे समय तक मादक पदार्थ उपयोग तथा तीव्र नशा दोनो ही संबंधित हैं।[12][29] जब इनको एकाकीपन जैसे निजी विषाद के साथ जोड़ा जाता है तो जोखिम और बढ़ जाता है।[29] इसके अतिरिक्त मादक पदार्थ दुरुपयोग मानसिक स्वाथ्य विकारों से संबंधित है।[12] आत्महत्या करने वाले अधिकतर लोग, आत्महत्या करते समय शामक कृत्रिम निद्रावस्था दवाएं (जैसे कि अल्कोहल या बेंज़ोडाइज़ेपाइन्स) के प्रभाव में होते हैं[30]जिनमें अल्कोहल के नशे की उपस्थिति की मात्रा 15% से 61% मामलों में हो सकती है।[12] वे देश जहाँ पर अल्कोहल उपयोग की दर उच्च है तथा मदिरालयों का घनत्व अधिक है उनके यहां पर आत्महत्या की दर उच्च है [31] यह संयोग प्राथमिक रूप से आसवित सुरा के उपयोग से संबंधित है न कि अल्कोहल के कुल उपयोग से।[12] अल्कोहल से उपचार किए गए लोगों में से लगभग 2.2–3.4% वे लोग हैं जिन्होने अपने जीवन में आत्महत्या से मृत्यु प्राप्त करने का प्रयास किया है।[31]अल्कोहल के नशेड़ी जिन्होने आत्महत्या का प्रयास किया वे आम तौर पर पुरुष, बुजुर्ग और पहले आत्महत्या का प्रयास कर चुके लोग हैं।[12]हेरोइन का उपयोग करने वालों में होने वाली म़त्यु का 3 से लेकर 35% तक आत्महत्या के कारण मरे थे (यह उनकी संख्या का 14 गुना है जो इनका उपयोग नहीं करते हैं)।[32]

The misuse of कोकीन और मेथाम्फेटामीन तथा आत्महत्या के बीच उच्च अंतःसंबंध है।[12][33]वे जो कोकीन का उपयोग करते हैं उनमें इस अवस्था की वापसी के जोखिम काफी अधिक हैं।[34] Those who used श्वसन द्वारा ग्रहण किए जाने वाले नशीले पदार्थ का उपयोग करने वाले भी बड़े जोखिम में है जिसमें से लगभग 20% कभी न कभी आत्महत्या का प्रयास करते हैं और 65% इसके बारे में सोचते हैं।[12] सिगरेट पीना भी आत्महत्या के जोखिम से जुड़ा है।[35] इस बात के साक्ष्य काफी कम हैं कि यह संबंध क्यों अभी भी मौजूद है; हलांकि यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि जो धूम्रपान के प्रति संवेदनशील होते हैं वे आत्महत्या के प्रति भी संवेदनशील होते हैं और धूम्रपान स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है जिसके चलते लोग अपना जीवन समाप्त करना चाहते हैं और धूम्रपान मस्तिष्क की रासायनिक संरचना को प्रभावित करती है।[35] भांग के कारण स्वतंत्र रूप से यह जोखिम बढ़ता नहीं दिखता है।[12]

जुएं की लत

जुएं की लत का सम्बन्ध सामान्य जनसंख्या की अपेक्षा बढ़े हुए आत्महत्या के विचार तथा प्रयासों के साथ है। [36] 12 से 24% लती जुआरी आत्महत्या का प्रयास करते हैं।[37]उनकी पत्नियों के बीच आत्महत्या की दर सामान्य जनसँख्या की अपेक्षा तीन गुना अधिक होती है। [37] लती जुआरियों में जोखिम को बढ़ाने वाले अन्य कारकों में मानसिक व्याधियां, अल्कोहल तथा नशीली दवाओं का सेवन आदि हैं। [38]

चिकित्सा स्थितियां

आत्महत्या की प्रवत्ति तथा शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं के बीच सम्बन्ध है जैसे: [24]पुराने दर्द,[39] अभिघातजन्य मस्तिष्क की चोट,[40] कैंसर,[41]ऐसे व्यक्ति जो हीमोडायलिसिस पर हों, एचआईवी, सिस्टमिक ल्युपस एरीथेमाटोटस तथा कुछ अन्य बीमारियाँ।[24] कैंसर की पहचान के पश्चात आत्महत्या के बाद खतरा लगभग दोगुना हो जाता है। [41] आत्महत्या की बढ़ी हुई प्रवृत्ति अवसादग्रस्तता की बीमारी और शराब के अत्यधिक सेवन के समायोजन के बाद भी बनी रहती है। एक से अधिक चिकित्सा स्थिति वाले व्यक्तियों में, जोखिम विशेष रूप से ऊंचा था। जापान में स्वास्थ्य समस्याओं को आत्महत्या के प्राथमिक औचित्य के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है। [42]नींद की समस्याएं जैसे कि अनिद्रा[43] तथा स्लीप एप्निया अवसाद और आत्महत्या के लिए जोखिम कारक हैं। कुछ मामलों में नींद की समस्याएं अवसाद से अलग एक जोखिम कारक हो सकती हैं। [44] कई अन्य चिकित्सा स्थितियां मनोदशा विकारों के लक्षणों के साथ उपस्थित हो सकती हैं, जैसे: हाइपोथायरायडिज्म, अल्जाइमर्स, मस्तिष्क का ट्यूमर, सिस्टमिक ल्युपस एरीथेमाटोटस तथा कई दवाइयों के प्रतिकूल प्रभाव (जैसे बीटा ब्लॉकर्स तथा स्टेरॉयड्स)।[13]

मनोसामाजिक अवस्थाएं

कई मनोवैज्ञानिक अवस्थाएं आत्महत्या के खतरों को बढ़ाती हैं, जिनमें निराशा, जीवन में आनंद की कमी, अवसाद तथा व्यग्रता शामिल हैं।[21] समस्याओं को हल करने की क्षमता की कमी, भूत-काल की क्षमताओं में कमी तथा आवेग पर नियंत्रण में कमी भी इसमें भूमिका निभाते हैं। [21][45]अधिक उम्र के वयस्कों में दूसरों पर बोझ होने की धारणा भी महत्वपूर्ण है। [46][46] हाल के जीवन के तनाव जैसे परिवार के किसी सदस्य अथवा किसी मित्र को खोना, नौकरी खोना, अथवा सामाजिक अलगाव (जैसे अकेले रहना) इस खतरे में वृद्धि करते हैं। [21] कभी विवाहित नहीं रहने वाले लोग भी उच्च जोखिम में आते हैं। [13] धार्मिक होने से किसी व्यक्ति के लिये आत्महत्या का खतरा कम हो जाता है। [47] इसका कारण अनेक धर्मों में आत्महत्या के लिये नकारात्मक रूख तथा धर्म से प्राप्त होने वाली संयुक्तता है। [47] धार्मिक व्यक्तियों में, मुस्लिम लोगों में आत्महत्या की दर कम प्रतीत होती है। [48] कुछ लोग धमकी अथवा पक्षपात से बचने के लिये आत्महत्या कर लेते हैं। [49] बचपन में हुआ यौन शोषण[50] तथा पालक घर में व्यतीत समय भी जोखिम के कारक हैं। [51] यौन शोषण को कुल जोखिम के 20% को योगदान का कारक माना जाता है। [18]आत्महत्या की क्रमिक विकास व्याख्या यह है कि यह समावेशी फिटनेस में सुधार ला सकती है। ऐसा तब हो सकता है जब आत्महत्या करने वाला व्यक्ति बच्चे पैदा नहीं कर सकता तथा जीवित रह कर वह अपने रिश्तेदारों से संसाधनों को लेता रहता है। इसकी एक आपत्ति यह है कि स्वस्थ किशोरों की मृत्यु की संभावना समावेशी फिटनेस में वृद्धि नहीं करती है। एक निनांत अलग पैतृक वातावरण में अनुकूलन वर्तमान वातावरण की तुलना में दोषपूर्ण अनुकूलन हो सकता है। [45][52] गरीबी आत्महत्या के जोखिम से जुड़ी हुई है।[53]किसी व्यक्ति के आसपास उनकी तुलना में बढ़ रही सापेक्ष गरीबी आत्महत्या के खतरे को बढ़ाती है। [54] 1997 से भारत में लगभग 2,00,000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है जो कि कुछ हद तक ऋण सम्बन्धी कारणों से सम्बंधित है।[55]चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में आत्महत्या की आशंका शहरी क्षेत्रों के मुकाबले तीन गुना होती है, जिसका आंशिक कारण देश के इन क्षेत्रों में होने वाली वित्तीय परेशानियों को माना जाता है।[56]

मीडिया

मीडिया, जिसमें इंटरनेट भी शामिल है, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। [11] यह आत्महत्या का चित्रण ऐसे कवरेज की अधिक मात्रा, प्रमुखता तथा दोहराव के द्वारा करती है जिसमें आत्महत्या का महिमा-मंडन अथवा रोमानी-चित्रण किया जाता है। [57]जब किसी माध्यम से आत्महत्या करने का विस्तृत वर्णन की व्याख्या की जाती है, आत्महत्या की इस विधि की वृद्धि पूर्ण जनसंख्या में हो सकती है। [58]आत्महत्या संसर्ग का यह ट्रिगर अथवा कॉपी-कैट आत्महत्या को वार्थर प्रभाव के रूप में जाना जाता है, जिसका नाम गेटे के पक्षधर पर पड़ा है दि सौरोज़ ऑफ यंग वार्थर जिन्होंने स्वयं आत्महत्या की थी।[59] युवाओं में यह जोखिम अधिक होता हैं क्योंकि वे मृत्यु को रोमानी समझते हैं। [60] ऐसा प्रतीत होता है कि मीडिया द्वारा एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, मनोरंजन मीडिया का प्रभाव भी उतना ही होता है।[61] वार्थर प्रभाव के विपरीत प्रस्तावित पापाजेनो प्रभाव है, जिसमें माना जाता है कि प्रभावी बचाव तंत्र की कवरेज के फलस्वरूप एक सुरक्षात्मक प्रभाव हो सकता है। यह शब्द मोजार्ट के ओपेरा के एक चरित्र जादुई बांसुरी पर आधारित है जो अपने प्रिय व्यक्ति को खोने के डर से आत्महत्या करने जा रहा था, जबकि मित्रों ने सहायता करके उसको बचा लिया। [59] मीडिया के द्वारा उचित रिपोर्टिंग दिशा निर्देशों के पालन से आत्महत्या के खतरे को कम किया जा सकता है। [57]हालाँकि उद्योग से अन्तः-क्रय, विशेष रूप से लंबी अवधि के में, मुश्किल हो सकती है। [57]

तर्कसंगत

तर्कसंगत आत्महत्या तार्किक रूप से अपने प्राण त्यागने को कहते हैं,[62] हालाँकि कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि आत्महत्या कभी तर्कसंगत नहीं हो सकती है। [62] दूसरों के हित में अपने जीवन को समाप्त करने के कार्य को परोपकारी आत्महत्याकहते हैं।[63] इसका एक उदाहरण समुदाय में युवा लोगों के लिए भोजन की अधिकाधिक मात्रा छोड़ने के लिए किसी बूढ़े व्यक्ति द्वारा अपने जीवन को समाप्त करना है।[63] किन्ही एस्किमो संस्कृतियों में इसे इस सम्मान, साहस अथवा बुद्धिमत्ता के एक कार्य के रूप में देखा गया है। [64]आत्मघाती हमला एक राजनैतिक कार्यवाई है जिसमें हमलावर दूसरों के विरुद्ध हिंसा यह जानते हुए भी करता कि इसका अंत उसकी स्वयं की मृत्यु के रूप में होगा। [65] कुछ आत्मघाती हमलावर इसे शहादत का जरिया मानते हैं।[19] कामिकाज़े अभियान एक बड़े मकसद अथवा नैतिक दायित्व के रूप में किये गए थे। [64] हत्या-आत्महत्या मानववध की वह घटना है जिसमें इसे करने वाले द्वारा स्वयं ही एक सप्ताह के अन्दर आत्महत्या कर ली जाती है। [66] सामूहिक आत्महत्या अक्सर सामजिक दबाव में की जातीं हैं जबकि सदस्य अपने नेता को स्वायत्तता दे देते हैं। [67] सामूहिक आत्महत्या में कम से कम दो लोग हो सकते हैं, जिसको आत्महत्या समझौता के रूप में भी जाना जाता है। [68]

हल्का करने वाली परिस्थियों में, जबकि जीवित रहना असहनीय प्रतीत होता है, कुछ लोग आत्महत्या को बचाव के साधन के रूप में अपनाते हैं। [69] नाज़ी यातना शिविरों में कुछ बंदियों द्वारा जानबूझ कर विद्युतीकृत बाड़ को छू कर स्वयं को मार दिए जाने की जानकारी है। [70]

तरिके

संयुक्त राज्य अमरीका में आत्महत्या विधि आधार पर मामलों में मृत्यु दर[15]

आत्महत्या के प्रमुख कारण भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न हैं। विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख विधियों में फाँसी, कीटनाशक विष पीना और आग्येयास्त्रों का उपयोग शामिल है।[71] विभिन्न भागों में होने वाले ये अंतर संभवतः विभिन्न विधियों की उपलब्धता पर निर्भर करते हैं।[58]56 देशों की एक समीक्षा से पता चलता है कि अधिकतर देशों में आत्महत्या सबसे आम विधि थी,,[72] जो 53% पुरुषों और 39% महिलाओं की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार थी।[73] पूरी दुनिया में आत्महत्याओं का 30% कीटनाशकों से होता है। इस विधि का उपयोग हलांकि यूरोप में 4% से ले कर प्रशांत क्षेत्र में 50% के बीच विस्तृत है।[74]कृषि जनसंख्याओं में इस तक आसान पहुंच के कारण, यह लैटिन अमरीका में भी यह काफी आम है।[58] बहुत से देशों में, दवाओं की अतिरिक्त खुराक का उपयोग महिलाओं में आत्महत्या के 60% मामलों में तथा पुरुषों में 30% मामलों में देखा गया है।[75] इनमें बहुत से गैरनियोजित होते हैं और दुविधा की गंभीर अवस्था के दौरान होते हैं।[58] मृत्युदर विधि के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैः आग्नेयास्त्र 80-90%, डूबकर 65-80%, फांसी लगाकर 60-85%, कार एक्ज़ास्ट 40-60%, कूदना 35-60%, बंद कमरे में कोयला जलाकर 40-50%, कीटनाशक 6-75%, दवा की अतिरिक्त खुराक 1.5-4%।[58] आत्महत्या के प्रयास की सबसे आम विधियां, सबसे सफल विधियों से भिन्न होती है जिनमें से विकसित देशों में प्रयासों का 85% तक दवाओं की अतिरिक्त खुराक के माध्यम से होता है।[24]संयुक्त राज्य अमरीका में आत्महत्या के 57% मामलों में आग्नेयास्त्रों का उपयोग होता है, यह विधि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक आम है।[13] अगला सबसे आम कारण पुरुषों में फांसी और महिलाओं में खुद को विष देना है।[13] ये विधियां मिलकर यूएस में आत्महत्या के 40% मामलों के लिए जिम्मेदार हैं।[76] स्विटज़रलैंड, जहां पर लगभग सभी के पास आग्नेयास्त्र हैं, अधिकतम आत्महत्याएं फांसी लगा कर की जाती हैं।[77] कूद कर जान देना हांगकांग और सिंगापुर क्रमशः 50% और 80% तक है।[58] चीन में कीटनाशकों को खा कर जान देना सबसे आम तरीका है।[78] जापान में अपने पेट को चोट पहुंचा कर खत्म करना, जिसे सेपूकू या हारा-किरी कहते हैं अभी भी मौजूद है,[78] हलांकि फांसी लगा कर आत्महत्या करना सबसे आम तरीका है।[79]

पैथोफिज़ियोलॉजी (रोग के कारण पैदा हुए क्रियात्मक परिवर्तन)

आत्महत्या या अवसाद की कोई एकीकृत अंतर्निहित पैथोफिज़ियोलॉजी नहीं है।[13] हलांकि यह माना जाता है कि ये व्यवहारिक, सामाजिक-पर्यावरणीय और मनोवैज्ञानिक कारकों के अंतःसंबंधों से उपजता है।[58] मस्तिष्क व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक कारक (बीडीएनएफ) के निम्न स्तर प्रत्यक्ष रूप से आत्महत्या के साथ जुड़े हैं [80] और अप्रत्यक्ष रूप से गंभीर अवसाद तथा अभिघातजन्य तनाव पश्चात विकार, स्किज़ोफ्रेनिया और जुनूनी बाध्यकारी विकार से जुड़े हैं।[81] शव-परीक्षा अध्ययनों से पता चला है कि मनोवैज्ञानिक परिस्थितियों वाले तथा उनके बिना वाले, दोनो तरह के लोगों में बीडीएनएफ के हिप्पोकैंपस और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में निम्न स्तर मिले हैं।[82] सेरोटोनिन, जो कि मस्तिष्क का न्यूरोट्रांसमिटर है, आत्महत्या करने वालों में कम होता है।आंशिक रूप से इसे मृत्यु के पश्चात 5-HT2A ग्राहियों के बढ़े स्तर के साक्ष्यों के आधार पर कहा जाता है।[83] अन्य साक्ष्यों में सेरेब्रल स्पाइनल तरल में 5-हाइड्रॉक्सीइन्डॉलिएसिटिक अम्ल सेरोटोनिन के टूटने से बने उत्पाद के घटे स्तर शामिल हैं।[84] हलांकि प्रत्यक्ष साक्ष्य मिलना कठिन है।[83] एपिजेनेटिक्स जो कि ऐसे वातावरणीय कारकों की प्रतिक्रिया में आनुवंशिक अभिव्यक्ति में परिवर्तनों का अध्ययन है जो अतर्निहित डीएनए को बदलते नहीं है, इसे भी आत्महत्या के जोखिम को निर्धारित करने में भूमिका निभाने के लिए उत्तरदायी माना जाता है।[85]

रोकथाम

आत्महत्या की रोकथाम की पहल के रूप में, यह चिह्न गोल्डन गेट पुल पर उपलब्ध विशेष फोन को बढ़ावा देता है जो संकटकालीन हॉटलाइन से जुड़ता है।

आत्महत्या की रोकथाम एक वाक्यांश है जिसे, रोकथाम उपायों के माध्यम से आत्महत्या की घटनाओं को कम करने के लिए सामूहिक प्रयास के लिए उपयोग किया जाता है। कुछ विधियों तक पहुंच को कम करना जैसे आग्नेयास्त्र या विष, इस जोखिम को कम करता है।[58][86] अन्य उपायों में कोयले तथा पुलों व सबवे प्लेटफॉर्मों पर बैरियर तक पहुंच कम करना शामिल है।[58] नशीली दवाओं तथा मदिरा की लत, अवसाद और पहले आत्महत्या का प्रयास कर चुके लोगों का उपचार भी प्रभावी हो सकता है।[86] कुछ लोगों नें मदिरा तक पहुंच की कमी को रोकथाम रणनीति के रूप में प्रस्तावित किया है (जैसे कि मदिरालयों की संख्या को कम करना)।[12] हलांकि संकटकालीन हॉटलाइनें आम हैं, लेकिन इस बात के साक्ष्य कम है कि इस उपाय को और समर्थन दिया जाए।[87][88] युवा वयस्क जिन्होने हाल ही में आत्महत्या के बारे में सोचा है, उनमें संज्ञानात्मक व्यवहार उपचार परिणामों को बेहतर करता दिखता है।[89] आर्थिक विकास की अपनी गरीबी कम करने की क्षमता के कारण आत्महत्या की दर में कमी लाने में सक्षम हो सकता है।[53] सामाजिक संबंधों को बढ़ाने के प्रयास, विशेष रूप से बुजुर्गों में प्रभावी हो सकते हैं।[90]

जाँच

आत्महत्या की अंतिम दर पर सामान्य जनसंख्या की जाँच के प्रभावों पर काफी कम आँकड़े उपलब्ध हैं। .[91] चूंकि ऐसे लोगों की दर उच्च हैं जो कि इन उपायों की जाँच के प्रति सकारात्मक होने के बावजूद आत्महत्या के जोखिम में नहीं है, इसलिए चिंता की बात यह है कि जाँच, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल संसाधन का उपयोग बहुत अधिक बढ़ जाए।[92] हलांकि उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए आंकलन अनुशंसित है।[13] आत्महत्या की संभावना के बारे में पूछने से जोखिम बढ़ता नहीं दिखता है।[13]

मानसिक बीमारी

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों में उपचार के कई प्रकार आत्महत्या के जोखिम को कम कर सकते हैं। वे लोग जो सक्रिय रूप से आत्महत्या के जोखिम में आते हैं उनको उनकी इच्छा से या बलपूर्वक मानसिक देखभाल में भर्ती किया जा सकता है।[13]वे चीजें जो ऐसे लोगों को हानि पहुंचा सकती हैं, आम तौर पर हटा दी जाती हैं।[24] कुछ चिकित्सक रोगियों से आत्महत्या रोकथाम अनुबंध पर हस्ताक्षर कराते हैं जिसके माध्यम से वे छोड़े जाने पर खुद को नुक्सान न पहुंचाने पर सहमित प्रदान करते हैं।[13] हलांकि, साक्ष्य इस अभ्यास के प्रभावी होने का संकेत नहीं देते हैं।[13] यदि कोई व्यक्ति निम्न जोखिम पर है तो वाह्य-रोगी मानसिक स्वास्थ्य उपचार का प्रबंध किया जा सकता है[24] पुराने आत्महत्या करने की मनस्थिति वाले वे लोग जो सीमांत व्यक्तित्व विकार से पीड़ित हैं उनमें लघु-अवधि के लिए अस्पताल में भर्ती किए जाने को सामुदायिक देखभाल से बेहतर नहीं देखा गया है।[93][94] इस बात के अंतरिम साक्ष्य उपलब्ध हैं कि मानसिक उपचार, विशेष रूप से डायालेक्ट्रिक बिहेवियरल उपचार, किशोरों में[95] तथा साथ ही सीमांत व्यक्तित्व विकार वाले लोगों में आत्महत्या की प्रवृति को कम करता है। [96] हलांकि इस बात के साक्ष्य नहीं मिले हैं कि अंततः आत्महत्या में कमी हुई हो।[95]अवसाद-रोधी दवाओं के लाभ बनाम हानियों पर विवाद है।[11] युवा लोगों में नई अवसाद रोधी दवाओं जैसे SSRIs आत्महत्या की प्रवृत्ति को 25 प्रति 1000 से 40 प्रति 1000 तक बढ़ाती दिखती है।[97] हलांकि बुजुर्गों में जोखिम कम हो सकता है।[13] लीथियम उन लोगों में जोखिम कम करने में प्रभावी दिखता है जिनमें द्विध्रुवीय विकार और एकध्रुवीय अवसाद समान्य जनसंख्या जितने स्तर पर दिखता है।[98][99]

चीन में आत्महत्या

देखें मुख्य लेख चीन में आत्महत्या

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